Jan 26, 2013

इस देश मे आजादी के 66साल बाद आज भी इस देश में 84 करोड़30 लाख लोगो के पास एक दिन में खर्च करने ... को 20 रुपये नहीं है ,..


आप से निवेदन है की 1 दिन बाद २६ जनवरी है |
सेना की परेड में लड़ाकू विमान,टैंक़, मिसाइल देखकर ये मत
भूल जाना कि
इस देश मे आजादी के 66साल बाद आज भी इस देश में
84 करोड़30 लाख लोगो के पास एक दिन में खर्च करने
... को 20 रुपये नहीं है ,
मत भूल जाना world hunger report जो कहती है
कि भारत मे हर 1 मिनट में 13 लोग भूख से मर जाते है और
शाम होते तक लगभग 10000 हजार लोग भूख से ही मर
जाते है ,
मत भूल जाना इस देश में 15 करोड़ लोगो के पास आज
भी तन ढकने को 2 मीटर कपड़ा नहीं है ,
मत भूल जाना आजाद होने के 66 साल बाद भी देश
की सरकार आम आदमी की जरुरत की चीजे उसे
नहीं मुहिया करवा पाई ,
मत भूल जाना की कैसे आज भी इस देश
का अन्नदाता (किसान ) आत्महत्या करता है,
मत भूल जाना की आज भी देश के राज नेता उन
शहीदों को उनका हक़ भी नहीं दिला सके जिन शहीदों ने इस
देश की अखंडता बनाये रखा ७१,६५, ९९ के लड़ाई में
अपनी जान हस्ते हस्ते दे दी,
मत भूल जाना की आज भी देश उस मजहब
की चिंगारी की आग पर बैठा है की न जाने कब इस देश के
फिर से दो टुकड़े न कर दे,
मत भूल जाना की कैसे बलात्कार पीडिता को इस देश
का कानून जीते जी तो छोडिये मरने के बाद भी इंसाफ
नहीं दिला सका है क्या उमीद की जाए इस देश के कानून
और राजनेताओ से,
.
.
.
क्या हमारे देश के सात लाख शहीदों ने इसी भारत
की कल्पना की थी जो आज हमारे सामने है राजमार्ग से
निचे उतर कर ४ किलोमीटर अन्दर वो गाँव देखिये तो भारत
आपको वही खड़ा दिखाई देगा जहाँ पर भगत सिंग
या चद्रशेखर जी छोड़ कर गए थ

जब अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें घुटने में कुछ प्रॉब्लम था ....


जब अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें घुटने में कुछ प्रॉब्लम था और दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें अमरीका मे इलाज कराने की सलाह दी थी, तब अटल जी ने साफ मना कर दिया और कहा की -

"मैं देश का प्रधानमंत्री हूँ और विश्व में देश को रिप्रजेंट करता हूँ अगर मैं ही अमरीका जाकर अपना इलाज करवाऊंगा तो पूरे विश्व में यह सन्देश जायेगा की भारत मे अच्छी चिकित्सा सुविधा नहीं है, अत: मै भारत में ही अपना इलाज करवाऊंगा"..!!!!

और फिर अटल जी ने मुंबई के बीचकैंडी हॉस्पिटल में अपनी सर्जरी करवाई... यह है देश के सम्मान के बारे मे सोचना.....

Jan 25, 2013

कौन कहता है दुनिया पुरुषों की है, ये दुनिया महिलाओं की है!!!!!!


¤ अगर एक आदमी देर करे तो उसे सुनना पड़ता है "समय किसी का इंतेज़ार नहीं करता", लेकिन एक महिला बस के देर होने की वजह से देर से पहुँचती है।

¤ अगर एक महिला लड़को के कपड़े पहने तो वह मार्डन है, और अगर आदमी लड़कीय़ों के कपड़े पहन ले तो वह पागल या चिड़ियाघर से भागा हुआ प्रानी हो जाता है।
...
¤ अगर एक लड़का किसी लड़की से बात करने की कोशिश करे तो वह फ़्लर्ट कर रहा होता है और अगर लड़की किसी लड़के से बात करने की कोशिश करे तो वह दोस्ती का प्रयास होता है।

¤ अगर एक महिला रोये तो पुरी दुनिया उसके साथ होता है और अगर एक आदमी रोये तो सुनना होगा "क्या औरतों की तरह रो रहे हो, मर्द बनो"।

¤ अगर एक महिला का एक्सीडेंट हो तो गलती दुसरे वाहन चालक की होती है और एक आदमी का एक्सीडेंट हो तो उसे दुनिया कहेगी "तुम पिये हुये हो" या "तुम्हे ड्राइविंग नहीं आती"।

¤ इंटरव्यु के समय महिला जवाब ना दे पाये तो उसकी एक मुस्कुराहट से ही उसे नौकरी मिल जाती है और आदमी सभी सवालो के सही जवाब दे कर भी नहीं चुना जाता।

¤ हर जगह हम सुनते है महिलाओं की इज़्ज़त करें, लेकिन कभी किसी ने नहीं सुना की आदमी की इज़्ज़त करें।

¤ "लेडिज फ़र्स्ट" का नारा तो खुद में साबित करता है कि ये दुनिया महिलाओं की है।

¤ सार्वजनिक स्थलो अथवा बस पर सुनने को मिलेगा "महिलाओं के लिये सीट छोड़ दे", कभी ऐसा कोई किसी आदमी के लिये नहीं कहता।

दोस्तो ये मात्र महिलाओं द्वारा बनाया हुआ भ्रम है कि दुनिया मर्दों की है, वास्तव में दुनिया औरतो की है और राज भी उन्ही का चलता है।

मगर आप इस पर ध्यान न दें क्यूंकि शायद ये भी किसी महिला ने ही लिखा हो क्यूंकि दुनिया महिलाओं की है मर्दों की नहीं

पिछले हफ्ते santa ka बर्थ-डे था......


पिछले हफ्ते santa ka बर्थ-डे था।
मेरी बीवी मुझे विश करना भूल गई।
santa ke माता-पिता और बच्चों को भी मेरा जन्मदिन याद नहीं रहा।
मैं ऑफिस चला गया। ऑफिस में भी मेरे दोस्तों को मेरा बर्थ-डे याद नहीं था।
जैसे ही मैं अपने कैबिन में गया मेरी सेकेट्री ने मुझे गला लगाया और बर्थ-डे विश किया।
... मुझे बहुत खुशी हुई। सेकेट्री ने मुझे डिनर पर बुलाया।
हमने साथ डिनर किया। फिर वह मुझे अपने घर ले गई।
उसके घर पर कोई नहीं था।
उसने मुझसे कहा: बॉस मैं बस 5 मिनिट में अपने बेडरूम से आई।
मैंने कहा: हां बिल्कुल। वह जब पांच मिनिट बाद कैमरे से बाहर निकली तो उसके साथ मेरे बीवी, बच्चे और परिवार वाले मौजूद थे।
वे मुझे सरप्राइज देना चाहते थे।
....................... ....और मैं बाहर पूरे कपड़े.....कर सेकेट्री का इंतजार कर रहा था। बस फिर क्या था हो गया मेरा तलाक.....

Jan 24, 2013

राहुल गाँधी ने कहा 100 में 99 के पास पैसा पहुचेगा .....


राहुल गाँधी ने कहा 100 में 99 के पास पहुचेगा पैसा -जयपुर चिंतन शिविर में
अब प्रश्न :-
1.अभी क्यों नहीं पहुचता ?
2. कितना खा रहे हो अभी
3. क्या आप सिद्ध कर रहे है की आप लोग पिछले 60 सालो से पैसा खा रहे है
... 4. आपके बयान से सिद्ध हुआ की आप घोटाले कर रहे है ..क्यों न अन्दर कर दिया जाय आपको
5. आपने 60 सालो में जो पैसा खाया वो कहा है ...स्विस बैंक वाली बात पक्की है ..मतलब जेल भेजना चाहिए दोनों को ..साथ में जीजा को भी
कुल मिलके राहुल ने साफ़-साफ़ शब्दों में ..कहा की वो भ्रष्ट है ..किसी को कोई शक तो नहीं रहा अब ????

1990 का दूरदर्शन और हम ::



1.सन्डे को सुबह-2 नहा-धो कर टीवी के सामने बैठ जाना
2."रंगोली" में शुरू में पुराने फिर नए गानों का इंतज़ार करना
3."जंगल-बुक" देखने के लिए जिन दोस्तों के पास टीवी नहीं था उनका घर पर आना
... 4."चंद्रकांता" की कास्टिंग से ले कर अंत तक देखना
5.हर बार सस्पेंस बना कर छोड़ना चंद्रकांता में और हमारा अगले हफ्ते तक सोचना
6.शनिवार और रविवार की शाम को फिल्मों का इंतजार करना
7.किसी नेता के मरने पर कोई सीरियल ना आए तो उस नेता को और गालियाँ देना
8.सचिन के आउट होते ही टीवी बंद कर के खुद बैट-बॉल ले कर खेलने निकल जाना
9."मूक-बधिर" समाचार में टीवी एंकर के इशारों की नक़ल करना
10.कभी हवा से ऐन्टेना घूम जाये तो छत पर जा कर ठीक करना :)

एक आम आदमी जोर-जोर से चिल्ला रहा था – ‘प्रधानमंत्री निकम्मा है’.....


एक आम आदमी जोर-जोर से चिल्ला रहा था – ‘प्रधानमंत्री निकम्मा है’
पुलिस के एक सिपाही ने सुना और उसकी गर्दन पकड़ कर दो रसीद किए और बोला - ’चल थाने, प्रधानमंत्री की बेइज्ज़ती करता है?’
वह बोला - ’साहब मैं तो कह रहा था कि फ़्रांस का प्रधानमंत्री निकम्मा है’
यह सुनकर सिपाही ने दो और लगाए और बोला - ’हमें बेवक़ूफ़ बनाता है! क्या हमें नहीं पता कि कहां का प्रधानमंत्री निकम्मा है!!!

Jan 23, 2013

'इश्क वाला लव'...............


'इश्क वाला लव'
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के बाद दो दिन से.
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ठण्ड वाली सर्दी लगने के कारण
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जुकाम वाले cold की वजह से
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nose वाली नाक में से.
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रिसाव वाला बहाब हो रहा है...

हिंदी का प्रेम और अंग्रेजी का लव - ये दोनों ही शब्द एक व्यापक अर्थ में प्रयोग होते हैं। लव एक मां - बेटे, पति-पत्नी या प्रेमी प्रेमिका के बीच हो सकता है। लव के अलग अलग प्रकारों के लिए अलग अलग शब्द नहीं हैं। उर्दू में अलग अलग प्रकार के प्रेम के लिए अलग अलग शब्द है। प्यार है व्यापक अर्थ में प्रेम जबकि इश्क व्यापक अर्थ का शब्द नहीं है। "इश्क वाला लव" एक खास तरह के लव की ओर इशारा करता है।

Jan 22, 2013

मुंबई के आटो ड्राईवर की लडकी प्रेमा जयकुमार ने सीए परीक्षा टाप किया है ...



मुंबई के आटो ड्राईवर की लडकी प्रेमा जयकुमार ने ने सीए परीक्षा टाप किया है उनका चार सदस्यीय परिवार मुंबई के मलाड इलाके ३०० वर्गफ़ीट के एकमात्र कमरे मे निवास करता है.

हम प्रेमा जयकुमार के हौसले को सलाम करते हैं जिसने जिंदगी की परेशानियों और अपनी गरीबी को अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया!

हर इंसान की पांच मां होती हैं......


एक अपनी मां

दूसरी दादी मां
...
तीसरी नानी मां

चौथी सासू मां

और एक वो जिसके बारे में मम्मी कहती है, ये हर रोज़ रात 11 बजे तेरी कौन सी मां का फ़ोन आता है?

भगवान ने स्वर्ग में आए सारे पतियों और पत्नियों को एक जगह इकठ्ठा होने को कहा...


भगवान ने स्वर्ग में आए सारे पतियों और पत्नियों को एक जगह इकठ्ठा होने को कहा।
फिर भगवान ने पतियों से दो पंक्तियों में खड़े होने को कहा। पहली पंक्ति में उन पतियों को आना था जो अपनी पत्नी के नियंत्रण में रहते थे और दूसरी पंक्ति में उन पतियों को आना था जो अपनी पत्नियों को नियंत्रण में रखते थे।.
सारे पति पहली पंक्ति में खड़े हो गए....... दूसरी पंक्ति में केवल एक पति खड़ा हुआ
भगवान ने उस एक पति से पूछा, “तुम पत्नी को नियंत्रण में रखते हो?!!!... मुझे भी बताओ! कैसे?!!!”

... उस पति ने कहा, “मालूम नहीं भगवान , मुझे तो मेरी पत्नी ने इस पंक्ति में खड़ा होने को कहा था”

भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है...एक कहानी...


'ओ... रिक्शे वाले, आजाद नगर चलोगे?' सज्जन व्यक्ति जोर से चिल्लाया।

'हाँ-हाँ क्यों नहीं?' रिक्शे वाला बोला।
...
'कितने पैसे लोगे?'

'बाबू जी दस रुपए।'

'अरे दस रुपए बहुत ज्यादा हैं मैं पाँच रुपए दूँगा।'

रिक्शे वाला बोला, 'साहब चलो आठ...'

