Mar 31, 2013

मुलायम को लैपटॉप नहीं, सोलर पैनल बाटना चाहिए था ...


उत्तर प्रदेश में 21 करोड़ लोग हैं और करीब 2.5 करोड़ परिवार हैं जिसमे से 80% यानि 2 करोड़ परिवार गाँव में रहते हैं जहा पर बिजली कब आयेगी और कब तक आयेगी किसी को पता नहीं है. मुलायम के बेटे की सरकार ने यदि लैपटॉप की जगह “सोलर पैनल” बाटा होता तो क्या होता ????

... 1- अखिलेश का बाँटा हुआ लैपटॉप 19000/- रुपये का है जिसमे 40 वाट के 3 सोलर पैनल आ जाते यानी 15 लाख लैपटोपों की कीमत में 45 लाख सोलर पैनल लग सकते हैं जिससे की 200 लाख में से 45 लाख परिवारों के पास अनिवार्य बिजली की सुविधा हो जाती यानि करीब एक चौथाई ग्रामीण घरों को 40 साल के लिए बिजली मिलना सुनिश्चित हो जाता.

चीन के बाज़ार के हिसाब से 40 वाट का पैनल 40 x 29/- = 1160/- रुपये में आ जाना चाहिए बाकि का खर्चा तार/बैटरी/लाईट/चार्जर आदि का. मजेदार बात यह है की भारत की सरकारे सोलर पैनल 200 रुपये प्रति वाट बेचती है जिससे की गरीब आदमी के घर में बिजली आ ही न सके.

2- बच्चे लैपटॉप लेकर घूम रहे हैं की इसे चार्ज कहा करे जिस गाव में मोबाइल इस लिए बंद हो जाते हैं की बिजली का पता नहीं है उस गाँव के लोगो को सरकार सोलर पैनल देती तो ज्यादा बढ़िया होता क्योकि इससे पूरे परिवार को फायदा होता यानि इस छोटी से योजना से भी 5 करोड़ लोगों के जीवन में प्रकाश आता.

Mar 30, 2013

कुछ रोचक तथ्य


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✿ कोई भी व्यक्ति स्वयं की कुहनी को चाट नहीं सकता

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✿ छींकते वक्त आँखे खुली रखना असम्भव है।

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✿ छींकते समय हृदय की गति एक मिली सेकंड के लिए रुक जाती है।

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✿ मात्र एक घण्टा तक हेडफोन पहने रहने से कान में बैक्टीरिया की संख्या 700 गुना बढ़ जाती है।

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✿ लाइटर का आविष्कार माचिस से पहले हुआ।

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✿ उँगलियों के निशान जैसे ही सभी के जीभ के निशान भी अलग-अलग होते हैं।

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✿ बिना खाना खाए एक माह तक जिंदा रहा जा सकता है जबकि बिना पानी पिए केवल एक सप्ताह। शरीर में सिर्फ 1% पानी की कमी होने पर प्यास महसूस होने लगती है और 10% कमी होने पर प्राण निकल जाते हैं।

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✿ ध्वनि की गति हवा की अपेक्षा स्टील में 15 गुनी अधिक होती है।

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✿ लिओनार्डो डा विंसी एक ही समय में एक हाथ सेलिख सकते थे साथ ही दूसरे हाथ से चित्रकारी भी कर सकते थे।

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✿ च्युइंगगम चबाते-चबाते प्याज काटने से आँख से आँसू नहीं आते। (यद्यपि प्याज काटने से आँखों में आँसू बनने की प्रक्रिया अवश्य होती है किन्तु जबड़ों के लगातार चलते रहने केकारण वे आँख तक नहीं आ पाते।)

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✿ “Rhythm” अंग्रेजी का वह सबसे बड़ा शब्द है जिसमें अंग्रेजी का कोई भी स्वर (vowel) का प्रयोग नहीं हुआ है।

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✿ शहद एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो हजारों साल तक खराब नहीं होता। (मिश्र के फैरो के कब्रों में पाए गए शहद को पुरातत्वविदों द्वारा चख कर देखने पर पाया गया है कि वह आज भी खाने योग्य है।)

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✿ नींद में होने पर भी डॉल्फिन की एक आँख खुलीरहती है ..!!!

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Mar 29, 2013

एक आदमी जंगल से गुजर रहा था

एक आदमी जंगल से गुजर रहा था । उसे
चार स्त्रियां मिली ।
उसने पहली से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा -: "बुद्धि "!
तुम कहां रहती हो?
... उसने कहा-: मनुष्य के दिमाग में।
दूसरी स्त्री से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" लज्जा "।
तुम कहां रहती हो ?
उसने कहा-: आंख में ।
तीसरी से पूछा - तुम्हारा क्या नाम हैं ?
"हिम्मत"
कहां रहती हो ?
उसने कहा-: दिल में ।
चौथी से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
"तंदुरूस्ती"
कहां रहती हो ?
उसने कहा-: पेट में।
वह आदमी अब थोडा आगे बढा तों फिर उसे चार पुरूष मिले।
उसने पहले पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" क्रोध "
कहां रहतें हो ?
दिमाग में,
दिमाग में तो बुद्धि रहती हैं,
तुम कैसे रहते हो?
उसने कहा-: जब मैं वहां रहता हुं तो बुद्धि वहां से विदा हो जाती हैं।
दूसरे पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं?
उसने कहां -" लोभ"।
कहां रहते हो?
आंख में।
आंख में तो लज्जा रहती हैं तुम कैसे रहते हो।
उसने कहा-: मेरे रहते लज्जा का कोई ठिकाना नहीं है
मै कुछ भी करवा सकता हूँ ..चोरी ,डकैती, हत्या आदि
तीसरें से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
जबाब मिला "भय"।
कहां रहते हो?
दिल में तो हिम्मत रहती हैं तुम कैसे रहते हो?
उसने कहा-: जब मैं आता हूं तो हिम्मत भाग जाती है ..!!
चौथे से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा - "रोग"।
कहां रहतें हो?
पेट में।
पेट में तो तंदरूस्ती रहती हैं,
उसने कहा-: तुम जैसे सहनशील व्यक्ति जब अपना संतुलन खो देते हो
तब मैं आता हूँ और तन्दरुस्ती को भगा कर तुम्हारे शरीर में राज
करता हूँ ...!!

Mar 28, 2013

पनीर का टुकड़ा

मंगरूआ की बेटी की शादी थी,
... शादी के लिये मंगरूआ ने पूरे तीस हजार रूपये इकठ्ठा किये थे.

घरातियो ने बस गुड़ पानी लिया,
चूकी बेटी की शादी मेँ गाँव वाले खाना नहीँ खाये.

साठ बारातियो के लिये चावल और छोले का इंतजाम हो रहा था.

चाय के लिये रखा गया आधा किलो दूध फट गया.
फूफाजी ने पनीर के चार गोले बनाकर छोले मेँ डाल दिये,
सोचे की बाद मेँ अपने लिये निकाल लेंगे.

पनीर के टुकडे पे जीजाजी की भी नजर पड गई.

बारात आ गई,
बारातियो के खाने का इंतजाम शुरु हो गया.

इधर जीजा जी और फूफाजी पनीर की टोह मेँ छोले के पास ही रहे.
खुद से ही छोले चलाने लगे.

इधर बारातियो ने जमकर खाना शुरु किया,
चावल कम पड़ गये.
घर मेँ कोहराम मच गया.

घर की महिलाओ ने दही मेँ हल्दी मिलाकर बारातियो पे छिंटे मारने लगी.

बेचारे बाराती आधे-अधूरे भरे पेट से उठ कर भाग गये खाने से,
कपडे जो बचाने थे.

तभी फुफाजी को एक पनीर का टुकड़ा मिला,
शायद एक ही बचा था.
बाकी टुकडे शायद बारातियो के प्लेट मेँ जा चूके थे.

जीजाजी और फूफाजी अपना अधिकार जताने लगे पनीर के लजीज टुकड़े पर.

दोनो प्लेट पे एक साथ हाथ रख कर एक दुसरे को उठाने नहीँ दे रहे थे.

अचानक आपाधापी मेँ टुकड़ा नीचे गिर पड़ा.

गिरते ही गाँव का मरियल कुत्ता शेरू अपने जबड़े में दबाकर रफ्फूचक्कर हो गया.

फूफाजी और जीजाजी हाथ मलते रह गये.

इसके बाद दोनो दूध के बर्तन के आस-पास देखे गये...
...कि कब दूध फटे और कब....
;-)
thanks to :-
सन्नि कुमार तिवारी

एक औरत अपने बच्चे के लिए रो रही....

एक औरत अपने बच्चे के लिए रो रही थी...
एक इंजीनियर ने औरत से रोने की वजह पूछी।
औरत ने कहा,"मेरा बच्चा बीमार है और मेरे पास
दवा के लिए पैसा नहीं है।"
इंजीनियर ने 1000 का नोट दिया और
... कहा,"जाओ दवा ले लो और 100 का दूध भी ले
लेना और बाकि के पैसे मुझे वापस दे देना।"
औरत थोड़ी देर बाद दवा और दूध ले आई।
बाकी के 650 रुपये इंजीनियर को वापस कर दिए।
इंजीनियर खुश हुआ और सोचने
लगा कि नेकी कभी बेकार नहीं जाती।
डॉक्टर को फीस मिल गई।
बच्चे को दवा मिल गई।
और
मेरा नकली नोट भी चल गया।
कि बोलो होली है !! :D

Bank of Baroda (BOB) Has Announced their Dates for Joining



Recruitment of -1530- Probationary Officers - Project 2013


Selected candidates allotted to Bank of Baroda can join the Bank on one of the following four dates:

* 22-04-2013
* 06-05-2013
* 20-05-2013
* 15-07-2013

These candidates will be required to submit their preferred date of joining among the four dates mentioned above on or before 30-03-2013. However, Bank reserves the right to give any specific date based on merit and the decision of the Bank in this regard will be final and binding.
Roll Number

Mar 27, 2013

एक कुंवारी लड़की मंदिर गई।

भगवान के आगे हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी...
'हे प्रभु, मैं अपने लिए आपसे कभी कुछ नहीं मांगती, लेकिन कृपा करके मेरी मां को एक अच्छा-सा दामाद दे दो!'

Mar 26, 2013

happy holi friends...

सर रविंद्र जडेजा! ट्विटर पर चुटकुलों की भरमार

सर रविंद्र जडेजा भले ही अपनी कामयाबी का श्रेय आर अश्विन को दे रहे हों लेकिन ट्विटर पर उनके प्रशंसक उन्हें लगान के भुवन का अवतार मान रहे हैं। फिरोजशाह कोटला में भारत की जीत के बाद ही रविंद्र जडेजा ट्वटिर पर छा गए।

रविंद्र जडेजा को लेकर चुटकुले पहले से ही ट्वटिर पर आते रहे हैं लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही ट्वीट्स उन पर किए गए। मैच के बाद लोगों ने ट्विटर पर टिप्पणियां करके एक दूसरे का मनोरंजन किया। पेश हैं कुछ चुनिंदा ट्वीट्स...


Sir Ravindra Jadeja
भारत ने एक भी ऐसा टेस्ट मैच नहीं हारा है जिसमें श्री श्री श्री रविंद्र जडेजा को अंतिम एकादश में शामिल किया गया हो।

The UnReal Times ‏

फिरोज शाह कोटला में सर ने गेंद को पिच पर टर्न नहीं कराया था बल्कि उन्होंने धरती को ही घुमा दिया था।

Tharki Doctor
सर रविंद्र जडेजा के फेसबुक फैन पेज के एडमिन रजनीकांत है।

Gautam
एक बार सर रविंद्र जडेजा मानसून में क्रिकेट खेल रहे थे, और मैच के कारण बारिश रद्द हो गई थी।

Keh Ke Peheno
सर रविंद्र जडेजा चैन्ने सुपरकिंग्स के लिए आईपीएल में खेल रहे हैं, इसलिए सीएसके को एडवांस में ही विजेता घोषित किया जाता है।

vikkkkkassss
जो लोग क्रिकेट नहीं खेल सकते उनके लिए सर रविंद्र जडेजा ने फुटबॉल का अविष्कार किया है।

Ra_Bies
एक बार अमेरिका ने सर रविंद्र जडेजा को वीजा नहीं दिया था, और तब से ही यह देश क्रिकेट नहीं खेल सकता।

Ra_Bies ‏
धरती और मंगल के बीच होने वाली क्रिकेट सीरीज के विजेता को सर रविंद्र जडेजा ट्रॉफी से सम्मानित किया जाएगा।


The UnReal Times ‏
ब्रिटेन की महारानी दूसरों को नाइटहुड के सम्मान से नवाजती हैं, जबकि रविंद्र जडेजा ने महारानी को नाइटहुड से नवाजा है।

Mr. Tippler ‏
सर रविंद्र जडेजा की घातक गेंदबाजी के कारण ही क्रिकेट एकमात्र ऐसी चीज है जिससे रजनीकांत भी डरते हैं।

Demented
एक बार सर रविंद्र जडेजा सेकंड हैंड मारूति से एफ1 रेस में उतरे थे और जीत गए थे।

Ketan Pratap ‏
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का नाम बदलकर बॉर्डर जडेजा ट्रॉफी कर दिया गया है।

Arup Roy
आस्ट्रेलिया के बैटिंग ऑर्डर में आग लगाकर सर रविंद्र जडेजा ने होली सीजन की शुरूआत कर दी है।


The Lie Lama
सिर्फ सर रविंद्र जडेजा ही द डर्टी पिक्चर को क्लीन कर सकते हैं।

Diwakar
सर जडेजा ने 80 ओवरों के बाद अंपायर को नईं गेंद दी।

sandip goswami
सर रविंद्र जडेजा लगान में अंग्रेजों को हराने वाली टीम के भुवन का अवतार हैं।

Bhaskar.N.H
अब से जिस सीरीज में भी जडेजा खेलेंगे उसे एशेज कहा जाएगा क्योंकि वह अपने विरोधियों को राख कर देंगे।

Jobless Scholar™
अब सर रविंद्र जडेजा को टी-20 मैच का इंतजार है ताकि वह तीहरा शतक लगा सकें।

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे ......

