Jan 30, 2011
भ्रष्टाचारियों का ‘राजा’? जोशी दंपती मतलब अकूत संपत्ति
भोपाल. फरवरी 4, 2010.........मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राजनितिज्ञों और अफसरों की पॉश कालोनी, 74 बंगला क्षेत्र अचानक सुर्ख़ियों में आ जाता है। एक आईएएस दंपत्ति के यहां छापा डालते ही आयकर विभाग के अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। आईएएस दंपत्ति अरविंद जोशी और टीनू जोशी के निवास पर मारे गए इस छापे में तीन करोड़ रुपए से अधिक की नकद राशि संबंधित विभाग जब्त करता है।एक साथ इतने कैश की उम्मीद शायद आयकर विभाग को भी नहीं थी सो विभाग को बाकायदा नोट गिनने की मशीन लगानी पड़ी। दिनभर चली इस कवायद में विभाग के हाथ जोशी दंपत्ति से संबंधित करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति का ब्योरा मिलता है। फरवरी 5,2010.......भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री का पता लगते ही सरकार में एक अजीब सी खलबली मच जाती है। नतीजा ....चौबीस घंटे के अंदर ही इंकमटेक्स के जाल में फंसे प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी को राज्य सरकार द्वारा सस्पेंड कर दिया जाता है। धन-कुबेर निकली आईएएस जोड़ी प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी मामले की जांच में जुटे आयकर विभाग ने साल 2010 जाते-जाते इस दंपत्ति की 350 करोड़ की नामी बेनामी संपत्ति का खुलासा किया। आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट बताती है कि जोशी दंपत्ति उन्होंने ने यह संपत्ति 1989 से 2010 के दौरान बनाई। 1979 बैच के आईएएस अधिकारी अरविन्द और टीनू जोशी ने 30 वर्षों के प्रशासनिक सफ़र में कई विभागों की कमान संभाली। इन पदों पर रहते हुए इस दंपत्ति ने कई बड़े ठेकों को पास कराया। माना जाता है कि ठेकों को पास कराने की आड़ में इस दंपत्ति ने कमीशन के तौर पर खासी रकम जमा कर ली थी। इसी रकम को इस दंपत्ति ने चरणबद्ध तरीके से रियल स्टेट और अन्य दीगर कामों में लगाया। मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त इस दंपत्ति को काले को सफेद करने में खासी महारत हासिल थी। यही कारण था कि विभिन्न जगहों पर निवेश किए काले धन में इन्होनें फर्जी नाम और पतों का जमकर इस्तेमाल किया। आपको बता दें कि टीनू जोशी नें जहाँ बिज़नस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है।वहीं अरविंद जोशी ने भी ऑस्ट्रेलिया की ही यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉलोन्गॉन्ग से एमबीए किया है। आईये नज़र डालें फर्जी बाडे़ की पूरी दास्तान पर..... रक्षा मंत्रालय में रहते खरीदी 121 एकड़ जमीन: सूत्र बताते हैं कि 1999 से 2004 के बीच रक्षा मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहते हुए जोशी ने भोपाल और आसपास 121 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। 2004-05 में उन्होंने 58 एकड़ जमीन खरीदी। यह जमीन बिलकिसगंज, मूलखेड़ी, सागोनीकला,मेंडोरी, दीवानगंज,बैरसिया,गोडावर, चिकलोद,खरमई व आसपास के गांवों में क्रय की गई। आसाम से शुरू हुआ निवेश का खेल जोशी ने जमीनों में निवेश की शुरूआत आसाम के कामरू जिला के मौजा रामचारी से की। 2001 से 2004 के बीच भोपाल में सात प्लॉट खरीदे गए। उन्होंने 2005 से 2008 के बीच रियल एस्टेट में करीब पांच करोड़ का निवेश किया। जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव रहते हुए जोशी ने तवा, बरगी, बाणसागर और हंसदेव बांधों का ठेका दिया और सवा करोड़ का लेन-देन किया। तीन करोड़ 55 लाख का प्रीमियम जोशी दंपती आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल में 3 करोड़ 55 लाख का सालाना प्रीमियम जमा करती है। इसमें 50 लाख अरविंद जोशी,70 लाक ईशान जोशी,75 लाख आसमी जोशी,51 लाख एचएम जोशी और 1 करोड़ 10 लाख निर्मला जोशी के नाम से जमा होता है। ईशान और आसमी पढ़ाई कर रहे हैं और निर्मला ग्रहणी हैं। हर बीमा पॉलिसी में खुद को छुपाने के लिए जोशी ने फर्जी पते और गलत नाम दिए। जिन पतों पर यह पॉलिसी पाई गईं वे थे ई-15/3 ,एफ-68 मिनाल रेसीडेंसी (सीमा जायसवाल का पता) एफ-95 इंद्रप्रस्थ राज होम्स (सीमा जायसवाल के भाई मिराज अली का पता)। सभी पॉलिसी में नॉमिनी या तो जोशी खुद है या उनके परिवार के सदस्य। शेयरों में भी किया निवेश जोशी ने अपने नाम से 274 करोड़ की फ्यूचर ऑप्शन शेयर ट्रेडिंग की है। अरविंद और टीनू जोशी के नाम से 3 करोड़ रुपए के शेयर मिले हैं। अरविंद जोशी के क्रेजी इंफोटेक में 50 हजार शेयर,होन्किल इंडिया लिमिटेड में 10 हजार सहित सेंचुरी,भारतीएयरटेल,आइडिया,एनडीटीवी,आईसीआईसीआई,यूटीआई बैंक,आईडीबीआई बैंक,देना बैंक,पीएनबी,केएस आइल,एचडीएफसी और टाटा स्टील कंपनी में शेयर हैं। टीनू जोशी के पास हिंडाल्को के 1500,जेपी के 1600,इंडियन होटल के 1000 और यूको बैंक के 2000 शेयर हैं। गुवाहाटी में 18 फ्लैट अरविंद जोशी के पास गुवाहाटी के कामरूप हाउसिंग प्रोजेक्ट में 18 फ्लैट हैं। 1999 से 2004 के बीच रक्षा विभाग में संयुक्त सचिव रहते हुए जोशी श्रीदेव शर्मा ग्रुप के संपर्क में आए। दोनों ने गुवाहाटी में 15 बीघा जमीन खरीदी। कामरुप हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रा लिमिटेड, नई दिल्ली के नाम से कंपनी बनाई गई। जोशी के भोपाल में छह फ्लैट और सात प्लॉट हैं। इतना ही नहीं बेटे ईशान जोशी के नाम से इथोस एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और 100 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। जोशी ने भोपाल, रायसेन, सीहोर, बालाघाट, कान्हा और बांधवगढ़ में करीब 400 एकड़ जमीन खरीदी। 80 बैंक खातों में करोड़ों का लेन-देन आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट में अरविंद जोशी के निवास से 80 बैंक खातों की जानकारी मिली थी। इन खातों से करोड़ों रुपए का लेन-देन किया गया है। आईसीआईसीआई बैंक में उनके केवल एक खाते नंबर 00551029336 के लेन-देन ने ही उनके भ्रष्टाचार के तमगे में चार चांद लगा दिए हैं। खाते में ओपनिंग बैलेंस था 38500 रुपए। इसके बाद खाते में शायद ही कभी एक लाख से कम का लेन-देन हुआ। 2006 में इस खाते के खुलने के बाद नोटों की ऐसी झड़ी लगी कि मानों इसमें खुद-ब-खुद पैसा जमा हो रहा हो। मात्र चार साल में इस बचत खाते में आए दिन हो रहे लाखों के ट्रांजेक्शन से बैंक भी इतना खुश था कि खाते को विशेष ए श्रेणी दी गई। अब हो सकती है सात साल जेल आयकर विभाग निलंबित आईएएस दंपति अरविंद और टीनू जोशी के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की अनुशंसा करने जा रहा है। इस कानून में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। जोशी के घर से विदेशी मुद्रा और विदेशी शराब मिलने के मामले में रिजर्व बैंक ने उन्हें हाल ही में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शर्म से झुक गया पिता का सर... अरविन्द जोशी की भ्रष्टाचार में संलिप्तता का सबसे बुरा असर उनके पिता की साख पर पड़ा। गौरतलब है कि अरविन्द जोशी के पिता एचएम जोशी मध्य प्रदेश सरकार में पुलिस महानिदेशक रह चुके है। अरविन्द जोशी से उलट उनके पिता की ईमानदार छवि के किस्से आज भी प्रदेश भर में मशहूर हैं।लेकिन अरविन्द और टीनू जोशी प्रकरण ने न सिर्फ एचएम जोशी बल्कि पूरी 'प्रशासनिक सेवा' की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया दिया है।
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पूरी फिल्मी है हसन अली की कहानी, स्विस बैंकों में जमा कर रखे हैं ८ अरब डॉलर
विज्ञापन नई दिल्ली. पुणे के व्यवसायी हसन अली की ज़िंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली ने स्विस बैंकों में करीब ८ अरब अमेरिकी डॉलर का काला धन जमा किया था। हालांकि, भारत सरकार ने हाल ही में दावा किया है कि उसके स्विस खाते अब खाली हो चुके हैं। जानकार मानते हैं कि पैसे कहां गए होंगे, यह पता लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। अली के बारे में कहा जाता है कि वे देश के सबसे बड़े कर अपराधी हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली के खिलाफ जांच में शामिल एक अफसर का कहना है कि हसन अली के खिलाफ देश की सुरक्षा से जुड़े कई कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रणब मुखर्जी को लिखी एक गोपनीय चिट्ठी में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए हसन अली के खिलाफ जांच की जा सकती है। सुब्रमण्यम ने यह राय 2009 में दायर की गई याचिका के जवाब में दिया था। जांचकर्ताओं को हसन अली द्वारा हस्ताक्षर किए गए हलफनामे मिल हैं जिनमें विदेशी खातों से जुडी लेनदेन की जानकारी दी गई है। इन हलफनामों की वैधता की पुष्टि ब्रिटेन में मौजूद भारतीय दूतावास ने की थी। रक्षा सौदों में कमाया काला धन जांचकर्ताओं का कहना है कि हसन अली के खातों में मौजूद पैसा रक्षा सौदों में कमाया गया हो सकता है। उनका यह भी मानना है कि हसन अली कई राजनेताओं के काले धन को ठिकाने लगाने का काम भी करता रहा है। जांचकर्ताओं को शक है कि पिछले 15 सालों में हसन अली ने 36,000 करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा किया है। अदनान खशोगी की मदद से खुलवाया था खाता बताया जाता है कि हथियारों की तस्करी करने वाले अदनान खशोगी की मदद से हसन अली ने स्विस बैंकों में खाता खुलवाया था। इसके अलावा अदनान के साथ अली का वित्तीय लेनदेन था। कार किराए पर देने का काम करता था प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह बात सामने आई है कि 1993 में हसन अली ने कार किराए पर देने का काम शुरू किया था, जिसे 1994 में उसने बंद कर दिया। इसके बाद वह अपने रिश्तेदार हैदर अली खान के साथ मिलकर हैदराबाद में कुछ बैंक धोखाधड़ी के मामलों में उसका नाम आया। क्या है कारोबार, कोई नहीं जानता करोड़ों-अरबों के मालिक हसन अली कौन सा कारोबार करते हैं, यह कोई नहीं जानता है। आजकल वह पुणे में रहते हैं। स्विस सरकार ने मांगी जानकारी कहा जाता है कि हसन अली ने हवाला कारोबार, मनी लॉन्डरिंग जैसे कामों के जरिए बहुत पैसा कमाया है। हसन अली के काले धन का मुद्दा जब भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार के सामने उठाया तो वहां की सरकार ने कहा कि आप हसन अली के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी सबूतों के साथ दें तो वहां की सरकार मदद करने को तैयार है। लेकिन इस मामले में भारत सरकार ने आजतक कोई पहल नहीं की है। उलटे सरकार का कहना है कि अली के स्विस बैंक खाते अब खाली हैं।
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Jan 28, 2011
हर साल 100 करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी
केंद्र सरकार गरीबों को केरोसीन पर 20 हजार करोड़ की सब्सिडी दे रही है। देश में हर साल 1116 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। इसमें से 40 फीसदी यानी लगभग 450 करोड़ लीटर हर साल माफिया के पास पहुंच जाता है। तेल माफिया सस्ते केरोसीन को महंगे पेट्रोल-़डीजल में मिलाकर बेचते हैं और जमकर मुनाफा कमाते हैं। इस बेखौफ धंधे के बीच फिर जो भी आता है मारा जाता है। फिर चाहे षणमुगम मंजुनाथ हों या यशवंत सोनवणो। केरोसीन के काले बाजार, उसकी अर्थव्यवस्था और राजनीति पर देश भर से भास्कर संवाददाताओं की खोजपरक खबर- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा लगभग आधा केरोसीन कालाबाजारियों के पास चला जाता है। सरकार हर साल केरोसीन पर सब्सिडी के रूप में जो 20 हजार करोड़ रुपए देती है वह वही है जो हम टैक्स के रूप में सरकार को चुकाते हैं। चोरी, कालाबाजारी और तस्करी के कारण सरकार को हर साल 17 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। लेकिन फिर भी घाटे का यह सौदा जारी है।
मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर जिस पानेवाड़ी में यह घटना हुई वह महाराष्ट्र में केरोसीन की कालाबाजारी का गढ़ माना जाता है।सरकार सस्ता केरोसीन मुहैया कराने के लिए भारी भरकम राशि सब्सिडी पर खर्च कर रही है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकानॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक इस छूट का सबसे ज्यादा फायदा तेल माफिया उठा रहे हैं। क्योंकि मात्र साढ़े 12 रुपए में मिलने वाला एक लीटर केरोसीन को वे कई गुना महंगे पेट्रोल-डीजल में मिलाकर भारी मुनाफा कमा लेते हैं। देश में हर महीने 93 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। देश के हर व्यक्ति को करीब एक लीटर यानी साल में 12 लीटर। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा मुहैया 40 फीसदी केरोसीन कालाबाजारियों के हाथों में चला जाता है। नेपाल, पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों में केरोसीन की कीमतें पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगभग बराबर है। इसलिए सरकारी तेल डिपो व टैंकरों से चुराया गया केरोसीन तस्करी के जरिए इन देशों में महंगे दाम पर बेच दिया जाता है। एसोचेम के एक सर्वे के अनुसार हर साल सौ करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी हो रही है। इससे सरकार को हर साल 3395 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। कालाबाजारी इसलिए राशन की दुकानों से मिलने वाला केरोसीन 12.50 रुपए लीटर है। सरकार इसमें एक केमिकल मिलाकर नीला बनाती है। इसमें दस मिलीलीटर की मिलावट भी एक लीटर पेट्रोल या डीजल को नीला बना देती है। वहीं, सफेद केरोसीन का सरकारी रेट 30 रुपए से अधिक है। चूंकि सफेद केरोसीन खुले बाजार में मिलता ही नहीं है और इसकी मिलावट करने से मिलावटखोरों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता इसलिए कालाबाजारी करने वाले नीले केरोसीन को हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाकर सफेद बना लेते हैं। इसे वह 35 से 45 रुपए प्रति लीटर में बेचकर जबरदस्त मुनाफा कमाते हैं। वहीं, सफेद केरोसीन को डीजल और पेट्रोल में मिलाने करने से उसका रंग नहीं बदलता और मिलावट का पता नहीं चलता। केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सचिव रहे सुशील चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक तेल कंपनियां केरोसीन का भंडारण जिला स्तर पर करती हैं और वहीं वह कालाबाजारियों के हाथ लग जाता है। त्रिपाठी कहते हैं कि कालाबाजारी रोकने का एक तरीका केरोसीन का भंडारण गांव या ब्लॉक स्तर पर करना हो सकता है जहां इसे डीलर के नहीं बल्कि पंचायत की निगरानी में रखा जाए। लेकिन परिवहन की कीमत बढ़ने के डर से तेल कंपनियां इसके लिए राजी नहीं होती। मिलावटखोरों का सबसे बड़ा अड्डा है मनमाड़ मुंबई : नासिक रोड पर तेल टैंकरों का ट्रैफिक कम करने के लिए 13 साल पहले मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर पानेवाड़ी गांव में भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने पाइपलाइन से पेट्रोलियम पदार्थ लाने की योजना शुरू की। वहां 225 एकड़ जमीन पर बड़ा सा डिपो भी बनाया गया। बाद में अन्य तेल कंपनियों ने भी अपने-अपने डिपो वहां बनाए। इससे आसपास के सात-आठ जिलों में पेट्रोलियम पदार्थो की सप्लाई शुरू हुई। पर इसके साथ ही केरोसीन की कालाबाजारी व मिलावटखोरी भी शुरू हो गई।