'अरे नहीं मैं पाँच रुपए ही दूँगा।' रिक्शेवाला सोचने लगा, दोपहर हो रही है जेब में केवल बीस रुपए हैं, इनसे बच्चों के लिए एक समय का भरपेट खाना भी पूरा नहीं होगा।

मजबूर होकर बोला ठीक है साब बैठो। रास्ते में रिक्शेवाला सोचता जा रहा था, आज का इंसान दूसरे इंसान को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं समझता। ये भी नहीं सोचा यहाँ से आजाद नगर कितनी दूर है, पाँच रुपए कितने कम हैं। मैं भी क्या करूँ? मुझे भी रुपयों की जरूरत है इसलिए इसे पाँच रुपए में पहियों की गति के साथ उसका दिमाग भी गतिशील था।

आजाद नगर पहुँचने के बाद जैसे ही वह रिक्शे से नीचे उतरा। एक भिखारी उसके सामने आ गया। सज्जन व्यक्ति ने अपने पर्स से दस रुपए उस भिखारी को दे दिए और पाँच रुपए रिक्शे वाले को।

रिक्शेवाला बोला, साहब मेरे से अच्छा तो यह भिखारी रहा जिसे आपने दस रुपए दिए। मैं इतनी दूर से लेकर आया और मेरी मेहनत के सिर्फ पाँच रुपए?'
सज्जन व्यक्ति बोला, 'भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है।'

'और जो मेरी मेहनत की पूरी मजदूरी नहीं दी ऐसा करके क्या तुम पाप के भागीदार नहीं?' रिक्शेवाले ने कहा। उसकी बात सुनते ही सज्जन व्यक्ति को क्रोध आ गया। वह बोला - 'तुम नीच लोगों से मुँह लगाना ही फिजूल है।

इस पर कवी अशोक चक्रधर जी ने क्या खूब कहा हैं
आवाज़ देकर
रिक्शेवाले को बुलाया
वो कुछ
लंगड़ाता हुआ आया।

मैंने पूछा—
यार, पहले ये तो बताओगे,
पैर में चोट है कैसे चलाओगे ?

रिक्शेवाला कहता है—
बाबू जी,
रिक्शा पैर से नहीं
पेट से चलता है।

Jan 21, 2013

जब करोडो के घोटाले हुए - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया ...


जब करोडो के घोटाले हुए - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब महंगाई बढ़ी - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब दामिनी दुनिया से गयी - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब हमारे जवानों के सर काटे गए- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब डीज़ल महंगा हुआ- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
... जब रेल किराया बढ़ा- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
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पर कांग्रेसी रोये भी तो "Rahul gandhi" के भाषण को सुनकर !!

कल "किसी" ने अपने भाषण मेँ कहा कि माँ रोई.....!!!


कल "किसी" ने अपने भाषण मेँ कहा कि माँ रोई!!!

मैँ कहता हुँ कि इस देश में माँ तो होती ही रोने के लिए है। उन साढ़े तीन लाख किसानो की माँएं भी रोई ही होंगी जिन्होंने आत्महत्या की। सुदूर गांवों, छोटे कस्बों, जिलों में भूख, गरीबी, ठण्ड, अभाव और बिना इलाज़ के मरने वाले बच्चों की माँ भी रोती तो होंगी ही। गरीबी से तंग आ के जब पूरा का पूरा परिवार ही आत्महत्या कर लेता है तो उसमे तो माँ ही नहीं बचती है रोने के लिए। माँ को कहो की थोडा उन का भी रोना रो लें जिन जिन की माँ रोई;

Jan 20, 2013

इंटरनेट यूज करते समय अगर इन बातों का नहीं रखेंगे ख्याल तो होगा भारी नुकसान...


हम ऑन लाइन और ऑफ लाइन काम करते समय सुरक्षा से जुड़ी कई चीजों को बेहद हल्के में लेते हैं, लेकिन कई बार छोटी सी लापरवाही आपको बहुत महंगी पड़ सकती है। इंटरनेट यूज करते समय हमें हरपल सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कहीं गलती से भी चूक हो गई तो आपको बहुत बड़ी चपत लग सकती है। सबसे अधिक खतरा साइबर कैफे में होता है। हम कई बार ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिसका पता हमें भी नहीं रहता। बस, फिर क्या, उठाना पड़ता है भारी भरकम नुकसान। यही खतरा ऑफिसेस में होता है जहां ओपेन माहौल रहता है। यानी आपका सिस्टम अगर कोई दूसरा व्यक्ति भी यूज करता है तो उससे भी बहुत खतरा रहता है। अगर आपभी इंटरनेट यूज करते हैं तो स्लाइड्स के जरिए जानिए कि आखिर वे कौन सी बातें हैं जिनसे सुरक्षा में होती हैं भारी चूक और उस कारण आपको हो सकता है भारी नुकसान...

पासवर्ड नहीं बदलना :- कई लोग ऐसे होते हैं, जो पासवर्ड बनाने के बाद उसे ही लंबे समय तक इस्तेमाल करते रहते हैं। वे इसे बदलते नहीं। वे लोग जो एक ही पासवर्ड अपने सभी आईडी के लिए और उसे लगातार इस्तेमाल करते रहते हैं, उनके एकाउंट के हैक होने की आशंका अधिक होती है। अगर ऐसी संस्था में आप काम करते हैं, जहां समय-समय पर आपको पासवर्ड बदलने की जरूरत होती है, वहां भी कुछ लोग अपने वर्तमान पासवर्ड से मिलते जुलते पासवर्ड का ही इस्तेमाल करते हैं। अगर आप किसी टीम या कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं तो अपने साथियों को भी पासवर्ड का महत्व बताएं। उन्हें समय-समय पर बदलने के लिए प्रेरित करें। इसके आप अलावा किसी थर्ड पार्टी टूल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो रीसेट करते समय मिलते-जुलते पासवर्ड को स्वीकार न करे।


फायरवाल का इस्तेमाल नहीं करना :- आप घर में हैं या फिर अपना आईटी बिजनेस चला रहे हैं, तो फायरवाल एक बेहद जरूरी उपकरण है। वैसे विंडोज और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम में फायरवाल बिल्ट इन आ रहा है। अगर ऐसा न हो तो आपको एकहार्डवयेर फायरवाल का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से आपके नेटवर्क में कोई ऐसी चीज नहीं आ पाएगी जिसे आपने ब्लॉक किया हो। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर से अलग यह नुकसान पहुंचाने वाले उन लिंक्स को एक्सेस नहीं होने देगा, जिससे हार्डवेयर फायरवाल में ब्लॉक किया गया हो।

अपडेट ऑप्शन को डिसएबल करना :- कई लोग ऐसे होते हैं जो अपने कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर अपडेट के ऑप्शन को डिसएबल कर देते हैं। कंपनियों में आमतौर पर फायरवाल होने के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया जाता लेकिन यह अच्छी रणनीति नहीं है। आप अपने कंप्यूटर में ओरिजनल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं तो ऑटो अपडेट ऑप्शन को हमेशा एनेबल्ड रखें।

असुरक्षित डाटा स्टोर :- ऐसा माना जाता है कि अगर आपने यूएसबी ड्राइव या अपने निजी लैपटॉप में डाटा सेव कर रखा है तो वह सुरक्षित है लेकिन, यूएसबी ड्राइव के खो जाने या लैपटॉप को नुकसान पहुंचने की स्थिति में आपका डाटा खत्म हो सकता है। आपका डाटा किसी दूसरे के हाथ भी लग सकता है। ऐसे में आप अपने डाटा को अधिक से अधिक सुरक्षित बनाने के लिए किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे उसको कोई दूसरा नहीं खोल सके। आप पोर्टेबल डिवाइसों में सीक्रेट कोडिंग के साथ डाटा रखने के लिए बिटलॉकर या बिटलॉकर टू गो जैसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एंटी वायरस का न होना :- आपको एंटी वायरस के महत्व के बारे में पता होना चाहिए। अगर आपने अपने कंप्यूटर में एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल नहीं किया है तो आप बहुत बड़े लापरवाह हैं। वैसे कोई भी एंटी वायरस सॉफ्टवेयर आपको सौ फीसदी सुरक्षा की गारंटी नहीं देता, लेकिन डाटा की सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है।

टीम इंडिया ने वनडे रैंकिंग में अव्वल स्थान हासिल कर लिया...


रांची में धोनी का राज हुआ। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने वनडे रैंकिंग में अव्वल स्थान हासिल कर लिया। आईसीसी की ताजा जारी वनडे टीम रैंकिंग में भारतीय टीम 119 रेटिंग के साथ पहले पायदान पर है। इंग्लैंड एक स्थान सरक कर दूसरे पायदान पर आ गया है। जबकि साउथ अफ्रीका तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। तीसरे वनडे मुकाबले में टीम इंडिया ने अपने कप्तान का रुतबा कायम रखते हुए इंग्लैंड को एकजुट हो कर सात विकेट से हराया। गेंदबाजों ने जहां मिल कर मेहमान टीम को 155 रन पर समेटा, वहीं विराट कोहली ने आखिरी पंच लगाते हुए 77 रन की नाबाद पारी खेली। पाकिस्तान से 1-2 की पराजय के बाद राजकोट में इंग्लैंड के खिलाफ 9 रन की हार ने मेजबान टीम को बैकफुट पर कर दिया था। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, हिम्मत ए मर्दा, मदद ए खुदा। ठीक इसी तर्ज पर टीम के नए पैंतरे एकाएक क्लिक होने लगे और टीम फिर से जीत के ट्रैक पर लौट आई। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के घर रांची में यह पहला इंटरनेशनल मुकाबला था। इस मैदान पर मिली जीत ने टीम इंडिया को आने वाले कठिन सीजन के लिए जीत के कुछ सूत्र दे दिए। धोनी एंड कंपनी को यहां कुछ ऐसे पाठ सीखने को मिले जिसे यदि वे निखार लें तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में उनकी विजय तय हो जाएगी

जज्‍बाती हुए राहुल गांधी , कहा- मेरे पास आकर रोईं मेरी मां...


जयपुर के चिंतन शिविर में कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट बनाए जाने के बाद राहुल गांधी पहली बार भाषण देते हुए जज्‍बाती हो गए। उन्‍होंने कहा, 'जिन पुलिसवालों से मैंने बैडमिंटन सीखा, उन्‍होंने मेरी दादी की हत्‍या कर दी। मैंने उस वक्‍त अपने पिता (राजीव गांधी) को रोते देखा। कल रात मेरी मां मेरे पास आईं और रोने लगीं। मेरी मां इसलिए रोईं क्‍योंकि वो जानती हैं कि सत्‍ता जहर की तरह है।' राहुल ने कहा कि कांग्रेस में हिंदुस्‍तान का 'डीएनए' है। यह महज एक पार्टी नहीं, बल्कि एक परिवार है। उन्होंने संगठन को मजबूत करने का आह्वान करते हुए कहा, 'हमें 40 से 50 ऐसे नेता तैयार करने हैं जो देश को चला सकें। हमें कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं का सम्‍मान करना चाहिए। चुनाव के वक्‍त बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मैं जज का काम करूंगा, वकील का नहीं।' राहुल ने कहा कि अब कांग्रेस पार्टी ही उनकी जिंदगी है और वो पूरी ताकत से पार्टी और देश की सेवा करेंगे। उन्‍होंने कहा, 'मैंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुभवों से बहुत कुछ सीखा है और उसका प्रयोग अपने आनेवाले राजनीतिक जीवन में करना चाहता हूं।' राहुल ने कहा, 'पिता जी कहते थे कि 100 में से 15 पैसा लोगों के पास पहुंचता है। लेकिन हमारी सरकार वो काम कर रही है जिससे 100 में से 99 पैसे पहुंचेंगे।' राहुल ने कार्यकर्ताओं का आभार व्‍यक्‍त करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। 'आधार' योजना को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए राहुल ने कहा कि कैश सब्सिडी योजना लोगों को उनका हक दिलाती है, यह घूसखोरी नहीं है। जो भ्रष्‍ट हैं वो ही भ्रष्‍टाचार मिटाने की बात करते हैं। जो महिलाओं का सम्‍मान नहीं करते वो सम्‍मान की बात करते हैं। कांग्रेस देश के हर नागरिक के बारे में सोचती है और सभी के लिए काम करती है। उन्‍होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ लोगों के हाथ में ही सत्‍ता की चाबी क्‍यों है। राजनीति में युवाओं की भागीदारी जरूरी है।

इन सबके बीच, कांग्रेस ने जहां राहुल गांधी को नई जिम्‍मेदारी दे दी है, वहीं भाजपा में गडकरी को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। भाजपा का एक गुट गडकरी को अध्‍यक्ष बनाए जाने के खिलाफ है। दूसरी ओर, राहुल गांधी को मिली नई जिम्मेदारी चुनौतियों से भरपूर है। उन्हें वर्ष 2013 में नई टीम के सहारे देश के नौ राज्यों के चुनाव में खुद को साबित करना होगा। राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद से भाजपा में खलबली मची हुई है। सड़क से लेकर फेसबुक तक पर भाजपा नेता और कार्यकर्ता अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। भाजपा प्रवक्‍ता शहनवाज हुसैन का कहना है कि राहुल गांधी की नई जिम्‍मेदारी से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

मेरी ­पीठ पर पाकिस्तानी को बाँध दिया जाये ..... !!!


एक बार एक जर्मन , एक पाकिस्तानी और एक सरदार जी अरब देश में शराब पीते हुए पकड़े गए , इसके लिए वहां के शेख ने उन्हें 20-20 कोड़े म।रने की सजा सुनाई , सजा से पहले शेख ने कहा की " आज मेरी बेगम की सालगिरह है और वो चाहती है की अपनी सजा से पहले तुम लोग एक एक मन्नत मांग लो "....... जर्मन ने कहा की मेरी पीठ पर एक तकिया बाँध दिया जाये......लेकिन ­ तकिया ज्यादा देर तक नही टिका और उसे 10 कोड़े अपनी पीठ पर ही खान...े पड़े....

पाकिस्तानी ये देखकर डर गया और बोल की मेरी पीठ पर 2 तकिये बं।धे जाएँ ......लेकिन वो भी ज्यादा देर नही चले और उसे 8 कोड़े अपनी पीठ पर खाने पड़े .......

जब सरदार जी बारी आई तो शेख ने कहा की तुम दुनिया के बेहद खूबसूरत देश से आये हो जो अपनी अहिंसा के लिए जाना जाता है , तुम एक नही दो मन्नत मांग सकते हो ......सरदार जी ने सर झुकाकर बहुत नरमी से कहा में आपका एहतराम करता हूँ और इस नवाजिश के बदले 20 नही , 100 कोड़ों की मांग करता हूँ.......शेख ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा की तुम्हारी दूसरी ख्वाहिश क्या है ?