लक्ष्य पर ध्यान लगाओ

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”

स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”

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डर का सामना

एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”

स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”

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सच बोलने की हिम्मत

स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.

मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.

” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.

मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.

यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.

तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”

” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.

Mar 25, 2013

सूचना-प्रौद्योगिकी ( information technology )



परिचय (Introduction)

कम्प्यूटर का विकास कई दशकों पहले ही हो चुका है, परन्तु आधुनिक युग में कम्प्यूटर की क्षमता, गति, आकार एवं अन्य कई विशेषताओं में आश्चर्यजनक बदलाव हो रहे हैं। इन सभी सूचनाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के आविष्कार ने कई असम्भव बातों को सम्भव बना दिया है। हम घर बैठे दूर स्थित अपने किसी मित्र व संबंधी के साथ चैंटिंग करना, रेलवे-वायुयान टिकट आरक्षित करा सकते हैं। कम्प्यूटर के विकास के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी भी विकास के पथ पर अग्रसर है। सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग डाटा संचार के रूप में, व्यपार, घर, बैंकों इत्यादि स्थानों पर मुख्य रूप से किया जाता है। दूसरे शब्दों में ज्ञान की नई शाखा को सूचना प्रौद्योगिकी कहते हैं।

सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक(Fundamental Ingredient of IT)


संचार प्रक्रिया, कम्प्यूटर नेटवर्क, ई-मेल आदि सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

संचार-प्रक्रिया (Communication Process)

दो विभिन्न या समान डिवाइसों के मध्य डाटा तथा सूचनाओं के आदान प्रदान को डाटा संचार एवं इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को संचार-प्रक्रिया कहते हैं।
संचार-प्रक्रिया निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा सम्पन्न होती है-

1. संदेश
2. प्राप्तकर्ता
3. प्रेषक
4. माध्यम
5. प्रोटोकॉल

कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network)


सूचनाओं या अन्य संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान एवं साझेदारी के लिए दो या दो अधिक कम्प्यूटरों का परस्पर जुड़ाव कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क के अंतर्गत संसाधनों एवं सूचनाएं एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक समान रूप से पहुंचती है। कम्प्यूटर नेटवर्क एक कंपनी अथवा भवनों, एक कमरे तथा शहर के मध्य स्थापित किए जाते हैं।

नेटवर्क के प्रकार(Types of Network)


नेटवर्क विभिन्न प्रकार के होते हैं परन्तु मुख्यत: नेटवर्क तीन प्रकार के होते हैं-

1. लोकल एरिया नेटवर्क
- लैन (Local Area Network- LAN)
वह नेटवर्क जो केवल एक भवन, कार्यालय अथवा एक कमरे तक सीमित होते हैं, लोकल एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। इस नेटवर्क के अंतर्गत कई कम्प्यूटर आपस में संयोजित रहते हैं। परन्तु इनका भौगोलिक क्षेत्र एक या दो किमी. से अधिक नहीं होता है। रिंग, स्टार या कम्प्लीटली कनेक्टेड नेटवर्क आदि लैन के उदाहरण हैं।

2. मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क- मैन (Metropolitan Area Network- MAN)
एक या एक से अधिक लोकल एरिया नेटवर्कों को एक साथ जोड़कर बनाए गए नेटवर्क को मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहते हैं। यह नेटवर्क वृहद स्तरीय नेटवर्क है, जो कई कार्पोरेटों से मिलकर बना होता है। मैन की गति अत्यधिक तीव्र होती है, परन्तु लैन की अपेक्षा धीमी होती है।

3. वाइड एरिया नेटवर्क
- वैन (Wide Area Network- WAN)
वह नेटवर्क जो मंडलीय, राष्टरीय, अंतरराष्टरीय एवं प्रादेशिक स्तर पर जोड़े जाते हैं, वाइड एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। वैन में उपग्रह द्वारा कम्प्यूटर टर्मिनलों को आपस में जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए- मुबंई में रहकर दिल्ली से कोलकाता का आरक्षण करना या कनाडा से सिंगापुर की फ्लाइट का आरक्षण केवल वैन द्वारा ही संभव है। वैन की गति, लैन तथा मैन की अपेक्षा धीमी होती है।

ई-मेल (E-mail)
ई-मेल सूचना प्रौद्योगिकी की एक अद्भुत देन है, जिसके द्वारा दूरभाष तथा टेलीग्राम, फैक्स तथा पोस्टकार्ड इत्यादि पारंपरिक संचार सेवाओं को आसानी से केवल कुछ ही सेकेंडों में प्रेषित किया जा सकता है। ई-मेल की शुरुआत सबसे पहले हॉटमेल नामक कंपनी ने की। जिसने www.hotmail.com के जरिए सेवायें प्रारम्भ की। आज हॉटमेल विश्व की सबसे बड़ी ई-मेल इंटरनेट कंपनी है।

महत्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाएं (importent programming language )


परिचय (Introduction)


कम्प्यूटर एक मशीन है और वह हमारी बोलचाल की भाषा को समझ नहीं सकता। इसके लिए प्रोग्राम, विशेष प्रकार की भाषा में लिखे जाते हैं। इन भाषाओं को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के नाम से जानते हैं। आजकल ऐसी सैकड़ों भाषाएं प्रचलन में हैं। ये भाषाएं कम्प्यूटर और प्रोग्रामर के बीच संपर्क या फिर संवाद स्थापित करने का काम करती हैं। कम्प्यूटर उन्हीं के माध्यम से दिए गए निर्देशों को समझकर काम करता है। कम्प्यूटर द्वारा किए जाने वाले अलग अलग कार्यों के लिए अलग-अलग तरह की लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस प्रकार हैं-

लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Languages)

वे लैंग्वेज जो कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली को ध्यान में रखकर बनाई गई हंै लो लेवल लैंग्वेज कहलाती हैं। इसमें प्रोग्राम लिखने वाले व्यक्ति को कम्प्यूटर की आंतरिक क्रिया प्रणाली की जानकारी होना आवश्यक है। इसको निम्न स्तरीय लैंग्वेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोग्राम लिखना पूरी तरह से उस कम्प्यूटर पर निर्भर करता है जिस पर यह लिखा जा रहा है। इस लैंग्वेज को पुन: दो अन्य भाषाओं में बांटा जा सकता है।

1. मशीन लैंग्वेज (Machine Languages) - कम्यूटर एक मशीन है जो केवल विद्युत संकेतों को ही समझ सकती है। इन विद्युत संकेतों को ऑफ या 0(शून्य) व ऑन या 1(एक) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इन अंको के बायनरी अंक कहते हैं। कम्प्यूटर केवल इन बाइनरी अंकों में दिए गए निर्देशों को समझ सकता है। इन बाइनरी अंको से बनी लैंग्वेज को हम मशीन लैंग्वेज कहते हैं। जैसे- 0100100011100110011.......

2. असेंबली लैंग्वेज (Assembly Languages)
- अंसेबली लैंग्वेज वे भाषाएं होती हैं जो पूरी तरह से मशीन लैंग्वेज पर आधारित होती हैं। लेकिन इनमें 0 व 1 की सीरीज के स्थान पर अंग्रेजी के कुछ अक्षरों व कुछ चुने हुए शब्दों का कोड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन कोडों को नेमोनिक कोड या शाब्दिक कोड के नाम से जाना जाता है।

3. हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Languages)
- जैसा कि लो-लेवल लैंग्वेज के लिए बताया गया कि प्रोग्राम लिखने के लिए कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली का ज्ञान होना जरूरी है। दूसरा प्रत्येक कम्प्यूटर की अपनी अलग मशीनी भाषा और असेम्बली भाषा होती है। अत: एक तरह के कम्प्यूटर के लिए इन भाषाओं में लिखा गया प्रोग्राम दूसरी तरह के कम्प्यूटरों के लिए बेकार हो जाता है। अत: ऐसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास किया गया जो सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली पर आधारित न हो और जिनमें लिखे गए प्रोग्रामोंको किसी भी प्रकार के सिस्टम पर चलाना संभव हो। इन भाषाओं को हाई लेवल भाषा कहा जाता है। हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषा में इंग्लिश के चुने हुए शब्दों व साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन भाषाओं में प्रोग्राम लिखना उनमे गलतियों का पता लगाना और उनको सुधारना लो लेवल भाषा की तुलना में आसान होता है। सभी प्रोग्राम हाई लेवल भाषा मे ही लिखे जाते हैं।

हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषाओं को भी उनकी प्रकृति के अनुसार दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

1. विधि अभिमुखी भाषाएं (Procedure Oriented Languages)
2. समस्या अभिमुखी भाषाएं (Problem Oriented Languages)


प्रमुख हाई लेवल लैंग्वेज:
1. बेसिक 2. फोरट्रॉन
3. लोगो 4. कोबोल
5. पास्कल 6. सी
7. सी++ 8. अल्गोल
9. कोमाल 10. पायलट
11.स्नोबॉल 12. प्रोलॉग
13. फोर्थ जेनरेशन लैग्वेज (4जीएल)

बैंक परीक्षा के लिए कम्प्यूटर : शब्दावली (A - D)

Abacus: Abacus गणना करने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला अति प्राचीन यंत्र जिससे अंकों को जोड़ा व घटाया दोनों जाता है।

Accessory: यह प्रोसेसिंग के लिए एक आवश्यक संसाधन होते हैं जिन्हें सहायक यन्त्र भी कहा जाता है। जैसे- वेब कैमरा, फ्लापी डिस्क, स्कैनर, पेन ड्राइव आदि

Access Control: सूचना और संसाधनों की की सुरक्षा के लिए प्रयुक्त की गई विधि जिसके द्वारा अनाधिकृत यूजर को सूचना और निर्देशों को पहुंचने से रोकता है।

Access Time: यूजर द्वारा मेमोरी से डाटा प्राप्त करने के लिए दिए गए निर्देश और डाटा प्राप्त होने तक के बीच के समय को Access time कहते हैं।

Accumulator: एक प्रकार का रजिस्टर जो प्रोसेसिंग के दौरान डाटा और निर्देशों को संग्रहीत करता है।

Active Device: वह उपकरण है जिसमें कोई कार्य वैद्युत् प्रवाह द्वारा सम्पादित किया जाता है।

Active Cell: MS Excel में प्रयोग होने वाला वह खाना है, जिसमें यूजर डाटा लिखता है।

Active Window: कम्प्यूटर में उपस्थित वह विंडो, जो यूजर द्वारा वर्तमान समय में सक्रिय है।

Adapter: दो या दो से अधिक उपकरणों या संसाधनों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली युक्ति।

Adder : एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, जिसके द्वारा दो या दो से अधिक संख्याओं को जोड़ा जा सकता है।

Address: वह पहचान चिन्ह जिसके द्वारा डाटा की स्थिति का पता चलता है।

Algorithm: कम्प्यूटर को दिया जाने वाला अनुदेशों का वह क्रम जिसके द्वारा किसी कार्य को पूरा किया जाता है।

Alignment: डाटा में पैराग्राफ को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया।

Alphanumeric: (A-Z) तक के अक्षरों और (0-9) अंकों के समूह को Alphanumeric कहते हैं।

Analog: भौतिक राशि की वह मात्रा जो लगातार तरंगीय रूप में परिवर्तित होती है।

Analog Computer: जिस कम्प्यूटर में डाटा भौतिकीय रूप से प्रयुक्त किया जाता है।

Antivirus: कम्प्यूटर का दोषपूर्ण प्रोग्राम अथवा 1द्बह्म्ह्वह्य से होने वाली क्षति को बचाने वाला प्रोग्राम।

Application Software: किसी विशेष कार्य के लिए बनाए गए एक या एक से अधिक प्रोग्रामों का समूह।

Artificial Intelligence: मानव की तरह सोचने, समझने और तर्क करने की क्षमता के विकास को कम्प्यूटर में Artificial Intelligence कहते हैं।