इसमें तेल कंपनियों के अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर पुलिस तक शामिल है। इलाके के कई पुलिस अफसर तो ‘मिलावट माफिया’ तक कहलाते हैं। ऐसे होती है केरोसीन की चोरी ऑइल कंपनियां पीडीएस के तहत मिलने वाला केरोसीन जिला मुख्यालयों में बने डिपो में लाती हैं। फिर टैंकरों और ड्रमों के जरिए वह कस्बों व गांवों तक पहुंचता है। पुणो के ऑटोमोबाइल रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एस जुट्टू के मुताबिक इन्हीं टैंकरों से चोरी की शुरुआत होती है जो गांव में राशन की दुकान तक चलती है। कहीं तो टैंकर के टैंकर ही मिलावट के लिए पेट्रोल पम्प पर लाए जाते हैं। कई बार डीलर ही टैंकर ब्लैक में बेच देता है। यशवंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवारों के खाते में पैसा जमा करे सरकार जब तक बाजार में किसी चीज की दो कीमते होंगी तो स्मगलिंग और कालाबाजारी तो होगी ही। एक जमाने में सोने की स्मगलिंग बहुत मुनाफे का सौदा होता था। उसे रोकने के लिए हमने उसका आयात आसान कर दिया। जब घरेलू बाजार में सोना सुलभ है तो उसकी स्मगलिंग बंद हो गई। आश्चर्य की बात है कि अभी तक हमने इससे कोई सबक नहीं लिया। पूरी व्यवस्था किसी ठेलेगाड़ी की तरह धक्का मार-मार कर चल रही र्है। सरकार को केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवार के खाते में पैसा जमा कर देने चाहिए। न रहेगी सब्सिडी न होगी केरोसीन की कालाबाजारी। प्रोफे सर अरुण कुमार , दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बैंक खातों में पैसा जमा कराने से तो भ्रष्टाचार और बढ़ेगा, सब्सिडी नहीं, प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है हमारा प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है न कि सब्सिडी की नीति। सरकार को सबसे पहले अमीर और गरीब को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। सरकार इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है। सब्सिडी ऐसे लोगों के लिए है जिनके पास तन ढकने को कपड़े नहीं है और न ही रोटी और दवाई के पैसे। इसलिए रियायत तो जरूरी है।
लेकिन उनके बैंक खाते में पैसा देने से भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। इसलिए सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि सब्सिडी तो जारी रहे लेकिन केरोसीन की कालाबाजारी पर रोक लग जाए। इसी से मिलावटखोरों पर भी लगाम कसेगी। सार्थक बेहुरिया इंडियन ऑयल कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन हत्या की जड़ सब्सिडी है, पर फैसला सरकार को लेना है कि इसे जारी रखा जाए या नहीं? षणमुगम मंजुनाथ और यशवंत सोनवणो की हत्या की जड़ में केरोसीन और रसोई गैस पर दी जाने वाली भारी सब्सिडी है। इसी वजह से इनकी चोरी और कालाबाजारी होती है। चूंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार मूल्य के मुताबिक निर्धारित हो रही हैं इसलिए कालाबाजारी के बारे में कहीं सुनाई नहीं देता। केरोसीन और रसोई गैस की कालाबाजारी बड़ी समस्या है। लेकिन यह सरकार को ही तय करना है कि उसे सब्सिडी जारी रखनी है या खत्म कर देनी है। दिल्ली के लोनी, बिजवासन, असम में सिलीगुड़ी, गुजरात में कांडला, उत्तरप्रदेश में मथुरा में सबसे बड़े तेल डिपो हैं, जहां इस तरह के माफियाओं के सक्रिय होने की आशंका है। गुरुचरण दास जानेमाने अर्थशास्त्री सब्सिडी का दुरुपयोग होता ही है, इसे खत्म कर स्मार्ट कार्ड के जरिये गरीबों को मदद दी जाए सब्सिडी जहां भी दी जाती है उसका दुरुपयोग होता ही है। इसलिए हर क्षेत्र में सब्सिडी तुरंत खत्म कर दिया जाना चाहिए। हमारे सामने पंजाब में मुफ्त बिजली दिए जाने का अच्छा उदाहरण है। चूंकि बिजली मुफ्त मिल रही थी, इसलिए वहां दिन-दिन भर पंपसेट चलाए गए। फसल तो जरूर अच्छी हुई लेकिन अंधाधुंध पानी निकाले जाने के कारण वहां का भूजल स्तर इतना गिर गया है कि सिचांई की लागत बढ़ गई है और पैदावार गिर रही है। सब्सिडी के विकल्प के रूप में सरकार को किसानों को सीधे आर्थिक सहायता देनी चाहिए। वह चाहे उनके खाते में पैसा जमा कर हो या स्मार्ट कार्ड के जरिए हो।
मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर जिस पानेवाड़ी में यह घटना हुई वह महाराष्ट्र में केरोसीन की कालाबाजारी का गढ़ माना जाता है।सरकार सस्ता केरोसीन मुहैया कराने के लिए भारी भरकम राशि सब्सिडी पर खर्च कर रही है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकानॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक इस छूट का सबसे ज्यादा फायदा तेल माफिया उठा रहे हैं। क्योंकि मात्र साढ़े 12 रुपए में मिलने वाला एक लीटर केरोसीन को वे कई गुना महंगे पेट्रोल-डीजल में मिलाकर भारी मुनाफा कमा लेते हैं। देश में हर महीने 93 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। देश के हर व्यक्ति को करीब एक लीटर यानी साल में 12 लीटर। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा मुहैया 40 फीसदी केरोसीन कालाबाजारियों के हाथों में चला जाता है। नेपाल, पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों में केरोसीन की कीमतें पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगभग बराबर है। इसलिए सरकारी तेल डिपो व टैंकरों से चुराया गया केरोसीन तस्करी के जरिए इन देशों में महंगे दाम पर बेच दिया जाता है। एसोचेम के एक सर्वे के अनुसार हर साल सौ करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी हो रही है। इससे सरकार को हर साल 3395 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। कालाबाजारी इसलिए राशन की दुकानों से मिलने वाला केरोसीन 12.50 रुपए लीटर है। सरकार इसमें एक केमिकल मिलाकर नीला बनाती है। इसमें दस मिलीलीटर की मिलावट भी एक लीटर पेट्रोल या डीजल को नीला बना देती है। वहीं, सफेद केरोसीन का सरकारी रेट 30 रुपए से अधिक है। चूंकि सफेद केरोसीन खुले बाजार में मिलता ही नहीं है और इसकी मिलावट करने से मिलावटखोरों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता इसलिए कालाबाजारी करने वाले नीले केरोसीन को हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाकर सफेद बना लेते हैं। इसे वह 35 से 45 रुपए प्रति लीटर में बेचकर जबरदस्त मुनाफा कमाते हैं। वहीं, सफेद केरोसीन को डीजल और पेट्रोल में मिलाने करने से उसका रंग नहीं बदलता और मिलावट का पता नहीं चलता। केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सचिव रहे सुशील चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक तेल कंपनियां केरोसीन का भंडारण जिला स्तर पर करती हैं और वहीं वह कालाबाजारियों के हाथ लग जाता है। त्रिपाठी कहते हैं कि कालाबाजारी रोकने का एक तरीका केरोसीन का भंडारण गांव या ब्लॉक स्तर पर करना हो सकता है जहां इसे डीलर के नहीं बल्कि पंचायत की निगरानी में रखा जाए। लेकिन परिवहन की कीमत बढ़ने के डर से तेल कंपनियां इसके लिए राजी नहीं होती। मिलावटखोरों का सबसे बड़ा अड्डा है मनमाड़ मुंबई : नासिक रोड पर तेल टैंकरों का ट्रैफिक कम करने के लिए 13 साल पहले मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर पानेवाड़ी गांव में भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने पाइपलाइन से पेट्रोलियम पदार्थ लाने की योजना शुरू की। वहां 225 एकड़ जमीन पर बड़ा सा डिपो भी बनाया गया। बाद में अन्य तेल कंपनियों ने भी अपने-अपने डिपो वहां बनाए। इससे आसपास के सात-आठ जिलों में पेट्रोलियम पदार्थो की सप्लाई शुरू हुई। पर इसके साथ ही केरोसीन की कालाबाजारी व मिलावटखोरी भी शुरू हो गई।
इसमें तेल कंपनियों के अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर पुलिस तक शामिल है। इलाके के कई पुलिस अफसर तो ‘मिलावट माफिया’ तक कहलाते हैं। ऐसे होती है केरोसीन की चोरी ऑइल कंपनियां पीडीएस के तहत मिलने वाला केरोसीन जिला मुख्यालयों में बने डिपो में लाती हैं। फिर टैंकरों और ड्रमों के जरिए वह कस्बों व गांवों तक पहुंचता है। पुणो के ऑटोमोबाइल रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एस जुट्टू के मुताबिक इन्हीं टैंकरों से चोरी की शुरुआत होती है जो गांव में राशन की दुकान तक चलती है। कहीं तो टैंकर के टैंकर ही मिलावट के लिए पेट्रोल पम्प पर लाए जाते हैं। कई बार डीलर ही टैंकर ब्लैक में बेच देता है। यशवंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवारों के खाते में पैसा जमा करे सरकार जब तक बाजार में किसी चीज की दो कीमते होंगी तो स्मगलिंग और कालाबाजारी तो होगी ही। एक जमाने में सोने की स्मगलिंग बहुत मुनाफे का सौदा होता था। उसे रोकने के लिए हमने उसका आयात आसान कर दिया। जब घरेलू बाजार में सोना सुलभ है तो उसकी स्मगलिंग बंद हो गई। आश्चर्य की बात है कि अभी तक हमने इससे कोई सबक नहीं लिया। पूरी व्यवस्था किसी ठेलेगाड़ी की तरह धक्का मार-मार कर चल रही र्है। सरकार को केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवार के खाते में पैसा जमा कर देने चाहिए। न रहेगी सब्सिडी न होगी केरोसीन की कालाबाजारी। प्रोफे सर अरुण कुमार , दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बैंक खातों में पैसा जमा कराने से तो भ्रष्टाचार और बढ़ेगा, सब्सिडी नहीं, प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है हमारा प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है न कि सब्सिडी की नीति। सरकार को सबसे पहले अमीर और गरीब को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। सरकार इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है। सब्सिडी ऐसे लोगों के लिए है जिनके पास तन ढकने को कपड़े नहीं है और न ही रोटी और दवाई के पैसे। इसलिए रियायत तो जरूरी है।
लेकिन उनके बैंक खाते में पैसा देने से भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। इसलिए सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि सब्सिडी तो जारी रहे लेकिन केरोसीन की कालाबाजारी पर रोक लग जाए। इसी से मिलावटखोरों पर भी लगाम कसेगी। सार्थक बेहुरिया इंडियन ऑयल कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन हत्या की जड़ सब्सिडी है, पर फैसला सरकार को लेना है कि इसे जारी रखा जाए या नहीं? षणमुगम मंजुनाथ और यशवंत सोनवणो की हत्या की जड़ में केरोसीन और रसोई गैस पर दी जाने वाली भारी सब्सिडी है। इसी वजह से इनकी चोरी और कालाबाजारी होती है। चूंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार मूल्य के मुताबिक निर्धारित हो रही हैं इसलिए कालाबाजारी के बारे में कहीं सुनाई नहीं देता। केरोसीन और रसोई गैस की कालाबाजारी बड़ी समस्या है। लेकिन यह सरकार को ही तय करना है कि उसे सब्सिडी जारी रखनी है या खत्म कर देनी है। दिल्ली के लोनी, बिजवासन, असम में सिलीगुड़ी, गुजरात में कांडला, उत्तरप्रदेश में मथुरा में सबसे बड़े तेल डिपो हैं, जहां इस तरह के माफियाओं के सक्रिय होने की आशंका है। गुरुचरण दास जानेमाने अर्थशास्त्री सब्सिडी का दुरुपयोग होता ही है, इसे खत्म कर स्मार्ट कार्ड के जरिये गरीबों को मदद दी जाए सब्सिडी जहां भी दी जाती है उसका दुरुपयोग होता ही है। इसलिए हर क्षेत्र में सब्सिडी तुरंत खत्म कर दिया जाना चाहिए। हमारे सामने पंजाब में मुफ्त बिजली दिए जाने का अच्छा उदाहरण है। चूंकि बिजली मुफ्त मिल रही थी, इसलिए वहां दिन-दिन भर पंपसेट चलाए गए। फसल तो जरूर अच्छी हुई लेकिन अंधाधुंध पानी निकाले जाने के कारण वहां का भूजल स्तर इतना गिर गया है कि सिचांई की लागत बढ़ गई है और पैदावार गिर रही है। सब्सिडी के विकल्प के रूप में सरकार को किसानों को सीधे आर्थिक सहायता देनी चाहिए। वह चाहे उनके खाते में पैसा जमा कर हो या स्मार्ट कार्ड के जरिए हो।
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Jan 25, 2011
सिर्फ 14 हजार लगाकर खड़ा कर लिया करोड़ों का बिजनेस
अगर आपसे कहा जाए की महज 14 हजार रुपए का इस्तेमाल कर के करोडों का कारोबार कीजिए तो आपको ये नामुमकिन सा लगेगा। लेकिन यह कारनामा विनीत वाजपेयी नाम के शख्स ने कर दिखाया है। सिर्फ 14,000 रुपये और दो किराये पर लिए हुए कंप्यूटर की बदौलत आज वे देश की सबसे बड़ी डिजिटल मीडिया कंपनी खड़ी कर चुके हैं। इनकी कंपनी मैग्नानॅ साल्यूशंस के ग्राहकों में भारती, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचसीएल, मारुति और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कई बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। दुनिया भर में इस कंपनी के ग्राहकों में 600 से अधिक कंपनियां शामिल हैं। वाजपेयी बताते हैं, “जब मैंने कारोबार शुरू किया था, उस समय मुझे यह बताने वाला कोई नहीं था कि क्या सही है और क्या गलत। मैंने काम करते-करते सब सीखा। कई बार मैंने ऐसी गलतियां भी कीं, जिनसे मुझे झटका लगा।” आज वाजपेयी 33 साल के हैं। 22 साल की उम्र में उन्होंने अपने कारोबार की शुरूआत की थी। वे खुद बताते हैं कि जब उन्होंने कारोबार शुरु किय था उस समय उनके पास सिर्फ 14,000 रुपये थे, जो उन्होंने गर्मी की छुटिटयों में पार्टटाइम नौकरी कर के बचाए थे। अब वाजपेयी अपने कारोबारी जीवन के इस बेहतरीन अनुभव को लेकर किताब लिखने का मन बना रहे हैं।
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ये है दुनिया का सबसे महंगा मोबाइल नंबर
महंगे मोबाइल फोन के चर्चे तो आपने खूब सुने होंगे लेकिन हम आपको दुनिया के सबसे महंगे मोबाइल नंबर के बारे में बता रहे हैं। यह नंबर इतना महंगा है कि इतनी कीमत में आपको दर्जनों महंगे मोबाइल फोन मिल जाएंगे। इस नंबर की कीमत है 27.5 लाख डॉलर यानी करीब 12.69 करोड़ रुपए। और यह नंबर है 6666666। दुनिया के इस सबसे महंगे मोबाइल नंबर को बेचने वाली कतर की दूरसंचार कंपनी क्यूटेल को गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी जगह मिली है। आपको बता दें कि दुनिया का दूसरा सबसे महंगा मोबाइल नंबर बेचने का खिताब का चीन की एक दूरसंचार कंपनी के नाम पर दर्ज है। यह नंबर 4.8 लाख डालर यानी करीब 2 करोड़ 22 लाख रुपये में बेचा गया था। और यह नंबर है 8888-8888।
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Jan 20, 2011
ये हैं 2010 की हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्ती
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्ती के तौर पर किसी प्रोड्यूसर, डायरेक्टर या फिर एक्टर नहीं बल्कि एक टॉक शो की क्वीन कही जाने वाली ओपरा विनफ्रे का नाम सामने आया है। ओपरा विनफ्रे ने फोर्ब्स मैगजीन की हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्तियों की लिस्ट में टॉप पर जगह बनाई है। और यहां तक पहुंचने के लिए विनफ्रे ने मशहूर फिल्म 'अवतार' के डायरेक्टर जेम्स कैमरन को भी पीछे छोड़ दिया है।
फोर्ब्स के मुताबिक मीडिया जगत की बड़ी हस्ती के तौर पर मशहूर विनफ्रे ने इस साल अपने बैंक बैलेंस में 315 मिलियन डॉलर का इजाफा किया, जबकि साइंस फिक्शन पर बनी अपनी फिल्म अवतार की पूरी दुनिया में जबर्दस्त कामयाबी की बदौलत जेम्स कैमरन 210 मिलियन डॉलर की अनुमानित दौलत के साथ हॉलिवुड की दूसरी सबसे अमीर हस्ती रहे। आपको यह भी बता दें कि विनफ्रे का नाम फोर्ब्स की सबसे पावरफुल सेलिब्रिटी की लिस्ट में भी टॉप पर रहा था।
फोर्ब्स के मुताबिक मीडिया जगत की बड़ी हस्ती के तौर पर मशहूर विनफ्रे ने इस साल अपने बैंक बैलेंस में 315 मिलियन डॉलर का इजाफा किया, जबकि साइंस फिक्शन पर बनी अपनी फिल्म अवतार की पूरी दुनिया में जबर्दस्त कामयाबी की बदौलत जेम्स कैमरन 210 मिलियन डॉलर की अनुमानित दौलत के साथ हॉलिवुड की दूसरी सबसे अमीर हस्ती रहे। आपको यह भी बता दें कि विनफ्रे का नाम फोर्ब्स की सबसे पावरफुल सेलिब्रिटी की लिस्ट में भी टॉप पर रहा था।
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मोबाइल ऑपरेटर बदलने से पहले इन बातों पर भी करें गौर!