सरदार जी ने फिर से सर झुकाकर मुस्कराते हुए कहा ...... मेरी दूसरी ख्वाहिश ये है की ...........मेरी ­ ­ पीठ पर पाकिस्तानी को बाँध दिया जाये!!

फीस माफी के लिए संता का प्रिंसिपल को प्रार्थना पत्र....


सेवा में प्राधानाचार्य महोदय

विषयः फीस माफी के लिए प्रार्थना पत्र

सर,

निवेदन इस प्रकार है कि मैं संता सिंह आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा का नियमित छात्र हूं। सर बात यह है कि मेरा पिताजी ने मुझे फीस जमा करने के लिए हजार रुपये दिए थे। सर 300 रुपये गर्लफ्रेंड के साथ पिक्चर में खर्च हो गए। 200 की दोस्त दारू पी गए। 100 का चखना आ गया और बाकी चार सौ मैं अंग्रेजी वाली मैडम पर शर्त लगाकर हार गया।

मैं कह रह था कि मैम का सिर्फ गणित वाले सर से ही चक्कर है, लेकिन गोलू ने साबित कर दिया कि वो तो आपसे भी सैट हैं। सर फीस जमा करने के लिए अब मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है। इस बार फीस माफ कर दीजिए। अगली बार मैं हिंदी वाली मैम पर शर्त लगाऊंगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य - संता सिंह

Jan 19, 2013

अगर दम है तो इस सवाल का जवाब देकर दिखाओ।


एक कुतिया के दो पिल्ले थे।
एक का नाम था सपुन और दूसरे का अपुन ।
एक दिन सपुन मर गया।
... अब कुतिया का दूध कौन पिएगा?

जवाब दो लेकिन हंसना मत।

कलयुग के जमाने में काबिल और अच्छा पति मिलना मुश्किल है तो...


कलयुग के जमाने में काबिल और अच्छा पति मिलना मुश्किल है तो हैरत नहीं कि आने वाले जमाने में लड़कियां रोबोट से शादी कर लें।
रोबोट पति (जब देर से घर आया तो) - डियर अब मैं घर पर लॉग इन हो गया हूं।
पत्नी : अंगूठी लेकर आए??
रोबोट पति : उफ बेड कमांड..
पत्नी : अरे! मैंने सुबह ही तो याद दिलाया था!!
... रोबोट पति : मेमोरी लॉस, डेटा करप्ट..
पत्नी : चिढ़कर, कम से मेरे कपड़े तो ले आए ना!
रोबोट पति : सॉरी, वेरिएबल नॉट फाउंड!!
पत्नी: चलो कम से कम अपना क्रेडिट कार्ड दे दो तो मैं ही ले आऊं।
रोबोट पति : शेरिंग वॉएलेशन, एक्सेस डिनाइड
पत्नी: तुम क्या चीज हो? तुम मुझे प्यार करते हो या किसी और कंप्यूटर को या सिर्फ मजाक कर रहे हो?
रोबोट पति : टू मैनी पेरामीटर्स, ऑपरेशन अबॉर्ट!
पत्नी : मैनें सबसे बड़ी गलती कि तो तुमसे शादी की....
रोबोट पति : डेटा मिसमैच!!
पत्नी : तुम एकदम बेकार हो, टीन के डब्बे!!
रोबोट पति : डिफॉल्ट पैरामीटर
पत्नी : हद है, कम से कम इतना तो बताओ कि तुम्हारे साथ कार में वो कौन थी??
रोबोट पति : सिस्टम अनस्टेबल, प्रैस कंट्रोल + आल्ट + डिलीट टू री-बूट सिस्टम!!!..

Joke-कॉलेज में एक बड़ी उम्र की लड़कीने दाखिला लिया तो ...


कॉलेज में एक बड़ी उम्र की लड़कीने दाखिला लिया तो सारे लड़के-लड़कियों ने उसे मौसी कहना शुरू कर दिया। कुछ दिनों तक तो उस बेचारी ने सहन किया। अंत में उसने तंग आकर प्रिंसिपल से शिकायत की।
प्रिंसिपल को बड़ा क्रोध आया तो क्लास रूम में पहुंचे और बोले- जो भी इसे मौसी कहता है वह तुरन्त खड़ा हो जाये।
एक-एक करके सारी क्लास खड़ी हो गयी। केवल एक लड़का बैठा रहा। प्रिंसिपल ने बड़ी हैरानी के साथ उस लड़के से पूछा- क्यों भई! तुम इसे मौसी नहीं कहते?
लड़के ने ठंडी सांस भरकर कहा- सर! मैं सारी क्लास का मौसा हूं।

Jan 17, 2013

बिना इंटरनेट के लैपटॉप या पीसी पर कैसे देखें फ्री में LIVE TV


लैपटॉप या पीसी पर आप कभी भी लाइव मैच और अपने फेवरेट टीवी सीरियल का मजा ले सकते हैं। वो भी बिना किसी चार्ज के। जी हां, बस इसके लिए आपको पेन ड्राइव की तरह दिखने वाले एक डिवाइस को लगाना होगा
पेन ड्राइव जैसा दिखने वाले इस डिवाइस को बाजार में टीवी टच्यूनर के नाम से भी लोग जानते हैं। हालांकि, यह टीवी टच्यूनर घर में इस्तेमाल होने वाले डिवाइस से एकदम अलग होता है। तो इंटरनेट के बिना अपने लैपटॉप पर लाइव टीवी देखने के लिए सबसे पहले इस डिवाइस को खरीदें।
मार्केट में अलग-अलग रेंज में मिलने वाले इस डिवाइस को अटैच करने के लिए आपको अपने पीसी में एक सॉफ्टवेयर डालना पड़ेगा। यह सॉफ्टवेयर सीडी डिवाइस के साथ ही मिलती है।
फीचर-
फ्री लाइव टीवी देखने के लिए यूज होने वाला यह डिवाइस मार्केट में कई फीचर्स के साथ मिलता है। किसी में एफएम रेडियो और प्रोग्राम रिकॉर्डिग की सुविधा भी होती है तो कई डिवाइस प्रोग्राम बैकअप फीचर्स भी देता है।
दिलचस्प है कि टीटी डिवाइस में एवीआई, डीआईवीएक्स और एमपीईजी 1 के साथ-साथ एमपीईजी सपोर्ट भी मौजूद रहता है। इस डिवाइस की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि इसे आप रास्ते में, कार में बैठकर या ऑफिस में कहीं भी आसानी से यूज कर सकते हैं, जो कि चुटकियों में आपके लैपटॉप को टीवी में बदल देता है
टीटी डिवाइस के साथ मिलने वाले एक्स्ट्रा एसेसरीज-
वैसे तो बाजार में अधिकतर जगह इस डिवाइस के साथ केबल, स्टीरियो ऑडियो वायर और पॉवर एडॉप्टर मिलता है, लेकिन यूएसबी की मदद से इसे यूज करने पर पॉवर एडॉप्टर की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में यह लैपटॉप में लगे यूएसबी पोर्ट से ही पावर लेता रहता है।
वर्तमान में बाजार में मिलने वाले टीटी डिवाइस की रेंज 1000 रुपये से शुरू होकर 1 लाख रुपये तक है। वहीं, बाजार में लाइव टीवी दिखाने वाले चाइनीज डिवाइस भी आ गए हैं। तो अब देर किस बात की.. जल्द से जल्द इस डिवाइस को खरीदकर लें कहीं भी-कभी भी फ्री में लाइव टीवी का मजा।

CNN-IBN में पत्रकार सुहासिनी हैदर द्वारा नरेंद्र मोदी जी का लिया गया इंटरव्यू ...


सुहासिनी –

मोदी जी कल हम आपके गाँव वडनगर से होके आये हैं और हमें वहाँ आपके बचपन से लेके बड़े होने तक कि बहुत सारी घटनाएं पता चली ,जैसे हमें वहाँ गाँव के लोगों से पता लगा कि आपको नदी में तैराकी करने का बहुत शौक था ,हमें लोगों ने बताया कि एक बारी आप एक मगरमच्छ भी पकड़कर ले आये थे आदि आदि ,आपकी यादें क्या हैं वडनगर की ??

नरेंद्र मोदी –

दरअसल मैं मेरे गाँव के दिन...ों में एक बहुत अच्छा debater ( बहस एवं तर्क करने वाला ) था , इसके लिए मैं पढाई बहुत करता था , सारा-२ दिन लाइब्रेरी में किताबें पढता था , लेकिन एक बात मुझे अच्छे से याद है कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा होती थी तो पता नहीं क्यों मैं उसी समय काम में लग जाता था चाहे वो विपत्ति मेरे गाँव से 200 km दूर ही क्यों ना आई हो , और मुझे याद है 1962 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था तब मैं छोटा बच्चा था उस समय जब सेना के जवान मेहसाणा रेलवे स्टेशन के पास से गुजरते थे तो मैं उनको चाय-बिस्कुट इत्यादि देने में असीम आनंद का अनुभव करता था ,ये वाले जो पल हैं इन्हें मैं कभी नहीं भूल पाता हूँ क्योंकि बहुत अच्छा लगता है कि बचपन में भी देश कि सेवा करने का एक छोटा सा मौका मुझे मिला था

सुहासिनी –

आपने RSS ( संघ ) को क्यों ज्वाइन किया ??


नरेंद्र मोदी –

संघ से मेरा नाता मेरे बचपन से ही शुरू हो गया था , कब शुरू हुआ ये मुझे ध्यान नहीं लेकिन संघ कि एक पद्धति रहती है कि वे आपको बहुत प्रेम देते हैं , बहुत अपनापन देते हैं और जीवनभर का आपसे रिश्ता बना लेते हैं और उसे निभाते भी हैं और उसके कारण मैं तो खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूँ कि संघ के बहुत से महान तपस्वी जीवन जीने वाले व्यक्तियों का मेरे सिर पर हाथ रहा है और मुझे उनके आशीर्वाद मिले हैं

सुहासिनी –

जब आप पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो आपके पास सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं था , आपने फिर ये सरकार चलाना कहाँ से सीखा ??

नरेंद्र मोदी –

ये बात सही है कि जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना तो उस समय तक मैंने कोई चुनाव नहीं लड़ा था , यहाँ तक कि स्कुल में कभी मोनिटर का चुनाव तक नहीं लड़ा था , मेरी ये चुनाव वगैरह लड़ने में कोई रूचि नहीं होती थी क्योंकि मैं जमीनी स्तर पर काम करने वाले संगठन से जुड़ा इंसान रहा हूँ , लेकिन जब बाद में ये सरकार चलाने का काम मेरे जिम्मे दिया गया तो मैंने बस सीखना शुरू कर दिया और सीख गया


सुहासिनी –

आपका कोई ऐसा फैसला है जो आप बदलना चाहें या आपको लगे कि ये फैसला सफल नहीं हो पाया ??

नरेंद्र मोदी –

पहली बात है कि कोई भी व्यक्ति perfect नहीं होता है ,अगर मैं भी ये कहूँ कि मैं बिलकुल perfect हूँ तो मेरे जैसा मुर्ख कोई दूसरा नहीं होगा , मुझमें भी बहुत सारी कमियाँ हैं और मेरी सबसे बड़ी कमी ये है कि मुझे खुद कि कमियाँ कम दिखती हैं ,कई बार मेरे साथी लोग दिखाते हैं तो मेरे ध्यान में आता है कि हाँ भई यहाँ पर थोड़ी कमी रह गई है और फिर मैं उनको ठीक कर लेता हूँ , जहाँ तक बात मेरे किसी फैसले कि है तो मेरा तो वहाँ भी यही मानना है कि अगर मेरे किसी फैसले में भी कोई कमी रह गई हो तो मुझे उसको भी ठीक करना चाहिए क्योंकि आखिर लोकतंत्र ही एक ऐसी ताकत है जो कि आपको आपकी गलती को ठीक करने का अवसर देता है


सुहासिनी –

एक छोटे से गाँव वडनगर से गुजरात के गांधीनगर पर विराजमान होने कि ये जो आपकी पूरी यात्रा रही है ये काफी ऐतिहासिक और आश्चर्यजनक है ,आपको क्या लगता है ??

नरेंद्र मोदी –

मेरे मन में कभी भी ये रहा ही नहीं कि मुझे कुछ बनना है ,हमेशा से सिर्फ एक ही बात रही है कि मुझे कुछ करना है

सुहासिनी –

IT MEANS YOU DON’T HAVE ANY AMBITIONS

नरेंद्र मोदी –

YES I DON’T HAVE ANY AMBITION , I SIMPLY HAVE A MISSION and I AM COMMITTED TO THAT MISSION

सुहासिनी –

गुजरात में लोग आपको आपकी पार्टी बीजेपी से भी बड़ा मानते हैं , आपके विरोधी कहते हैं कि गुजरात में जितने भी चुनाव होते हैं सबमें हर बार जीत नरेंद्र मोदी कि वजह से ही होती है , बीजेपी का उसमें कुछ रोल नहीं होता


नरेंद्र मोदी –

देखिये कुछ लोग जब किसी चीज को स्वीकार नहीं कर पाते हैं जैसे कि मेरे बारे में इतना नेगेटिव बोला गया ,इतनी झूठी बातें मेरे बारे में फैलाई गई ,मेरे खिलाफ सब कुछ करके देख चुके उसके बावजूद भी जब मुझे हिला तक नहीं सके तो फिर उनका अहंकार उन्हें सच्चाई स्वीकार नहीं करने देता ,वे स्वीकार करते भी हैं तो उसमें किन्तु,परन्तु लगाकर और इसीलिए गुजरात में बीजेपी कि विजय को जब वे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं तो ये सब विवाद डालने कि तरकीबें अपनाते हैं कि भई ये तो मोदी कि जीत है ,बीजेपी कि नहीं है

सुहासिनी –

हमनें अहमदाबाद कि रैली में देखा कि आपने अपना भाषण लाल कृष्ण आडवाणी के भाषण के बाद दिया ,लोगों ने हमें बताया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि गुजरात में जनता सिर्फ आपको सुनने के लिए आती है और बीजेपी को डर था कि आपके आडवाणी से पहले भाषण देने के बाद जनता वहाँ से चली जायेगी और वो अडवानी जी का भाषण नहीं सुनेगी ,तो क्या ये साबित नहीं करता कि आज आपका कद आपकी खुद कि पार्टी बीजेपी से भी बड़ा हो चुका है ??