ASCII (American Standard Code For Information Interchange): वह कोड जिसके द्वारा अक्षरों तथा संख्याओं को 8 बिट के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

Assembler: वह प्रोग्राम जो असेम्बली भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है।

Assembly Language: एक प्रकार की कम्प्यूटर भाषा जिसमें अक्षरों और अंकों को छोटे-छोटे कोड में लिखा जाता है।

Asynchronous: डाटा भेजने की एक पद्घति, जिसमें डाटा को नियमित अन्तराल में अपनी सुविधानुसार भेजा जा सकता है।

Authentication: वह पद्घति, जिसके द्वारा कम्प्यूटर के वैद्यता की पहचान की जाती है।

Auto Cad: एक सॉफ्टवेयर जो रेखा चित्र और ग्राफ स्वत: तैयार करता है।

Audio-Visual: ऐसी सूचना और निर्देश, जिन्हें हम देख सुन सकते हैं पर प्रिंट नहीं निकाल सकते।

Automation: किसी डाटा या सूचना का स्वत: ही प्रोसेस होना।


( B )



BASIC: यह एक उच्चस्तरीय, अत्यन्त उपयोगी व सरल भाषा है, जिसका प्रयोग सभी कम्प्यूटरों में होता है।

Binary: गणना करने के लिए प्रयोग की जाने वाली संख्या प्रणाली।

Bit: बाइनरी अंक (0-1) को संयुक्त रूप से बिट कहा जाता है, यह कम्प्यूटर की सबसे छोटी इकाई है।

Bite: 8 बिटों को सम्मिलित रूप से बाइट कहा जाता है। एक किलोबाइट में 1024 बाइट होती हैं।

Biochop: जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित व सिलिकॉन से बनी इस चिप से ही कम्प्यूटर का विकास हो पाया है।

Backbone: कम्प्यूटर नेटवर्क में अन्य कम्प्यूटरों को आपस में जोडऩे वाली मुख्य लाइन।

Background Processing: निम्न प्राथमिकता वाले प्रोग्राम को उच्च प्राथमिकता वाले प्रोग्राम में बदलने की क्रिया।

Back Up: सामान्यत: Back Up कोई भी प्रोग्राम हो सकता है, जिसके द्वारा कम्प्यूटर को खराब होने से बचाया जा सकता है।

Bad Sector: स्टोरेज डिवाइस में वह स्थान जहां पर डाटा लिखा या पढ़ा नहीं जा सकता।

Band Width: डाटा संचरण में प्रयोग की जाने वाली आवृत्ति की उच्चतम और निम्नतम सीमा का अन्तर Band Width कहलाता है।

Base: संख्या पद्वति में अंकों को व्यक्त करने वाले चिन्हों को कहा जाता है।

Batch File: Dos ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम की वह फाइल जो स्वंय संपादित होती है।

Band: वह इकाई जो डाटा संचारण की गति को मापता है।

1 Band= 1 Bite/sec

Blinking: किसी बिंदु पर कर्सर की स्थिति को Blinking कहते हैं।

Biometric Device: वह डिवाइस जो दो व्यक्तियों के भौतिक गुणों में अंतर कर सकने में सक्षम हो।

Bernoulli Disk: वह चुम्बकीय डिस्क जो रीड व राइट दोनों में ही सक्षम है, डाटा भण्डारण के लिए प्रयोग की जाती है।

Broad Band: कम्प्यूटर नेटवर्क जिसके संचरण की गति 1 मिलियन बिट्स प्रति सेकेण्ड या इससे अधिक होती है।

Browse: जब इंटरनेट पर किसी वेबसाइट को खोजा जाता है तो उस प्रक्रिया को क्चह्म्श2ह्यद्ग कहते हैं।

Browser: वह साफ्टवेयर जिसके माध्यम से हम इंटरनेट पर अपनी पसंद की वेबसाइट को खोज कर सूचना प्राप्त करते हैं।

Bridge Ware: यह सॉफ्टवेयर हैं जिसके द्वारा कम्प्यूटरों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया जाता है।

Bubble Memory: जिसमें डाटा को स्टोर करने के लिए चुम्बकीय माध्यमों का प्रयोग किया जाता है।

Buffer: एक प्रकार की डाटा स्टोरेज डिवाइस है, जो कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार के उपकरणों के बीच डाटा- स्थानन्तरण की गति को एक समान बनाता है।

Burning: वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा क्रह्ररू में डाटा लिखा जाता है।

Bus: एक प्रकार का मार्ग है जो डाटा या इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले कर जाता है।

Blue Tooth: एक लघु रेडियो ट्रांसमीटर होता है जिसके द्वारा सूचनाओं का आदान- प्रदान किया जाता है।

Boot: ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाने वाला सबसे प्रारम्भिक कार्य क्चशशह्ल कहलाता है।

Bug: यह एक प्रकार का श्वह्म्ह्म्शह्म् होता है, जो कम्प्यूटर में उपस्थित प्रोग्रामों में पाया जाता है। क्चह्वद्द को हटाने की प्रक्रिया को ष्ठद्गड्ढह्वद्द कहा जाता है।

(C)



Chip : Chip सामान्यत: सिलिकॉन अथवा अन्य अद्र्घचालकों से बना छोटा टुकड़ा होता है, जिस पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बने होते हैं।

Computer Program : किसी कार्य को विधिवत तरीके से पूर्ण करने के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम बनाये जाते हैं, जिन्हें Computer Program कहा जाता हैं। सामान्यत:

Computer Program विभिन्न प्रकार की सूचनाओं का समूह होता है।

Cyber Space : Cyber Space द्वारा कम्प्यूटर नेटवर्क में उपस्थित सूचनाओं का आदान-प्रदान पूरे विश्व में किया जाता है।

CD-R/W :इसे विस्तृत रूप से Compact Disk - Read/Write कहा जाता है। यह एक Storage Device है। जिसमें डाटा को बार-बार लिखा तथा पढ़ा जा सकता है।

CD-R : इसे विस्तृत रूप से Compact Disk - Recordable कहा जाता है। इस Storage Device में डाटा केवल पढ़ा जा सकता हैं। लेकिन Store डाटा में कोई भी परिवर्तन नहीं

किया जा सकता है।

CD ROM Juke Box : इसे विस्तृत रूप से Compact Disk Read Only Memory Juke Box कहते है। इस Storage Device में अनेक प्रकार की सीडियां, ड्राइव्स, डिस्कस

आदि सम्मिलित होती है।

Cell : Row और Column से निर्मित भाग को Cell कहा जाता है।

CPU : इसका विस्तृत रूप Central Processing Unit Processing हैं। यह कम्प्यूटर में होने वाली सभी क्रियाओं की प्रोसेसिंग करता है। यह कम्प्यूटर का दिमाग कहलाता है।

Character Printer : इसकी विशेषता यह है कि यह एक बार में केवल एक ही कैरेक्टर (जैसे-अंक, अक्षर अथवा कोई भी चिन्ह) प्रिन्ट करता हैं।

Chat : इंटरनेट के द्वारा दूर स्थिर अपने मित्र या सगे-सम्बंधियों से वार्तालाप करना, Chat कहलाता हैं।

Channel Map : वह प्रोग्राम, जो अक्षरों, अंकों के समूह को दर्शाता है, Channel Map कहलाता है।

Check Box : वह प्रोग्राम, जिसके द्वारा किसी कार्य को सक्रिय या निष्क्रिय किया जाता हैं। ये प्रोग्राम विण्डोज के GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस) में प्रयुक्त किये जाते हैं।

Cladding : Cladding एक अवरोधक सतह होती है। जोकि प्रकाशीय तन्तु के ऊपर लगायी जाती है।

Click : माउस के बटन को दबाना ''क्लिक" करना कहलाता हैं।

Client Computer : वह कम्प्यूटर, जो नेटवर्क में सर्वर को सेवा प्रदान करता हैं, Client Computer कहलाता है।

Clip Art : कम्प्यूटर में उपस्थित रेखा चित्र का समूह Clip Art : कहलाता है।

Component : यूटलिटी सॉफ्टवेयर के अन्र्तगत प्रयुक्त होने वाले पुर्जे Component कहलाते हैं।

Compile : उच्च स्तरीय तथा निम्न स्तरीय भाषाओं को मशीनी भाषा में बदलना Compile करना कहलाता है।

Compiler : Compiler उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में बदलने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

Compatible : विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटरों को एक-साथ जोड़कर उनमें सामंजस्य बैठाना।

Communication Protocol : कार्य को सरल तथा सुविधाजनक बनाने के लिए कई प्रकार के नियम बनाये जाते हैं, जिन्हें कम्प्यूटर भाषा में Communication Protocol

कहते हैं।

Common Carriers : एक संस्था, जो डाटा संचरण की सुविधा प्रदान करती है।

Command : कम्प्यूटर में किसी कार्य को पूरा करने के लिए जब कोई निर्देश दिया जाता है, तो उसे Command देना कहते हैं।

Cold Fault : कम्प्यूटर पर काम करते-करते अचानक दोष उत्पन्न हो जाना, परन्तु कम्प्यूटर को दोबारा ऑन करने पर दोष का दूर हो जाना Cold Fault कहलाता हैं।

Cold Boot : दिए गए नियमों द्वारा कार्य सम्पन्न करने की विधि Cold Boot कहलाती है।

Coding : प्रोग्रामिंग भाषा में अनुदेशों को लिखने की क्रिया Coding कहलाती है।

Co-axial Cable : एक विशेष तार, जिसे डाटा संचरण के लिए प्रयुक्त किया जाता है। Co-axial Cable में एक केन्द्रीय तार तथा उसके चारों ओर तारों की जाली होती है।

Clock : मदरबोर्ड पर स्थित डिजिटल संकेतों को उत्पन्न करने वाली घड़ी।

Clip Board : Clip Board कम्प्यूटर की मेमोरी में आरक्षित वह स्थान होता हैं, जहां किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए निर्देश दिए होते हैं।

Composite Video : इसके द्वारा रंगीन आउटपुट प्राप्त होता है।

Computer : गणना करने वाला एक यन्त्र, जो ह्यद्गह्म् द्वारा प्राप्त निर्देशों की प्रोसेसिंग करके उसका उपयुक्त परिणाम आउटपुट डिवाइस के द्वारा प्रदर्शित करता है।

Computer Aided Desin (CAD) : वह सॉफ्टवेयर, जिसका प्रयोग डिजाइन बनाने अथवा डिजाइनिंग करने के लिए किया जाता है।

Computer Aided Manufacturing (CAM) : वह सॉफ्टवेयर, जिसका प्रयोग प्रबन्धक, नियन्त्रक आदि के कार्यों के लिए किया जाता है।

Computer Jargon : Computer Jargon के द्वारा हम किसी भी क्षेत्र तथा भाषा में प्रयुक्त शब्दों की शब्दावली प्राप्त कर सकते हैं।

Computer Literacy : कम्प्यूटर में होने वाले कार्य तथा उन्हें करने का ज्ञान होना Computer Literacy कहलाता है।

Computer Network : दो या दो से अधिक कम्प्यूटरों को एक साथ जोड़कर बनाये जाने वाले यन्त्र को Computer Network कहते हैं।

Computer System : उपकरणों का समूह (जैसे - मॉनीटर, माउस, की-बोर्ड आदि) Computer System कहलाता है।

Console : Console एक प्रकार का टर्मिनल हैं, जो मुख्य कम्प्यूटर से जुड़ा होता है तथा कम्प्यूटर में होने वाले कार्यों पर नियन्त्रण रखता है।

Control Panel : Control Panel एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसके ऊपर बहुत-से बटन लगे होते हैं। इसके द्वारा कार्य का दिशा- निर्देशन होता है।

Cylinder : Cylinder दो या दो से अधिक ट्रैकों का समूह होता है।

Cut : मॉनीटर पर उपस्थित डाटा को डिलीट करने के लिए प्रयुक्त कमाण्ड।

Cursor Control Key : यह की-बोर्ड में Cursor को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त Key है। माउस खराब हो जाने पर इस Key का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है।

Cryptography : किसी डाटा तथा निर्देशों को Password के द्वारा संरक्षित कर देने तथा आवश्यकता पडऩे पर पुन: Save किये गये डाटा तथा निर्देश को प्राप्त करने की प्रक्रिया को

Cryptographyकहा जाता है।

Corel Draw : डिजाइन तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले सॉफ्टवेयर को Corel Draw कहा जाता हैं। इसका प्रयोग मुख्यत: DTP (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) के लिये किया

जाता है।

CD-ROM : यह भण्डारण युक्ति है, जो कि प्लास्टिक की बनी होती है तथा इसमें डाटा लेजर बीम की सहायता से स्टोर किया जाता है। इसकी भण्डारण क्षमता 700 MB (80 मिनट)

होती है।

Cursor : टेक्स्ट लिखते समय कम्प्यूटर स्क्रीन पर “Blink” करने वाली खड़ी रेखा को Cursor कहते है।



(D)



Data: निर्देश तथा सूचनायें, जिन्हें कम्प्यूटर में स्टोर या अन्य कार्यों को करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