अगर आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलना चाहते हैं तो एक बार सोच लीजिए। जरूरी नहीं है कि आपकी समस्या का समाधान हो ही जाए। हालात कहीं पहले से बदतर न हो जाएं।
आप मोबाइल ऑपरेटर इसलिए बदलना चाहते हैं कि आपको बेहतर सर्विस मिले या बेहतर टैरिफ प्लान मिले। लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सभी के टैरिफ प्लान एक जैसे ही हैं। इनमें बहुत कम का फर्क है और ये आपकी जरूरतों के मुताबिक कम तथा ऑपरेटर के मुनाफे को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनमें ग्राहक के फायदे की बात नहीं सोची जाती है। और वैसे भी अब कॉल रेट काफी घट गए हैं।
हाल में किए गए एक सर्वे के मुताबिक नंबर बदलने का कुल असर नगण्य होगा। यानी बड़े ऑपरेटरों के जितने ग्राहक जाएंगे उतने दूसरों से आ भी जाएंगे। ज़ाहिर है ऐसे में वे क्यों बड़ी धनराशि अपनी सेवा सुधारने में खर्च करेंगे। उनकी कोशिश अपने कस्टमर केयर सर्विस की सेवा सुधारने की होगी ना कि वास्तविक सेवा जिसे सुधारने पर उन्हें खर्च करना होता है। ये कुछ प्वाइंट हैं जिन्हे ध्यान में रखकर ही आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलें--
1- ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक लगभग सभी ऑपरेटरों की सेवा 90 प्रतिशत संतोषजनक है। इसके मुताबिक पूरे भारत में कॉल सक्सेस रेट 97.26 प्रतिशत तक है। मुंबई में तो यह 99.99 प्रतिशत है। ट्राई के अनुसार कॉल ड्रॉप रेट पूरे देश में 3 प्रतिशत से भी कम है।
2- अब आप अपनी सेवा या टैरिफ प्लान देखकर खुद तय करें कि आपको ऑपरेटर बदलना है या नहीं। लेकिन एक परिवार के सदस्य अगर एक ही नेटवर्क में रहें तो इसका फायदा सभी को मिलेगा।
3- सभी कंपनियों के टैरिफ प्लान लगभग एक जैसे हैं।
4-ये ऑपरेटरों के मुनाफे के लिए हैं।
5- सभी कंपनियों की सर्विस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है।
6- ट्राई के मुताबिक कॉल ड्राप रेट 3 फीसदी से कम।
7- नए ग्राहकों को कितना फायदा होगा कहना मुश्किल।
आप मोबाइल ऑपरेटर इसलिए बदलना चाहते हैं कि आपको बेहतर सर्विस मिले या बेहतर टैरिफ प्लान मिले। लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सभी के टैरिफ प्लान एक जैसे ही हैं। इनमें बहुत कम का फर्क है और ये आपकी जरूरतों के मुताबिक कम तथा ऑपरेटर के मुनाफे को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनमें ग्राहक के फायदे की बात नहीं सोची जाती है। और वैसे भी अब कॉल रेट काफी घट गए हैं।
हाल में किए गए एक सर्वे के मुताबिक नंबर बदलने का कुल असर नगण्य होगा। यानी बड़े ऑपरेटरों के जितने ग्राहक जाएंगे उतने दूसरों से आ भी जाएंगे। ज़ाहिर है ऐसे में वे क्यों बड़ी धनराशि अपनी सेवा सुधारने में खर्च करेंगे। उनकी कोशिश अपने कस्टमर केयर सर्विस की सेवा सुधारने की होगी ना कि वास्तविक सेवा जिसे सुधारने पर उन्हें खर्च करना होता है। ये कुछ प्वाइंट हैं जिन्हे ध्यान में रखकर ही आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलें--
1- ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक लगभग सभी ऑपरेटरों की सेवा 90 प्रतिशत संतोषजनक है। इसके मुताबिक पूरे भारत में कॉल सक्सेस रेट 97.26 प्रतिशत तक है। मुंबई में तो यह 99.99 प्रतिशत है। ट्राई के अनुसार कॉल ड्रॉप रेट पूरे देश में 3 प्रतिशत से भी कम है।
2- अब आप अपनी सेवा या टैरिफ प्लान देखकर खुद तय करें कि आपको ऑपरेटर बदलना है या नहीं। लेकिन एक परिवार के सदस्य अगर एक ही नेटवर्क में रहें तो इसका फायदा सभी को मिलेगा।
3- सभी कंपनियों के टैरिफ प्लान लगभग एक जैसे हैं।
4-ये ऑपरेटरों के मुनाफे के लिए हैं।
5- सभी कंपनियों की सर्विस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है।
6- ट्राई के मुताबिक कॉल ड्राप रेट 3 फीसदी से कम।
7- नए ग्राहकों को कितना फायदा होगा कहना मुश्किल।
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तो ये हैं भारत के सबसे गरीब और अमीर मुख्यमंत्री
अगर भारत के सबसे अमीर और सबसे गरीब सीएम की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती देश की सबसे अमीर सीएम है जबकि पश्चिम बंगाल के सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं।
मायावती-- भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री का ताज जाता है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बहन मायावती को। बहनजी के पास 86 करोड़ रुपए की संपत्ति है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के पास 75 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है जिसमें ओखला में एक 15.5 करोड़ रुपए का कर्मशल सेंटर और सरदार पटेल रोड़ पर एक 54 करोड़ रुपए का एक प्लॉट शामिल है। इसके अलावा बहनजी के पास 90 लाख रुपए की ज्वैलरी भी है।
प्रकाश सिंह बादल—पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल देश के दूसरे सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। बादल के पास 8.6 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इनके पास 4 करोड़ रुपए के फार्मलैंड और तकरीबन 2 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है। इसके अलावा 38 लाख रुपए की ज्वैलरी भी बादल की संपत्ति में शामिल है।
एन किरन कुमार रेड्डी—आन्ध्र प्रदेश के सीएम किरन कुमार रेड्डी भी इस लिस्ट में शामिल हैं रेड्डी देश के तीसरे सबसे अमीर मुख्य मंत्री है इनके पास 8.1 करोड़ रुपए की संपत्ति है। जिसमें 2.7 करोड़ रुपए तो इनके घर की ही कीमत है। बीएस येदुरप्पा- कर्नाटक के सीएम बीएस येदुरप्पा बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। इनके पास 5.38 करोड़ रुपए की संपत्ति है। येदुरप्पा के पास 31.5 लाख रुपए का सोना और 15.9 लाख रुपए कीमत की चांदी है। जबकि 3 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है।
नवीन पटनायक— नवीन पटनायक उडीसा के मुख्यमंत्री है इनकी कुल संपत्ति 4.7 करोड़ रुपए है। इनके पास भुवनेश्वर में 1.5 करोड़ रुपए का फार्महाउस है साथ ही 3 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी दिल्ली और भुवनेश्वर में है। आपको बता दें नवीन पटनायक कुंवारे है और फिर भी इनके पास 1.5 लाख रुपए की ज्वैलरी है।
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा- हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पास तकरीबन 3.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है। हुड्डा के पास तकरीबन 65 लाख रुपए का सोना है।
उमर अब्दुल्ला-- जम्मू कश्मीर क मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास 2 करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें हिमाचल में उनकी एक फैक्ट्री और दिल्ली में एक फ्लैट शामिल है। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला के पास 40 लाख की ज्वैलरी है।
नरेन्द्र मोदी-- गुजरात के सुपर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास 1.78 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उनका गांधी नगर में 1.65 करोड़ रुपए का एक फ्लैट हैजबकि आठ लाख रुपए बैंक डिपॉजिट है।
यह तो थे देश के सबसे अमीर सीएम अब हम आपको बतातें है देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के बारे में यह हैं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य इनकी कुल संपत्ति केवल 15.2 लाख रुपए है। इनके बैंक डिपॉजिट 6.42 लाख, एलआईसी 2.6 लाख रुपए की है।
मायावती-- भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री का ताज जाता है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बहन मायावती को। बहनजी के पास 86 करोड़ रुपए की संपत्ति है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के पास 75 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है जिसमें ओखला में एक 15.5 करोड़ रुपए का कर्मशल सेंटर और सरदार पटेल रोड़ पर एक 54 करोड़ रुपए का एक प्लॉट शामिल है। इसके अलावा बहनजी के पास 90 लाख रुपए की ज्वैलरी भी है।
प्रकाश सिंह बादल—पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल देश के दूसरे सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। बादल के पास 8.6 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इनके पास 4 करोड़ रुपए के फार्मलैंड और तकरीबन 2 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है। इसके अलावा 38 लाख रुपए की ज्वैलरी भी बादल की संपत्ति में शामिल है।
एन किरन कुमार रेड्डी—आन्ध्र प्रदेश के सीएम किरन कुमार रेड्डी भी इस लिस्ट में शामिल हैं रेड्डी देश के तीसरे सबसे अमीर मुख्य मंत्री है इनके पास 8.1 करोड़ रुपए की संपत्ति है। जिसमें 2.7 करोड़ रुपए तो इनके घर की ही कीमत है। बीएस येदुरप्पा- कर्नाटक के सीएम बीएस येदुरप्पा बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। इनके पास 5.38 करोड़ रुपए की संपत्ति है। येदुरप्पा के पास 31.5 लाख रुपए का सोना और 15.9 लाख रुपए कीमत की चांदी है। जबकि 3 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है।
नवीन पटनायक— नवीन पटनायक उडीसा के मुख्यमंत्री है इनकी कुल संपत्ति 4.7 करोड़ रुपए है। इनके पास भुवनेश्वर में 1.5 करोड़ रुपए का फार्महाउस है साथ ही 3 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी दिल्ली और भुवनेश्वर में है। आपको बता दें नवीन पटनायक कुंवारे है और फिर भी इनके पास 1.5 लाख रुपए की ज्वैलरी है।
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा- हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पास तकरीबन 3.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है। हुड्डा के पास तकरीबन 65 लाख रुपए का सोना है।
उमर अब्दुल्ला-- जम्मू कश्मीर क मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास 2 करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें हिमाचल में उनकी एक फैक्ट्री और दिल्ली में एक फ्लैट शामिल है। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला के पास 40 लाख की ज्वैलरी है।
नरेन्द्र मोदी-- गुजरात के सुपर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास 1.78 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उनका गांधी नगर में 1.65 करोड़ रुपए का एक फ्लैट हैजबकि आठ लाख रुपए बैंक डिपॉजिट है।
यह तो थे देश के सबसे अमीर सीएम अब हम आपको बतातें है देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के बारे में यह हैं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य इनकी कुल संपत्ति केवल 15.2 लाख रुपए है। इनके बैंक डिपॉजिट 6.42 लाख, एलआईसी 2.6 लाख रुपए की है।
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अब तक की सबसे अच्छी भारतीय फिल्म है 'धोबी घाट'-राहुल बोस फिल्मकार
अलग तरह की भूमिकाएं निभाने के लिए मशहूर अभिनेता राहुल बोस फिल्मकार किरण राव के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'धोबी घाट' की प्रशंसा करते हुए नहीं थकते। वह इस फिल्म को विश्व-स्तरीय बताते हैं।
बोस ने ट्विटर पर लिखा है, "एक निजी प्रदर्शन में 'धोबी घाट' देखी। मैं किरण राव को नमन करता हूं, मेरे द्वारा अब तक देखी गई फिल्मों में से सबसे अच्छी भारतीय फिल्मों में यह शामिल है। यदि हम वाकई भारतीय सिनेमा में वास्तविक सिनेमा खोजें तो हमारी खोज मार्मिक और दिल को छू लेने वाली फिल्म 'धोबी घाट' पर आकर खत्म हो जाती है।"
आमिर खान के निर्माण में बनी 'धोबी घाट' शुक्रवार को प्रदर्शित होने जा रही है। इसमें आमिर के अलावा प्रतीक बब्बर, कृति मल्होत्रा और मोनिका डोगरा ने अभिनय किया है।
बोस ने 'धोबी घाट' में अभिनय के लिए प्रतीक, मोनिका, कृति व आमिर की सराहना की है। उन्होंने फिल्म का सम्पादन और संगीत भी बेहतरीन बताया है।
आपकी बात
आमिर खान की होम प्रोडक्शन फिल्म ‘धोबीघाट’ शुक्रवार को रिलीज होने वाली है। कई जानकार इसे उम्दा फिल्म मान रहे हैं तो कई इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। आपकी नजर में कैसी होगी यह फिल्म, अपनी राय जाहिर करें। आप यह भी बता सकते हैं कि ‘घोबीघाट’ आप क्यों देखना चाहेंगे- क्योंकि यह आमिर खान की फिल्म है
या फिर आमिर की पत्नी ने कैसा डायरेक्शन किया है
रिव्यू पढ़ कर या दोस्तों से पूछकर तय करेंगे
सीरियस फिल्म हो सकती है, नहीं देखेंगे
हीरो-हीरोइन की नई जोड़ी है, देखेंगे
इसके लिए आप नीचे ‘आपका मत’ सेक्शन में जाकर वोट भी कर सकते हैं...
बोस ने ट्विटर पर लिखा है, "एक निजी प्रदर्शन में 'धोबी घाट' देखी। मैं किरण राव को नमन करता हूं, मेरे द्वारा अब तक देखी गई फिल्मों में से सबसे अच्छी भारतीय फिल्मों में यह शामिल है। यदि हम वाकई भारतीय सिनेमा में वास्तविक सिनेमा खोजें तो हमारी खोज मार्मिक और दिल को छू लेने वाली फिल्म 'धोबी घाट' पर आकर खत्म हो जाती है।"
आमिर खान के निर्माण में बनी 'धोबी घाट' शुक्रवार को प्रदर्शित होने जा रही है। इसमें आमिर के अलावा प्रतीक बब्बर, कृति मल्होत्रा और मोनिका डोगरा ने अभिनय किया है।
बोस ने 'धोबी घाट' में अभिनय के लिए प्रतीक, मोनिका, कृति व आमिर की सराहना की है। उन्होंने फिल्म का सम्पादन और संगीत भी बेहतरीन बताया है।
आपकी बात
आमिर खान की होम प्रोडक्शन फिल्म ‘धोबीघाट’ शुक्रवार को रिलीज होने वाली है। कई जानकार इसे उम्दा फिल्म मान रहे हैं तो कई इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। आपकी नजर में कैसी होगी यह फिल्म, अपनी राय जाहिर करें। आप यह भी बता सकते हैं कि ‘घोबीघाट’ आप क्यों देखना चाहेंगे- क्योंकि यह आमिर खान की फिल्म है
या फिर आमिर की पत्नी ने कैसा डायरेक्शन किया है
रिव्यू पढ़ कर या दोस्तों से पूछकर तय करेंगे
सीरियस फिल्म हो सकती है, नहीं देखेंगे
हीरो-हीरोइन की नई जोड़ी है, देखेंगे
इसके लिए आप नीचे ‘आपका मत’ सेक्शन में जाकर वोट भी कर सकते हैं...
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Jan 19, 2011
काली कमाई जमा करने वाले भारतीयों के नाम सामने आए!