नरेंद्र मोदी –

ऐसी कोई बात नहीं है ,जिस रैली कि आप बात कर रही हैं उसमें दरअसल तय ये हुआ था कि आडवाणी जी मुझसे पहले बोलेंगे और उसके बाद मैं उन विषयों पर विस्तार से बोलूँगा जिन पर आडवाणी जी संक्षेप में बोलें हैं

सुहासिनी –

लेकिन आज अगर देश में कोई नेता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कोंग्रेस के खिलाफ सबसे ज्यादा बोलता है तो वो आप हैं ,ऐसा क्यों ??


नरेंद्र मोदी –

मैं हैरान हूँ कि हमारा ये ऐसा-कैसा लोकतंत्र है कि मोदी को तो जितनी गालियाँ देनी हों दी जा सकती हैं लेकिन अगर मैं कोंग्रेस या मनमोहन सिंह पर कोई सवाल भी उठाऊं तो आप मीडियावालों को उसमें भी परेशानी है , कमाल है

सुहासिनी –

क्या बीजेपी आज भी हिंदुत्व के मुद्दे को अपने साथ रखती है ??

नरेंद्र मोदी –

हिंदुत्व के बारे में आप जानती क्या हैं


सुहासिनी –

चलिए छोडिये इस सवाल को ,दूसरी बात करते हैं

नरेंद्र मोदी –

नहीं नहीं ,मुझे एक बारी बताइए कि क्या आपको मालुम भी है कि हिंदुत्व है क्या

सुहासिनी –

मैंने इसलिए पूछा क्योंकि बीजेपी आज भी राम मंदिर के बारे में बोलती है


नरेंद्र मोदी –

राम मंदिर कार्यक्रम है या हिंदुत्व है ,मुझे पहले ये समझा दीजिए


सुहासिनी –

ये हिंदुत्व का ही तो हिस्सा है वरना आप बता दीजिए कि क्या है हिंदुत्व

नरेंद्र मोदी –

मैं बताता हूँ आपको कि क्या है हिंदुत्व , हिंदुत्व कहता है ‘’ सर्वधर्म समभाव ‘’ यानी सभी धर्मों का सम्मान हो और सभी धर्मों के प्रति हमारे भीतर अच्छे और समान भाव हों , जरा आप बताएंगी कि इस देश में कौन है जो इस बात का विरोध करेगा, हिंदुत्व कहता है ‘’ एकमसत् विप्राः बहुधा वधंती ‘’ यानी सत्य एक है अलग-२ लोग उसको अलग-२ प्रकार से कहते हैं चाहे वो गीता के जरिये कहें या कुरआन के जरिये या महाभारत के जरिये या रामायण इत्यादि के जरिये , हिंदुत्व कहता है ‘’ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यन्ते मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।। ‘’ यानी सभी सुखी हों सबको आरोग्य मिले सबको अच्छी शिक्षा-दीक्षा मिले ये कहता है हिंदुत्व , है कोई इस देश में जो इसका विरोध करेगा

सुहासिनी –

आप वाईब्रेंट गुजरात के बारे में बोलते हैं लेकिन आपके विरोधी कोंग्रेस के लोग कहते हैं कि आप पांच करोड़ गुजरातियों कि जगह सिर्फ पांच करोड़पति गुजराती कि बात करते हैं

नरेंद्र मोदी –

मैं वाईब्रेंट गुजरात कि समिट 2 साल में सिर्फ 1 बार करता हूँ और वो भी सिर्फ 2 दिनों के लिए लेकिन मैं हर साल एक कृषि महोत्सव करता हूँ जो 30 दिन का होता है , वाईब्रेंट गुजरात कि समिट में मेरे एक हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारी नहीं लगते हैं लेकिन जो कृषि महोत्सव मैं करता हूँ उसमें मैं गाँवों में और खेतों में अपनी पूरी कि पूरी सरकार को लेके जाता हूँ जिसमें कि मेरी सरकार के 1 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी शामिल होते हैं , मैं और मेरे सभी साथी महीने भर मई-जून कि भरी गर्मी में गाँव में रहते हैं और अभियान चलाते हैं ,क्या ये मैं मेरे पांच करोड़ गुजरातियों के लिए नहीं करता हूँ , 13-14-15 जून को जहाँ 44-45 डिग्री का Temperature होता है वहाँ मेरी सरकार के सभी मंत्री ,मेरी सरकार के सभी IAS-IPS Officers और मैं गांव में रहते हैं और उन तीनों दिन घर-२ जाकर बच्चों को स्कुल में लेकर जाते हैं ,क्या ये मैं मेरे पांच करोड़ गुजरातियों के लिए करता हूँ कि नहीं करता हूँ , मैं पूरे गुजरात के अंदर चेक डैम का अभियान चला रहा हूँ अब तक मैंने 3 लाख चेक डैम बनाएँ हैं ,पूरे देश में पानी का स्तर नीचे जा रहा है लेकिन मेरे यहाँ मैं पानी का स्तर ऊपर ला रहा हूँ ,तो क्या मैं ये मेरे पांच करोड़ गुजरातियों के लिए कर रहा हूँ के नहीं कर रहा हूँ , जो वाईब्रेंट गुजरात समिट में 2 साल में 1 बार और वो भी सिर्फ दो दिन के लिए करता हूँ उस पर मेरी बुराई करने के लिए तो आपके पास तरह-२ के शब्द हैं मुहावरें हैं लेकिन हर वर्ष एक महीने तक गाँव-२ जाकर भरी गर्मी में मिटटी खाने वाली मेरी पूरी सरकार जो पसीना बहाती है राज्य कि भलाई के लिए उसकी प्रशंसा करने के लिए आपके पास दो शब्द तक नहीं हैं ,आपके मीडिया कि इसी दिशा के कारण मुझे कहना पड़ता है कि इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि सही काम को आप लोग दिखाते नहीं और झूठ को दस-२ दिन तक चलाते रहते हो

सुहासिनी –

आपने गुजरात का इतना विकास किया है ,उसे आज नई ऊचाइयों पर पहुंचा दिया है लेकिन 2002 दंगों को लेकर आप पर आरोप लगते हैं कि आपने हिंदुओं पर एक्शन नहीं होने दिया लेकिन अब इस सबको दस साल हो चुके हैं ,आज आपको देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जा रहा है तो क्या अब हम मान सकते हैं कि अगर दौबारा गुजरात में कभी वैसी ही दंगों वाली स्तिथि बनी तो अबकी बार आपका उन्हें हैंडल करने का तरीका अलग होगा ??


नरेंद्र मोदी –

आप गुजरात का अच्छा सोचिये ना बुरा क्यों सोचती हैं

सुहासिनी –

फिर भी बताइए तो अगर दौबारा वैसा हुआ तो आप थोड़ा अलग तरह से उसे हैंडल करेंगे या नहीं




नरेंद्र मोदी –

क्या फिर भी ,आप क्यों ऐसा सोचती हैं कि दौबारा वैसा होना चाहिए ,आपसे गुजरात का अच्छा क्यों नहीं सोचा जाता ,आप अच्छा सोचिये ना गुजरात का




सुहासिनी –

हम तो अच्छा ही सोचते हैं गुजरात का




नरेंद्र मोदी –

बस तो फिर सब अच्छा ही होगा

भारत के मुसलमानों ... तथाकथित धूर्त मुस्लिम नेताओ को पहचानो .. ये ओबैसी जैसे लोग कभी सच्चे मुसलमान हो ही नही सकते ...


आज अदालत में धूर्त ओबैसी ने अदालती परम्परा के अनुसार कुरान की शपथ ली .."मै कुराने पाक की कसम खाकर कहता हूँ मै जो कुछ कहूँगा सच कहूँगा और सच के सिवाय कुछ नही कहूँगा" | सब जानते है की अदालतों में हिन्दुओ को गीता और मुसलमानों को कुरान की कसम खिलाई जाती है |

फिर इसने कहा की भाषण में उसकी आवाज है ही नही ये मुझे फसाने की चाल है | इस बात पर कोर्ट में मौजूद तमाम मुस्लिम लोग हक्के बक्के रह गये क्योकि उनमे से सैकड़ो लोग उस जलसे में मौजूद थे जिसमे उसने ये भाषण दिया था | बहार निकलकर कई मुस्लिम लोग इस ओबैसी को लानत भेज रहे थे की इसने कुरान-ए-पाक की झूठी कसम सिर्फ इसलिए खाई है ताकि ये जेल न जाए ..
...
ओबैसी के इस सफेद झूठ पर जज भी भौचक्के रह गये उन्होंने कहा की आप मुसलमानों के रहनुमा बनते हो फिर कुरान की कसम खाकर झूठ बोलते हो ? फिर भी धूर्त ओबैसी ने कहा की भाषण में उसकी आवाज नही है .. इस पर अदालत ने कहा की सोच लो तुम्हारी आवाज के सैम्पल को अदालत फोरेंसिक जाँच के लिए भेजेगी फिर तुम मुसलमान कहने के लायक नही रहोगे क्योकि कोई भी मुसलमान सिर्फ चंद महीनों के सजा के लिए कुरान की झूठी कसम नही खायेगा |

फिर अदालत ने धूर्त ओबैसी के आवाज के सैम्पल को फोरेंसिक जाँच के लिए भेजने के आदेश दे दिए |

ये खबर जैसे ही हैदराबाद में फैली ओबैसी के समर्थक ओबैसी से नाराज हो गये ..और जो लोग इसकी गिरफ्तारी के खिलाफ आन्दोलन चला रहे थे वो लोग चुपचाप अपने घरो को चले गये .. एक समर्थक ने कहा की मै खुद उस सभा में मौजूद था ओबैसी ने कुरान की झूठी कसम खाकर मेरा दिल तोड़ दिया है ..

मुझे ताज्जुब है की आज कोई भी मुस्लिम नेता ने कुरान की झूठी कसम खाने वाले धूर्त ओबैसी के खिलाफ कोई फतवा जारी नही किया | दारुल उलूम क्यों खामोश है ?
.>
[ याद करो कल्याण सिंह को जिन्होंने कोर्ट में कहा की मैंने बाबरी मस्जिद गिराई मुझे जो सजा कोर्ट देगी मंजूर है .. याद करो बालठाकरे को जिन्होंने जेल जाना स्वीकार किया लेकिन झूठ नही बोला ... ]

सुखी जीवन के 10 सूत्र .....


1)जीवन में पैसा ही सब कुछ नही होता .....मास्टर कार्ड और visa की भी कोई वैल्यू है
2)जानवरों से प्यार करो ......वो स्वादिष्ट भी होते हैं
3) पानी बचाओ ....दारू पियो
4) फल और सलाद बहुत स्वास्थ्य प्रद होते हैं ..... उन्हें बीमारों के लिए रहने दो
... 5) किताबें पवित्र होती हैं ..... उन्हें मत छुओ
6) कक्षा में हंगामा नहीं करना चाहिए ........ जो सो रहे हैं वो जाग सकते हैं
7)पड़ोसियों से प्यार करो ......... लेकिन पकडे मत जाओ
8) मेहनत करने से कोई नहीं मरता .......... लेकिन रिस्क क्यूँ लेना भला
9) जो काम कल किसी और के द्वारा किया जा सकता हो ...... उसे भला आज क्यूँ करना
10)सबको शादी जरूर करनी चाहिए ........
क्यूंकि जिन्दगी में खुशियाँ ही सब कुछ नही होती
(दिल पे ना लें ) ......
सुप्रभात दोस्तों , आपका दिन शुभ हो :))

Jan 16, 2013

एक बार एक दम्पति ने भ्रूण परिक्षण के उद्येश्य से आपसी विचार विमर्श के बाद...


शुभ-प्रभात मित्रो


"एक बार एक दम्पति ने भ्रूण परिक्षण के उद्येश्य से आपसी विचार विमर्श के बाद, शहर के एक नामी क्लिनिक मेंजाने का फैसला लिया l
एक रिक्शे पर सवार होकर उन्होंने उसे सम्बंधित क्लिनिक में चलने का निर्देश दिया l
क्लिनिक आने ही वाला था कि तभी रिक्शेवाले के मोबाइल कि घंटी बज गई l
रिक्शेवाले ने दम्पति से थोड़ा रूककर बात करने कि इजाजत मांगी l दम्पति ने सहमति दे दी l दोनों पति-पत्नी एकाग्र होकर रिक्शेवाले का वार्तालाप सुनने लगे l
... जब रिक्शेवाले कि बात समाप्त हो गई तो दम्पति ने उससे पूछा कि किससे बात हो रही थी ! रिक्शेवाले ने बड़ीही सहजता से कहा कि वह मेरी एक मात्र बेटी है जो विदेश में एक मल्टीनैशनल कंपनी में २० लाख प्रति वर्ष के वेतन पर काम करतीहै l उसके पास गाड़ी, बंगला, नौकर चाकर सब हैं ! वह मुझसे साथ रहने का अनुरोध कर रही थी मगर इस रिक्शे की कमाई से मैंने उसे आजइस काबिल बनाया है तोमुझे इस पेशे पर बहुत गर्व है l इसलिए मैं उसके पास विदेश नहीं जाना चाहता हूँ !बस वह यही अनुरोध कर रही थी! पति-पत्नी ने एक दूसरे की आँखों में देखा ! मन ही मन इशारे किये और रिक्शेवाले को वापिस घर लेकर चलने को कहा !
रिक्शेवाला बोला बाबूजी ! क्लिनिक तो आ ही गया है फिर घर क्यूँ ? बाबूजी बोले अब हमारी तबियत ठीक हो गई है ! चलो वापिस ! रिक्शेवाला मन ही मन सोचने लगा की आखिर एक फ़ोन आने से इनकी तबियत कैसे ठीक हो गयी अचानक !