Database : बहुत-सी सूचनाओं का संग्रह Database कहलाता है। Database के द्वारा वांछित सूचना को कम्प्यूटर की स्क्रीन पर प्राप्त किया जा सकता है।

Data Base Management System (DBMS): DBMS बहुत से प्रोग्रामों का समूह होता है। जिसके द्वारा डाटा को व्यवस्थित करने, सूचना देने अथवा उसमें परिवर्तन करने

आदि कार्य सरलतापूर्वक किये जाते हैं।

Data Entry : डाटा तथा निर्देशों को कम्प्यूटर में संगृहित करना Data Entry कहलाता है।

Data Processing : डाटा तथा निर्देशों को आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाकर आउटपुट प्राप्त करना अथवा डाटा को व्यवस्थित करना Data Processing कहलाता है।

Data Redundancy : एक फाइल, एक या एक से अधिक बार अलग-अलग नामों से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में Save करना Data Redundancy कहलाता है।

Data Transfer Rate : यूजर द्वारा दिए गए डाटा तथा निर्देशों को सहायक मेमोरी से मुख्य मेमोरी अथवा एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में पहुंचाने की दर को Data Transfer

Rate (डाटा स्थानान्तरण दर) कहते हैं।

Daughter Board : Main Board के साथ जुडऩे वाला सहायक Board Daughter Board कहलाता है। Daughter Board एक सर्किट बोर्ड होता है।

Debugging : दिए गए डाटा तथा प्रोग्राम में गलतियों को ढूंढऩे तथा उन्हें सुधारने की क्रिया Debugging कहलाती है।

Debugger : Debugging को प्रयोग करने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले सॉफ्टवेयर Debugger कहलाते हैं।

Decision Box : Decision Box का फ्लोचार्ट बनाने में किया जाता है। इसके अन्तर्गत दो Condition होती हैं - 1 हां, 2 व ना, जिनमें से एक Condition को चुनना होता है।

यह फ्लोचार्ट के मध्य में प्रयोग किया जाता है।

Decision Logic : किसी डाटा या प्रोग्राम में दो या अधिक विकल्पों को चुनना Decision Logic कहलाता है।

Decoder : यह Device कम्प्यूटर को दिये डाटा को पढ़कर उनकी प्रोसेसिंग के लिए स्वत: ही निर्देश देती है।

Dedicated Line : यह प्राइवेट टेलीफोन लाइन होती है, जो ध्वनि/डाटा के स्थानान्तरण के लिए प्रयोग की जाती है।

Delete : किसी सॉफ्टवेयर में उपस्थित डाटा में से अवांछित डाटा को हटाना।

Demodulation : इसके द्वारा मॉडुलेट किए गए डाटा माध्यम से अलग किये जाते हैं, जिससे उस डाटा का पुन: प्रयोग किया जा सके। Demodulation के द्वारा एनालॉग क्रिया को

डिजिटल में परिवर्तित किया जा सकता है।

Desk Top : कम्प्यूटर को ऑन करने के तुरन्त बाद कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखायी देने वाला आउटपुट Desk top कहलाता है।

Desk Top Publishing (DTP) : यह एक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर है। जिसका प्रयोग आमतौर पर प्रकाशन कार्यों में किया जाता है।

Dialogue Box : इसका प्रयोग कम्प्यूटर तथा यूजर के मध्य संवाद करने के लिए किया जाता है। Dialogue Box विण्डोज सॉफ्टवेयर में प्रयोग किया जाता है।

Dial Up Line : वह लाइन, जिसके द्वारा संचार व्यवस्था स्थापित की जाती है, Dial Up Line कहलाती है।

Digit : कोई भी अंक, चिन्ह, जिसका प्रयोग संख्या पद्घति में किया जाता है।

Digital Computer : इन कम्प्यूटरों में इलेक्ट्रॉनिक संकेतों का प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में प्रयुक्त कम्प्यूटर Digital Computer ही है।

Digital Signal : इसके द्वारा निर्देशों तथा डाटा को बाइनरी संख्या पद्घति में परिवर्तित किया जाता है।

Digital Video Disk : यह एक भण्डारण युक्ति है। जिसमें सूचनाओं को पढऩे तथा लिखने के लिए लेजर किरणों का प्रयोग किया जाता है। जिस कारण इसे प्रकाशीय डिस्क भी कहते

हैं।

Digitiser : रेखीय डाटा को अंकीय रूप में परिवर्तित करने के लिए Digitiser का प्रयोग किया जाता है।

Disc : एक वृत्त के आकार का यंत्र, जिसका प्रयोग डाटा तथा निर्देशों को सूचनाओं के रूप में संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।

Disk Array : हार्ड डिस्क के बहुत से समूह, उनके नियंत्रक तथा ड्राइव को सम्मिलित रूप से Disk Array कहते हैं। सम्मिलित समूह के कारण इसकी संग्रह क्षमता अत्यधिक होती है। Disk Array को RAID (रेड) भी कहा जाता है।

Disk Drive : वह डिस्क, जिसके द्वारा संगृहित डाटा पढ़ा व लिखा जा सकता है, Disk Drive कहलाता है।

Diskette : फ्लॉपी डिस्क को ही Diskette कहा जाता है। यह एक पतली, लोचदार चुम्बकीय डिस्क है। जिसे डाटा भण्डारण के लिए प्रयोग किया जाता है।

Disk Operating System (DOS): वह ऑपरेटिंग सिस्टम जिसके द्वारा कम्प्यूटर को Boot किया जाता है तथा कम्प्यूटर का नियन्त्रण किया जाता है, Disk Operating

System कहलाता है।

Disk Pack : दो या अधिक चुम्बकीय डिस्क का समूह, जिसेशॉफ्ट (Shaft) पर लगाकर, भण्डारण युक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है।

Display Unit : यह एक आउटपुट डिवाइस है। जिसे मॉनीटर भी कहा जाता है। यह अपनी स्क्रीन पर डाटा और परिणामों को प्रदर्शित करता है।

Domain Name : वह विशिष्ट नाम, जो सामान्य नियमों तथा प्रक्रियाओं द्वारा इंटरनेट पर किसी वेबसाइट का नाम बताता है।

Dots Per Inch (DPI) : Dot Printers में DPI का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जाता है। ये प्रति एक इंच में उपस्थित बिन्दुओं की संख्या है, जो ऊध्र्वाधर तथा क्षैतिज रूप में

होती है।

Dot Pitch : कम्प्यूटर की स्क्रीन पर एक मिलीमीटर के क्षेत्र में उपस्थित कुल बिन्दुओं की संख्या को Dot Pitch कहते है।

Downloading : कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रयोग से डाटा तथा फाइल को दूरस्थ कम्प्यूटर से स्थानीय कम्प्यूटर में लाने की क्रिया Downloading कहलाती है।

Drag : माउस द्वारा डाटा के किसी भाग को सेलेक्ट करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित करने की क्रिया Drag कहलाती है।

Dumb terminal : वह टर्मिनल, जिसकी स्वत: प्रोसेसिंग नहीं होती, बल्कि सहायक Terminals के द्वारा इसकी प्रोसेसिंग की जाती है।


इंटरनेट व उसके प्रयोग (internet and its uses)

इंटरनेट व उसके प्रयोग


परिचय (Introduction)

इंटरनेट से तात्पर्य एक ऐसे नेटवर्क से है जो दुनिया भर के लाखों करोड़ों कम्प्यूटरों से जुड़ा है। कहने का मतलब यह है कि किसी नेटवर्क का कोई सिस्टम किसी अन्य नेटवर्क के सिस्टम से जुड़ कर कम्यूनिकेट कर सकता है। अर्थात सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए जिस नियम का प्रयोग किया जाता है उसे ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) कहा जाता है।

इंटरनेट की सेवाएं

इसकी सेवाओं में कुछ का जिक्र यहां किया जा रहा है-

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ टी पी)- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का उपयोग एक कम्प्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कम्प्यूटर नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक मेल ई-मेल- इसको संक्षिप्त रूप से ई-मेल कहा जाता है। इस माध्यम के द्वारा बड़ी से बड़ी सूचनाओं व संदेशों को इलेक्ट्रॅनिक प्रणाली द्वारा प्रकश की गति से भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा पत्र, ग्रीटिंग या सिस्टम प्रोग्राम को दुनिया के किसी भी हिस्से में भेज सकते हं।

गोफर- यह एक यूजर फ्रैंडली इंटरफेज है। जिसके जरिए यूजर, इंटरनेट पर प्रोग्राम व सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। गोफर के द्वारा इंटरनेट की कई सेवाएं आपस में जुड़ी होती है।

वल्र्ड वाइड वेब
(222)- इसके द्वारा यूजर अपने या अपनी संस्था आदि से सम्बंधित सूचनाएं दुनिया में कभी भी भेज सकता है, और अन्य यूजर उससे सम्बंधित जानकारियां भी प्राप्त कर सकता है।

टेलनेट- डाटा के हस्तांतरण के लिए टेलनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा यूजर को रिमोट कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। इसके बाद यूजर अपने डाटा का हस्तांतरण कर सकता है। टेलनेट पर कार्य करने के लिए यूजर नेम व पास वर्ड की जरूरत होती है।

यूजनेट- अनेक प्रकार की सूचनाओं को एकत्र करने के लिए इंटरनेट के नेटवर्क, यूजनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से कोई भी यूजर विभिन्न समूहों से अपने लिए जरूरी सूचनाएं एकत्र कर सकता है।

वेरोनिका- वेरोनिका प्रोटोकॉल गोफर के माध्यम से काम करता है। यूजर, गोफर व वेरोनिका का प्रयोग एक साथ करके किसी भी डाटा बेस पर आसानी से पहुंच सकता है। इनके प्रयोग से जरूरी सूचनाएं तेजी से प्राप्त की जा सकती हैं।

आर्ची- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफटीपी) में स्टोर फाइलों को खोजने के लिए आर्ची का प्रयोग किया जाता है।

इंटरनेट से संबधित शब्दावली

प्रोटोकॉल- यह एक ऐसी मानक औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कम्प्यूटर नेटवर्क में अंकीय संचार किया जाता है।

ब्राउजर- यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से यूजर सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए इंटरनेट में प्रवेश करता है।

वेब सर्वर- यह प्रोग्राम वेब ब्राउजर के द्वारा संसाधनों को प्राप्त करने के लिए यूजर द्वारा दिए गए अनुरोध को पूरा करता है।

नेटवर्क
- कई सिस्टमों को एक साथ जोड़कर बनाए गए संजाल को नेटवर्क क हते हैं। इसके द्वारा एक साथ कई जगहों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना संभव है।

आन-लाइन- जब यूजर इंटरनेट पर जान-करियों व सेवाओं का अध्ययन करता है। तब कहा जाता है कि यूजर ऑन लाइन है।

होम पेज- यह किसी भी साइट का शुरूआती प्रदर्शित पेज है। जिसमें सूचनाएं हाईपरलिंक द्वारा जोड़ी जाती है।

ऑफ लाइन- इसमें यूजर इंटरनेट में मौजूद सूचनाओं को अपने अपने सिस्टम में संग्रहित कर इंटरनेट संपर्क काट देता है।

हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैग्वेंज (एचटीएमएल)- इसका प्रयोग वेब पेज बनाने में किया जाता है। शुरूआत में इसका प्रयोग वेब पेज डिजाइन करने में किया जाता था।

हाइपर टेक्स्ट ट्रॉसंफर प्रोटोकॉल
- इसका प्रयोग एचटीएमएल में संगृहित दस्तावेजों व दूसरे वेब संसाधनों कों स्थानांतरित करने में किया जाता है।

टीसीपी/आईपी- इसका प्रयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान में किया जाता है।

यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर(यूआरएल)- इसका प्रयोग वेब पर किसी विशेष सूचना को संचालित करने में किया जाता है।

वेब पेज- होम पेज पर बने हाइपर लिंक पर क्लिक करने पर जो पेज हमारे सामने प्रस्तुत होता है, उसे वेब पेज कहते हैं।

वेबसाइट- वेब पेजों के समूहों को वेबसाइट कहते हैं। जिसमें आडियो, वीडियों, इमेजेस का समावेश होता है।

हाइपर लिंक- वेब पेज में मौजूद वे विशेष शब्द या चित्र जिस पर क्लिक करने पर उस शब्द या चित्र से सम्बंधित एक अलग वेब पेज पर आ जाती है। उसे वेब पेज को हाइपर लिंक कहते है।

डाउनलोड- इंटरनेट या किसी अन्य कंम्प्यूटर से प्राप्त सूचनाओं को अपने कम्प्यूटर में एकत्रित करना डाउनलोड कहलाता है।

अपलोड
- अपने कम्प्यूटर से किसी अन्य कम्प्यूटर में सूचनाएं भेजना अपलोड कहलाता है। जैसे ई-मेल भेजना।

सर्वर
- वह कम्प्यूटर जो इंटरनेट प्रयोग करने वाले सिस्टम को सूचनाएं प्रदान करने की क्षमताएं रखता है, सर्वर कहलाता है।

सर्फिंग
- इंटरनेट के नेटवर्कों में अहम सूनचाओं को खोजने का काम सर्फिंग कहलाता है।

इंटरनेट एड्रेस
- इंटरनेट में प्रयुक्त एड्रेस के मूलभूत हिस्से को डोमेन कहा जाता है। इंटरनेट से जुड़े हर कम्प्यूटर का एक अलग डोमेन होता है। जिसे डोमेन नेम सिस्टम कहते हैं। जिसे 3 भागों में बांटा जा सकता है।
1.जेनेरिक डोमेन
2.कंट्री डोमेन
3.इनवर्स डोमेन

पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार

पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता .

पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता.

तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा.”
और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया.

बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे .

लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .”

पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल सही था, – ” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?”

” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था , आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था , मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए .

Friends , कई बार life की problems भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !

Mar 24, 2013

एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!


एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!

एक दिन एक आदमी ने उस लडके से पुछा कि,
बेटा, तुझे अपनी नई माँ और अपनी मरी हुई माँ मेँ
क्या फर्क लगा..?
...
तो वह लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और
मरी हुई माँ झुठी थी..!!

यह सुनकर वह आदमी अचरज मेँ पड गया,
फिर बोला : क्यु बेटा तुझे ऐसा लगता है..?

जिसने तुझे अपनी कोख से जन्म दिया वह
झुठी और कल तक आई हुई माँ सच्ची क्यु
लगती है..?

तो लडका बोला : जब मैँ मस्ती करता था तब
मेरी माँ कहती थी कि "अगर तु इस
तरह करेगा तो तुझे खाना नही दुगीँ" फिर भी मैँ
बहुत मस्ती करता रहता था.

और मुझे पुरे गाँव मेँ से ढुढँ कर घर लाती और
अपने पास बिठाकर अपने
हाथो से खाना खिलाती थी..!!

और यह नई माँ कहती है कि "अगर तु
मस्ती करेगा तो तुझे खाना नही दुँगी और सच मेँ वह
मुझे आज तीन दिन से खाना नही दिया.

बचें Facebook से ? main reasons ...

इसे बनाने वाले दुनिया के youngest billionaire Mark Zukerberg ने भी कभी नहीं सोचा था की ये इतनी जल्दी इतनी popular हो जाएगी . In fact , अगर आप Fb पे नहीं हैं तो लोग आपको आश्चर्य से देखते हैं . ..” Fb पे नहीं है ………….जी कैसे रहा है …… :) !!!” and all that.

आज Fb पे 1 billion+ registered user हैं, यानि दुनिया का हर सातवाँ आदमी Fb पे है and in all probability आप भी उन्ही में से एक होंगे . और शौक से Fb use करते होंगे . पर जो सोचने की बात है वो ये कि क्या आप Fb use करते ; overuse करते हैं …या फिर कहीं आप इसके addict तो नहीं !

Let’s say use करने का मतलब है कि आप Fb पर daily 1 घंटे से कम समय देते हैं , और overuse करने का मतलब है 1 घंटे से ज्यादा . और हाँ , use करने से बस ये मतलब नहीं है कि आप physically system के सामने या अपने smart phone को हाथ में लेकर use करते हैं even अगर आप Fb के बारे में सोचते हैं तो वो भी time usage में count होगा after all वो उतने देर के लिए आपका mind space occupy कर रहा है .

और अगर आप सोच रहे हैं कि कहीं मैं addict तो नहीं हूँ तो इन traits को देखिये , अगर ये आपमें हैं तो आप addict हो सकते हैं :

* आप का दिमाग अकसर इसी बात में लगा रहता है कि आपकी पोस्ट की गयी चीजों पर क्या कमेंट आया होगा, कितने लोगों ने लाइक किया होगा.
* आप बिना मतलब बार-बार फेसबुक स्क्रीन रिफ्रेश करते हैं कि कुछ नया दिख जाए.
* अगर थोड़ी देर आपका internet नहीं चला तो आप updates चेक करने साइबर कैफे चले जाते हैं या दोस्त को फ़ोन करके पूछते हैं.
* आप टॉयलेट में भी मोबाइल या लैपटॉप लेकर जाते हैं कि Fb use कर सकें
* आप सोने जाने से पहले सभी को Good Night करते हैं और सुबह उठ कर सबसे पहले ये देखते हैं की आपकी गुड नाईट पर क्या reactions आये.

अब मैं आपको अपने usage के बारे में बताता हूँ , on an average मैं daily 10 minutes से भी कम Fb use करता हूँ including Fb के बारे में सोचने का time. हाँ, इसे आप under usage भी कह सकते हैं . :) In my opinion ideally Fb आधे घंटे से अधिक नहीं use करना चाहिए पर फिर भी मैंने over usage को 1 घंटे से ऊपर रखा है .

और अब आपकी बात करते हैं , आप कितनी देर Fb use करते हैं ?

Well, अगर ये daily 1/2 घंटे से अधिक है तो आप अपना time waste कर रहे हैं , unless until आप purposefully ऐसा कर रहे हैं . Purposefully means आप अपना बिज़नस प्रमोट कर रहे हैं, किसी social cause के लिए campaign चला रहे हैं या कोई और meaningful काम कर रहे हैं , इन cases में अपना टाइम देना worth है .

किस तरह के लोग Fb ज़रुरत से अधिक use करते हैं :

In my opinion :

• जिनके पास कोई meaningful goal नहीं है …… the wanderers

• जो लोगोंका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं करना चाहते हैं ….the attention seekers.

• जो अपनी life से अधिक दूसरों की life में interest रखते हैं …..the peepers

क्या नुकसान कर सकता है Facebook का over usage ?

इसकी लिस्ट तो बहुत लम्बी है लेकिन आज मैं आपके साथ 7 ऐसे points share कर रहा हूँ , तो आइये देखते हैं इन्हें :

1) आप unknowingly अपनी happiness का control दूसरों को दे देते हैं ?


कैसे ? दरअसल अब आपकी happiness इस बात पर depend करने लगती है कि Fb पे आपकी बातों , आपकी pics को कितने लोग like कर रहे हैं , कितने लोग उसपर comments कर रहे हैं …कैसे comments कर रहे हैं …etc. For instance आपने एक नई watch ली और उसकी photo post की …obviously आपको watch बहुत पसंद थी इसलिए आपने ली …पर जब Fb पे उसे अधिक लोग like नहीं करते और कोई उसका मज़ाक बना देता है तो आप दुखी हो जाते हैं . और उसका उल्टा भी सही है …आप को कोई चीज पसंद नहीं है पर बाकी लोग उसको अच्छा कह देते हैं तो आप खुश हो जाते हैं …so in a way आप अपनी happiness का control अपने Fb friends को दे देते हैं . मैं ये नहीं कहता कि ये सभी के साथ होता है पर इतना ज़रूर है कि हम कहीं न कहीं इन चीजों से affect होते हैं .

And over a long period of time ये छोटे छोटे इफेक्ट्स बड़े होते जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि हम अपना real self कहाँ छोड़ आये.

2) आपको दूसरों की blessings और अपनी shortcomings दिखाई देने लगती है ?

Fb पर लोग generally अपनी life की अच्छी अच्छी बातें ही share करते हैं …लोग अपने साथ हो रही अच्छी चीजें बताते हैं , उनके status कुछ ऐसे होते हैं “ My new machine” , “ Lost in London”..etc

In reality आप भी ऐसा ही करते हैं , पर अन्दर ही अन्दर आप अपनी असलीयत भी जानते हैं , पर दूसरों के case में आप वही देखते हैं जो वो आपको दिखाते हैं , आपको उनकी नई car नज़र आती है पर उसके साथ आने वाला EMI नहीं , आपको friend का swanky office तो दीखता है पर उसके साथ मिलने वाली tension नहीं . और ऐसा होने पर आप उनकी खुशियों को अपने ग़मों से compare करने लगते हैं और ultimately low feel करने लगते हैं .

Fb की वजह से depression में जाने वालों की संख्या दिन ब दिन बढती जा रही है , just beware कि आप भी इसके शिकार न हो जाएं .

3) Real Friends और relationships suffer करते हैं :

कई बार लोग बहुत proudly बताते हैं , “ Fb पे मेरे 500 friends हैं …” I am sure उनमे से आधे अगर सामने से गुजर जाएं तो वो उन्हें पहचान भी नहीं पायंगे . हकीकत में Fb पे हमारे friends कम और acquaintances ज्यादा होते हैं . खैर ये कोई खराब बात नहीं है …लेकिन अगर हम इन more or less fake relations को ज़रुरत से अधिक time देते हैं तो कहीं न कहीं हमें अपनी family और friends को जो time देना चाहिए उससे compromise करते हैं . I know हमारे close friends और relations भी Fb पे होते हैं , but frankly speaking Fb पर वो भी हमारे लिए आम लोगों की तरह हो जाते हैं , क्योंकि Fb तो एक भीड़ की तरह है …और भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता ….जो सामने पड़ा …like किया , comment दिया और आगे बढ़ गए ….individuals को attention देना ये Fb की आत्मा में ही नहीं है .

4) आप mainly addicts से communicate करने लगते हैं :

शायद आपने Pareto principle के बारे में सुना होगा …इस principle का कहना है कि 80% चीजों के लिए 20% चीजें जिम्मेदार होती हैं .

For eg. किसी company की 80 % sales 20% customers की वजह से होती है .

ऐसा ही कुछ Fb पे भी होता है …80% updates 20% लोगों द्वारा ही की जाती है …और आप बार बार उन्ही से linkup होते रहते हैं …and basically ये वही Addict kind of लोग होते हैं जो बस Fb से चिपके ही रहते हैं . और ऐसे लोगों से interact करना शायद ही कभी आपको काम की चीजें बता पाएं . ये mostly waste of time ही होता हैं .

5) आपको Socially active होने का भ्रम हो जाता है और reality इसके उलट होती है :

Facebook पे होने से कई लोग खुद को socially active समझने लगते हैं , और friends को hi -bye कर के अपना role पूरा समझ लेते हैं . धीरे -धीरे ये बिलकुल mechanical हो जाता है …आप Fb पे तो hi करते हैं लेकिन जब उसी दोस्त से college या office में मिलते हैं तो react भी नहीं करते …it is like आपकी online presence मायने रखती हो पर आपका खुद का मौजूद होना बेमानी हो .

और जब आप ऐसे behave करते हैं तो लोग आपको avoid करने लगते हैं और कहीं न कहीं आपको fake समझने लगते हैं . यानि आपको तो लगता है कि आप सबसे touch में हैं पर इसके उलट आप अपना touch खोते जाते हैं .

6) आपकी health पर बुरा असर पड़ता है :

Fb पर लगे रहने से आपको फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की प्रॉब्लम हो सकती हैं. आपकी आँखें कमजोर पड़ सकती हैं, गलत posture में बैठने से आपको स्पॉन्डिलाइटिस हो सकता है . और डिप्रेशन में जाने का खतरा तो हमेशा ही बना रहता है.

7) आप अपनी life के सबसे energetic days lazy entertainment में लगा देते हैं :

Fb use करने वालों की demography देखी जाए तो इसे सबसे अधिक teens और twenties के young लोग use करते हैं . अगर आप इस age group से बाहर हैं तो ये point आपके लिए applicable नहीं है.

Teenage और twenties life का वो time होता है जब आपके अन्दर energy की कोई कमी नहीं होती …कभी सोचा है कि इस वक्त भगवान् आपको सबसे अधिक energy क्यों देते है ….क्योंकि ये हमारे life making years होते हैं ….इस समय आपके सामने करने को बहुत कुछ होता है …..पढाई का बोझ या घर की जिम्मेदारी उठाने का challenge…अपना career chose करने और competition beat करने की कशमकश …अपने दिल कि सुनकर कुछ कर गुजरने की चाहत …parents के सामने हाथ फैलाने की जगह उनका हाथ थामने कि जिद्द …और ये सब करने के लिए उर्जा चाहिए …energy चाहिए ; but unfortunately Fb का over usage करने वाले उसे गलत जगह invest करते हैं . जहाँ उनके पास करने को इतने ज़रूरी काम हैं वो एक कोने में बैठ कर , and in ,most of the cases लेट कर …अपनी life के ये energetic days एकदम unproductive चीज में लगा देते हैं .

Friends अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि Fb एक शोर -शाराबे से भरे mall की तरह है …यहाँ थोडा वक़्त बीतायेंगे तो अच्छा लगेगा लेकिन अगर वहीँ घर बना कर रहने लगेंगे तो आपकी ज़िन्दगी औरों की आवाज़ के शोर में बहरी हो जाएगी . उसे बहरा मत होने दीजिये ….अपना time अपनी energy कुछ बड़ा , कुछ valuable , कुछ शानदार करने में लगाइए और जब आप ऐसा करेंगे तो आपके इस काम को सिर्फ आपके friends ही नही बल्कि पूरी दुनिया Like करेगी , और ऊपर वाला comment देगा , “gr8 job my son”

Mar 23, 2013

रिक्शेवाले का बेटा बना IAS officer ...