नई दिल्ली. स्विस बैंक में काला धन जमा करने वाले खाताधारकों के नाम सामने शुरू हो गए हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियां-अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के अलावा असद अली खान और जाहिदा अली खान के नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि, इन नामों का खुलासा करने वाले एक निजी चैनल ने साफ कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि सामने आ रहे खाताधारकों के नाम सही हैं या नहीं या फिर इनका भारत से कोई संबंध है या नहीं।
मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियों के अलावा जाहिदा और असद के नाम से स्विट्जरलैंड के जूलियस बाएर बैंक एंड ट्रस्ट लिमिटेड नाम के बैंक में खाते हैं। अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल के नाम से जूलियस बेयर बैंक में करीब ३. ८३ अरब रुपये और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के नाम ४४.६५ करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा हैं। रुडोल्फ एलमर ने दो हजार नामों की सूची वाली दो सीडी विकीलीक्स वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे को सौंपी है। माना जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के काफी लोगों के नाम हैं।
इस बारे में एलमर ने एक निजी चैनल से कहा कि जूलियस बाएर बैंक का भारत में बड़ा कारोबार है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जूलियस बाएर के मालिक का भारत में अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने तो असल में भारत में कुछ निवेश मैनेजर भी नियुक्त किए हैं जिनका मकसद भारत से पैसा जुटाना है।'
राजनीतिक सरगर्मी तेज
विकीलीक्स के हाथ स्विस बैंक के खाताधारकों की सूची जब से लगी तब से देश के राजनीतिक हलकों में खासी हलचल है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से मांग की है कि स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले सभी लोगों के नाम उजागर किए जाएं। बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई कि इस बारे में सुप्रीम में याचिका की सुनवाई के बाद सरकार को स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना होगा। सीपीएम ने भी एक बयान जारी कर खाता धारकों के नाम उजागर करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में बुधवार को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने अदालत को सभी जरूरी सूचनाएं मुहैया करा दी हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ अच्छी अच्छी बातें कर रही है जबकि यह मसला सीधे तौर पर कर चोरी से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।
एलमर के खिलाफ आज सुनवाई
बैंक की गोपनियता भंग करने के आरोपों का सामना कर रहे एलमर के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक अदालत में बुधवार को सुनवाई है। एलमर को जूलियस बाएर बैंक ने 2002 में नौकरी से निकाल दिया था।
भारत की जीडीपी से ज़्यादा धन छुपा है स्विस बैंक में
इस बैंक में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर ( करीब ७१ लाख करोड़ रुपये) के जमा होने की जानकारी सामने आ रही है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 50 से 55 लाख करोड़ रुपये के बीच है।
सत्यता जांचने के बाद सामने लाएंगे नाम
एल्मर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दो हजार स्विस खाताधारकों की सीडी तो सौंप दी है लेकिन अंसाजे ने कहा है कि इन दस्तावेजों की सत्यता जांचने के बाद जल्द ही वह इसे दुनिया के सामने लाएंगे। असांजे इन नामों का खुलासा किसी वक्त कर सकते हैं। इन सीडी में करीब 40 राजनेताओं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों की जानकारी है। ऐसी खबर है कि इन दस्तावेज में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर के जमा होने की जानकारी हो सकती है। इसमें कई भारतीयों के भी नाम हो सकते हैं।
आपकी राय
तो क्या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा? उन बड़े लोगों के नाम जगजाहिर हो जाएंगे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उन्होंने स्विस बैंक को अपनी तिजोरी बना रखी है? क्या बड़ी भारतीय कंपनियों, नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के बेनकाब होने का वक्त आ गया है? अगर ये बेनकाब हो भी गए तो क्या भारत सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी? काली कमाई का यह पैसा सरकार अपने खजाने में वापस ला पाएगी? खबर पढ़ कर आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे। साथ ही, इनके जवाब भी आपके दिमाग में होंगे। आप अपने जवाब और सवाल भी, दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात लिख कर सबमिट करें:
ये हैं देश के बड़े पांच घोटाले जिनसे मचा सियासी तूफान
मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियों के अलावा जाहिदा और असद के नाम से स्विट्जरलैंड के जूलियस बाएर बैंक एंड ट्रस्ट लिमिटेड नाम के बैंक में खाते हैं। अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल के नाम से जूलियस बेयर बैंक में करीब ३. ८३ अरब रुपये और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के नाम ४४.६५ करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा हैं। रुडोल्फ एलमर ने दो हजार नामों की सूची वाली दो सीडी विकीलीक्स वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे को सौंपी है। माना जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के काफी लोगों के नाम हैं।
इस बारे में एलमर ने एक निजी चैनल से कहा कि जूलियस बाएर बैंक का भारत में बड़ा कारोबार है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जूलियस बाएर के मालिक का भारत में अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने तो असल में भारत में कुछ निवेश मैनेजर भी नियुक्त किए हैं जिनका मकसद भारत से पैसा जुटाना है।'
राजनीतिक सरगर्मी तेज
विकीलीक्स के हाथ स्विस बैंक के खाताधारकों की सूची जब से लगी तब से देश के राजनीतिक हलकों में खासी हलचल है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से मांग की है कि स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले सभी लोगों के नाम उजागर किए जाएं। बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई कि इस बारे में सुप्रीम में याचिका की सुनवाई के बाद सरकार को स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना होगा। सीपीएम ने भी एक बयान जारी कर खाता धारकों के नाम उजागर करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में बुधवार को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने अदालत को सभी जरूरी सूचनाएं मुहैया करा दी हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ अच्छी अच्छी बातें कर रही है जबकि यह मसला सीधे तौर पर कर चोरी से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।
एलमर के खिलाफ आज सुनवाई
बैंक की गोपनियता भंग करने के आरोपों का सामना कर रहे एलमर के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक अदालत में बुधवार को सुनवाई है। एलमर को जूलियस बाएर बैंक ने 2002 में नौकरी से निकाल दिया था।
भारत की जीडीपी से ज़्यादा धन छुपा है स्विस बैंक में
इस बैंक में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर ( करीब ७१ लाख करोड़ रुपये) के जमा होने की जानकारी सामने आ रही है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 50 से 55 लाख करोड़ रुपये के बीच है।
सत्यता जांचने के बाद सामने लाएंगे नाम
एल्मर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दो हजार स्विस खाताधारकों की सीडी तो सौंप दी है लेकिन अंसाजे ने कहा है कि इन दस्तावेजों की सत्यता जांचने के बाद जल्द ही वह इसे दुनिया के सामने लाएंगे। असांजे इन नामों का खुलासा किसी वक्त कर सकते हैं। इन सीडी में करीब 40 राजनेताओं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों की जानकारी है। ऐसी खबर है कि इन दस्तावेज में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर के जमा होने की जानकारी हो सकती है। इसमें कई भारतीयों के भी नाम हो सकते हैं।
आपकी राय
तो क्या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा? उन बड़े लोगों के नाम जगजाहिर हो जाएंगे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उन्होंने स्विस बैंक को अपनी तिजोरी बना रखी है? क्या बड़ी भारतीय कंपनियों, नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के बेनकाब होने का वक्त आ गया है? अगर ये बेनकाब हो भी गए तो क्या भारत सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी? काली कमाई का यह पैसा सरकार अपने खजाने में वापस ला पाएगी? खबर पढ़ कर आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे। साथ ही, इनके जवाब भी आपके दिमाग में होंगे। आप अपने जवाब और सवाल भी, दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात लिख कर सबमिट करें:
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वर्ल्ड कप के लिए पाकिस्तानी टीम घोषित, कप्तान के नाम का खुलासा नहीं
कराची. पाकिस्तान ने 19 फरवरी से भारतीय उपमहाद्वीप में होने वाले विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए अपनी 15 सदस्यीय टीम की घोषणा कर दी लेकिन कप्तान के नाम का खुलासा नहीं किया। पूर्व कप्तान मोहम्मद यूसुफ को इस टीम में जगह नहीं मिली है।
शाहिद आफरीदी की कप्तानी में न्यूजीलैंड में छह एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेल रही पाकिस्तानी टीम के सभी खिलाड़ियों को विश्व कप टीम में बरकरार रखा गया है। अनुभवी तेज गेंदबाज रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर को पेस आक्रमण की कमान सौंपी गयी है जबकि उमर गुल, सोहेल तनवीर और वहाब रियाज की तिकड़ी उनका साथ देगी।
तीन विश्व कप खेल चुके यूसुफ ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किये जाने पर आश्चर्य जताते हुए चयनकर्ता इस फैसले की वजह बता सकते हैं। उन्होंने कहा, यह बेहद निराशाजनक है। मैं फिट हूं और लगातार घरेलू मैचों में खेल रहा हूं फिर भी मुझे इस बड़े टूर्नामेंट के लिए चुना नहीं गया। मेरे अंदर अभी काफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बाकी है।
पाकिस्तानी टीम-
मोहम्मद हफीज, अहमद शहजाद, यूनुस खान, मिस्बाह उल हक, उमर अकमल, अशद शफीक. कामरान अकमल, शाहिद आफरीदी, अब्दुल रज्जाक, अब्दुल रहमान, सईद अजमल, शोएब अख्तर, उमर गुल, वहाब रियाज और सोहेल तनवीर।
शाहिद आफरीदी की कप्तानी में न्यूजीलैंड में छह एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेल रही पाकिस्तानी टीम के सभी खिलाड़ियों को विश्व कप टीम में बरकरार रखा गया है। अनुभवी तेज गेंदबाज रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर को पेस आक्रमण की कमान सौंपी गयी है जबकि उमर गुल, सोहेल तनवीर और वहाब रियाज की तिकड़ी उनका साथ देगी।
तीन विश्व कप खेल चुके यूसुफ ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किये जाने पर आश्चर्य जताते हुए चयनकर्ता इस फैसले की वजह बता सकते हैं। उन्होंने कहा, यह बेहद निराशाजनक है। मैं फिट हूं और लगातार घरेलू मैचों में खेल रहा हूं फिर भी मुझे इस बड़े टूर्नामेंट के लिए चुना नहीं गया। मेरे अंदर अभी काफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बाकी है।
पाकिस्तानी टीम-
मोहम्मद हफीज, अहमद शहजाद, यूनुस खान, मिस्बाह उल हक, उमर अकमल, अशद शफीक. कामरान अकमल, शाहिद आफरीदी, अब्दुल रज्जाक, अब्दुल रहमान, सईद अजमल, शोएब अख्तर, उमर गुल, वहाब रियाज और सोहेल तनवीर।
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Jan 16, 2011
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किसी लड़की को छेड़ो, उसका हाथ पकड़ो, अगर वो थप्पड़ मारे तो कहो - "तुम पहले इम्तिहान में पास हो गई हो. मुझे ऐसी ही शरीफ लड़की चाहिए थी."
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डॉ. संता मरीज बंता की जांच करने के बाद बोले- आप मन से सोचिए कि मैं अच्छा हो रहा हूं। आप सचमुच ठीक हो जाएंगे। मरीज बंता- ठीक है, अब मैं चलता हूं। डॉ. संता- अरे, पर मेरी फीस? मरीज बंता- आप भी मन में सोच लीजिए, आपकी फीस मिल जाएगी।
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एक स्कूल फंक्शन में केजी क्लास का एक लड़का अपने कान बंद करके बैठा हुआ था। जब उसे पूछा गया तो उसने कहा कि मेरी गर्ल फ्रेंड स्पीच देने वाली है और वाह अपनी स्पीच की शुरुआत में कहती है My Dear Brothers n Sisters :-)
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वीरू: गब्बर अगर तेरी मां ठाकुर को राखी बांध दे तो वो तेरा क्या लगेगा। गब्बर: कुछ नहीं। वीरू: कैसे? गब्बर: उसके हाथ तो मैंने लेलिए न। राखी बंधेगी कहां।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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संता अपने जिगरी दोस्त बंता से- यार, कल एक ख़ूबसूरत लड़की से मेरी मुलाक़ात हुई। वह इतनी सुंदर थी कि मैं दीवाना हो गया और उससे आई लव यू कह दिया। बंता- बहुत दिलेरी दिखाई यार, वैसे लड़की ने क्या कहा? संता- लड़की बोली- मेरी चप्पल का साइज़ पता है क्या? बंता- हूं.. इन लड़कियों के साथ यही दि़क्क़त है। ज़रा सी जान-पहचान हुई नहीं कि तोहफ़ा मांगना शुरू कर देती हैं।
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बाप बेटे से- नालायक तुमने कभी अपनी कोई बुक खोल के पढ़ी है बेटा- हां पिता जी एक बुक रोज खोलता हूं। बाप: कौन सी। बेटा: फेसबुक
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अगर कोई अच्छा सा मैसेज हो तो जल्दी से उसे पेपर पर लिखकर संदूक में बंद कर दो कहीं गलती से भी सेंड न हो जाए। कनजूस
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रमन डॉक्टर के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मेरी बीवी पिछले छह घंटे से एकदम खामोश है। मैं क्या करूं? कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आप ही कुछ उपए बताएं। डॉक्टर ने कहा तो तुम मेरे पास क्यों आए हो तुम्हें तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों से संपर्क करना चाहिए।
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मैंने आपको फोन किया तो आपका नेटवर्क बोला, नमस्कार, मूर्खो की दुनिया में आपका स्वागत है, आप जिस मूर्ख से इस वक्त बात करना चाहते हैं उसका दिमाग इस वक्त आउट ऑफ कवरेज है
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आपके दिल में बस जाएंगे एसएमएस की तरह, दिल में बजेंगे रिंगटोन की तरह, दोस्ती कम नहीं होगी बैलेंस की तरह,सिर्फ आप बिजी न रहें नेटवर्क की तरह
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अगर अपने दिमाग को टेस्ट करना हो तो उसको गाय के आगे रख दो। अगर वह दूर जाती है तो समझ लो गोबर है और अगर पास आती है तो समझ लो भूसा है।
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अर्ज करता हूं दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी मुन्नी हो गई पुरानी क्योंकि अब आगई शीला की जवानी
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भिखारी: साहब एक रुपए दे दो.. साहब: तुम्हे शर्म नहीं आती क्या रोड पर खड़े हो कर भीख मांग रहे हो। भिखारी: अबे तेरे एक रुपए के लिए ऑफिस खोलूं क्या?
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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दसवीं का छात्र बोला: यार मैं इस बार के पेपर में फेल होना चाहता हूं। दोस्त: क्यों यार? छात्र: अरे यार पापा ने एक शर्त रखी है। दोस्त: क्या? छात्र: पापा ने कहा है कि अगर मैं फस्र्ट आया तो विज्ञान दिलवा देंगे अगर सेकण्ड आया तो आर्ट्स और अगर फेल हो गया तो शादी करवा देंगे।
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पति और पत्नी साथ घूमने गए। रास्ते में एक गधे को घास खाता देख पत्नी पति से बोली ओ,जी देखो आपका रिश्तेदार घास खा रहा है। नमस्ते करो पति:नमस्ते ससुर जी।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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डॉक्टर ने कहा: संता बच्चे को पानी पिलाने से पहले उबाल लेना। संता: जी डॉक्टर, वो तो सही है पर उबालने के बाद बच्चा मर तो नहीं जाएगा।
किसी लड़की को छेड़ो, उसका हाथ पकड़ो, अगर वो थप्पड़ मारे तो कहो - "तुम पहले इम्तिहान में पास हो गई हो. मुझे ऐसी ही शरीफ लड़की चाहिए थी."
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डॉ. संता मरीज बंता की जांच करने के बाद बोले- आप मन से सोचिए कि मैं अच्छा हो रहा हूं। आप सचमुच ठीक हो जाएंगे। मरीज बंता- ठीक है, अब मैं चलता हूं। डॉ. संता- अरे, पर मेरी फीस? मरीज बंता- आप भी मन में सोच लीजिए, आपकी फीस मिल जाएगी।
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एक स्कूल फंक्शन में केजी क्लास का एक लड़का अपने कान बंद करके बैठा हुआ था। जब उसे पूछा गया तो उसने कहा कि मेरी गर्ल फ्रेंड स्पीच देने वाली है और वाह अपनी स्पीच की शुरुआत में कहती है My Dear Brothers n Sisters :-)
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वीरू: गब्बर अगर तेरी मां ठाकुर को राखी बांध दे तो वो तेरा क्या लगेगा। गब्बर: कुछ नहीं। वीरू: कैसे? गब्बर: उसके हाथ तो मैंने लेलिए न। राखी बंधेगी कहां।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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संता अपने जिगरी दोस्त बंता से- यार, कल एक ख़ूबसूरत लड़की से मेरी मुलाक़ात हुई। वह इतनी सुंदर थी कि मैं दीवाना हो गया और उससे आई लव यू कह दिया। बंता- बहुत दिलेरी दिखाई यार, वैसे लड़की ने क्या कहा? संता- लड़की बोली- मेरी चप्पल का साइज़ पता है क्या? बंता- हूं.. इन लड़कियों के साथ यही दि़क्क़त है। ज़रा सी जान-पहचान हुई नहीं कि तोहफ़ा मांगना शुरू कर देती हैं।
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बाप बेटे से- नालायक तुमने कभी अपनी कोई बुक खोल के पढ़ी है बेटा- हां पिता जी एक बुक रोज खोलता हूं। बाप: कौन सी। बेटा: फेसबुक
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अगर कोई अच्छा सा मैसेज हो तो जल्दी से उसे पेपर पर लिखकर संदूक में बंद कर दो कहीं गलती से भी सेंड न हो जाए। कनजूस
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रमन डॉक्टर के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मेरी बीवी पिछले छह घंटे से एकदम खामोश है। मैं क्या करूं? कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आप ही कुछ उपए बताएं। डॉक्टर ने कहा तो तुम मेरे पास क्यों आए हो तुम्हें तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों से संपर्क करना चाहिए।
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मैंने आपको फोन किया तो आपका नेटवर्क बोला, नमस्कार, मूर्खो की दुनिया में आपका स्वागत है, आप जिस मूर्ख से इस वक्त बात करना चाहते हैं उसका दिमाग इस वक्त आउट ऑफ कवरेज है
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आपके दिल में बस जाएंगे एसएमएस की तरह, दिल में बजेंगे रिंगटोन की तरह, दोस्ती कम नहीं होगी बैलेंस की तरह,सिर्फ आप बिजी न रहें नेटवर्क की तरह
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अगर अपने दिमाग को टेस्ट करना हो तो उसको गाय के आगे रख दो। अगर वह दूर जाती है तो समझ लो गोबर है और अगर पास आती है तो समझ लो भूसा है।
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अर्ज करता हूं दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी मुन्नी हो गई पुरानी क्योंकि अब आगई शीला की जवानी
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भिखारी: साहब एक रुपए दे दो.. साहब: तुम्हे शर्म नहीं आती क्या रोड पर खड़े हो कर भीख मांग रहे हो। भिखारी: अबे तेरे एक रुपए के लिए ऑफिस खोलूं क्या?
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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दसवीं का छात्र बोला: यार मैं इस बार के पेपर में फेल होना चाहता हूं। दोस्त: क्यों यार? छात्र: अरे यार पापा ने एक शर्त रखी है। दोस्त: क्या? छात्र: पापा ने कहा है कि अगर मैं फस्र्ट आया तो विज्ञान दिलवा देंगे अगर सेकण्ड आया तो आर्ट्स और अगर फेल हो गया तो शादी करवा देंगे।
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पति और पत्नी साथ घूमने गए। रास्ते में एक गधे को घास खाता देख पत्नी पति से बोली ओ,जी देखो आपका रिश्तेदार घास खा रहा है। नमस्ते करो पति:नमस्ते ससुर जी।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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डॉक्टर ने कहा: संता बच्चे को पानी पिलाने से पहले उबाल लेना। संता: जी डॉक्टर, वो तो सही है पर उबालने के बाद बच्चा मर तो नहीं जाएगा।
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इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति
शून्य से शुरुआत करके इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति कुशल नेतृत्व और श्रेष्ठ सोच की मिसाल हैं। स्पष्टता उनका सबसे बड़ा औजार है। मनीषा पांडेय से हुई बातचीत के प्रस्तुत अंशों में वे बता रहे हैं जीवन में विजन की महत्ता, अपनी निजी विचारधारा, बड़े लीडर के गुण और हमारे भौतिक समय में धन के प्रति नजरिए के बारे में..
किसी बड़े काम या बड़े उद्यम की सफलता के पीछे बड़ी दृष्टि या विजन होता है। वह दृष्टि क्या है? वह कौन सी सोच, विचार और व्यक्तित्व का गुण होता है, जिससे मिलकर एक बड़ा विजन तैयार होता है?
दरअसल दृष्टि, विचार और सोच, ये सारी बातें आपस में गुंथी हुई हैं। आमतौर पर लोग कहेंगे कि बड़ी और दूर तक सोच पाने की क्षमता से ही बड़ा विजन बनता है, लेकिन यह बात अधूरी है। बुनियादी रूप से बड़ा विजन आता है सबकी बेहतरी और तरक्की की बात सोचने से। अपने हर कदम के बारे में यह सोचने से कि इससे किसको लाभ होगा। अगर कोई कदम अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, तो उसके पीछे बड़ा विजन नहीं हो सकता। बड़े विजन का फलक बड़ा होता है और वह सामूहिक हितों और उन्नति की बात सोचता है।
क्या दृष्टि की संकीर्णता की वजह से ही हम कोई बड़ा स्वप्न देख और साकार नहीं कर पाते?