KBC मेँ 5 करोङ जितने वाली पहली महिला को पुछे गये सवाल...


1. छोले के साथ परोसे जाते है?-भटुरे

3.पंजाब की पारम्परीक कसीदाकारी है?-
फुलवारी

... 5. शरीर का सबसे लम्बा आँरगन है?- त्वचा
6. किसने कहा था 'उनका सपना मुंबई को शंघाई
बनाना है?- विलासराव देशमुख

7. सीरस, स्ट्रटस, क्युमूल्स किसके प्रकार है?- बादल

8. किस खेल का नाम एक जगह के नाम पर पङा है? -
मेराथन

9. 1610 मेँ सबसे पहले शनी ग्रह को टेलिस्कोप
की सहायता से किसने देखा था?-
गैलीलियो गैलीली

10. कौनसे नेता सबसे अधिक समय तक कांग्रेस
पार्टी के अध्यक्ष रहे है- सोनिया गाँधी
11. 1846 मेँ गुलाब सिँह ने अंग्रेजो से 75 लाख रुपए मेँ
क्या खरीदा था?- कश्मीर

12.डाँ. सुभाष मुखर्जी द्वारा IVF तकनीक से
विकसीत भारत की पहली टेस्ट ट्युब बेबी का नाम है
- दुर्गा

13. दुनिया की दुसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी K2 पर
सफलतापूर्वक चढने वाली पहली महिला है।-
वांडा रुत्कीविच

कहानी..........दो नगीने...


किसी शहर में एक रब्बाई (यहूदी पुजारी) अपनी गुणवती पत्नी और दो प्यारे बच्चों के साथ रहता था. एक बार उसे किसी काम से बहुत दिनों के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा. जब वह दूर था तब एक त्रासद दुर्घटना में उसके दोनों पुत्र मारे गये.
...
ऐसी दुःख की घड़ी में रब्बाई की पत्नी ने खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला. वह बहुत हिम्मती थी और ईश्वर में उसकी आस्था अटूट थी. लेकिन उसे यह चिंता थी कि रब्बाई के लौटने पर वह उसे यह दुखद समाचार किस प्रकार देगी. रब्बाई स्वयं बहुत आस्थावान व्यक्ति था लेकिन वह दिल का मरीज़ था और पूर्व में अस्पताल में भी भर्ती रह चुका था. पत्नी को यह आशंका थी कि वह यह सदमा नहीं झेल पायेगा.

पति के आगमन की पूर्व संध्या को उसने दृढ़तापूर्वक प्रार्थना की और शायद उसे अपनी समस्या का कोई समाधान मिल गया.

अगली सुबह रब्बाई घर पहुँच गया. बड़े दिनों के बाद घर वापसी पर वह पत्नी से गर्मजोशी से मिला और लड़कों के बारे में पूछा.

पत्नी ने कहा, "उनकी चिंता मत कीजिये. आप नहा-धोकर आराम करिए".

कुछ समय के बाद वे भोजन करने के लिए बैठे. पत्नी ने उससे यात्रा के बारे में पूछा. रब्बाई ने उसे इस बीच घटी बातों की जानकारी दी और कहा कि ईश्वर की दया से सब ठीक हुआ. फिर उसने बच्चों के बारे में पूछा.

पत्नी कुछ असहज तो थी ही, फिर भी उसने कहा, "उनके बारे में सोचकर परेशान मत होइए. हम उनकी बात बाद में करेंगे. मैं इस वक़्त किसी और उलझन में हूँ, आप मुझे उसका उपाय बताइए".

रब्बाई समझ रहा था कि कोई-न-कोई बात ज़रूर थी. उसने पूछा, "क्या हुआ? कोई बात तो है जो तुम्हें भीतर-ही-भीतर खाए जा रही है. मुझे बेखटके सब कुछ सच-सच बता दो और हम साथ बैठकर ईश्वर की मदद से उसका हल ज़रूर निकाल लेंगे".

पत्नी ने कहा, "आप जब बाहर थे तब हमारे एक मित्र ने मुझे दो बेशकीमती नगीने अहतियात से सहेजकर रखने के लिए दिए. वे वाकई बहुत कीमती और नायाब नगीने हैं! मैंने उन जैसी अनूठी चीज़ और कहीं नहीं देखी है. अब वह उन्हें लेने के लिए आनेवाला है और मैं उन्हें लौटाना नहीं चाहती. मैं चाहती हूँ कि वे हमेशा मेरे पास ही रहें. अब आप क्या कहेंगे?"

"तुम कैसी बातें कर रही हो? ऐसी तो तुम नहीं थीं? तुममें यह संसारिकता कहाँ से आ गयी?", रब्बाई ने आश्चर्य से कहा.

"सच यही है कि मैं उन्हें अपने से दूर होते नहीं देखना चाहती. अगर मैं उन्हें अपने ही पास रख सकूं तो इसमें क्या बुरा है?", पत्नी ने कहा.

रब्बाई बोला, "जो हमारा है ही नहीं उसके खोने का दुःख कैसा? उन्हें अपने पास रख लेना तो उन्हें चुराना ही कहलायेगा न? हम उन्हें लौटा देंगे और मैं यह कोशिश करूंगा कि तुम्हें उनसे बिछुड़ने का अफ़सोस नहीं सताए. हम आज ही यह काम करेंगे, एक साथ".

"ठीक है. जैसा आप चाहें. हम वह संपदा लौटा देंगे. और सच यह है कि हमने वह लौटा ही दी है. हमारे बच्चे ही वे बेशकीमती नगीने थे. ईश्वर ने उन्हें सहेजने के लिए हमारे सुपुर्द किया था और आपकी गैरहाजिरी में उसने उन्हें हमसे वापस ले लिया. वे जा चुके हैं...".

रब्बाई ने अपनी पत्नी को भींच लिया और वे दोनों अपनी आंसुओं की धारा में भीगते रहे. रब्बाई को अपनी पत्नी की कहानी के मर्म का बोध हो गया था. उस दिन के बाद वे साथ-साथ उस दुःख से उबरने का प्रयास करने लगे.

Jan 14, 2013

मच्छर मारने का सबसे आसान तरीका !


मच्छर मारने का सबसे आसान तरीका!
चीनी और लाल मिर्च का मिश्रण बना कर
मच्छर को दें।
मिश्रण खाते ही वो पानी की तलाश में
निकलेगा।
... जैसे ही वो पानी के टैंक के पास जाए उसे
धक्का दे दो।
वो भीग जाएगा और खुद को सुखाने के
लिएआग के पास जाएगा।
उसी वक्त आप आग में बम फ़ेंक दें।
वो बुरी तरह ज़ख़्मी हो के अस्पताल में
दाखिल हो जाएगा।
आप वहां जाकर उसका आक्सीजन मास्क
उतार दें।
मच्छर मर जाएगा...
धन्यवाद की ज़रूरत नहीं है, मुझे आप
की सहायता करके ख़ुशी हुई।

Jan 13, 2013

" अगर पाकिस्तान की हरकते जारी रही ...to..photo


" अगर पाकिस्तान की हरकते जारी रही ..वायु सेना स्वंय करेगी कारवाई , हम किसी सरकार के निर्देश का इन्तजार नहीं करेंगे .."
ए . के . ब्राउन ( भारतीय वायुसेना अध्यक्ष )

एक प्रेमी और प्रेमिका शादी के पहले ...


एक प्रेमी और प्रेमिका शादी के पहले आपस में बहुत प्यार करते थे।
थोड़ी नोक झोक उनमें होती रहती थी। फिर प्यार से मान जाते थे वे।
शादी के बाद तो उनमें हर छोटी- मोटी बात को लेकर नोक- झोक होती थी।
कई कई दिन तक उनमें बातचित बन्द रहती थी।
आज दोनो की सालगिरह थी। लेकिन लड़की ने जानबूझ कर नहीं बताया।
... वो देखना चाहती थी की उसके पति को याद है की नहीं।
पर आज पति सुबह ही उठा और नहा धो कर जल्दी ही बाहर चला गया।
बिवि रुआँसी हो गई। थोड़ी देर बाद दरवाजे पर घण्टी बजी,वो दरवाजा खोली। देखा पति गुलदस्ते और उपहारो के साथ एनिवर्सरि सरप्राईज
लाया था। उसने उपहार लेकर पति को गले से लगा लिया फिर पति घर के अन्दर चला गया।
तभी बिवि के मोबाईल पे पुलिस वाले का कॉल आया की, उसके पति की लाश मिलि है। उसके पति का एक्सिडेंट हो चूका है।
वो सोचने लगी की उसका पति अभी तो गिफ्ट देकर अन्दर ही गया है।
फिर उसे वो बात याद आ गई जो उसने सुना था की मरने के बाद अन्तिम इच्छा पूरी करने के लिये इंसान कीआत्मा एक बार आती है। वो दहाड़ मार के रोते हुये कमरे में गई। सच में उसका पति वहाँ पर नहिं था।
वो रोने लगी उसे अपने किये गये सारे नोक झोंक याद आने लगे। वो चिल्लाने लगी प्लीज कमबैक,प्लीज कमबैक। मैं कभी नहीं लड़ुँगी।
तभी बाथरूम से उसका पति निकला और रोने का कारण पूछा।
बिवि उसके सीने से लिपट गई और रोने लगी फिर सारी बात
बताई। तब पति ने बताया की आज सुबह उसका पर्स चोरी हो गया था।
ऐसे ही जिन्दगी में कई अहम रिश्ते और दोस्ती होते है, जिनका महत्व हमें तब समझ आता है।जब वो नहीं होते। प्यार बाँटिये नफरत कहाँ तक ढ़ो पायेंगे।
रिश्तो की अहमियत को समझिये।।।

Jan 12, 2013

सरकारी नाई ने बाल काटते समय कपिल सिब्बल से पूछा .....


सरकारी नाई ने बाल काटते समय कपिल सिब्बल से पूछा -"साहब यह स्विस बैंक वाला क्या... लफड़ा है"...???? .
सिब्बल चिल्लाये -"अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वारी कर रहा है"..?? ... .
नाई बोला -"सॉरी अब नहीं पूछूँगा...".
अगली बार नाई ने चिदम्बरम साहब से पूछा -"यह काला धन क्या होता है"..?? .
चिदम्बरम चिल्लाये और बोल...-"तुम हमसे ये सावल क्यूँ पूछता है"..?? .
... अगले दिन नाई से सी बी आई कीटीम ने पूछताछ की -"क्या तुम बाबा या अन्ना के एजेंट हो"..?? .
नाई बोला -"नहीं साबजी..".
सी बी आई -"तो फिर तुम बाल काटते वक़्त काग्रेस के नेताओं से फालतू के सवाल क्यूँ करते हो"..?? .
नाई बोला -"साहब , ना जाने क्यूँ स्विस बैंक और काले धन के नाम पर इन कांग्रेसियों के बाल खड़े हो जाते है और मुझे बाल काटने में आसानी हो जाती है....इसलिए पूछता रहता हूँ"...!!!!!!

'हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं, वे गर्दन काट रहे हैं'


'सरकार शहीद पति का सिर गांव लेकर आए, तब ही मुझे संतुष्टि मिलेगी, उनकी आत्मा को भी शांति मिलेगी।'पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बरता के कारण अपने पति के अंतिम दर्शन नहीं कर पाईं शहीद हेमराज की पत्नी धर्मवती रोते हुए बार-बार यही शब्द दोहरा रही थीं। उन्होंने कहा,'सरकार पाकिस्तान के साथ दोस्ती की बात करती है। हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और वह गर्दन काट रहे हैं।'

गुरुवार को वह एक तरफ रोती रहतीं और दूसरी तरफ पति के अंतिम दर्शन नहीं कर पाने की दुहाई देती जातीं। परिजन और गांव की महिलाएं उनको संभालने की कोशिश करते पर वे भी हार मान लेते। बस एक ही वाक्य उनके मुंह से निकलता,'मैं उनका आखिरी बार चेहरा भी नहीं देख पाई।'
...
'अंतिम दर्शन नहीं कराए'
रुंधे गले से धर्मवती बोलीं कि गांव में बुधवार की रात जब उनके पति का शव आया तो सेना के जवानों ने उनको और बच्चों को अंतिम दर्शन नहीं कराए। वह गुहार करती रहीं लेकिन उनको पति के पार्थिव शरीर से अलग कर अंतिम संस्कार कर दिया गया। तीन माह से बच्चों ने पिता को नहीं देखा था। बच्चे भी पिता के दर्शन करने के लिए हो-हल्ला मचाते रहे। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था।'कहकर गए थे कि सात फरवरी को आएंगे, लेकिन उससे पहले उनका शव गांव आ गया। मैं उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकी।'

'शहीद पति का सिर लाए सरकार, तभी मिलेगी शांति'
आंसुओं के बीच धर्मवती की आंखों में आक्रोश भी झलका। उन्होंने एका एक कहा,'सरकार पाकिस्तान के साथ दोस्ती की बात करती है। हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और वह गर्दन काट रहे हैं। क्या सरकार ऐसा ही करती रहेगी। उनकी आत्मा को शांति तो तभी मिलेगी जब केंद्र सरकार और सेना के जवान ईंट का जवाब पत्थर से दें, उसके पति का सिर गांव लाएं और उनका दर्शन कराएं।'
सरकारी रवैये से गांव वालों में गुस्सा
खैरार गांव के लोगों के दिलों में यही टीस है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव क्यों नहीं आए? गांव ही नहीं पूरी तलहटी में इस बात को लेकर आक्रोश है कि एक शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सरकार की ओर से कोई नहीं आया। बुधवार रात शहीद हेमराज का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अफसर भी एक-एक कर चले गए। अधिकारियों में से किसी ने परिजनों को सांत्वना के दो शब्द नहीं कहे। गुरुवार को शासन और प्रशासन की इस उपेक्षा से आक्रोश पनप उठा। आनन-फानन में मुख्यमंत्री का पुतला तैयार किया और फूंक दिया।

कुंभ नहान में बनारसी अव्वल......