अगर career के point of view से देखा जाए तो India में थ्री आइज़ (3 Is) का कोई मुकाबला नही:

IIT,IIM, और IAS. लेकिन इन तीनो में IAS का रुतबा सबसे अधिक है . हर साल लाखों परीक्षार्थी IAS officer बनने की चाह में Civil Services के exam में बैठते हैं पर इनमे से 0.025 percent से भी कम लोग IAS officer बन पाते हैं . आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि IAS beat करना कितना मुश्किल काम है , और ऐसे में जो कोई भी इस exam को clear करता है उसके लिए अपने आप ही मन में एक अलग image बन जाती है . और जब ऐसा करने वाला किसी बहुत ही साधारण background से हो तो उसके लिए मन में और भी respect आना स्वाभाविक है .

आज GUPTA JI KI DAYARI पर मैं आपके साथ ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी share कर रहा हूँ जो हज़ारो दिक्कतों के बावजूद अपने दृढ निश्चय और मेहनत के बल पर IAS officer बना .

ये कहानी है Govind Jaiswal की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था . ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी , अगल-बगल मौजूद फक्ट्रियों और जनरेटरों के शोर में एक दूसरे से बात करना भी मुश्किल था .

नहाने -धोने से लेकर खाने -पीने तक का सारा काम इसी छोटी सी जगह में Govind , उनके माता -पिता और दो बहने करती थीं . पर ऐसी परिस्थिति में भी गोविन्द ने शुरू से पढाई पर पूरा ध्यान दिया .

अपनी पढाई और किताबों का खर्चा निकालने के लिए वो class 8 से ही tuition पढ़ाने लगे . बचपन से एक असैक्षिक माहौल में रहने वाले गोविन्द को पढाई लिखाई करने पर लोगों के ताने सुनने पड़ते थे . “ चाहे तुम जितना पढ़ लो चलाना तो रिक्शा ही है ” पर गोविन्द इन सब के बावजूद पढाई में जुटे रहते . उनका कहना है . “ मुझे divert करना असंभव था .अगर कोई मुझे demoralize करता तो मैं अपनी struggling family के बारे में सोचने लगता .”

आस - पास के शोर से बचने के लिए वो अपने कानो में रुई लगा लेते , और ऐसे वक़्त जब disturbance ज्यादा होती तब Maths लगाते , और जब कुछ शांती होती तो अन्य subjects पढ़ते .रात में पढाई के लिए अक्सर उन्हें मोमबत्ती, ढेबरी , इत्यादि का सहारा लेना पड़ता क्योंकि उनके इलाके में १२-१४ घंटे बिजली कटौती रहती.

चूँकि वो शुरू से school topper रहे थे और Science subjects में काफी तेज थे इसलिए Class 12 के बाद कई लोगों ने उन्हें Engineering करने की सलाह दी ,. उनके मन में भी एक बार यह विचार आया , लेकिन जब पता चला की Application form की fees ही 500 रुपये है तो उन्होंने ये idea drop कर दिया , और BHU से अपनी graduation करने लगे , जहाँ सिर्फ 10 रूपये की औपचारिक fees थी .

Govind अपने IAS अफसर बनने के सपने को साकार करने के लिए पढ़ाई कर रहे थे और final preparation के लिए Delhi चले गए लेकिन उसी दौरान उनके पिता के पैरों में एक गहरा घाव हो गया और वो बेरोजगार हो गए . ऐसे में परिवार ने अपनी एक मात्र सम्पत्ती , एक छोटी सी जमीन को 30,000 रुपये में बेच दिया ताकि Govind अपनी coaching पूरी कर सके . और Govind ने भी उन्हें निराश नहीं किया , 24 साल की उम्र में अपने पहले ही attempt में (Year 2006) 474 सफल candidates में 48 वाँ स्थान लाकर उन्होंने अपनी और अपने परिवार की ज़िन्दगी हमेशा -हमेशा के लिए बदल दी .

Maths पर command होने के बावजूद उन्होंने mains के लिए Philosophy और History choose किया , और प्रारंभ से इनका अध्यन किया ,उनका कहना है कि , “ इस दुनिया में कोई भी subject कठिन नहीं है , बस आपके अनादर उसे crack करने की will-power होनी चाहिए .”

अंग्रेजी का अधिक ज्ञान ना होने पर उनका कहना था , “ भाषा कोई परेशानी नहीं है , बस आत्मव्श्वास की ज़रुरत है . मेरी हिंदी में पढने और व्यक्त करने की क्षमता ने मुझे achiever बनाया .अगर आप अपने विचार व्यक्त करने में confident हैं तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता .कोई भी भाषा inferior या superior नहीं होती . ये महज society द्वारा बनाया गया एक perception है .भाषा सीखना कोई बड़ी बात नहीं है - खुद पर भरोसा रखो . पहले मैं सिर्फ हिंदी जानता था ,IAS academy में मैंने English पर अपनी पकड़ मजबूत की . हमारी दुनिया horizontal है —ये तो लोगों का perception है जो इसे vertical बनता है , और वो किसी को inferior तो किसी को superior बना देते हैं .”

गोविन्द जी की यह सफलता दर्शाती है की कितने ही आभाव क्यों ना हो यदि दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई अपने लक्ष्य -प्राप्ति में जुट जाए तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है . आज उन्हें IAS officer बने 5 साल हो चुके हैं पर उनके संघर्ष की कहानी हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी

जिस काम में मन लगे वो करना चाहिए ...

ज्यादातर लोग लाइफ में जो आसानी से मिल जाता है उसे ही अपनी किस्मत मान लेते हैं और बस यूँही सस्ते में अपनी ज़िन्दगी बिता देते हैं ?

ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि दिल की सुनना आसान नहीं होता …इसमें कई challenges आते हैं , और आज मैं ऐसे ही कुछ challenges के बारे में आपसे अपनी thoughts share कर रहा हूँ . इन्हें share करने का मेरा motive ये है कि यदि आप उनमे से हैं जो अपने सपनो को पूरा करने में लगे हैं या future में लगने वाले हैं तो इन challenges से घबराएं नहीं …आप अकेले इनका सामना नहीं कर रहे हैं …आपकी gene का हर आदमी more or less in challenges को face करता है , कुछ इनके आगे निकल जाते हैं तो कुछ हार मान लेते हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!

तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :

1) Society का opposition:

यदि आपका passion लीक से हटकर हो तो आप को समाज के विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए . सबसे ज्यादा opposition तो आपकी family से ही हो सकता है …क्योंकि वही आपकी सबसे अधिक चिंता करते हैं . ख़ास तौर पर middle class families जहाँ job को ही सबसे safe माना जाता है वहां यदि आप कुछ entrepreneurial करने का सोचते हैं तो family आपके खिलाफ हो जाती है . उनका विरोध human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या कुछ नए को accept करने से डरते हैं ….पर जब आप अपने काम में लगे रहते हैं तो धीरे धीरे वही लोग आपकी मदद में सामने आ जाते हैं . इसलिए इस initial opposition को part of process समझें और इससे घबराये नहीं . जहाँ तक हो सके बस अपनी family को confidence में लेने का प्रयास करें , बाकियों का तो सोचे भी नहीं .

2) दोस्त आगे निकल जाते हैं :


सभी का अपना -अपना friend circle होता है , मौज – मस्ती होती है .. exam की tension होती है … हम बड़े होते हैं और फिर ज़िन्दगी की so called race में लग जाते हैं …..ज्यादातर लोग conventional wisdom अपनाते हुए , doctor ,engineer, सरकारी नौकरी …etc के चक्कर में लग जाते हैं और देर -सबेर इसमें कामयाब भी हो जाते हैं . अगर सचमुच आप दिल से यही करना चाहते थे तो इसमें कोई बुराई नहीं है ….दिल की सुनना हमेशा ….singer , cricketer या actor बनना ही नहीं होता ….ये Engineer, doctor बन कर देश की सेवा करना भी हो सकता है . और एक दूसरे case में भी यह करना सही है – जब आप clear नहीं होते की आप दरअसल life में करना क्या चाहते हैं, तो भी आप यही रास्ता चुन सकते हैं ..इसमें कम से कम आप financially secure रहेंगे , जो कि बेहद ज़रूरी है .

Challenge तब आता है जब आप अपने life goals को लेकर clear होते हैं , और अपने रास्ते पर निकल पड़ते हैं . और ऐसा life की किसी भी stage में हो सकता है , पहले हो जाता है तो ठीक है , पर अधिकतर ये clarity थोड़ी देर से आती है इसलिए जब आप इस दिशा में बढ़ते हैं तो आप पाते हैं कि अभी आपने शुरुआत भर की है और आपके बाकी दोस्त conventional path follow करते हुए एक well- settled life ( society की नज़र में ) की तरफ बढ़ चुके हैं . यहाँ आपको थोड़ी उलझन हो सकती है , आपके मन में doubt आ सकता है कि आप ही की उम्र के लोग इतने पैसे कमा रहे हैं और आप अभी struggle ही कर रहे हैं …..ऐसा लग सकता है कि आप कहीं गलती तो नहीं कर रहे हैं , और यहीं पर आपको डंटे रहना है .

अपने काम में believe करिए , इन distractions की life बहुत छोटी होती है , अगर आप सचमुच अपने काम को लेकर passionate हैं तो आप जल्द ही इनसे पार पा लेंगे . जब अमिताभ बच्चन को 27-28 साल की उम्र में पहली बार फिल्मो में ब्रेक मिला था तो उस वक़्त तक उनके भी बहुत सारे classmates अच्छी नौकरियों में settle हो चुके थे , ऐसे में उनके भी अन्दर सवाल उठे होंगे , पर उन्होंने उन distractions को खुद पर हावी नहीं होने दिया और इतने महान अभिनेता बने .

आप भी औरों के आगे निकलने से परेशान मत होइए , ….लम्बी race के घोड़े शुरू में धीमे-धीमे ही दौड़ते हैं .

3) सफलता के लिए लम्बा इंतज़ार :


कई बार लोग कामयाबी के बहुत करीब पहुच कर हार मान लेते हैं . आपको ध्यान देना होगा कि आप अपने काम को अंजाम तक पहुचाएं , किसी भी काम को करने में time तो लगता ही है और जब काम बड़ा हो तो समय भी बड़ा लगता है .

Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.

4) आपके दिल का काम financially rewarding ….नहीं भी हो सकता है :

May be आप जिस चीज को लेकर passionate हैं वो आपको satisfaction तो दे पर उतने पैसे ना दे . For example आप as a social activist काम करना चाहते हों , या किसी NGO के लिए अपना time देना चाहते हों . तो ऐसे में आपको पहले से अपना mind make-up कर के रखना होगा कि आप वो पा रहे हैं जो पैसे से नहीं पाया जा सकता और इसी सोच के साथ आपको अपने काम में लगे रहना होता है .

यहाँ मैं एक चीज ज़रूर कहना चाहूँगा कि ऐसी fields में भी जब आप fully involved हो कर काम करते हैं तो देर -सबेर आपको financially भी इसका reward मिलता है , आप निःस्वार्थ भाव से अपने काम में लगे रहिये आपका काम ही आपका reward है .

5) Boredom:

ऐसा भी होता है कि आप जिस चीज को करना बहुत अधिक पसंद करते हैं उसी को करने में बोरीयत होने लगे , ऐसे में आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि आपका passion ख़तम हो गया है बल्कि अपने काम को interesting बनाने के लिए नए तरीके और ideas खोजने चाहिए . कुछ दिन में खुद -बखुद boredom ख़तम हो जायेगा और आप फिर से उसी जोशो -जूनून के साथ अपने dream को pursue कर पायेंगे .

इतना ध्यान रखिये कि अपने दिल की सुनने वाला हर एक सफल व्यक्ति कभी ना कभी इस phase से गुजरता है इसलिए अगर आप भी इस phase से गुजरें तो just be relaxed….ये भी सफलता के मार्ग में आने वाले एक पड़ाव भर है .

6) Focus loose करना :


I think ये सबसे बड़ा challenge है जो ज्यादातर सपनो को पूरा नहीं होने देता . मेरी तरह आपने भी कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि , “ Well begun is half done….पहला step लेना ही सबसे कठिन है उसके बाद सब हो जाता है ….etc” पर मुझे लगता है कि पहला step लेना आसान है , आप कोई भी काम कुछ effort डाल कर शुरू कर सकते हैं …कठिन तो उसे पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.

होता क्या है कि आप पूरी energy के साथ अपने दिल के कहे रास्ते पर बढ़ते हैं , पर कुछ दूर जाने के बाद ही आपको कई नए alternatives दिखने लगते हैं ….आपके मन में आने लगता है कि शायद ये काम छोड़ कर वो करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा … फिर आप जो कर रहे होते हैं उसमे आपका focus कम होने लगता है …आप दूसरी idea की तरफ attract होने लगते हैं …और ऐसा करने से आप जो कर रहे होते हैं उसमे भी आप अपना 100% नहीं दे पाते हैं and ultimately success से दूर रह जाते हैं . इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने आगाज़ को अंजाम तक पहुंचाएं , बीच में अपना focus ना loose करें .