ऐसा नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बड़े सपने नहीं देखे और उन सपनों को पूरा नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। पूरी दुनिया में जहां भी शून्य से कोई बड़ी चीज खड़ी हुई, जिसके बारे में बहुतों का यह विश्वास था कि यह नामुमकिन है, तो निश्चित ही उस चीज की सफलता के पीछे बड़ा और सामूहिक हितों का विजन ही था।
सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की जो बात आप कर रहे हैं, वह किस तरह मुमकिन है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आप कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। लेकिन आपने निजी उद्यम का रास्ता चुना। क्यों?
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि जिनके बाद से कम्युनिज्म पर से मेरा विश्वास उठ गया और मुझे महसूस हुआ कि बहुत बड़े पैमाने पर उद्यम खड़े करके और ढेरों नौकरियां पैदा करके ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। देखिए, पूंजीवाद कोई बुरी या अनैतिक चीज नहीं है। हमारी दिक्कत यह है कि हमारे यहां मूल्यविहीन पूंजीवाद है। हम सारी नैतिकता और सबकी बेहतरी के मूल्यों से परे निजी हितों के बारे में सोचते हैं। अगर हम नैतिक ढंग से और ईमानदारी से काम करें, तो पूंजीवाद के रास्ते ही बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
लेकिन उसमें तो कुछ लोग हमेशा दोयम दर्जे के श्रमिक की ही भूमिका में होंगे?
पूंजीवाद में नहीं, अनैतिक, गैर-ईमानदार पूंजीवाद में होंगे। बड़े उद्यमी और स्वप्नदर्शी का यही तो दायित्व है कि वह सबको यह भरोसा दिला सके कि यह सामूहिक श्रम है, सबके हितों के लिए किया जा रहा श्रम है। उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे सके, यह विश्वास पैदा करके अपने कार्यस्थल पर एक निर्भय वातावरण बना सकें। कोई भी उद्यम जन के लिए, जन के द्वारा और जन का उद्यम हो।
एक बड़े लीडर में क्या गुण होने चाहिए?
बड़ा लीडर वह होता है, जो बड़ा सोचता है और सबको साथ लेकर चलता है। बड़ा लीडर वह है, जिसके कदम और फैसलों पर लोग भरोसा करें। लोगों को यह विश्वास हो कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, न कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए। जो उन लोगों जैसा ही सीधा, सरल और साधारण जीवन जिए, जिनके लिए वह काम कर रहा है। जिसके साथ लोग स्वयं को एकाकार महसूस कर सकें। बड़े काम में अनगिनत लोगों का श्रम और मेधा शामिल होते हैं। और लीडर ऐसा होना चाहिए, जिसकी एक आवाज पर वे अनगिनत लोग उसके पीछे चल पड़ें। वे उसका हाथ बन जाएं। उसके श्रम में शामिल हो जाएं।
क्या आपको ऐसा लीडर नजर आता है?
मौजूदा समय में निश्चित ही ऐसा कोई शख्स हमारे आसपास मौजूद नहीं है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा शख्स हुआ है, जिसकी एक पुकार ही असंख्य लोगों को साथ बुलाने के लिए काफी थी। महात्मा गांधी ऐसे ही लीडर थे।
एक और महत्वपूर्ण सवाल, धन-संपत्ति के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
आज जिस तरह से पूरी दुनिया सफलता के पीछे भाग रही है, और वह सफलता भी सिर्फ भौतिक सफलता के अर्थो में है, यह सचमुच बहुत चिंतनीय है। दरअसल धन अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। असल मुद्दा है उसके प्रति आपके नजरिए का। वह जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन क्या जीवन की हर गति सिर्फ धन के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है! क्या हमें प्रेम, रिश्तों, भावनाओं, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सपनों की कोई जरूरत नहीं! इन चीजों का धन से मोल कैसे आंकेंगे? लेकिन विडंबना देखिए कि आंका जा रहा है। सबकुछ जांचने-परखने का एक ही पैमाना बन गया है - धन। विज्ञान, तकनीक जैसी चीजें, जो मानवता के लिए बड़ा सृजन कर सकती हैं, का इस्तेमाल भी सिर्फ भौतिक विकास के लिए किया जा रहा है। ऐसे युवा नहीं मिलते, जो विज्ञान इसलिए पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैशन है। वे इसके और भीतर घुसना चाहते हैं, कुछ बड़ा रचना चाहते हैं। वे विज्ञान इसलिए पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें ऊंची तनख्वाहों वाली नौकरी मिलेगी। धन से संचालित ये लोग विज्ञान के नियम रट लेने वाली मशीन हैं, वे असल वैज्ञानिक नहीं हो सकते। वे दूसरों के खोजे नियमों और उनके आविष्कारों को अप्लाय तो कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बड़े आविष्कार नहीं कर सकते।
एन.आर.नारायणमूर्ति
जन्म- 20 अगस्त 1946 कानपुर आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएट। इन्फोसिस के संस्थापक।
किसी बड़े काम या बड़े उद्यम की सफलता के पीछे बड़ी दृष्टि या विजन होता है। वह दृष्टि क्या है? वह कौन सी सोच, विचार और व्यक्तित्व का गुण होता है, जिससे मिलकर एक बड़ा विजन तैयार होता है?
दरअसल दृष्टि, विचार और सोच, ये सारी बातें आपस में गुंथी हुई हैं। आमतौर पर लोग कहेंगे कि बड़ी और दूर तक सोच पाने की क्षमता से ही बड़ा विजन बनता है, लेकिन यह बात अधूरी है। बुनियादी रूप से बड़ा विजन आता है सबकी बेहतरी और तरक्की की बात सोचने से। अपने हर कदम के बारे में यह सोचने से कि इससे किसको लाभ होगा। अगर कोई कदम अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, तो उसके पीछे बड़ा विजन नहीं हो सकता। बड़े विजन का फलक बड़ा होता है और वह सामूहिक हितों और उन्नति की बात सोचता है।
क्या दृष्टि की संकीर्णता की वजह से ही हम कोई बड़ा स्वप्न देख और साकार नहीं कर पाते?
ऐसा नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बड़े सपने नहीं देखे और उन सपनों को पूरा नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। पूरी दुनिया में जहां भी शून्य से कोई बड़ी चीज खड़ी हुई, जिसके बारे में बहुतों का यह विश्वास था कि यह नामुमकिन है, तो निश्चित ही उस चीज की सफलता के पीछे बड़ा और सामूहिक हितों का विजन ही था।
सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की जो बात आप कर रहे हैं, वह किस तरह मुमकिन है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आप कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। लेकिन आपने निजी उद्यम का रास्ता चुना। क्यों?
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि जिनके बाद से कम्युनिज्म पर से मेरा विश्वास उठ गया और मुझे महसूस हुआ कि बहुत बड़े पैमाने पर उद्यम खड़े करके और ढेरों नौकरियां पैदा करके ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। देखिए, पूंजीवाद कोई बुरी या अनैतिक चीज नहीं है। हमारी दिक्कत यह है कि हमारे यहां मूल्यविहीन पूंजीवाद है। हम सारी नैतिकता और सबकी बेहतरी के मूल्यों से परे निजी हितों के बारे में सोचते हैं। अगर हम नैतिक ढंग से और ईमानदारी से काम करें, तो पूंजीवाद के रास्ते ही बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
लेकिन उसमें तो कुछ लोग हमेशा दोयम दर्जे के श्रमिक की ही भूमिका में होंगे?
पूंजीवाद में नहीं, अनैतिक, गैर-ईमानदार पूंजीवाद में होंगे। बड़े उद्यमी और स्वप्नदर्शी का यही तो दायित्व है कि वह सबको यह भरोसा दिला सके कि यह सामूहिक श्रम है, सबके हितों के लिए किया जा रहा श्रम है। उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे सके, यह विश्वास पैदा करके अपने कार्यस्थल पर एक निर्भय वातावरण बना सकें। कोई भी उद्यम जन के लिए, जन के द्वारा और जन का उद्यम हो।
एक बड़े लीडर में क्या गुण होने चाहिए?
बड़ा लीडर वह होता है, जो बड़ा सोचता है और सबको साथ लेकर चलता है। बड़ा लीडर वह है, जिसके कदम और फैसलों पर लोग भरोसा करें। लोगों को यह विश्वास हो कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, न कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए। जो उन लोगों जैसा ही सीधा, सरल और साधारण जीवन जिए, जिनके लिए वह काम कर रहा है। जिसके साथ लोग स्वयं को एकाकार महसूस कर सकें। बड़े काम में अनगिनत लोगों का श्रम और मेधा शामिल होते हैं। और लीडर ऐसा होना चाहिए, जिसकी एक आवाज पर वे अनगिनत लोग उसके पीछे चल पड़ें। वे उसका हाथ बन जाएं। उसके श्रम में शामिल हो जाएं।
क्या आपको ऐसा लीडर नजर आता है?
मौजूदा समय में निश्चित ही ऐसा कोई शख्स हमारे आसपास मौजूद नहीं है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा शख्स हुआ है, जिसकी एक पुकार ही असंख्य लोगों को साथ बुलाने के लिए काफी थी। महात्मा गांधी ऐसे ही लीडर थे।
एक और महत्वपूर्ण सवाल, धन-संपत्ति के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
आज जिस तरह से पूरी दुनिया सफलता के पीछे भाग रही है, और वह सफलता भी सिर्फ भौतिक सफलता के अर्थो में है, यह सचमुच बहुत चिंतनीय है। दरअसल धन अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। असल मुद्दा है उसके प्रति आपके नजरिए का। वह जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन क्या जीवन की हर गति सिर्फ धन के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है! क्या हमें प्रेम, रिश्तों, भावनाओं, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सपनों की कोई जरूरत नहीं! इन चीजों का धन से मोल कैसे आंकेंगे? लेकिन विडंबना देखिए कि आंका जा रहा है। सबकुछ जांचने-परखने का एक ही पैमाना बन गया है - धन। विज्ञान, तकनीक जैसी चीजें, जो मानवता के लिए बड़ा सृजन कर सकती हैं, का इस्तेमाल भी सिर्फ भौतिक विकास के लिए किया जा रहा है। ऐसे युवा नहीं मिलते, जो विज्ञान इसलिए पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैशन है। वे इसके और भीतर घुसना चाहते हैं, कुछ बड़ा रचना चाहते हैं। वे विज्ञान इसलिए पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें ऊंची तनख्वाहों वाली नौकरी मिलेगी। धन से संचालित ये लोग विज्ञान के नियम रट लेने वाली मशीन हैं, वे असल वैज्ञानिक नहीं हो सकते। वे दूसरों के खोजे नियमों और उनके आविष्कारों को अप्लाय तो कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बड़े आविष्कार नहीं कर सकते।
एन.आर.नारायणमूर्ति
जन्म- 20 अगस्त 1946 कानपुर आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएट। इन्फोसिस के संस्थापक।
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इस विधायक ने मेरा रेप किया है इसे फांसी पर लटका
बांदा से बसपा विधायक द्वारा दुष्कर्म पीड़िता जेल से रिहा होते ही विधायक को फांसी पर लटकाने की मांग की। पीड़िता जेल के दौरान बीते अपने दर्द को बताते हुए काफी गुस्से में थी। पुलिस पर आरोप लगाते हुए बताया कि पुलिस वाले उसको जेल में पिटते थे। यहां तक कि बिधायक के भाई के सामने पुलिस ने उसे मारा और धमकी दी।
सूबे की मुखिया मायावती के निर्देश के बाद पीड़िता को छोड़ दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता को जेल से रिहा करने और पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक दलित लड़की के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर दुष्कर्म किए जाने से सम्बद्ध मामले में राज्य सरकार ने शनिवार को बांदा जेल में बंद लड़की की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।
रेप मामले में फंसे बांदा के विधायक मामले पर सूबे की मुखिया ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा था लड़की पर चोरी के आरोप में जो भी पुलिस अधिकारी पर लिप्त होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की को आरोपित विधायक के घर कथित चोरी के आरोप में 15 दिसम्बर को अतर्रा पुलिस ने जेल भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि नरैनी क्षेत्र के शहबाजपुर गांव की एक लड़की ने पिछले दिनों अदालत में लिखित बयान देकर विधायक पुरूषोत्तम द्विवेदी और उनके तीन सहयोगियों पर कथित तौर पर बंधक बनाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
सूबे की मुखिया मायावती के निर्देश के बाद पीड़िता को छोड़ दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता को जेल से रिहा करने और पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक दलित लड़की के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर दुष्कर्म किए जाने से सम्बद्ध मामले में राज्य सरकार ने शनिवार को बांदा जेल में बंद लड़की की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।
रेप मामले में फंसे बांदा के विधायक मामले पर सूबे की मुखिया ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा था लड़की पर चोरी के आरोप में जो भी पुलिस अधिकारी पर लिप्त होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की को आरोपित विधायक के घर कथित चोरी के आरोप में 15 दिसम्बर को अतर्रा पुलिस ने जेल भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि नरैनी क्षेत्र के शहबाजपुर गांव की एक लड़की ने पिछले दिनों अदालत में लिखित बयान देकर विधायक पुरूषोत्तम द्विवेदी और उनके तीन सहयोगियों पर कथित तौर पर बंधक बनाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
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किसने-कैसे रोकी हमारी 7 लाख करोड़ की राहें
नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
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सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क
नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
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'यार विकेट नहीं लेता तो मेरे गांव वाले यहीं मारते मुझे'
जोहानिसबर्ग. टीम इंडिया को 1 रन की सनसनीखेज जीत दिलाने वाले तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल इस समय देश के हीरो बन गए हैं। मैच के 42वें ओवर में दो विकेट चटकाकर मुनाफ ने जीत को दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से छीनकर भारत की झोली में डाल दिया।
29 पर चार विकेट का विजयी प्रदर्शन करने के लिए मुनाफ को मैन ऑफ द मैच अवार्ड से नवाजा गया। इस अवार्ड को पाने के बाद मुनाफ ने कहा, इस मैच में मेरे ऊपर अतिरिक्त दबाव था। मेरे गांव (इखर, गुजरात) के कुछ लोग इस मुकाबले को देखने यहां आए हुए हैं। यदि मैं वांडर्रस में परफार्म नहीं करता तो वो लोग मुझे नहीं छोड़ते। अब रात को उनके साथ ही जश्न मनेगा।
अपनी फिटनेस पर मुनाफ ने कहा, मैंने ट्रेनर रामजी के साथ मिलकर अपनी फिटनेस पर काम किया है और मेरी मेहनत मैदान पर रंग दिखा रही है। नेट में लगातार अभ्यास का मुझे फायदा मिला।
कुछ ऐसा था मुनाफ का वो एक ओवर
मैच के 41वें ओवर की समाप्ति के बाद दक्षिण अफ्रीका को 48 गेंदो में महज चार रन की जरूरत थी और उसके पास दो विकेट सुरक्षित थे। मोरने मोर्केल और वेयन पार्नेल क्रीज पर मोर्चा संभाले हुए थे। सबको लग रहा था कि भारत की जीत की कोई उम्मीद बाकी नहीं है।
लेकिन मुद्दतें लाख बुरा चाहें तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अबतक के सबसे सफल और किफायती गेंदबाज रहे मुनाफ पटेल को गेंद थमाई। इसके बाद जो हुआ उसकी दास्तां कुछ इस प्रकार से थी-
पहली गेंद - पटेल की फुल लेंथ गेंद पर पार्नेल ने ऑन साइड की तरफ हल्का सा शॉट खेला और एक रन ले लिया।
दूसरी गेंद - मुनाफ ने गेंद की लेंथ में परिवर्तन करते हुए शॉर्ट पिच गेंद डाली। मोर्केल ने सोचा की एक चौका लगाकर मैच जीत लेंगे। लेकिन वो गेंद समझने में नाकाम रहे और प्वाइंट पर सचिन के स्थान पर फील्डिंग कर रहे यूसुफ पठान को कैच दे बैठे।
मोरने मोर्केल - 6 रन बनाकर आउट। द. अफ्रीका को जीत के लिए तीन रन की दरकार।
तीसरी गेंद - नए बल्लेबाज सोत्सोबे के खिलाफ मुनाफ ने पगबाधा की जोरदार अपील की। अंपायर ने ना में सिर हिलाया। कोई रन नहीं।
चौथी गेंद - पटेल की गेंद को सोत्सोबे ने थर्ड मैन की तरफ खेला और दौड़कर एक रन ले लिया। दर्शक दीर्घा में जोरदार तालियां बजीं। मेजबान जीत से दो रन दूर खड़ा था।
पांचवी गेंद - सभी की निगाहें पार्नेल पर और भारत की उम्मीदें गुजरात के तेज गेंदबाज पर। कोई रन नहीं।
छठी गेंद - कप्तान धोनी ने फील्डिंग में परिवर्तन कर प्वाइंट पर युवराज को तैनात किया। मुनाफ की गेंद पर चौका लगाने के प्रयास में पार्नेल युवी को कैच थमा बैठे, और भारत 1 रन से जीत गया।
दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम 188 रन पर सिमट गई थी।
29 पर चार विकेट का विजयी प्रदर्शन करने के लिए मुनाफ को मैन ऑफ द मैच अवार्ड से नवाजा गया। इस अवार्ड को पाने के बाद मुनाफ ने कहा, इस मैच में मेरे ऊपर अतिरिक्त दबाव था। मेरे गांव (इखर, गुजरात) के कुछ लोग इस मुकाबले को देखने यहां आए हुए हैं। यदि मैं वांडर्रस में परफार्म नहीं करता तो वो लोग मुझे नहीं छोड़ते। अब रात को उनके साथ ही जश्न मनेगा।
अपनी फिटनेस पर मुनाफ ने कहा, मैंने ट्रेनर रामजी के साथ मिलकर अपनी फिटनेस पर काम किया है और मेरी मेहनत मैदान पर रंग दिखा रही है। नेट में लगातार अभ्यास का मुझे फायदा मिला।
कुछ ऐसा था मुनाफ का वो एक ओवर
मैच के 41वें ओवर की समाप्ति के बाद दक्षिण अफ्रीका को 48 गेंदो में महज चार रन की जरूरत थी और उसके पास दो विकेट सुरक्षित थे। मोरने मोर्केल और वेयन पार्नेल क्रीज पर मोर्चा संभाले हुए थे। सबको लग रहा था कि भारत की जीत की कोई उम्मीद बाकी नहीं है।
लेकिन मुद्दतें लाख बुरा चाहें तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अबतक के सबसे सफल और किफायती गेंदबाज रहे मुनाफ पटेल को गेंद थमाई। इसके बाद जो हुआ उसकी दास्तां कुछ इस प्रकार से थी-
पहली गेंद - पटेल की फुल लेंथ गेंद पर पार्नेल ने ऑन साइड की तरफ हल्का सा शॉट खेला और एक रन ले लिया।
दूसरी गेंद - मुनाफ ने गेंद की लेंथ में परिवर्तन करते हुए शॉर्ट पिच गेंद डाली। मोर्केल ने सोचा की एक चौका लगाकर मैच जीत लेंगे। लेकिन वो गेंद समझने में नाकाम रहे और प्वाइंट पर सचिन के स्थान पर फील्डिंग कर रहे यूसुफ पठान को कैच दे बैठे।
मोरने मोर्केल - 6 रन बनाकर आउट। द. अफ्रीका को जीत के लिए तीन रन की दरकार।
तीसरी गेंद - नए बल्लेबाज सोत्सोबे के खिलाफ मुनाफ ने पगबाधा की जोरदार अपील की। अंपायर ने ना में सिर हिलाया। कोई रन नहीं।
चौथी गेंद - पटेल की गेंद को सोत्सोबे ने थर्ड मैन की तरफ खेला और दौड़कर एक रन ले लिया। दर्शक दीर्घा में जोरदार तालियां बजीं। मेजबान जीत से दो रन दूर खड़ा था।
पांचवी गेंद - सभी की निगाहें पार्नेल पर और भारत की उम्मीदें गुजरात के तेज गेंदबाज पर। कोई रन नहीं।
छठी गेंद - कप्तान धोनी ने फील्डिंग में परिवर्तन कर प्वाइंट पर युवराज को तैनात किया। मुनाफ की गेंद पर चौका लगाने के प्रयास में पार्नेल युवी को कैच थमा बैठे, और भारत 1 रन से जीत गया।
दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम 188 रन पर सिमट गई थी।
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जहां बनाया था 438 का रिकार्ड, वहीं हुए 188 पर ढेर
नई दिल्ली. भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पांच वनडे मैचों की श्रृंखला का दूसरा मुकाबला मेहमान ने 1 रन से जीत लिया। ये मुकाबला विश्व के सबसे करिश्माई मैदान वांडर्रस स्टेडियम में खेला गया था। इस मैदान पर मिली ये रोमांचक हार मेजबान टीम के साथ-साथ सभी क्रिकेटप्रेमियों को भी अजूबा लग रही होगी, क्योंकि ये वही पिच थी जिस पर 434 रन के लक्ष्य को हासिल कर दक्षिण अफ्रीका ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था।
12 मार्च 2006 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए इस वनडे को हाल ही में आईसीसी ने क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक और लोकप्रिय मुकाबला घोषित किया था। 5 जनवरी को वनडे क्रिकेट की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर आईसीसी ने पब्लिक पोल करवाकर ये चयन किया था। 434 रन जैसे विशाल स्कोर को प्रोटीज टीम ने वांडर्रस के मैदान पर ही हासिल किया था।
आश्चर्य की बात ये है कि जहां दक्षिण अफ्रीका ने 434 रन की चुनौती के जवाब में एक गेंद शेष रहते ही 438 रन ठोक डाले थे, वहीं पर मेजबान टीम के लिए 190 रन का मामूली लक्ष्य भारी पड़ गया। शायद इसलिए क्रिकेट को अनिश्चितता का खेल कहा जाता है।
क्या था वांडर्रस का वंडर?