कुंभनगरी : संगम पर पवित्र स्नान करने वालों में बनारस के श्रद्धालुओं का कोई सानी नहीं। यह अंग्रेजी हुकूमत के समय जुटाए गए एक आंकड़े से स्पष्ट हुआ है। 1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने संगम आने वाले सभी प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर आने वालों की गिनती की थी। इसके अलावा रेलवे टिकट की बिक्री के आंकड़ों को भी आधार बनाकर कुल स्नान करने वालों की संख्या का अनुमान लगाया गया था। आंकडों के अनुसार बनारस से 34821, कानपुर से 31275 व जबलपुर से 24876 लोग कुंभ में पहुंचे थे। देश के अन्य हिस्सों को मिलाकर लगभग दस लाख लोगों ने कुंभ स्नान किया था। दस्तावेजों के अनुसार 1882 के कुंभ में आठ लाख 39 हजार लोग सड़क के रास्ते से प्रयाग पहुंचे थे। जीटी रोड से 39 हजार, सराय अकिल रोड से 25 हजार, लिंक रोड से 50 हजार ने प्रयाग की धरती पर कदम रखा था। इसके अतिरिक्त तकरीबन एक लाख लोग विभिन्न छोटे रास्तों से पहुंचे थे। स्नान करने वालों में लगभग 50 हजार लोग स्थानीय थे। बनारस स्थित राजघाट और फाफामऊ पुल पर टोल टैक्स भी वसूले जाने का जिक्र किया गया है। 1882 में बिके थे सवा लाख टिकट : 1882 की एक जनवरी से 19 जनवरी तक देश के विभिन्न स्टेशनों से प्रयाग के लिए एक लाख 25 हजार टिकट बेचे गए थे। बेचे गए टिकटों के अनुसार दिल्ली से 1817, लखनऊ से 1538, हावड़ा से 1737, पटना से 3092, गया 2230, आगरा 7538, इटावा 1446, जसवंत नगर 1773, हाथरस 1374, गाजियाबाद 1924 लोग प्रयाग आए थे। इसके अतिरिक्त मथुरा से 1114, मिर्जापुर से 19638, मानिकपुर से 6779, सतना से 3889, मैहर से 1084, कटनी से 2003 तीर्थयात्री स्नान करने आए।

Jan 10, 2013

प्रोफ़ेसर: - बुराई क्या है ?


प्रोफ़ेसर: - बुराई क्या है ?
छात्र :- - "सर , मैं समझा सकता हूँ ,
लेकिन पहले मेरे कुछ सवालों का जवाब देंगे ?
ठंड मौजूद है क्या ?
प्रोफेसर : - हाँ ............

छात्र :- गलत श्रीमान ,
ठंड की तरह का कुछ भी नहीं है , यह गर्मी का पूर्ण अभाव है .

छात्र फिर से पूछा :- क्या अंधेरा विद्यमान है ?
प्रोफेसर :- हाँ ...........

छात्र :- आप फिर गलत हैं महोदय..
अंधेरे की तरह कुछ भी नहीं है.. यह वास्तव में प्रकाश का पूर्ण अभाव है..

भौतिक विज्ञान के अनुसार हम प्रकाश और गर्मी का अध्ययन कर सकते हैं..
लेकिन अंधेरे और ठंड का नहीं..
इसी तरह श्रीमान, बुराई कुछ भी नहीं है..
" वास्तव में यह विश्वास, प्रेम, और भगवान पर सच्चे विश्वास का अभाव है.. "

यह छात्र सी. वी. रमन थे...

नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में मुसलमानों पर इतने अत्याचार किये….


आईये देखते हैं कि आखिर गुजरात में मोदी ने मुसलमानों पर कौन-कौन से अत्याचार किये हैं,–

पेश किये जा रहे आँकड़े और तथ्य मनगढ़न्त नहीं हैं, बल्कि केन्द्र सरकार द्वारा गठित सच्चर कमीशन की रिपोर्ट में से लिये गये हैं। जी हाँ, “गुजरात में मुस्लिमों पर इतने ज़ुल्म ढाये गये हैं कि गुजरात के मुसलमान देश के बाकी सभी हिस्सों के मुसलमानों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के मामले में आगे निकल गये हैं…”।

1) गुजरात में मुस्लिमों का साक्षरता प्रतिशत 73%, जबकि बाकी देश में 59%।

2) ग्रामीण गुजरात में मुस्लिम लड़कियों की साक्षरता दर 57%, बाकी देश में 43%।

3) गुजरात में प्राथमिक शाला पास किये हुए मुस्लिम 74%, जबकि देश में 60%।

4) गुजरात में हायर सेकण्डरी पास किये मुस्लिमों का प्रतिशत 45%, देश में 40%।

शिक्षा सम्बन्धी सारे के सारे आँकड़े मुस्लिम हितों की कथित पैरवी करने वाले, मुस्लिम हितैषी(?) पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और बिहार से कोसों आगे हैं।

1) गुजरात के जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 2000 से अधिक है वहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की उपलब्धता है 89%, जबकि बाकी देश में 70%।

2) जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 1000 से 2000 के बीच है वहाँ स्वास्थ्य केन्द्र का प्रतिशत 66% है, जबकि देश का औसत है 43%।

3) जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 1000 से कम है वहाँ 53%, राष्ट्रीय औसत है सिर्फ़ 20%।

शायद राहुल गाँधी आपको बतायेंगे, कि उनके पुरखों ने बीते 60 साल में, भारत के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिये कितने महान कार्य किये हैं।

1) गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिमों की प्रति व्यक्ति आय 668 रुपये हैं, पश्चिम बंगाल में 501, आंध्रप्रदेश में 610, उत्तरप्रदेश में 509, मध्यप्रदेश में 475 और मीडिया के दुलारे जोकर यानी लालू द्वारा बर्बाद किये गये बिहार में 400 रुपये से भी कम।

2) गुजरात के शहरों में भी मुस्लिमों की बढ़ती आर्थिक सम्पन्नता इसी से प्रदर्शित होती है कि गुजराती मुस्लिमों के बैंक अकाउंट में औसत 32,932 रुपये की राशि है, जबकि यही औसत पश्चिम बंगाल में 13824/- तथा आसाम में 26,319/- है।

“लाल झण्डे वाले बन्दर” हों या “पंजा छाप लुटेरे’, इनकी राजनीति, रोजी-रोटी-कुर्सी इसी बात से चलती है कि किस तरह से भारत की जनता को अधिक से अधिक समय तक गरीब और अशिक्षित बनाये रखा जाये। क्योंकि उन्हें पता है कि जिस दिन जनता शिक्षित, समझदार और आत्मनिर्भर हो जायेगी, उसी दिन “लाल झण्डा” और “परिवार की चमचागिरी” दोनों को ज़मीन में दफ़ना दिया जायेगा। इसीलिये ये दोनों शक्तियाँ मीडिया को पैसा खिलाकर या उनके हित साधकर अपने पक्ष में बनाये रखती है, और नरेन्द्र मोदी जैसों के खिलाफ़ “एक बिन्दु आलोचना अभियान” सतत चलाये रखती हैं, हिन्दू आराध्य देवताओं, हिन्दू धर्मरक्षकों, संतों और शंकराचार्यों के विरुद्ध एक योजनाबद्ध घृणा अभियान चलाया जाता है, लेकिन जब गुजरात सम्बन्धी (उन्हीं की सरकार द्वारा गठित टीमों द्वारा पाये गये) आँकड़े और तथ्य उन्हें बताये जाते हैं तो वे बगलें झाँकने लगते हैं। ढीठता और बेशर्मी से बात तो ऐसे करते हैं मानो भारत के इतिहास में सिर्फ़ गुजरात में ही दंगे हुए, न पहले कभी कहीं हुए, न अब कभी होंगे।

गुजरात के विकास के लिये नरेन्द्र मोदी को क्रेडिट देते समय मीडिया वालों का मुँह ऐसा हो जाता है, मानो उन्हें किसी ने उन्हें अरंडी के बीज का तेल पिला दिया हो। तीन-तीन चुनाव जीते हुए, दस साल से एक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे किसी व्यक्ति के खिलाफ़ इतिहास में आज तक कभी ऐसी उपेक्षा-अपमान-आलोचना नहीं आई होगी, न तो 15 साल में बिहार को चरने वाले लालू के… न ही दस साल राज करके मध्यप्रदेश को अंधेरे में धकेलने वाले दिग्गी राजा के…, परन्तु नरेन्द्र मोदी की गलती सिर्फ़ एक ही है (और आजकल यही सबसे बड़ी गलती भी मानी जाती है) कि वे हिन्दुत्ववादी-राष्ट्रवादी शक्तियों के साथ हैं। मजे की बात तो यह है कि गुजरात के इन नतीजों के बावजूद सच्चर कमेटी ने मुसलमानों को पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की सिफ़ारिश कर दी है, जबकि सच्चर साहब को केन्द्र सरकार से सिफ़ारिश करना चाहिये थी कि नरेन्द्र मोदी के “थोड़े से गुण” देश के बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्रीय मंत्रियों के दिमागों में भरे जायें…।

एक लड़का सदा अपनी मेज़ पर 'पी' लिख कर रखता था...


एक लड़का सदा अपनी मेज़ पर 'पी' लिख कर रखता था। वह
अपनी किताबों और कॉपियों पर भी सदा 'पी' लिख
दिया करता था। घर पर भी उसने जगह-
जगह पर 'पी' लिख छोड़ा था। लोग हैरान होते थे, पर वह
किसी को कुछ
नहीं बताता था। धीरे-धीरे लोगों ने पूछना छोड़ दिया।
हाई स्कूल केबाद वह
कॉलेज में दाखिल हुआ। वहांभी 'पी' लिखने का उसका वह
क्रम चालू रहा। कुछ दिनों तक लड़के आपस में चर्चा भी करते
रहे, पर कोई उसक...े रहस्य को नहीं समझ सका। आखिर में
सहपाठियों ने मज़ाक में उसका नाम ही 'पी साहब' रख
दिया। पर वह क़तई परेशान नहीं हुआ। पढ़ाई में वह खूब मन
लगाता था, अत: एमए में फर्स्ट डिविज़न पास हुआ, और उसे
अपने ही स्कूल में प्रिंसिपल की नौकरी मिल गई।
प्रिंसिपल बनकर जब वह पहले दिन स्कूल में
आया तो छात्रों को अपने'पी' लिखने का रहस्य बताया,
बचपन से ही मेरी कामना थी कि अपने स्कूल का प्रिंसिपल
बनूं। इसी को याद रखने के लिए सदा अपने सामने 'पी'
लिखा हुआ रखता था। आज मेरा वह सपना पूरा हो गया।

एक बार एक अंग्रेज हिन्दुस्तान आया......जरुर पढ़े


एक बार एक अंग्रेज हिन्दुस्तान में आया उसने एक दुकानदार से कहा कि मुझे आप हिंदी सिखाओ। मैं आपके यहां नौकरी करूंगा। उसने कहा मेरे पास एक सेब की दुकान है। यहां जो भी ग्राहक आता है वो तीन चीजें बोलता है।

पहली: सेब क्या भाव है?

दूसरी: कुछ खराब हैं?

तीसरी: मुझे नहीं लेने।

इसके बाद अंग्रेज को बताया इनके जवाब में उसको बोलना है तीस रूपए किलो। फिर कहना है कुछ-कुछ खराब हैं और जब ग्राहक जाने लगे तो कहना तुम नहीं ले जाओगे तो कोई और ले जाएगा।

थोड़ी देर बाद दुकान पर एक लड़की आई। उसने पूछा: रेलवे स्टेशन जाने को कौन सा रास्ता है? अंग्रेज ने कहा तीस रूपए किलो। लड़की ने कहा: तेरा दिमाग खराब है क्या? अंग्रेज ने कहा कुछ-कुछ खराब है। लड़की ने कहा: तुझे थाने लेकर जाना पड़ेगा। अंग्रेज ने कहा: तुम नहीं ले जाओगे तो कोई और ले जाएगा। हम तो खड़े ही है इस काम के लिए।

Jan 9, 2013

पाकिस्तान द्वारा दो भारतीय सैनिकों की निर्मम हत्या की दुखद घटना ....जवाब ...


पाकिस्तान द्वारा दो भारतीय सैनिकों की निर्मम हत्या की दुखद घटना पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए सेना के एक उच्च पदाधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री को किया गया फोन ......
यदि विभिन्न नेता प्रधानमन्त्री होते तो उनके सेना के उच्च पदाधिकारी के लिए क्या जवाब होता आइये जानते हैं :

सेना अधिकारी : सर, आज दुशमनों की तरफ से हमारे दो जवानों शहीद कर दिए गए हैं, आपका क्या आदेश है ?

मनमोहन सिंह : ...............­.... मेडम जी से पूछकर बताता हूँ l

राहुल गाँधी : पाकिस्तानियों से बड़े दुश्मन हिन्दू संघटन है पहले उनपर कार्यवाई करो l

चिदम्बरम : हर हमला रोक पाना संभव नहीं ऐसे हादसे तो होते रहते हैं l

मुलायम सिंह : कुछ भी हुआ हो पर किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए l

मायावती : पहले ये बताओ की मरने वाले जवान दलित थे या मनुवादी ?