स्वामी विवेकानंद ने भी सफल होने के लिए यही मन्त्र दिया है , “

“ एक विचार लो . उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो , और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है.”

7) आपको ये पता चलना कि आप जो कर रहे हैं वो आपका passion नहीं है :


Shockingggg !!! लेकिन ये एक बहुत ही common scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं .

हर दिन हर पल हम बदल रहे हैं , हम तब तक अपनी true liking नहीं जान पाते जब तक हम उस काम को practically कर के नहीं देखते . हम कोई article पढ़ के , कोई program देख के, किसी दोस्त के influence में , या किसी और वजह से किसी काम को अपना passion समझ लेते हैं और उसे करना शुरू करते हैं पर कुछ दिनों बाद ही हम उस काम से उबने लगते हैं , to the extent that हम उसे करना ही नहीं चाहते . यह कुछ कुछ Boredom जैसा ही है पर ये boredom का बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप है जिसमे आप धीरे -धीरे उस काम को ना करने के excuses खोजने लगते हैं .

जब ऐसा हो तो क्या करें ? Simple, अपने नए passion की तालाश शुरू करें , और उसे भी practically apply करके देखें , और अगर इस बार भी आपको लगे कि ये आपके दिल की आवाज़ नहीं है तो फिर अपने असली जूनून को खोजने में जुट जाएं . ये जीवन भर बेमन का काम करने से अच्छा है कि देर से ही सही पर आप अपना passion खोज पाएं , और जब तक आपको यह नहीं मिलता तब तक खुद को financially support करने के लिए कुछ और भी करते रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर अपने passion की तालाश को रोकें नहीं …उसे खोज निकालें …एक दिन यही खोज आपको mediocre life से निकाल कर superior life की तरफ ले जायेगी.

Friends, तो ये थे वो सात challenges जो आमतौर पर आपको दिल की आवाज़ सुनने में face करने पड़ सकते हैं , पर ध्यान रहे कि ये कोई comprehensive list नहीं है , इसके आलावा भी कई और challenges हैं जो आपके सामने आ सकते हैं , जैसे कि पैसों की कमी , परिवार की जिम्मेदारी , etc. पर इन सब के बावजूद passionate लोग वो सब कुछ कर गुजरते हैं जो वो करना चाहते हैं ….आप भी इन challenges की वजह से अपने जोश को ठंढा मत पड़ने दीजिये और अपने dreams को reality बना कर दिखाइए , तभी जीने का असली मजा है .

STEVE JOBS (स्टीव जोब्स) का. APPLE Company के co-founder

जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली entrepreneurs का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम हो न हो ,एक नाम ज़रूर आता है. और वो नाम है STEVE JOBS (स्टीव जोब्स) का. APPLE Company के co-founder इस अमेरिकी को दुनिया सिर्फ एक successful entrepreneur , inventor और businessman के रूप में ही नहीं जानती है बल्कि उन्हें world के अग्रणी motivators और speakers में भी गिना जाता है. और आज आपके साथ good quality Hindi articles share करने की अपनी commitment को पूरा करते हुए हम AchhiKhabr.Com पर आपके साथ Steve Jobs की अब तक की one of the best speech “Stay Hungry Stay Foolish” Hindi में share कर रहे हैं. यह speech उन्होंने Stanford University के convocation ceremony (दीक्षांत समारोह) में 12 June 2005 को दी थी.

यह Post थोड़ी लंबी है. लगभग 2250 शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो WWW.NANDKISHOR6.BLOGSPOT.IN को Bookmark या Favourites में list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें.

तो चलिए पढते हैं – One of the best speech ever by Steve Jobs , translated in Hindi:
STEVE JOBS CONVOCATION SPEECH AT STANFORD
“Stay Hungry Stay Foolish”



“Thank You; आज world की सबसे बहेतरीन Universities में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं ; मैं कभी किसी college से pass नहीं हुआ; और आज पहली बार मैंकिसी college graduation ceremony के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानिया सुनाना चाहूँगा… ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानिया.

मेरी पहली कहानी , dots connect करने के बारे में है. Reed College में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने college क्यों छोड़ा? ….Actually, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.

मेरी biological mother* एक young , अविवाहित graduate student थी, और वह मुझे किसी और को adoption के लिए देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी की कोई college graduate ही मुझे adopt करे. सबकुछ बिलकुल set था और मैं एक वकील और उसकी wife के द्वारा adopt किया जाने वाला था कि अचानक उस couple ने अपना विचार बदल दिया और decide किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे parents, जो तब waiting list में थे,को call करके बोला गया कि , “हमारे पास एक baby-boy है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी. बाद में मेरी biological mother को पता चला कि मेरी माँ college pass नहीं हैं और पिता तो High School पास भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने Adoption Papers sign करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले parents के मुझे college भेजने के आश्वाशनके बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं college गया..पर गलती से मैंने Stanford जितना ही महंगा college चुन लिया. मेरे working-class parents की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी. 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी.मुझे कुछ idea नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और college मुझे किस तरह से इसमें help करेगा..और ऊपर से मैं अपनी parents की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज drop-out करने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा decision था.

जैसे ही मैंने college छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी classes करने की बाध्यता खत्म हो गयी . और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने interest की classes करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई room नहीं था , इसलिए मुझे दोस्तों के room में फर्श पे सोना पड़ता था.मैं coke की bottle को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था.,मैं हर Sunday 7 मील पैदल चल कर Hare Krishna Temple जाता था ,ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.

.मैंने अपनी life में जो भी अपनी curiosity और intuition की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए priceless साबित हुआ. Let me give an example. उस समय Reed College शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy* सिखाई जाती थी. पूरे campus में हर एक poster , हर एक label बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraph किया होता था .चूँकि मैं college से drop-out कर चुका था इसलिए मुझे normal classes करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की classes करूँगा और इसे अछ्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा.; अलग-अलग letter-combination के बीच में space vary करना और किसी अच्छी typography को क्या चीज अच्छा बनाती है , यह भी सीखा . यह खूबसूरत था, इतना artistic था कि इसे science द्वारा capture नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था. उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का use कभी अपनी life में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में design कर दिया. और Mac खूबसूरत typography युक्त दुनिया का पहला computer बन गया.अगर मैंने college से drop-out नहीं किया होता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते , और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी तो शायद ये किसी भी personal computer में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी drop-out ही नहीं किया होता तो मैं कभी calligraphy की वो classes नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं , वो होते ही नहीं.

Of course, जब मैं college में था तब भविष्य में देख कर इन dots को connect करना impossible था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी future में झांक कर dots connect नहीं कर सकते हैं. आप सिर्फ past देखकर ही dots connect कर सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके future से connect हो जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने guts में, अपनी destiny में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में believe करना की आगे चल कर dots connect होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.

मेरी दूसरी कहानी , love और loss के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से Apple शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की , मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire कर दिया गया.

Young Steve Jobs

आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं ? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया ,जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ company run करेगा , पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया,so at thirty , मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.

मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard* और Bob Noyce* से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची.पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ अब beginner होने के हल्केपन में बदल चूका था , मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपनी life की सबसे creative period में जा पाया.

अगले पांच सालों में मैंने एक company … NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady से हुई ,जो आगे चलकर मेरी wife बनी. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie , “ Toy Story” बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ की अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद patient को इसकी ज़रूरत थी.कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वाश मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.

आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत..उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है…वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.

मेरी तीसरी कहानी death के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा , जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक impression बना दी, और तबसे…पिछले 33 सालों से , मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है.आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई reason नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने.

करीब एक साल पहले पता चला की मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था की मेरे pancreas में tumor है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लग-भग यकीन के साथ बताया की मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है..और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor ने सलाह दी की मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि , “आप मरने की तैयरी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते , वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो.इसका ये मतलब होता है की आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.

मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था , पर मेरी wife , जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया की जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया की मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.

मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा , और उम्मीद करता हूँ की अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ की death एक useful but intellectual concept है.कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक की जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मजिल है जिसे हम सब share करते हैं.आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है . ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं… कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे. इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है.आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.

जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था.इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ … MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, और उसने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं., पूरा catalogue ..typewriters, scissors और Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले.वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.

Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”.. ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off किया…,“Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ , stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.”

The GREAT STEVE JOBS died on 5th Oct 2011 after a years-long battle with pancreatic cancer.Such great men are born once in century, and they have no where to go but to Heaven.
Life Changing Motivational Hindi Speech Viideo

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क्यों है न कमाल की speech!!!

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सफलता के लिए ज़रूरी है....

ऐसा क्यों होता है कि कई बार सब कुछ होते हुए भी हम वो नहीं कर पाते जिसको करने के बारे में हमने सोचा होता है ….दृढ निश्चय किया होता ……खुद को promise किया होता है कि हमें ये काम करना ही करना है …चाहे जो हो जाए ….!!!

“सब कुछ होते हुए” से मेरा मतलब है आपके पास पर्याप्त talent, पैसा , समय , या ऐसी कोई भी चीज जो उस काम को करने के लिए ज़रूरी है ; होने से है .

Focus करने का क्या अर्थ है ?

एक idea लो . उस idea को अपनी life बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस idea को जियो . अपने दिमाग , muscles, nerves, शरीर के हर हिस्से को उस आईडिया में डूब जाने दो , और बाकी सभी ideas को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है , यही वो तरीका है जिससे महान लोग निर्मित होते हैं .

Friends, उपरोक्त कथन Swami Vivekananda के हैं और मुझे लगता है कि Focus शब्द को शायद ही इससे अच्छे ढंग से समझा जा सकता है .

इस कथन में जहाँ स्वामी जी ने किसी एक आईडिया को अपनाना आवश्यक बताया है वहीँ दूसरी तरफ इस दौरान अन्य ideas को किनारे रखने के लिए भी कहा है. और सही मायने में यही है Focussed होना.

Focus करता क्या है ?

आपने बचपन में lens ज़रूर use किया होगा ….lens देखने में तो एक साधारण कांच का टुकड़ा लगता है …पर जब हम उसे कागज़ के किसी एक हिस्से पर focus करते हैं तो थोड़ी देर में वो कागज़ जलने लगता है …..

Focus चीजों को संभव बनाता है ….जब आप भी अपने goal पर focused रहते हैं तो मार्ग में आने वाली बाधाएं जल कर ख़ाक हो जाती हैं , आपका रास्ता साफ़ हो जाता है , और आप अपना goal achieve कर पाते हैं . Focus आपको सिर्फ यह नहीं बताता कि करना क्या है , यह भी बताता है कि क्या नहीं करना है .Focus आपको आपके goal से बांधता ही नहीं , आपको बेकार की चीजों में बंधने से बचाता भी है .

तो क्या focus करने का ये मतलब है कि हम और कोई काम करे ही नहीं ?


नहीं , आप और काम करते हुए भी अपना focus किसी एक चीज पर बनाये रख सकते हैं . For example: Mahendra Singh Dhoni Railways में TTE की job करते थे पर फिर भी उनका focus cricket था . आप रोज TV पर कितने ही singers और dancers को देखते हैं , वो भी और लोगों की तरह पढने जाते हैं या job करते हैं पर उनका focus तो singing या dancing होता है . इसी तरह मैंने आपके साथ World’s Youngest CEO , Suhas Gopinath की story share की थी , पढाई करते वक़्त भी उनका focus अपनी company establish करने का था ; और इसी एकाग्रता के दम पर उन्होंने छोटी सी उम्र में multi million dollar company खड़ी कर दी.

देखिये , जब तक आपके मन का काम आपको financially support नहीं करने लगता तब तक कुछ ना कुछ तो करते रहना होगा ….पर ध्यान देने की बात ये है कि आपको और चीजों को सिर्फ करना है …पर आपने अपने लिए जो Goal decide किया है उसे achieve करने के लिए आपको उसमे डूबना है , और यही आपकी success और failure के बीच का सबसे बड़ा differentiator होगा.

इतना याद रखिये कि अपने जीवन में एक normal focussed व्यक्ति एक talented unfocussed व्यक्ति से कहीं ज्यादा achieve कर सकता है . और सच पूछिए तो अगर हमने इस अनमोल जीवन को छोटी - मोटी चीजें करने में ही बिता दिया तो हमारे life की कोई value नहीं रहेगी …..हमारी अपनी नज़रों में भी ….इसलिए बड़े लक्ष्य बनाइये और उस पर focussed होकर उसे achieve करिए ….तभी जीने का असली मजा है .

Job Interview में पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर

Hello friends,

Job Interview की इस पोस्ट में मैं आपके साथ Interview में पूछे जाने वाले FAQs, यानि अक्सर पूछे जाने वाले questions के बारे में बात करूँगा .