साल 2006 में 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया था। पहले ऑस्ट्रेलिया ने वनडे इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर खड़ा किया था। सलामी बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट और साइमन कैटिच के अर्धशतकों के बाद कप्तान रिकी पोंटिंग ने धुआंधार 164 रन की शतकीय पारी खेलकर 434 रन के विशाल स्कोर की नींव रखी थी। पोंटिंग ने महज 105 गेंदों में 13 चौकों और 9 छक्कों की मदद से 164 रन बनाए थे। माइक हसी ने भी आतिशी अर्धशतक जमाया था।
इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ ने टीम को हर्शेल गिब्स के साथ मिलकर तेज शुरुआत दी थी। स्मिथ ने 55 गेंदों में 2 छक्के और 13 चौकों की मदद से 90 रन बनाए थे। हर्शेल गिब्स का बल्ला भी उस दिन जैसे रन मशीन बन गया था। गिब्स ने 111 गेंदों में 21 चौके और 7 छक्के लगाकर 175 रन ठोके थे।
दक्षिण अफ्रीका ये मुकाबला 1 विकेट से जीता था। इस मैच का फैसला दूसरी पारी के अंतिम ओवर की पांचवी गेंद पर आया था। जिस मैदान पर दक्षिण अफ्रीका ने ऐतिहासिक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया पर 1 विकेट से जीत दर्ज की थी, उसी वांडर्रस पर भारत ने मेजबान को 1 रन से धूल चटा दी।
12 मार्च 2006 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए इस वनडे को हाल ही में आईसीसी ने क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक और लोकप्रिय मुकाबला घोषित किया था। 5 जनवरी को वनडे क्रिकेट की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर आईसीसी ने पब्लिक पोल करवाकर ये चयन किया था। 434 रन जैसे विशाल स्कोर को प्रोटीज टीम ने वांडर्रस के मैदान पर ही हासिल किया था।
आश्चर्य की बात ये है कि जहां दक्षिण अफ्रीका ने 434 रन की चुनौती के जवाब में एक गेंद शेष रहते ही 438 रन ठोक डाले थे, वहीं पर मेजबान टीम के लिए 190 रन का मामूली लक्ष्य भारी पड़ गया। शायद इसलिए क्रिकेट को अनिश्चितता का खेल कहा जाता है।
क्या था वांडर्रस का वंडर?
साल 2006 में 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया था। पहले ऑस्ट्रेलिया ने वनडे इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर खड़ा किया था। सलामी बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट और साइमन कैटिच के अर्धशतकों के बाद कप्तान रिकी पोंटिंग ने धुआंधार 164 रन की शतकीय पारी खेलकर 434 रन के विशाल स्कोर की नींव रखी थी। पोंटिंग ने महज 105 गेंदों में 13 चौकों और 9 छक्कों की मदद से 164 रन बनाए थे। माइक हसी ने भी आतिशी अर्धशतक जमाया था।
इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ ने टीम को हर्शेल गिब्स के साथ मिलकर तेज शुरुआत दी थी। स्मिथ ने 55 गेंदों में 2 छक्के और 13 चौकों की मदद से 90 रन बनाए थे। हर्शेल गिब्स का बल्ला भी उस दिन जैसे रन मशीन बन गया था। गिब्स ने 111 गेंदों में 21 चौके और 7 छक्के लगाकर 175 रन ठोके थे।
दक्षिण अफ्रीका ये मुकाबला 1 विकेट से जीता था। इस मैच का फैसला दूसरी पारी के अंतिम ओवर की पांचवी गेंद पर आया था। जिस मैदान पर दक्षिण अफ्रीका ने ऐतिहासिक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया पर 1 विकेट से जीत दर्ज की थी, उसी वांडर्रस पर भारत ने मेजबान को 1 रन से धूल चटा दी।
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Jan 14, 2011
अब नहीं होगा कंप्यूटर हैंग
कंप्यूटर हैंग होने के कई कारण हो सकते हैं। हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर में किसी खराबी के कारण कंप्यूटर हैंग हो सकता है।
- सबसे पहले अपने कंप्यूटर का पावर सोर्स चेक करवाएं। उसमें प्रॉपर अर्थिंग रहनी चाहिए।
- कंप्यूटर को किसी अच्छे ब्रैंड के UPS के जरिए लगाएं।
- कई बार धूल-मिट्टी फंस जाने से कंप्यूटर के पावर सप्लाई का फैन जाम हो जाता है जिससे सप्लाई गर्म होने के कारण आग लगने का खतरा हो जाता है। इसके अलावा कंप्यूटर की सर्विस करवाते रहें जिससे वह ठंडा रहेगा और सही काम करेगा।
- कंप्यूटर CPU कैबिनेट में मदरबोर्ड, RAM, और हार्ड डिस्क आदि होते हैं। कई बार RAM साकेट पर लूज हो जाता है। इसे किसी एक्सपर्ट से चेक कराकर फिर से साकेट में लगवा लें, साथ ही यह भी चेक करवा लें कि RAM चिप ठीक काम कर रहा हो नहीं तो इसे बदल दें। कई बार यह भी देखा गया है कि किसी वजह से कंप्यूटर प्रोसेसर का फैन बंद हो जाता है जिस कारण प्रोसेसर हीट-अप होने के बाद हैंग होने लगता है।
- हार्डवेयर के अलावा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की वजह से भी हैंग होता है। इसके लिए आप अपने कंप्यूटर को ऑन करके जैसे ही विंडो स्क्रीन आने लगे F8 दबा दें। आपके सामने मेन्यू आ जाएगा, इस मेन्यू में आप सेफ मोड़ चुन लें। ऐसा करने से विंडो सेफ मोड़ में BOOT हो जाएगी।
- सेफ मोड़ में BOOT हो जाने पर पहले Start पर क्लिक करके Run में msconfig टाइप करें। आपके सामने System Configuration Utility Box खुल जाएगा, इसमें General Tab में Diagnostic Startup-Load basic device and drivers only पर क्लिक करके Ok दबाएं।
- कंप्यूटर को रीस्टार्ट कर लें। अब कंप्यूटर सिर्फ बेसिक सॉफ्टवेयर कंपोनेंट्स को ही लोड करेगा। इसके बाद कुछ देर तक अपना कंप्यूटर चलता रहने दें और चेक करें कि कंप्यूटर हैंग हो रहा है?
अगर अब भी आपका कंप्यूटर हैंग हो रहा हो तो अपने डाटा का बैकअप लें और कंप्यूटर में Windows OS दोबारा लोड करवा लें। लेकिन अगर ये बूट होने के बाद हैंग नहीं करता तो इसका मतलब है कि कोई सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर ड्राइवर ठीक से काम नहीं कर रहा है। इसे चेक करने के लिए आप किसी कंप्यूटर एक्सपर्ट की मदद लें। वह कंप्यूटर में लोड होने वाले सभी सॉफ्टवेयर ड्राइवर या एप्लिकेशन को चेक करके आपको बता देगा कि कौन-सा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को हैंग कर रहा है।
- सबसे पहले अपने कंप्यूटर का पावर सोर्स चेक करवाएं। उसमें प्रॉपर अर्थिंग रहनी चाहिए।
- कंप्यूटर को किसी अच्छे ब्रैंड के UPS के जरिए लगाएं।
- कई बार धूल-मिट्टी फंस जाने से कंप्यूटर के पावर सप्लाई का फैन जाम हो जाता है जिससे सप्लाई गर्म होने के कारण आग लगने का खतरा हो जाता है। इसके अलावा कंप्यूटर की सर्विस करवाते रहें जिससे वह ठंडा रहेगा और सही काम करेगा।
- कंप्यूटर CPU कैबिनेट में मदरबोर्ड, RAM, और हार्ड डिस्क आदि होते हैं। कई बार RAM साकेट पर लूज हो जाता है। इसे किसी एक्सपर्ट से चेक कराकर फिर से साकेट में लगवा लें, साथ ही यह भी चेक करवा लें कि RAM चिप ठीक काम कर रहा हो नहीं तो इसे बदल दें। कई बार यह भी देखा गया है कि किसी वजह से कंप्यूटर प्रोसेसर का फैन बंद हो जाता है जिस कारण प्रोसेसर हीट-अप होने के बाद हैंग होने लगता है।
- हार्डवेयर के अलावा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की वजह से भी हैंग होता है। इसके लिए आप अपने कंप्यूटर को ऑन करके जैसे ही विंडो स्क्रीन आने लगे F8 दबा दें। आपके सामने मेन्यू आ जाएगा, इस मेन्यू में आप सेफ मोड़ चुन लें। ऐसा करने से विंडो सेफ मोड़ में BOOT हो जाएगी।
- सेफ मोड़ में BOOT हो जाने पर पहले Start पर क्लिक करके Run में msconfig टाइप करें। आपके सामने System Configuration Utility Box खुल जाएगा, इसमें General Tab में Diagnostic Startup-Load basic device and drivers only पर क्लिक करके Ok दबाएं।
- कंप्यूटर को रीस्टार्ट कर लें। अब कंप्यूटर सिर्फ बेसिक सॉफ्टवेयर कंपोनेंट्स को ही लोड करेगा। इसके बाद कुछ देर तक अपना कंप्यूटर चलता रहने दें और चेक करें कि कंप्यूटर हैंग हो रहा है?
अगर अब भी आपका कंप्यूटर हैंग हो रहा हो तो अपने डाटा का बैकअप लें और कंप्यूटर में Windows OS दोबारा लोड करवा लें। लेकिन अगर ये बूट होने के बाद हैंग नहीं करता तो इसका मतलब है कि कोई सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर ड्राइवर ठीक से काम नहीं कर रहा है। इसे चेक करने के लिए आप किसी कंप्यूटर एक्सपर्ट की मदद लें। वह कंप्यूटर में लोड होने वाले सभी सॉफ्टवेयर ड्राइवर या एप्लिकेशन को चेक करके आपको बता देगा कि कौन-सा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को हैंग कर रहा है।
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COMPUTER
दो लड़के पार्क मे बैठे बाते कर रहे थे....
दो लड़के पार्क मे बैठे बाते कर रहे थे...
पहला- तुम रोज़ी- रोटी के लिए क्या करते हो..
...
दूसरा- सुबह के टाइम अख़बार बाँटता हूँ.., फिर 10 घंटे नोकरी.. शाम को ट्यूसन पढाता हूँ .. रात मे चोकीदारी करता हूँ.. मेरी छोड़ो तुम अपनी बताओ.. तुम्हे मैंने कभी कुछ करते हुए नही देखा..
पहला- यार.. क्या बताउँ.. आज से हज़ारो साल पहले "काँग्रेस" नाम की एक पार्टी हुआ करती थी हमारे पूर्वज उसे पार्टी के नेता हुआ करते थे वो इतना कमा कर रख गये की हमेँ आज तक कुछ करने की ज़रूरत ही नहीँ पड़ी....
पहला- तुम रोज़ी- रोटी के लिए क्या करते हो..
...
दूसरा- सुबह के टाइम अख़बार बाँटता हूँ.., फिर 10 घंटे नोकरी.. शाम को ट्यूसन पढाता हूँ .. रात मे चोकीदारी करता हूँ.. मेरी छोड़ो तुम अपनी बताओ.. तुम्हे मैंने कभी कुछ करते हुए नही देखा..
पहला- यार.. क्या बताउँ.. आज से हज़ारो साल पहले "काँग्रेस" नाम की एक पार्टी हुआ करती थी हमारे पूर्वज उसे पार्टी के नेता हुआ करते थे वो इतना कमा कर रख गये की हमेँ आज तक कुछ करने की ज़रूरत ही नहीँ पड़ी....