नितीश कुमार : फ़िलहाल अगले आदेश की प्रतीक्षा करें, हमारे किसी भी निर्णय से देश का सांप्रदायिक सद्भाव खतरे में पड़ सकता है l

नरेन्द्र मोदी : वो 2 सर ले गए हैं तो मुझे उनके 10 सर चाहिए l

सेना अधिकारी : पर सर, इसके लिए LOC को लांघना होगा, अन्तराष्ट्रीय बिरादरी नाराज़ होगी l

नरेन्द्र मोदी : अन्तराष्ट्रीय बिरादरी से मैं निपट लूँगा पर मुझे दुश्मनों के 10 सर चाहिए, इसके लिए आपको मैं पूरी छूट देता हूँ और इसके लिए आपको हर प्रकार की सहायता दी जाएगी l

अपनी हिन्दी को विश्व मंच पर सम्मान दिलायें....


क्या आप जानते हैं -

-हिन्दी भाषा 'इंडो यूरोपियन' परिवार से संबंध रखती है।
- इस भाषा के उद्गम का महाद्वीप 'एशिया' व देश 'भारत' है।
- भारत देश में हिन्दी भाषा को अधिकृत रुप से उपयोग किया जाता है।
- 366,000,000 लोगों के लिए यह भाषा 'मातृभाषा' है वहीं इस भाषा को कुल 487,000,000 लोग उपयोग करते हैं।
- हिन्दी की वर्णमाला में 11 स्वर व 33 समस्वर हैं।
- हिन्दी की देवनागरी लिपि को प्राचीन ब्राह्मी से लिया गया है
- हिन्दी की ढेरों बोलियाँ है जिसमें निमाड़ी, बुंदेलखंडी, खड़ीबोली आदि शामिल है।
- 80 हिन्दी स्कूल अमेरिका मे और 95 हिन्दी स्कूल कनाडा में हैं ।
- 24 विश्वविद्यालय मौरीशस में हैं ।
- लगभग ९५ हिन्दी शिक्षण संस्थायें औस्ट्रेलिया मे हैं ।
- वर्तमान में हिन्दी साउथ एशिया (भारत, पाकिस्तान, नेपाल व भूटान), साउथ अफ्रीका, मॉरीशस, यूएसए, कनाडा, फिजी, युगांडा, गुएना, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, न्यूजीलेंड, सिंगापुर जैसे देशों में भी व्यापक स्तर पर बोली जा रही है।

आओ हम सब अपनी हिन्दी का मान बढायें ।
इस हिन्दी रूपी सूत्र में बंध कर एक हो जायें ।
और अपनी हिन्दी को विश्व मंच पर सम्मान दिलायें ।

आज सिर्फ हम कह रहे हैं, पर हम प्रयास करेंगे तो एक दिन पूरी दुनिया कहेगी जो बात हिन्दी में है, वो किसी और में नहीं

सरदार पर भददा जोके करने से पहले एक बार ये जरुर सोच लेना....


कुछ दोस्त मिलकर दिल्ली घूमने का प्रोग्राम
बनाते है और रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर एक
टेक्सी किराए पर लेते है , उस टेक्सी का ड्राइवर
बुढ्ढा सरदार था, यात्रा के दौरान
बच्चो को मस्ती सूझती है और सब दोस्त
मिलकर बारी बारी सरदार पर बने जोक्स
को एक दुसरे को सुनाते है उनका मकसद उस
ड्राइवर को चिढाना था . लेकिन वो बुढ्ढा सरदार
चिढना तो दूर पर उनके साथ हर जोक पर हस
रहा था , सब साईट सीन को देख बच्चे वापस
रेलवे स्टेशन आ जाते है …और तय
किया किराया उस सरदार को चुकाते है , सरदार
भी वो पैसे ले लेता है , पर हर बच्चे
को अपनी और से एक एक रूपया हाथ में देता है
एक लड़का बोलता है “बाबा जी हम सुबह से
आपके धर्म पर जोक मार रहे है , आप
गुस्सा तो दूर पर हर जोक में हमारे साथ हँस रहे
थे , और जब ये यात्रा पूरी हो गई आप हर लडके
को प्यार से एक-एक रूपया दे रहे है ,
ऐसा क्यों ? ”
सरदार बोला ” बच्चो आप अभी जवान
हो आपका नया खून है आप मस्ती नहीं करोगे
तो कौन करेगा ? लेकिन मेने आपको एक-एक
रूपया इस लिए दिया के जब वापस आप अपने
अपने शहर जाओगे तो ये रूपया आप उस सरदार
को दे देना जो रास्ते में भीख मांग रहा हो , इस
बात को दो साल हो गए है और जितने लडके
दिल्ली घूमने गए थे सब के पास वो एक रुपये
का सिक्का आज भी जेब में पड़ा है …उन्हें कोई
सरदार भीख मांगता नहीं दिखा।
वह गैरेज खोलेगा ट्रक चलाएगा लेकिन भीख
नहीं माँगेगा। उनकी आबादी देश
की आबादी की मात्र 1.4% हैं पर टोटल टैक्स में
उनका हिस्सा 35% का हैं, और सेना में
भी 50000 से भी अधिक हैं। उनके लंगरों में
खाना खाने वालो की जाति और धर्म
नहीं पूछा जाता अल्पसंख्यक हैं पर अपने लिए
आरक्षण नहीं माँगते स्वंत्रता आन्दोलन में सबसे
अधिक अपने बेटो को खोया हैं पर कभी बदले में
कुछ माँगा नहीं क्या बाकी के धर्म वाले उनसे
कुछ सीखेंगे ??
Our Sikhs Brother contribute:-
* 35% of total income tax
* 67% of total charities
* 45% of Indian Army
* 59,000++ Gurudwaras serve
LANGAR to 5,900,000+ people
everyday !
किसी भी सरदार पर भददा जोके करने से पहले
एक बार ये जरुर सोच लेना कि देश के लिए
अपनी जवानी को दावं पर लगा देने वाले शाहिद
भगत सिंह भी एक सरदार थे..
शेयर करके सच्चे खालसाओ का धन्यवाद
ज्ञापित करिए

Jan 7, 2013

एक गिलास दूध


एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा. दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजाखोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उस...ने पानी का एक गिलास पानी माँगा.लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक........बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया." कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा." पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव मेंकहा." माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए."" तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देताहूँ."जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकीथी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था.

सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वहएकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बचगयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान लेलेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था," एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुकाहै." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालोंपर आंसूटपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपकाबहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है.

Jan 5, 2013

चौकीदार बोला....फाटक बंद रखना मेरी पॉवर में है....


एक चौकीदार था जिसकी ड्यूटी एक रेलवे के फाटक पर लगी हुई थी...सालों से वो एक फाटक पर कार्यरत था...एक ही क्रम था- ट्रेन आने पर फाटक खोलना और ट्रेन के चले जाने पर फाटक खोल देना.....उसकी पत्‍‌नी अक्सर खाना लेकर वहां आती थे और उसके काम से अच्छी तरह परिचित थी.....उसकी पत्‍‌नी को ऐसा लगता था कि ये काम बहुत ही बोरिंग है और उसका पति बहुत ही बेकार आदमी है.....एक दिन आखिर अपने पति से उसने पूछ ही लिया.....

"मै देखती हूँ सबके पास कुछ ना कुछ पॉवर होती है लेकिन तुम्हारे पास तो कोई पॉवर ही नही है !"

उसके पति को लगा जैसे उसने सीधे अहम् पर चोट मारी हो...उसने गुस्से से बोला...
... "मै चाहूं तो किसी को भी कितनी देर तक रोक कर रख सकता हूँ…"

पत्‍‌नी बोली: ठीक है, फिर मुझे भी दिखाओ अपनी पॉवर !
.
.
उसी समय एक ट्रेन आनी थी, उसने फाटक लगा दिया...

तभी एक नेता का काफिला वहाँ आ कर रुका और फाटक खुलने का इंतज़ार करने लगा...

लेकिन ट्रेन चले जाने के काफी देर बाद भी जब फाटक नही खुला तो नेता जी ने साथ आ रहे पुलिस वाले को भेजा, ये बोलकर कि जाओ देखो क्या मामला है...
.
.
पुलिस वाला जा कर उससे पूछा: फाटक क्यों नही खोलते ?
चौकीदार: मेरी मर्ज़ी, नही खोलता अभी....ये मेरी पॉवर में है !
पुलिस वाले ने तुरंत उसे गलियाँ देकर दो चार तमाचे जड़े और फाटक खुलवाया...

ये देखकर उसकी पत्‍‌नी चौकीदार से बोली:
तुम तो कहते थे ये तुम्हारी पॉवर है, और पुलिस वाला तुम्हे गाली देकर और पीटकर निकल गया !

चौकीदार बोला.....
.
.
.
.
"जैसे फाटक बंद रखना मेरी पॉवर में है....गाली देना और पीटना उसकी पॉवर में है..."

"सीख: पॉवर का दुरुपयोग नुकसानदेह होता है….."

Jan 1, 2013

बनारस वाले की एक मजेदार......


कल साल का आखिरी दिन मंगरू को एक मजेदार याद दे गया...आपसे भी शेयर करता हूँ...

मंगरू सुलभ शौचालय की लाइन में लगा था...भीड़ काफी थी...क़रीब 20-25 लोग लाइन में खडे थे...लेकिन एक बडी अजीब चीज देखी मंगरू ने कि लोग शौचालय से सामान्य से थोडा जल्दी और मुस्कुराते हुए निकल कर आ रहे थे...माजरा कुछ समझ में नही आया...मंगरू नए सोचा चलो अपनी भी बारी आएगी...
.
मंगरू की बारी आई...
... .
बैठते ही सामने दीवार पर नजर पडी...वहां लिखा था...
"जरा बाएँ देखिए..."
मंगरू ने बैठे बैठे ही बाई तरफ़ देखा...
.
वहां लिखा था...
"जरा दाएँ देखिए..."
.
मंगरू ने बैठे बैठे ही दाईं तरफ़ देखा...
वहां लिखा था...
"जरा पीछे देखिए..."
.
मंगरू ने बैठे बैठे ही पीछे देखा...
वहां लिखा था...
"जरा ऊपर देखिए..."
.
मंगरू ने बैठे बैठे ही ऊपर देखा...
वहां लिखा था...
.
.
.
.
.
अबे सा* पिछले 10 मिनट से देख रहा हूँ आगे पीछॆ दाएँ बाएँ देख रहा है...जल्दी निकल, देखता नही बाहर लम्बी लाइन लगी है...
.
मंगरू भी मुस्कुराते हुए निकल लिया..

बनारस वाले बनारसी की एक कहानी...



एक भिखारी सुबह-सुबह भीख मांगने निकला। चलते समय उसने अपनी झोली में जौ के मुट्ठी भर दाने डाल लिए। टोटके या अंधविश्वास के कारण भिक्षाटन के लिए निकलते समय भिखारी अपनी झोली खाली नहीं रखते। थैली देख कर दूसरों को लगता है कि इसे पहले से किसी ने दे रखा है।

पूर्णिमा का दिन था, भिखारी सोच रहा था कि आज ईश्वर की कृपा होगी तो मेरी यह झोली शाम से पहले ही भर जाएगी।
...
अचानक सामने से राजपथ पर उसी देश के राजा की सवारी आती दिखाई दी। भिखारी खुश हो गया। उसने सोचा, राजा के दर्शन और उनसे मिलने वाले दान से सारे दरिद्र दूर हो जाएंगे, जीवन संवर जाएगा। जैसे-जैसे राजा की सवारी निकट आती गई, भिखारी की कल्पना और उत्तेजना भी बढ़ती गई।

जैसे ही राजा का रथ भिखारी के निकट आया, राजा ने अपना रथ रुकवाया, उतर कर उसके निकट पहुंचे। भिखारी की तो मानो सांसें ही रुकने लगीं। लेकिन राजा ने उसे कुछ देने के बदले उलटे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और भीख की याचना करने लगे। भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। अभी वह सोच ही रहा था कि राजा ने पुन: याचना की।

भिखारी ने अपनी झोली में हाथ डाला, मगर हमेशा दूसरों से लेने वाला मन देने को राजी नहीं हो रहा था। जैसे-तैसे कर उसने दो दाने जौ के निकाले और उन्हें राजा की चादर पर डाल दिया।

उस दिन भिखारी को रोज से अधिक भीख मिली, मगर वे दो दाने देने का मलाल उसे सारे दिन रहा। शाम को जब उसने झोली पलटी तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। जो जौ वह ले गया था, उसके दो दाने सोने के हो गए थे। उसे समझ में आया कि यह दान की ही महिमा के कारण हुआ है।

वह पछताया कि काश! उस समय राजा को और अधिक जौ दी होती, लेकिन नहीं दे सका, क्योंकि देने की आदत जो नहीं थी।

Dec 25, 2012

88 के अटल: अधूरी हैं ये ख्वाहिशें, टीवी देखते कटता है वक्‍त


लखनऊ. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का मंगलवार (25 दिसंबर) को 88वां जन्‍मदिन है। वह बीमार चल रहे हैं और उनका ज्‍यादातर वक्‍त टीवी देखते हुए ही कटता है। यूपी की राजधानी लखनऊ से उनका खास लगाव रहा है। यहीं से वह कवि से पत्रकार और पत्रकार से राजनेता बने। यहां से कई बार संसद पहुंचे। यही से सांसद रहते हुए देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने लखनऊ के विकास को लेकर कई योजनाएं शुरू करवाईं। लेकिन आज ये सभी योजनाएं करोड़ों खर्च किए जाने के बावजूद राजनीतिक इच्छाशक्ति और सरकारी बजट के आभाव में अधूरी पड़ी हैं।