आज मैं FAQs को answer करने में हमें किन बातों पर ध्यान देना चाहिए इस बारे में आपसे अपनी understanding share करूँगा . यहाँ मैं आपके साथ कुछ sample answers भी share करूँगा ताकि आपको उससे कुछ मदद मिल सके, ये understood है कि ये बस indicative answers होंगे और actual answer person to person differ करेगा. और हाँ, मैं इन sample answers को English में लिख रहा हूँ, क्योंकि corporate world में ज्यादातर job-interviews English में ही होते हैं.

साथ ही मैं ये भी कहना चाहूँगा कि आप इन answers को सिर्फ यह समझने के लिए देखें कि किन-किन बातों को answer में include करना है, और उसे अपने words में frame करें. मैंने जो उत्तर दिए हैं वो मेरी understanding के हिसाब से ठीक हैं, पर आप उन्हें perfect नहीं कह सकते, in fact अगर मैं खुद उन answers पर दुबारा काम करूँ तो उन्हें और भी बेहतर बना सकता हूँ. इसलिए आप अपने best possible answer को find करने के लिए effort कीजिये.

तो चलिए हम ऐसे ही कुछ प्रश्नों को लेते हैं :

Question 1: Tell me about Yourself? / Walk me through you CV?/ Introduce yourself/ अपने बारे में हमें बताएं ?


I think यह एक ऐसा प्रश्न है जो शायद ही किसी Interview में नहीं पूछा जाता हो , और यह एक ऐसा प्रश्न भी है जिसे answer करने में बड़ी confusion रहती है कि क्या बोलें क्या ना बोलें . आमतौर पर यह interview का पहला प्रश्न होता है , इसलिए इस प्रश्न को हम थोड़ा detail में discuss करेंगे.

प्रश्न पूछने के पीछे का मकसद :

* ताकि interview देने वाला थोडा comfortable हो जाए .इस प्रश्न पर कोई blank नहीं हो सकता , सभी के पास अपने बारे में बताने के लिए कुछ ना कुछ होता है , और जब आप शुरू में कुछ बोल लेते हैं तो कुछ हद तक आपकी हिचक कम हो जाती है .
* आपके बारे में जानना. कई बार interviewer पूरी CV नहीं पढता , वो आपके उत्तर से ही आपके बारे में जान लेता है , और उस basis पर और कई प्रश्न पूछ सकता है .

इस प्रश्न के उत्तर में क्या बताएं ?

मैं आपको यहाँ वही बताऊंगा जो मैं करता हूँ , हो सकता है कि कोई और आपको इससे भी अच्छा तरीका बता पाए इसलिए इसे पत्थर की लकीर मान कर मत चलिए . पर जैसा कि मैं पहले बता चुका हूँ , interview में मेरा success rate 90% रहा है , तो संभवतः यह एक सही तरीका है .

इस प्रश्न का उत्तर देते वक़्त आपके पास एक मौका होता है कि आप employer को अपनी तरफ attract कर सकें ,उसे अपनी skills sell कर सकें ; इसलिए इसके उत्तर में आपको अपने major achievements और qualities सामने लानी चाहियें .

Answer की शुरआत अपने नाम से करें , हो सकता है कि Interviewer आपको पहले से ही आपके नाम से पुकार रहे हों , in that case आप कह सकते हैं कि ,As you know I am Amit Kumar ……” और फिर आगे continue कर सकते हैं . और अगर वो आपका नाम नहीं जानते हैं तो आप simply कह सकते हैं , “ Hello Sir, I am Amit Kumar…..and so on”

अपने बारे में chronological order में बताएँ , यानी जैसे - जैसे आपकी life आगे बढ़ी हो उस हिसाब से , actually human brain कुछ ऐसा designed होता है कि वो इस order को ठीक से समझ पाता है . यदि आप कभी past, कभी present में switch करते रहेंगे तो confusion हो सकता है . और इस answer में ऐसी ही चीजें include करें जिसमे employer interested हो .

आप ये भी ध्यान रखें कि आप यह answer कुछ इस तरह से दे सकते हैं कि सामने वाला आपका मन चाहा question पूछे . जैसे कि यदि आप चाहते हैं कि Interviewer आपसे आपको हाल में मिले reward के बारे में बात करे , तो आप कह सकते हैं … “………….. and recently I was rewarded by the organization for my outstanding performance….”

यहाँ मैं आपके साथ दो sample answers share कर रहा हूँ , जिससे आप अंदाज़ा लगा पायेंगे कि कैसे answer देना है :

Supposing Amit एक fresher है :

* “Sir, I am Amit Kumar, I belong to Lucknow, and I have studied there till class 12th, I have been a science side student and have consistently scored good marks. I have always been ahead in taking initiatives and have actively participated in Debates, Sports, and other competitions. I have even represented my school on several occasions. Sir, after my schooling I wanted to do Engineering, and therefore I took a break of one year and prepared for various entrance exams. I was fortunate to get selected for JSS Noida, from where I completed my BTech in Computer Science During my studies ; I developed a special liking for the Dot Net and RDBMS and I really feel excited about an opportunity to use my knowledge and skills in the real world and make a meaningful contribution in the growth of my organization. So, this was in brief about me, and I would be glad to answer anything specific you want to know.”

इस answer को सुनने के बाद ज्यादा chance है कि Amit से Interview के दौरान Dot Net और RDBMS के बारे में पूछा जाए .और ये भी कि उसने computer science क्यों choose किया ?

Supposing Amit is having 3 year work ex.

* Sir, I am Amit Kumar, I belong to Lucknow, where I did my schooling. For my graduation I went to New Delhi and did B.Com from Shri Guru Gobind Singh College. By the time I completed my graduation I was clear to pursue a career in the corporate world and hence I decided to do MBA from a reputed college. And I fortunately got an opportunity to study at IILM, which is amongst the top management institutes in the NCR. The two years invested here added a lot of value in me. Apart from learning the management skills I improved my organizing and networking skills. Then during the campus placements I got a break in Nerolac Paints, where I joined as a Management Trainee. Currently, I am working in the same company at the position of Territory Sales Manager; I have been handling the the NCR Region, and have been an outstanding performer. Sir my total work experience now stands at 3 + years, and I feel very confident about my skills and aptitude to excel in the corporate world. I am sure that if given an opportunity I will be able to deliver and contribute in the growth of the organization. So, this was in brief about me, and I would be glad to answer anything specific you want to know.”

Question 2: What are your strengths ? / आपकी strengths क्या है ?

अपनी strengths बताने में आप इनमे से कुछ बोल सकते हैं :

* I am a team player and can adapt to changing conditions with ease.
* I am good at organising events and taking initiatives.
* I am very good at building networks and executing the plans set by the management.

आप चाहे जो भी अपनी strengths बताएं पर उसे support करने के लिए आपके पास real life examples होने चाहियें , जो आप answer में add कर सकें .

For ex: I am very good at building networks and executing the plans set by the management. In fact in my current job I developed a chain of distributors in East Delhi for our new product and my work was very much recognized by the management.

Question 3: Why do you want to leave your current job? / आप अपनी मौजूदा नौकरी क्यों छोड़ना चाहते हैं/

इस प्रश्न के उत्तर में आप अपनी मौजूदा company की बुराई कत्तई ना करें . आप कुछ इस तरह से answer दे सकते हैं :

* Sir, I have been with this company for over three years and have learnt a lot of things. But since last few months my learning and growth in the organization has stagnated, and I strongly feel that I would have a better learning and growth opportunity in a company like yours. That’s why I want to switch.

OR

* Sir, I have been with this company for over three years and have learnt a lot of things. But off-late I have felt that my current compensation is not in-line with the kind of hard work and efforts I put for the organization, therefore I am looking forward to work for a company which has better growth opportunities along with better compensation.

Question 4: Tell us about your current job, what is your role?/ अपनी मौजूदा नौकरी के बारे में बताएं , आपका काम क्या है
?

इस answer में आप जो करते हैं उसे थोडा detail और enthusiasm के साथ बताइए .

आप कुछ इस तरह से answer दे सकते हैं :

* Sir, I am handling the Sales in the NCR region, and I am responsible for achieving the sales targets set by the company. At present I handle a team of 5 Area Sales Managers, who operate in different parts of the NCR. It is my responsibility to motivate and direct the team, allocate targets, and ensure that we meet those targets. On an average I spend one day in each region and also make frequent field visits. I am often involved in group meetings to launch new contests for our distributors. Having worked closely with the distributors I also participate actively in designing the contests and planning other promotional activities to boost sales. In fact some of my strategies have been so successful that they were replicated throughout the North Zone.

इतना कहने के बाद आप रुक सकते हैं , and you can expect कि आपसे उन strategies के बारे में पूछा जा सकता है .

Question 5: Why do you want to join this company? / आप ये company क्यों join करना चाहते हैं ?

इस question का answer आपको 3rd question के answer के आखिरी पार्ट में मिल जायेगा . उसके आलावा आप थोडा –बहुत और add कर सकते हैं :

* Sir, xyz company is a very big brand globally, and it would be a matter of pride to be associated with such a company. The various Awards, like the Best Employer Award, etc are testimony to the great work culture of the company. Along with that there is a lot of scope to hone one’s skills and have a plenty of growth opportunities in your organization. Who would not like to be its part? :)

Question 6: Why should we select you? /हम आपका चयन क्यों करें ?

यह प्रश्न और दूसरा प्रश्न लगभग एक ही है , यहाँ भी आपको अपनी strengths बतानी होती है , plus आपको अपने experience को भी sell करना होता है .

Question 7: Why your marks are very low in xyz exam? Xyz exam में आपके marks इतने कम क्यों हैं ?

यदि आपके marks किसी एक exam में कम हैं तो संभवतः आपके पास कोई ख़ास वजह होगी , जैसे कि बीमार पड़ जाना , accident हो जाना , etc?

पर यदि आप consistently low marks पाते रहे हैं , तो आप कुछ इस तरह से answer कर सकते हैं :

* Sir, I have always been involved in various extra-curricular activities. I have represented my school in a number of sporting events and other competitions.Because of this I could concentrate less on my studies. But you may notice that my marks have improved during my MBA where I became more inclined towards knowledge accumulation and sharpening my skills.

Question 8: What has been your biggest achievement till date? / अब तक की आपकी सबसे बड़ी achievement क्या रही है ?

इस question के answer में आप कोई ऐसा achievement बताएं जिसे Interviewer offer की जाने वाली Job से relate कर सके .

For Fresher: Supposing आप Marketing and Sales की job के लिए interview दे रहे हों :

* Sir, last year we had a very successful Marketing Summit at the India Habitat Centre, I was leading the organizing committee and I think I did a pretty good job of coordinating with the whole team and making sure that there are no hiccups. I must tell you that it was not an easy job, starting from booking the venue, arranging for the speakers, promoting the event, and many other such nitty-gritties…it was very hectic but at the end I managed it all, obviously with the help from my team and other staff.

For experienced: Supposing आप Marketing and Sales की job के लिए interview दे रहे हों :

* Sir, I joined my present organization a couple of years ago, at the end of my first year I was given the job of achieving Sales Target of over Rs. 30 lacs in a quarter; it was indeed a challenging task, because my region’s best achievement till date was Rs. 20 lacs . However, I put in a lot of hard work and applied some innovative strategies like contacting the Institutions, and putting the kiosks in maals and apartments, I also managed to use the advertising budget efficiently and increased the visibility of our brand. So the cumulative effect resulted in achieving the targets and in fact we did Rs 32.5 lacs of sales in that quarter. This also helped me in getting an outstanding rating during appraisals. :)

Question 9: What are your weaknesses? आपकी कमजोरी क्या है ?

इस प्रश्न के उत्तर में कभी भी ये मत कहिये कि आपकी कोई कमजोरी नहीं है और ना ही ऐसी कोई कमजोरी बताइये जो interviewer को ये सोचने पर मजबूर कर दे कि आप अपनी job ठीक से नहीं कर पायेंगे . ये भी ध्यान रखिये कि आप जो भी weakness बताएं उसके साथ ये भी बताइए की आप उसे पार पाने के लिए क्या कर रहे हैं.

कई बार लोग अपनी कमजोरी को ऐसे बताते हैं जो actually strength हो , ऐसा मत करिए , इससे interviewer irritate हो सकता है .

आप कुछ इस तरह से answer दे सकते हैं :

* Sir, I feel that I need to work on time management and learn to prioritize my work efficiently. In fact I have started working on the To-Do List tool and have improved somewhat, hopefully I will overcome this weakness soon.

Question 10: Do you want to ask any question? / क्या आप कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं .

Interview के अंत में ये पूछा जा सकता है .इस प्रश्न के उत्तर में आप इस तरह का कोई question पूछ सकते हैं :

* What will be my roles and responsibilities in case I get an opportunity to work with the company?
* Does the company have an in-house training department or is it outsourced?
* What are the growth prospects for an individual joining at the current position?

ध्यान रहे आप कुछ ऐसा ना पूछें जिसे बताना interviewer के लिए tough हो , जैसे कि company के exact revenue figures, CAGR, etc.
दोस्तों उम्मीद है इस article से आपको कुछ मदद ज़रूर मिलेगी.