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BEST JOKES
आप भी बन सकते हैं ट्विटर के सुपर स्टार
ट्विटर पर सेलिब्रिटी कोई भी बन सकता है। बॉलिवुड सुपर स्टार की तरह भले ही आपके लाखों फॉलोअर न बन पाएं लेकिन कुछ समझदारी से काम लिया जाए तो हजारों का आंकड़ा आपकी पहुंच में आ सकता है। सोशल नेटवर्किंग के इस मंच पर ढेरों ऐसे लोग हैं जो रियल लाइफ में बड़े नाम नहीं हैं लेकिन अपने चतुर अंदाज से वे ट्विटर के सुपर स्टार बन गए हैं। ट्विटर पर ज्यादा फॉलोअर बनाने के क्या हैं टिप्स बता रहे हैं आशीष पांडे :
आपका प्रोफाइल आपका आइना
ट्विटर में सबसे अहम होता है आपका प्रोफाइल। इसमें भी सबसे पहले हम बात करते हैं डीपी यानी डिस्प्ले पिक्चर की, जहां आप अपनी तस्वीर लगाते हैं। याद रखें ट्विटर का अकाउंट है, कोई सरकारी फॉर्म नहीं। इसलिए जरूरी नहीं कि पासपोर्ट साइज कोई आम फोटो लगाई जाए, इसमें कुछ ट्विस्ट लाएं और कूल फोटो लगाएं। इसके बाद आपकी डिटेल्स बेहद अहम है। यहां आप 160 अक्षरों में अपने बारे में लिख सकते हैं। साधारण-सा बायोडेटा बनाने के बजाय अपने बारे में मजेदार ढंग से जानकारी दें। जिसमें आप क्या करते हैं, क्या शौक है और आपकी पर्सनैलिटी का क्या कलेवर है, इसके बारे में पता लग जाए। पूरे 160 अक्षर इस्तेमाल करने के बजाय 3-4 लाइन में आप अपनी बात पूरी कर लें क्योंकि कोई बहुत लंबी-चौड़ी कहानी नहीं पढ़ना चाहता और ट्विटर पर पूरे 160 अक्षर का प्रोफाइल कहानी बन जाता है।
जो बोलो दिल से बोलो
ट्विटर पर आपका प्रोफाइल या डीपी आपको कुछ फॉलोअर दिला सकता है या लोगों को आपकी टाइम लाइन देखने को लुभा सकता है, लेकिन कामयाबी सिर्फ इससे तय नहीं होती। आप क्या ट्वीट करते हैं वह सबसे ज्यादा अहम है। अगर आप अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान जैसी हस्ती नहीं हैं तो मैं बाजार में हूं, टीवी देख रहा हूं, कैसे कपड़े पहने हैं जैसी बेकार की बातें कहने का कोई तुक नहीं है। किसी को आपकी डेली लाइफ में कोई रुचि नहीं है। कुछ मजेदार बात बताएं, किसी घटना या समाचार पर मजेदार कमेंट करें या कुछ अलग बताएं, तभी लोग आपकी सुनेंगे और फॉलोअर बनकर आपकी ट्वीट पढ़ना चाहेंगे।
फॉलो का फंडा : सिलेब्रिटीज
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फॉलो का फंडा : कॉमन लोग
सिलेब्रिटीज के अलावा आप ऐसे आम लोग भी ट्विटर पर ढूंढ सकते हैं जो मजेदार ट्वीट करते हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें आप फॉलो करेंगे तो वे आपको भी फॉलो करेंगे। इसलिए कई लोगों को फॉलो करने का तरीका आपको भी फॉलोअर जरूर दिलाता है। इसी तरह जो लोग आपको फॉलो कर रहे हैं, उनका प्रोफाइल देखें, अगर वे आपको मजेदार लगते हैं तो उन्हें जरूर फॉलो करें। फॉलो नहीं कर रहे तो कम-से-कम एक डायरेक्ट मेसेज भेजकर थैंक्स तो जरूर कहें। इस तरह अगर आपके 100 के आसपास फॉलोअर हो जाते हैं और आप अच्छे ट्वीट करते हैं तो आपको एक ऑडियंस तो मिल ही जाएगी जिसके बूते आपके फॉलोअर की संख्या बढ़ती ही जाएगी।
ट्वीट करने के बेसिक्स
ट्वीट करने में आप कुछ दिलचस्प सवाल पूछें, अकसर लोग इनका जवाब देते हैं जिससे एक संवाद कायम हो जाता है। इसके अलावा आप अपने पसंद की खबरों या एक्सर्पट्स की ट्वीट को री-ट्विट करें, इससे आप लोगों की टाइम लाइन में अक्सर नजर आते रहेंगे और ज्यादा फॉलोअर बनने का चांस रहेगा। इसके अलावा ट्वीट करते रहें, बेमतलब की बातें नहीं लेकिन कुछ-न-कुछ ट्वीट करें। क्योंकि आप अगर लोगों की टाइम लाइन में नजर आते रहेंगे तो आप फॉलोअर चार्ट में भी ऊपर बनें रहेंगे।
ट्विटर की बोली
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फॉलो का फंडा : कॉमन लोग
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ट्वीट करने के बेसिक्स
ट्वीट करने में आप कुछ दिलचस्प सवाल पूछें, अकसर लोग इनका जवाब देते हैं जिससे एक संवाद कायम हो जाता है। इसके अलावा आप अपने पसंद की खबरों या एक्सर्पट्स की ट्वीट को री-ट्विट करें, इससे आप लोगों की टाइम लाइन में अक्सर नजर आते रहेंगे और ज्यादा फॉलोअर बनने का चांस रहेगा। इसके अलावा ट्वीट करते रहें, बेमतलब की बातें नहीं लेकिन कुछ-न-कुछ ट्वीट करें। क्योंकि आप अगर लोगों की टाइम लाइन में नजर आते रहेंगे तो आप फॉलोअर चार्ट में भी ऊपर बनें रहेंगे।
ट्विटर की बोली
टाइम लाइन : ट्विटर पर लॉगइन करने के बाद आपके होम पेज पर जो ट्विटस नजर आती हैं उन्हें टाइम लाइन करते हैं। होम पेज पर टाइम लाइन के अलावा एक सेक्शन mention का है, इसमें अगर कोई आपकी ट्वीट के जवाब में या आपके नाम के साथ कुछ कहता है तो वह नजर आता है।
री-ट्वीट : आप अगर किसी की ट्वीट को उसके ही नाम से अपने ही फॉलोअर के बीच प्रचारित करते हैं तो इसे री-ट्वीट कहा जाता है। ट्विटर के होम पेज पर एक सेक्शन retweet का है जहां आप खुद किए री-ट्वीट मेसेज या दूसरों के द्वारा री-ट्वीट किए गए आपके मेसेज देख सकते हैं। आपका मेसेज अगर लोग री-ट्वीट करते हैं तो यह आपके लिए अच्छी बात है।
हैंडल : ट्विटर पर आपका अकाउंट नेम हैंडल कहलाता है। जब आप ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाते हैं तो अकाउंट नेम भी तय करने को कहा जाता है। आप अगर कभी इसे बदलना चाहें तो ट्विटर आपको इसकी छूट देता है, आप अपने पुराने अकाउंट में ही नया नाम दे सकते हैं बशर्ते की वह मौजूद हो। ऐसा करने से आपके ट्विटर अकाउंट, टाइम लाइन या फॉलोअर पर असर नहीं पड़ता।
एफएफ व जीएफएफ : एफएफ का मतलब है फॉलो फ्राइडे, इसे हैश के बटन के साथ आप किसी ट्विटर अकाउंट होल्डर को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब होता है कि इस शख्स को फॉलो करो। जीएफएफ का मतलब होता है गेट फॉलोअर्स फास्ट, यानी कुछ साइट्स कहती हैं कि आप अगर अपना अकाउंट और पासवर्ड उन्हें देंगे तो वे आपको ज्यादा फॉलोअर दिलाएंगी। लेकिन इनसे बचकर रहें क्योंकि ये स्पैम होते हैं।
आरटी, ओह व ट्रेंडिंग टॉपिक : आरटी यानी री-ट्वीट। जब आप किसी की ट्वीट को अपने फॉलोअर के बीच उसी के नाम से भेजते हैं तो यह आरटी कहलाता है। ओह (oh) का मतलब है ओवर हर्ड यानी लोग सुनी-सुनाई गप के लिए इस शब्द का प्रयोग करते हैं। ट्रेंडिंग टॉपिक यानी वे टॉपिक्स जिस पर सबसे ज्यादा ट्वीट हो रही हैं। इसमें आप भारत, अमेरिका, इंग्लैंड या कई अन्य मुल्कों और शहरों यानी दुनियाभर में सबसे ज्यादा ट्वीट हो रहे टॉपिक्स की टॉप लिस्ट देख सकते हैं।
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मोबाइल बैंकिंग क्या है?
मोबाइल बैंकिंग का सामान्य सा मतलब यह हुआ कि आपका अकाउंट हमेशा आपके साथ-साथ गतिमान रहता है। आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में मोबाइल बैंकिंग आपकी दिक्कतों को कम करने में मददगार साबित हो रही है। खासकर कारोबारियों के लिए तो यह बहुत जरूरी है। कारोबारियों को दिनभर में बहुत सारे ट्रांजक्शन की जरूरत पड़ती है।
अगर वह बैंक जाकर सारा कामकाज करना चाहे तब उसका आधा दिन यूं ही खराब हो जाएगा। दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के दौरान आप कहीं भी खड़े होकर मोबाइल बैंकिंग का लाभ उठा सकते हैं। आप मोबाइल बैंकिंग का लाभ कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में और कभी भी उठा सकते हैं। मोबाइल बैंकिंग आपके मोबाइल के द्वारा एसएमएस या वैप के जरिये ऑपरेट होता है। मोबाइल बैंकिंग का ही एक छोटा सा हिस्सा एसएमएस बैंकिंग है।
आजकल ज्यादातर खाताधारी जिन्होंने मोबाइल बैंकिंग या एसएमएस बैंकिंग के विकल्प का आवेदन दिया होता है, उन्हें एटीएम या अकाउंट से किसी भी प्रकार के लेनदेन की सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये उपलब्ध कराई जाती है। इसका सीधा फायदा यह होता है कि आपके अकाउंट में कितनी रकम शेष है और कितना पैसा कहां किस मद में निष्कासित हो रहा है, आपको उसकी पल-पल जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।
मोबाइल बैंकिं ग, बैंकिंग सेक्टर में आज की तारीख में बहुत ज्यादा मांग वाली विषयवस्तु है। यह भविष्य में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के सिस्टम को हस्तानान्तरित कर देगा। मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करने वालों में से 85-90 फीसदी क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल में नहीं लाते हैं। यह ठीक-ठीक एटीएम की तरह ही होता है। यह इस्तेमाल करने में बेहद सुविधाजनक और सस्ता है।
एटीएम की तुलना में इससे बैंक के ऑपरेशनल खर्च में कमी आ जाती है। इसका लाभ बिल पैमेंट करने, फंड ट्रांसफर करने और बैलेंस चेक करने आदि में किया जाता है। कोरिया में मोबाइल फोन में दो सिम का इस्तेमाल किया जाता है। एक सिम टेलीफोन के लिए दूसरा बैंकिंग के लिए। बैंकिंग अकाउंट डाटा स्मार्ट कार्ड चिप पर उपलब्ध होता है। वर्ष 2004 में बैंक ऑफ कोरिया में 33 लाख ट्रांजक्शन मोबाइल बैंकिंग के जरिये हुआ था। जाहिर सी बात है कि इसमें बढ़ोतरी ही हुई होगी।
अगर वह बैंक जाकर सारा कामकाज करना चाहे तब उसका आधा दिन यूं ही खराब हो जाएगा। दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के दौरान आप कहीं भी खड़े होकर मोबाइल बैंकिंग का लाभ उठा सकते हैं। आप मोबाइल बैंकिंग का लाभ कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में और कभी भी उठा सकते हैं। मोबाइल बैंकिंग आपके मोबाइल के द्वारा एसएमएस या वैप के जरिये ऑपरेट होता है। मोबाइल बैंकिंग का ही एक छोटा सा हिस्सा एसएमएस बैंकिंग है।
आजकल ज्यादातर खाताधारी जिन्होंने मोबाइल बैंकिंग या एसएमएस बैंकिंग के विकल्प का आवेदन दिया होता है, उन्हें एटीएम या अकाउंट से किसी भी प्रकार के लेनदेन की सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये उपलब्ध कराई जाती है। इसका सीधा फायदा यह होता है कि आपके अकाउंट में कितनी रकम शेष है और कितना पैसा कहां किस मद में निष्कासित हो रहा है, आपको उसकी पल-पल जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।
मोबाइल बैंकिं ग, बैंकिंग सेक्टर में आज की तारीख में बहुत ज्यादा मांग वाली विषयवस्तु है। यह भविष्य में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के सिस्टम को हस्तानान्तरित कर देगा। मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करने वालों में से 85-90 फीसदी क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल में नहीं लाते हैं। यह ठीक-ठीक एटीएम की तरह ही होता है। यह इस्तेमाल करने में बेहद सुविधाजनक और सस्ता है।
एटीएम की तुलना में इससे बैंक के ऑपरेशनल खर्च में कमी आ जाती है। इसका लाभ बिल पैमेंट करने, फंड ट्रांसफर करने और बैलेंस चेक करने आदि में किया जाता है। कोरिया में मोबाइल फोन में दो सिम का इस्तेमाल किया जाता है। एक सिम टेलीफोन के लिए दूसरा बैंकिंग के लिए। बैंकिंग अकाउंट डाटा स्मार्ट कार्ड चिप पर उपलब्ध होता है। वर्ष 2004 में बैंक ऑफ कोरिया में 33 लाख ट्रांजक्शन मोबाइल बैंकिंग के जरिये हुआ था। जाहिर सी बात है कि इसमें बढ़ोतरी ही हुई होगी।
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Jan 13, 2011
टर्निंग 30’
कहानी
टर्निंग 30
कहानी:फिल्म की कहानी है नैना (गुल पनाग)की जिसकी लाइफ में 30 का पड़ाव पार करते ही कई बदलाव आ जाते हैं|उसका दिल टूट जाता है और दूसरी ओर उसका करियर भी डगमगाने लगता है|फिल्म एक अपरिपक्व महिला के जिम्मेदार बनने की कहानी है|इस दौरान उसकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आते हैं मगर हार न मानते हुए अंततः वह मंजिल पा ही जाती है|
रिव्यू:प्रकाश झा और अलंकृता श्रीवास्तव बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस फिल्म के जरिए ऐसे विषय को उठाया जिसपर ज्यादा फिल्में अब तक नहीं बनी|फिल्म का पहला भाग गुल पनाग पर ही केन्द्रित है जो ढलती उम्र,ब्रेक अप और करियर में उतार चढ़ाव से परेशान है|बीच में फिल्म की रफ़्तार काफी धीमी हो जाती है मगर जीवंत संवाद फिल्म से दर्शकों को जोड़े रखता है|फिल्म का अंत काफी सुखद होता है मगर उसे काफी चलताऊ तरीके से फिल्माया गया है|इसे अगर औरपरिपक्व तरीके से फिल्माया जाता तो यह और प्रभावशाली हो सकता था|फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|
स्टोरी ट्रीटमेंट:'टर्निंग 30 ' महत्वपूर्ण दृश्यों और संवाद का मिल जुला रूप है जिससे आप खुद को जोड़कर देख सकते हैं कि जब आप 30 साल के होंगे तो आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा| सोचिये अगर आप एक लड़की हैं और 30 की उम्र में ढलते यौवन और जॉब खो देने की वजह से जब आपको कोई साथी न मिले तो आपको कैसा लगेगा|मगर गुल को सारी परेशानियों से लड़ते हुए एक परिपक्व महिला बनते देखना काफी दिलचस्प है|
स्टार कास्ट:फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|उनका स्टाइल सेन्स,छोटे छोटे बाल उनके केरेक्टर को और निखारने में कामयाब रहे हैं|पूरब कोहली ने जय के किरदार को सहजता से निभाया है|वह पहले तो नैना को सिर्फ एक सेक्स की पूर्ति करने का जरिया समझता है मगर बाद में उससे सच में प्यार करने लग जाता है|
निर्देशन:नयी निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव ने एक नए विषय पर फिल्म बनाई है जो काबिले तारीफ है|उन्होंने फिल्म के माध्यम से एक छुपे विषय को उठाने की कोशिश की है|हालाँकि फिल्म की कहानी एक सीमित और उच्च वर्ग के दर्शकों को ही ज्यादा रास आयेगी मगर इससे अलंकृता के कमाल के निर्देशन की झलक दिख गई है|
डायलॉग्स/सिनेमाटोग्राफी/म्यूजिक:फिल्म के संवाद हार्डहिटिंग हैं खास तौर से जिस प्रकार वह एक्टर्स के द्वारा बोले गए हैं|सिनेमाटोग्राफी भी अपना ध्यान खींचती है खास तौर से जिस प्रकार से कैमरा एंगल्स लिए गए हैं वह काफी अलग और प्रभावशाली हैं|फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है और टाइटल ट्रेक 'टर्निंग 30' अपीलिंग है|'सपने' गाना एक अच्छा साउंडट्रेक है|
अप्स और डाउन्स:एक अच्छी लिखी हुई और निर्देशित फिल्म जो 30 + महिला के जीवन के उतार चढ़ाव को बखूबी दर्शाती है|गुल पनाग की सधी हुई एक्टिंग और बेहतरीन स्क्रीनप्ले फिल्म की जान हैं|प्रकाश झा जो कि एक सीमित विषय और गंभीर विषय पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं उनके प्रोडक्शन में एक महिला केन्द्रित फिल्म बनना काफी अलग और हटकर लगता है|मगर फिल्म सीमित और उच्च वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई हुई ज्यादा लगती है इसलिए हर एक वर्ग को जोड़ने में नाकामयाब रहेगी|
आपकी रेटिंग
इसे पढ़ने के बाद आप फिल्म को क्या रेटिंग देना चाहेंगे? क्या फिल्म की कहानी का विषय आम दर्शकों को खींचने का दम रखता है? नीचे कमेंट बॉक्स में आप अपनी राय भी लिख कर सभी दर्शकों के साथ साझा कर सकते हैं।
टर्निंग 30
कहानी:फिल्म की कहानी है नैना (गुल पनाग)की जिसकी लाइफ में 30 का पड़ाव पार करते ही कई बदलाव आ जाते हैं|उसका दिल टूट जाता है और दूसरी ओर उसका करियर भी डगमगाने लगता है|फिल्म एक अपरिपक्व महिला के जिम्मेदार बनने की कहानी है|इस दौरान उसकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आते हैं मगर हार न मानते हुए अंततः वह मंजिल पा ही जाती है|
रिव्यू:प्रकाश झा और अलंकृता श्रीवास्तव बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस फिल्म के जरिए ऐसे विषय को उठाया जिसपर ज्यादा फिल्में अब तक नहीं बनी|फिल्म का पहला भाग गुल पनाग पर ही केन्द्रित है जो ढलती उम्र,ब्रेक अप और करियर में उतार चढ़ाव से परेशान है|बीच में फिल्म की रफ़्तार काफी धीमी हो जाती है मगर जीवंत संवाद फिल्म से दर्शकों को जोड़े रखता है|फिल्म का अंत काफी सुखद होता है मगर उसे काफी चलताऊ तरीके से फिल्माया गया है|इसे अगर औरपरिपक्व तरीके से फिल्माया जाता तो यह और प्रभावशाली हो सकता था|फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|
स्टोरी ट्रीटमेंट:'टर्निंग 30 ' महत्वपूर्ण दृश्यों और संवाद का मिल जुला रूप है जिससे आप खुद को जोड़कर देख सकते हैं कि जब आप 30 साल के होंगे तो आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा| सोचिये अगर आप एक लड़की हैं और 30 की उम्र में ढलते यौवन और जॉब खो देने की वजह से जब आपको कोई साथी न मिले तो आपको कैसा लगेगा|मगर गुल को सारी परेशानियों से लड़ते हुए एक परिपक्व महिला बनते देखना काफी दिलचस्प है|