टीवी देखते रहते हैं अटल : अटलजी 2004 के बाद गिने-चुने सार्वजनिक आयोजनों में ही देखे गए हैं। तीन साल से कुछ लिखा नहीं, दो साल से कुछ बोले नहीं हैं। गजब की भाषण कला ही तो उनकी पहचान रही है पर वे अब 'मौन' हैं। पैरालिसिस ने उनकी वाणी को विराम भले ही दे दिया हो मगर वे चैतन्य हैं। इशारों में संवाद करते हैं। 20 सालों में करीब दस सर्जरी हुई हैं उनकी। डॉक्टरों की मौजूदगी में नियमित फिजियोथेरेपी के बाद ज्यादा वक्त टीवी के सामने गुजरता है। संसद की कार्यवाही देखते हैं, लेकिन सांसदों का हंगामा देख उन्‍हें नागवार गुजरता है। ऐसे में वह तत्‍काल चैनल बदलवा देते हैं। उनके सबसे करीबी सहयोगी शिवकुमार बताते हैं कि ऐसे में वे गाने सुनने लगते हैं। इंडियन आयडल जैसे कार्यक्रम उन्‍हें खास पसंद हैं।

50 साल से अटलजी की निजी सेवा में लगे शिव कुमार कहते हैं, 'अटलजी ने कभी व्हीलचेयर पर लोगों के सामने आना गवारा नहीं किया। वे बोल नहीं सकते पर हम उनका हर इशारा समझते हैं।' 2004 के बाद अटलजी की ख्वाहिश काश्मीर पर कुछ लिखने की जरूर रही। एनडीए जब सत्ता से बाहर हुआ तो वे मनाली में थे। वहां भी उन्होंने अपनों के बीच कहा कि अब कश्मीर पर काम करने के लिए मेरे पास वक्त रहेगा। काफी पहले श्यामाप्रसाद मुखर्जी पर उन्होंने किताब भी लिखी थी-मृत्यु या हत्या। कई बार उनके करीबियों ने बायोग्राफी पर काम करने की सलाह दी लेकिन अटलजी ने हर बार मुस्कराकर टाल दिया। वे कहते,'मेरी प्राथमिकता कश्मीर पर कुछ लिखना जरूर है।'

बतौर प्रधानमंत्री उनके मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन को याद है कि तीन साल पहले तक वे कश्मीर पर काम भी कर रहे थे। टंडन कहते हैं कि मुमकिन है कोई दस्तावेज बना भी हो। मध्यप्रदेश में भाजपा दूसरी दफा सत्ता में लौटी तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, अनिल माधव दवे, अनूप मिश्रा और संगठन के कुछ नेता आशीर्वाद के लिए आए। मोतीचूर के लड्डू लेकर आए। चौहान आधा लड्डू तोड़कर अटलजी को खिलाने लगे तो खानपान के शौकीन अटलजी ने उन्हें वहीं टोक दिया, 'आधा नहीं। पूरा खाऊंगा।' उन्होंने पूरा लड्डू ही खाया। तस्वीरें खिंचवाईं। सब चुनावी अपडेट देते रहे। वे मुस्कराते रहे बस। कुछ बोले नहीं। दवे याद करते हैं कि किसी के आने पर इससे पहले अटलजी हॉल में खुद चलकर आया करते थे। पहली बार हमने उन्हें पहले से कुर्सी पर बैठे हुए देखा।

मुंबई में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति आखिरी आयोजन था, जिसमें वे शरीक हुए। वे व्हील चेअर पर आए थे। सब उन्हें सुनने के लिए बेताब थे। सिर्फ एक पंक्ति का ही भाषण हुआ। यह पहला मौका था, जब उन्होंने इतना संक्षिप्त उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा था,'यह परिवर्तन का काल है।'


Dec 20, 2012

कभी मोदी बेचा करते थे चाय !


नई दिल्ली। आखिरकार तीसरी बार गुजरात मोदी का हुआ। इससे पहले तमाम सर्वे में भी मोदी की जीत पक्की बताई गई थी। आइए मोदी के बारे में कुछ रोचक बातें आपको बताते हैं..

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दामोदारदास मूलचंद मोदी व उनकी पत्‍‌नी हीराबेन मोदी के घर मेहसाणा जिले में हुआ। 17 सितंबर 1950 को बेहद साधारण परिवार में जन्में मोदी अपने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। गुजरात पर राज करने वाले मोदी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मोदी का बचपन कठोर परिश्रम के साथ बीता। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने रेलवे स्टेशन पर पिता की चाय की दुकान में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था।

ब्रांड बन चुके नरेंद्र मोदी का बचपन बहुत ही अभावग्रस्त रहा है। छोटी सी उम्र में ही वे वडनगर में एक ऑयल कंपनी में तेल के पीपे उठाया करते थे, हर पीपे पर उन्हें 5 पैसे की मजदूरी मिला करती थी।

मोदी के पड़ोसी बताते हैं कि जब भी रेलवे स्टेशन पर कोई ट्रेन आती तो हाफ पैंट में मोदी चाय की केतली लेकर दौड़ पड़ते थे। चाय के अलावा वे पांच-पांच पैसे में पानी के ग्लास भी बेचा करते थे।

प्रचारक जीवन के दरमियान उनकी जवाबदारी सुबह उठकर चाय के लिए दूध लाना हुआ करती थी। संघ प्रचारकों की चाय के लिए मोदी सुबह 5 बजे उठकर दूध लेने जाया करते थे।

मोदी पढ़ने में काफी होशियार थे। उनकी विशेष रुचि समाजशास्त्र और इतिहास में थी। इन सब्जेक्ट्स को वे बहुत रुचि के साथ पढ़ा करते थे।

मोदी की याददाश्त हमेशा से ही बहुत तेज रही। एक बार वे किसी से मुलाकात कर लें तो फिर उसका नाम कभी नहीं भूलते।

मोदी बोले, गुजरात की 6 करोड़ जनता हीरो


नई दिल्‍ली/अहमदाबाद/शिमला. गुजरात (मतगणना LIVE) और हिमाचल विधानसभा चुनाव (मतगणना लाइव अपडेट) के नतीजे आते ही देश में सियासी पारा चढ़ गया है। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार गुजरात के सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है और बीजेपी राज्‍य में लगातार पांचवी बार सत्‍ता में आई है। जीत के बाद बीजेपी के कार्यालय पहुंचे मोदी ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, 'गुजरात के करोडो़ं भाई और बहनों का धन्यवाद। गुजरात चुनाव ने सिद्ध कर दिया है कि इस देश की जनता और इस देश के मतदाता, क्या अच्छा औऱ क्या बुरा है, यह भली भांति समझता है। और जब उसे स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना होता है तो वह ऊंची सोच के साथ भविष्य को नजर में रखकर अपना फैसला सुनाता है। गुजरात के नतीजों ने यह सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र की इस लंबी प्रक्रिया के दौरान गुजरात का मतदाता कितना मैच्योर हुआ है। सारे लोभ लालच, भांति-भांति के जहर से ऊपर उठकर वोट दिया। मतदाताओं ने सोचा कि अगर गुजरात का भला होगा तो मेरा भी भला होगा। देश के पॉलिटिकल पंडितों को समझना होगा कि देश ने 80 के दशक के जातिवादी जहर को देखा और महसूस किया है। गुजरात के मतदाता यहां कभी भी 80 के दशक का हाल दोबारा नहीं चाहते। गुजरात के मतदाता जातिवाद, क्षेत्रवाद से ऊपर उठ चुके हैं। आने वाली पीढ़ी के बारे में लोग सोच रहे हैं।'



नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन से पहले ट्वीट किया, 'जनता की सेवा करने का मौका देने के लिए गुजरात की 6 करोड़ जनता और भगवान का धन्यवाद। उन सबका शुक्रिया जिन्होंने वोट दिया और जिन्होंने नहीं दिया उनका वोट पाने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा।'


इससे पहले तमिलनाडु की सीएम जयललिता और बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने नरेंद्र मोदी को जीत (पढ़ें: मोदी की जीत के कारण) पर बधाई दी है। मोदी ने अपने राजनीतिक विरोधी केशुभाई पटेल से मुलाकात की और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद केशुभाई पटेल ने कहा, 'मैंने मोदी को बधाई दी और हम दोनों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। 2007 में मैंने मोदी को फोन किया था कि बधाई देने कहां आऊं? तो मोदी ने मुझे बताया था कि बधाई लेने वे खुद आएंगे।' ('मोदी सरकार बनी तो होंगे धमाके')



हिमाचल में पांच साल बाद कांग्रेस की वापसी हो रही है। यहां बीजेपी ने अपनी हार स्‍वीकार कर ली है। लेकिन, हिमाचल में सीएम की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के भीतर घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी विरेंद्र कुमार ने कहा है कि वीरभद्र सिंह सीएम पद के अकेले दावेदार नहीं है। अगर वे अकेले ही दावेदार होते तो दि‍ल्ली में विधायक दल की बैठक नहीं बुलाई जाती। मीडिया की ओर से पूछ गए सवाल के जवाब देते हुए उन्‍होंने कहा कि विधायक दल की बैठक में जो भी फैसला किया जाएगा उसे कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के पास भेज दिया जाएगा। अंतिम मुहर सोनिया गांधी ही लगाएंगी कि हिमाचल का मुख्‍यमंत्री कौन होगा। उधर, सीएम की कुर्सी को लेकर जोड़ तोड़ और लॉबिंग शुरू हो गई है।



अभी तक की मतगणना के मुताबिक बीजेपी 113 सीटें जीत गई जबकि 3 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं कांग्रेस 56 सीटें जीत गई है और 4 पर आगे चल रही है। पांच सीटों पर अन्‍य उम्‍मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं। जेडी (यू) ने एक सीट जीतकर अपना खाता खोला है। यहां पार्टी ने बीजेपी से अलग चुनाव लड़ा।


हिमाचल में अब तक परिणामों में कांग्रेस को 36 सीटें जीत चुकी है। भाजपा 24 सीटें जीत चुकी है और 2 पर आगे चल रही है। अन्य के खाते में 5 सीटे गई हैं और एक उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए है।

Dec 18, 2012

तुम्हें यह साबित करना होगा कि यह पर्स तुम्हारा ही है।



यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में टी.टी.ई. को एक
पुराना फटा सा पर्स मिला। उसने पर्स को खोलकर यह
पता लगाने की कोशिश की कि वह किसका है। लेकिन पर्स
में ऐसा कुछ नहीं था जिससे कोई सुराग मिल सके। पर्स में
कुछ पैसे और भगवान श्रीकृष्ण की फोटो थी। फिर उस
...
... टी.टी.ई. ने हवा में पर्स हिलाते हुए पूछा -"यह
किसका पर्स है?"
एक बूढ़ा यात्री बोला -"यह मेरा पर्स है। इसे कृपया मुझे
दे दें।"टी.टी.ई. ने कहा -"तुम्हें यह साबित
करना होगा कि यह पर्स तुम्हारा ही है।
केवल तभी मैं यह
पर्स तुम्हें लौटा सकता हूं।"उस बूढ़े व्यक्ति ने दंतविहीन
मुस्कान के साथ उत्तर दिया -"इसमें भगवान श्रीकृष्ण
की फोटो है।"टी.टी.ई. ने कहा -"यह कोई ठोस सबूत
नहीं है। किसी भी व्यक्ति के पर्स में भगवान श्रीकृष्ण
की फोटो हो सकती है। इसमें क्या खास बात है? पर्स में
तुम्हारी फोटो क्यों नहीं है?"

बूढ़ा व्यक्ति ठंडी गहरी सांस भरते हुए बोला -"मैं तुम्हें
बताता हूं कि मेरा फोटो इस पर्स में क्यों नहीं है। जब मैं
स्कूल में पढ़ रहा था, तब ये पर्स मेरे पिता ने मुझे
दिया था। उस समय मुझे जेबखर्च के रूप में कुछ पैसे मिलते थे।
मैंने पर्स में अपने माता-पिता की फोटो रखी हुयी थी।
जब मैं किशोर अवस्था में पहुंचा, मैं अपनी कद-काठी पर
मोहित था। मैंने पर्स में से माता-पिता की फोटो हटाकर
अपनी फोटो लगा ली। मैं अपने सुंदर चेहरे और काले घने
बालों को देखकर खुश हुआ करता था। कुछ साल बाद
मेरी शादी हो गयी। मेरी पत्नी बहुत सुंदर थी और मैं उससे
बहुत प्रेम करता था। मैंने पर्स में से अपनी फोटो हटाकर
उसकी लगा ली। मैं घंटों उसके सुंदर चेहरे
को निहारा करता।

जब मेरी पहली संतान का जन्म हुआ, तब मेरे जीवन
का नया अध्याय शुरू हुआ। मैं अपने बच्चे के साथ खेलने के लिए
काम पर कम समय खर्च करने लगा। मैं देर से काम पर
जाता ओर जल्दी लौट आता। कहने की बात नहीं, अब मेरे
पर्स में मेरे बच्चे की फोटो आ गयी थी।"
बूढ़े व्यक्ति ने डबडबाती आँखों के साथ
बोलना जारी रखा -"कई वर्ष पहले मेरे माता-
पिता का स्वर्गवास हो गया। पिछले वर्ष
मेरी पत्नी भी मेरा साथ छोड़ गयी। मेरा इकलौता पुत्र
अपने परिवार में व्यस्त है। उसके पास मेरी देखभाल का क्त
नहीं है। जिसे मैंने अपने जिगर के टुकड़े की तरह पाला था,
वह अब मुझसे बहुत दूर हो चुका है। अब मैंने भगवान कृष्ण
की फोटो पर्स में लगा ली है। अब जाकर मुझे एहसास हुआ है
कि श्रीकृष्ण ही मेरे शाश्वत साथी हैं। वे हमेशा मेरे साथ
रहेंगे। काश मुझे पहले ही यह एहसास हो गया होता।
जैसा प्रेम मैंने अपने परिवार से किया, वैसा प्रेम यदि मैंने
ईश्वर के साथ किया होता तो आज मैं
इतना अकेला नहीं होता।"

टी.टी.ई. ने उस बूढ़े व्यक्ति को पर्स लौटा दिया। अगले
स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही वह टी.टी.ई. प्लेटफार्म पर बने
बुकस्टाल पर पहुंचा और विक्रेता से बोला -"क्या तुम्हारे
पास भगवान की कोई फोटो है? मुझे अपने पर्स में रखने के
लिए चाहिए।