स्टार कास्ट:फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|उनका स्टाइल सेन्स,छोटे छोटे बाल उनके केरेक्टर को और निखारने में कामयाब रहे हैं|पूरब कोहली ने जय के किरदार को सहजता से निभाया है|वह पहले तो नैना को सिर्फ एक सेक्स की पूर्ति करने का जरिया समझता है मगर बाद में उससे सच में प्यार करने लग जाता है|
निर्देशन:नयी निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव ने एक नए विषय पर फिल्म बनाई है जो काबिले तारीफ है|उन्होंने फिल्म के माध्यम से एक छुपे विषय को उठाने की कोशिश की है|हालाँकि फिल्म की कहानी एक सीमित और उच्च वर्ग के दर्शकों को ही ज्यादा रास आयेगी मगर इससे अलंकृता के कमाल के निर्देशन की झलक दिख गई है|
डायलॉग्स/सिनेमाटोग्राफी/म्यूजिक:फिल्म के संवाद हार्डहिटिंग हैं खास तौर से जिस प्रकार वह एक्टर्स के द्वारा बोले गए हैं|सिनेमाटोग्राफी भी अपना ध्यान खींचती है खास तौर से जिस प्रकार से कैमरा एंगल्स लिए गए हैं वह काफी अलग और प्रभावशाली हैं|फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है और टाइटल ट्रेक 'टर्निंग 30' अपीलिंग है|'सपने' गाना एक अच्छा साउंडट्रेक है|
अप्स और डाउन्स:एक अच्छी लिखी हुई और निर्देशित फिल्म जो 30 + महिला के जीवन के उतार चढ़ाव को बखूबी दर्शाती है|गुल पनाग की सधी हुई एक्टिंग और बेहतरीन स्क्रीनप्ले फिल्म की जान हैं|प्रकाश झा जो कि एक सीमित विषय और गंभीर विषय पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं उनके प्रोडक्शन में एक महिला केन्द्रित फिल्म बनना काफी अलग और हटकर लगता है|मगर फिल्म सीमित और उच्च वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई हुई ज्यादा लगती है इसलिए हर एक वर्ग को जोड़ने में नाकामयाब रहेगी|
आपकी रेटिंग
इसे पढ़ने के बाद आप फिल्म को क्या रेटिंग देना चाहेंगे? क्या फिल्म की कहानी का विषय आम दर्शकों को खींचने का दम रखता है? नीचे कमेंट बॉक्स में आप अपनी राय भी लिख कर सभी दर्शकों के साथ साझा कर सकते हैं।
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FILM REVIEW
Jan 8, 2011
कौन खिलाड़ी कितने में बिका. ये है पूरी सूची
गौतम गंभीर- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 11.4 करोड़ रुपए ( 2.4 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
तिलकरत्ने दिलशान- 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) की कीमत में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू ।
जहीर खान- रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने 4.1 करोड़ रुपए( 9 लाख डॉलर) में खरीदा।
रॉस टेलर- राजस्थान रॉयल्स ने 4.6 करोड़ रुपए (1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
यूसुफ पठान- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 9.7 करोड़ रुपए (2.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
केविन पीटरसन- 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) में डेक्कन चार्जर्स ने खरीदा।
महेला जयवर्द्धने - 6.9 करोड़ रुपए (1.5 मिलियन डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
युवराज सिंह- 8.3 करोड़ रुपए (1.8 मिलियन डॉलर) में पुणे वारियर्स ने खरीदा
एबी डीवीलियर्स- आरसीबी ने 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
कैमरून व्हाइट- डेक्कन चार्जर्स ने 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
जैकस कैलिस- 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में केकेआर ने खरीदा।
रोहित शर्मा- मुंबई इंडियंस ने 9.2 करोड़ रुपए (2 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
कुमार संगकारा- 3.2 करोड़ रुपए ( 7 लाख डॉलर) में डेक्कन चार्जर्स ने खरीदा।
एडम गिलक्रिस्ट- किंग्स इलेवन पंजाब ने 4.1 करोड़ रुपए (9 लाख डॉलर) में खरीदा।
राहुल द्रविड़- 2.3 करोड़ रुपए ( 5 लाख डॉलर) में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा।
ग्रीम स्मिथ- 2.3 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) में पुणे ने खरीदा।
रॉबिन उथप्पा- 9.7 करोड़ रुपए (2.1 मिलियन डॉलर) में पुणे ने खरीदा।
जोहान बोथा- 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा।
वी वी एस लक्ष्मण- 1.84 करोड़ रुपए (4 लाख डॉलर) ने कोच्चि ने खरीदा।
डेनियल विटोरी- 2.5 करोड़ रुपए (5.5 लाख डॉलर) में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू ने खरीदा।
ब्रेंडन मैक्कुलम- 2.2 करोड़ रुपए (4.75 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
एस श्रीसंथ- 4.1 करोड़ रुपए (9 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
इरफान पठान- 8.7 करोड़ रुपए (1.9 मिलियन डॉलर) में दिल्ली डेयरडेविल्स ने खरीदा।
आरपी सिंह - 2.3 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
माइक हसी- चेन्नई सुपर किंग्स ने 2 करोड़ रुपए (4.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
जे पी डूमिनी- डेक्कन चार्जर्स ने 1.4 करोड़ रुपए (3 लाख डॉलर) में खरीदा।
शिखर धवन- डेक्कन चार्जर्स ने 1.4 करोड़ रुपए (3 लाख डॉलर) में खरीदा।
सौरभ तिवारी- रॉयल चैलेंजर्स बैंगलूरु ने 7.4 करोड़ रुपए (1.6 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
डेविड हसी- किंग्स इलेवन पंजाब ने 6.4 करोड़ रुपए (1.4 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
डेविड वार्नर- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 3.5 करोड़ रुपए (7.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
पार्थिव पटेल- कोच्चि ने 1.3 करोड़ रुपए (2.9 लाख डॉलर) में खरीदा।
रीद्धिमान साहा- चेन्नई सुपर किंग्स ने 46 लाख रुपए (एक लाख डॉलर) में खरीदा।
दिनेश कार्तिक- किंग्स इलेवन पंजाब ने 4.1 करोड़ रुपए ( 9 लाख डॉलर) में खरीदा।
नमन ओझा- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.24 करोड़ रुपए (2.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ब्रेड हैडिन- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 1.5 करोड़ रुपए ( 3.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
टिम पेन- पुणे ने 1.2 करोड़ रुपए (2.7 लाख डॉलर) में खरीदा।
डेविड जैकब्स- मुंबई इंडियंस ने 87.4 लाख रुपए (1.9 लाख डॉलर) में खरीदा।
जेम्स होप्स- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.6 करोड़ रुपए (3.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
रवींद्र जडेजा- कोच्चि ने 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
शकीब अल हसन- केकेआर ने 2 करोड़ रुपए (4.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
स्टुअर्ट ब्रॉड- किंग्स इलेवन पंजाब ने 1.84 करोड़ रुपए ( 4 लाख डॉलर) ने खरीदा।
अभिषेक नायर- पंजाब ने 3.7 करोड़ रुपए (8 लाख डॉलर) में खरीदा।
एंजिलो मैथ्यूज- पुणे ने 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ड्वेन ब्रेवो- चेन्नई सुपर किंग्स ने 92 लाख रुपए (2 लाख डॉलर) में खरीदा।
स्टीवन स्मिथ- कोच्चि ने 92 लाख रुपए (2 लाख डॉलर) में खरीदा।
जेम्स फ्रेंकलिन- मुंबई इंडियंस ने 46 लाख रुपए (1 लाख डॉलर) में खरीदा।
इशांत शर्मा- डेक्कन चार्जर्स ने 2.1 करोड़ रुपए (4.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
प्रवीण कुमार- किंग्स इलेवन पंजाब ने 3.7 करोड़ रुपए (8 लाख डॉलर) में खरीदा।
आशीष नेहरा- पुणे ने 3.9 करोड़ रुपए (8.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ब्रेट ली- कोलकाता ने 1.84 करोड़ रुपए (4 लाख डॉलर) में खरीदा।
मोर्ने मोर्कल- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 2.2 करोड़ रुपए (4.75 लाख डॉलर) में खरीदा।
डेल स्टेन- डेक्कन चार्जर्स ने 5.5 करोड़ रुपए (1.2 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
रेयान हैरिस- किंग्स इलेवन पंजाब 3.25 लाख डॉलर में खरीदा।
डर्क नेनेस- बेंगलूरु में 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
डग बोलिंगर- चेन्नई सुपर किंग्स ने 3.2 करोड़ रुपए (7 लाख डॉलर) में खरीदा।
मुथैया मुरलीधरन- 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
पीयूष चावला- किंग्स इलेवन पंजाब ने 9 लाख डॉलर में खरीदा।
आर आश्विन- चेन्नई सुपर किंग्स ने 8.5 लाख डॉलर में खरीदा।
प्रज्ञान ओझा- डेक्कन चार्जर्स ने 5 लाख डॉलर में खरीदा।
अमित मिश्रा- डेक्कन चार्जर्स ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
नेथन मैक्कुलम- पुणे ने 1 लाख डॉलर में खरीदा।
रोमेश पवार- 1.8 लाख डॉलर में कोच्चि ने खरीदा।
एरॉन फिंच- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
इऑन मोर्गन- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 3.5 लाख डॉलर में खरीदा।
ब्रैड हॉज- कोच्चि ने 4.25 लाख डॉलर में खरीदा।
कैलम फर्ग्युसन- पुणे ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
मनोज तिवारी- कोलकाता ने 4.75 लाख डॉलर में खरीदा।
चितेश्वर पुजारा- बैंगलुरू ने 7 लाख डॉलर में खरीदा।
एस बद्रीनाथ- चेन्नई सुपर किंग्स ने 8 लाख डॉलर में खरीदा।
पॉल कोलिंगवुड- राजस्थान रॉयल्स ने 2.5 लाख डॉलर में खरीदा।
तिलकरत्ने दिलशान- 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) की कीमत में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू ।
जहीर खान- रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने 4.1 करोड़ रुपए( 9 लाख डॉलर) में खरीदा।
रॉस टेलर- राजस्थान रॉयल्स ने 4.6 करोड़ रुपए (1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
यूसुफ पठान- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 9.7 करोड़ रुपए (2.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
केविन पीटरसन- 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) में डेक्कन चार्जर्स ने खरीदा।
महेला जयवर्द्धने - 6.9 करोड़ रुपए (1.5 मिलियन डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
युवराज सिंह- 8.3 करोड़ रुपए (1.8 मिलियन डॉलर) में पुणे वारियर्स ने खरीदा
एबी डीवीलियर्स- आरसीबी ने 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
कैमरून व्हाइट- डेक्कन चार्जर्स ने 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
जैकस कैलिस- 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में केकेआर ने खरीदा।
रोहित शर्मा- मुंबई इंडियंस ने 9.2 करोड़ रुपए (2 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
कुमार संगकारा- 3.2 करोड़ रुपए ( 7 लाख डॉलर) में डेक्कन चार्जर्स ने खरीदा।
एडम गिलक्रिस्ट- किंग्स इलेवन पंजाब ने 4.1 करोड़ रुपए (9 लाख डॉलर) में खरीदा।
राहुल द्रविड़- 2.3 करोड़ रुपए ( 5 लाख डॉलर) में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा।
ग्रीम स्मिथ- 2.3 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) में पुणे ने खरीदा।
रॉबिन उथप्पा- 9.7 करोड़ रुपए (2.1 मिलियन डॉलर) में पुणे ने खरीदा।
जोहान बोथा- 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा।
वी वी एस लक्ष्मण- 1.84 करोड़ रुपए (4 लाख डॉलर) ने कोच्चि ने खरीदा।
डेनियल विटोरी- 2.5 करोड़ रुपए (5.5 लाख डॉलर) में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू ने खरीदा।
ब्रेंडन मैक्कुलम- 2.2 करोड़ रुपए (4.75 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
एस श्रीसंथ- 4.1 करोड़ रुपए (9 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
इरफान पठान- 8.7 करोड़ रुपए (1.9 मिलियन डॉलर) में दिल्ली डेयरडेविल्स ने खरीदा।
आरपी सिंह - 2.3 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
माइक हसी- चेन्नई सुपर किंग्स ने 2 करोड़ रुपए (4.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
जे पी डूमिनी- डेक्कन चार्जर्स ने 1.4 करोड़ रुपए (3 लाख डॉलर) में खरीदा।
शिखर धवन- डेक्कन चार्जर्स ने 1.4 करोड़ रुपए (3 लाख डॉलर) में खरीदा।
सौरभ तिवारी- रॉयल चैलेंजर्स बैंगलूरु ने 7.4 करोड़ रुपए (1.6 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
डेविड हसी- किंग्स इलेवन पंजाब ने 6.4 करोड़ रुपए (1.4 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
डेविड वार्नर- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 3.5 करोड़ रुपए (7.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
पार्थिव पटेल- कोच्चि ने 1.3 करोड़ रुपए (2.9 लाख डॉलर) में खरीदा।
रीद्धिमान साहा- चेन्नई सुपर किंग्स ने 46 लाख रुपए (एक लाख डॉलर) में खरीदा।
दिनेश कार्तिक- किंग्स इलेवन पंजाब ने 4.1 करोड़ रुपए ( 9 लाख डॉलर) में खरीदा।
नमन ओझा- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.24 करोड़ रुपए (2.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ब्रेड हैडिन- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 1.5 करोड़ रुपए ( 3.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
टिम पेन- पुणे ने 1.2 करोड़ रुपए (2.7 लाख डॉलर) में खरीदा।
डेविड जैकब्स- मुंबई इंडियंस ने 87.4 लाख रुपए (1.9 लाख डॉलर) में खरीदा।
जेम्स होप्स- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.6 करोड़ रुपए (3.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
रवींद्र जडेजा- कोच्चि ने 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
शकीब अल हसन- केकेआर ने 2 करोड़ रुपए (4.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
स्टुअर्ट ब्रॉड- किंग्स इलेवन पंजाब ने 1.84 करोड़ रुपए ( 4 लाख डॉलर) ने खरीदा।
अभिषेक नायर- पंजाब ने 3.7 करोड़ रुपए (8 लाख डॉलर) में खरीदा।
एंजिलो मैथ्यूज- पुणे ने 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ड्वेन ब्रेवो- चेन्नई सुपर किंग्स ने 92 लाख रुपए (2 लाख डॉलर) में खरीदा।
स्टीवन स्मिथ- कोच्चि ने 92 लाख रुपए (2 लाख डॉलर) में खरीदा।
जेम्स फ्रेंकलिन- मुंबई इंडियंस ने 46 लाख रुपए (1 लाख डॉलर) में खरीदा।
इशांत शर्मा- डेक्कन चार्जर्स ने 2.1 करोड़ रुपए (4.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
प्रवीण कुमार- किंग्स इलेवन पंजाब ने 3.7 करोड़ रुपए (8 लाख डॉलर) में खरीदा।
आशीष नेहरा- पुणे ने 3.9 करोड़ रुपए (8.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ब्रेट ली- कोलकाता ने 1.84 करोड़ रुपए (4 लाख डॉलर) में खरीदा।
मोर्ने मोर्कल- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 2.2 करोड़ रुपए (4.75 लाख डॉलर) में खरीदा।
डेल स्टेन- डेक्कन चार्जर्स ने 5.5 करोड़ रुपए (1.2 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
रेयान हैरिस- किंग्स इलेवन पंजाब 3.25 लाख डॉलर में खरीदा।
डर्क नेनेस- बेंगलूरु में 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
डग बोलिंगर- चेन्नई सुपर किंग्स ने 3.2 करोड़ रुपए (7 लाख डॉलर) में खरीदा।
मुथैया मुरलीधरन- 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
पीयूष चावला- किंग्स इलेवन पंजाब ने 9 लाख डॉलर में खरीदा।
आर आश्विन- चेन्नई सुपर किंग्स ने 8.5 लाख डॉलर में खरीदा।
प्रज्ञान ओझा- डेक्कन चार्जर्स ने 5 लाख डॉलर में खरीदा।
अमित मिश्रा- डेक्कन चार्जर्स ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
नेथन मैक्कुलम- पुणे ने 1 लाख डॉलर में खरीदा।
रोमेश पवार- 1.8 लाख डॉलर में कोच्चि ने खरीदा।
एरॉन फिंच- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
इऑन मोर्गन- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 3.5 लाख डॉलर में खरीदा।
ब्रैड हॉज- कोच्चि ने 4.25 लाख डॉलर में खरीदा।
कैलम फर्ग्युसन- पुणे ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
मनोज तिवारी- कोलकाता ने 4.75 लाख डॉलर में खरीदा।
चितेश्वर पुजारा- बैंगलुरू ने 7 लाख डॉलर में खरीदा।
एस बद्रीनाथ- चेन्नई सुपर किंग्स ने 8 लाख डॉलर में खरीदा।
पॉल कोलिंगवुड- राजस्थान रॉयल्स ने 2.5 लाख डॉलर में खरीदा।
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