त्रिपोली. लीबिया में 42 साल तक हुकूमत करने वाला 69 वर्षीय तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी आखिरकार मारा गया। उसकी मौत गृहनगर सिर्ते में सिर और पैर में गोली लगने से हुई है। लीबिया की सेना और अमेरिका ने मौत की पुष्टि की है। गुरुवार को हुए इस हमले में उसके बेटे मुतस्सिम और सेना प्रमुख अबु बकर यूसुफ जबर समेत कई साथी भी मारे गए हैं। दिसंबर से अरब देशों में शुरू हुई क्रांति के बाद गद्दाफी की हुकूमत के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी थीं। लेकिन उसने उसे बलपूर्वक दबाने की कोशिश की। विरोधियों को नाटो देशों का समर्थन मिलने के बाद वह छिपता फिर रहा था।
अपने शासनकाल के दौरान ही गद्दाफी क्रांतिकारी हीरो से अंतरराष्ट्रीय जगत में अछूत की तौर पर देखा जाने लगा। फिर उसे एक अहम पार्टनर बताया जाने लगा। गद्दाफी ने अपना एक राजनीतिक चिंतन विकसित किया था, जिस पर उसने एक किताब भी लिखी, जो उसकी नजर में इस क्षेत्र में प्लेटो, लॉक और मार्क्स के चिंतन से भी कहीं आगे थी। गद्दाफी का जन्म वर्ष 1942 में एक कबायली परिवार में हुआ था।
वर्ष 1969 में जब गद्दाफी ने फौजी अफसरों को साथ लेकर राजा इद्रीस का तख्ता-पलट कर सत्ता हासिल की थी। तो वह एक करिश्माई युवा फौजी अधिकारी था। स्वयं को मिस्र के जमाल अब्दुल नासिर का शिष्य बतानेवाले गद्दाफी ने सत्ता हासिल करने के बाद खुद को कर्नल के खिताब से नवाजा। देश के आर्थिक सुधारों की तरफ तवज्जो दी। इससे पहले देश की अर्थव्यवस्था विदेशी अधीनता के चलते जर्जर हालत में थी।
बताया जाता है कि गद्दाफी के पास ७ बिलियन डॉलर (३.५० खरब रुपए) मूल्य का सोना है। अमेरिका ने गद्दाफी परिवार के ३० बिलियन डॉलर के निवेशों को जब्त किया है। कनाडा में २.४ बिलियन डॉलर(१.१९ खरब रुपए), आस्ट्रीया में १.७ बिलियन डॉलर(८४ अरब रुपए), ब्रिटेन में १ बिलियन डॉलर(४९ अरब रुपए) लीबिया क्रांति के शुरू होने के बाद जब्त किए गए हैं। ६ माह चले विद्रोह में लीबिया को 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। लीबिया सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर फरहत बंगदारा के मुताबिक, यदि विदेशी सरकारें लीबिया की जब्त संपत्ति को मुक्तकर दें तो यह बड़ा संकट नहीं है।
168 अरब डॉलर लीबिया की संपत्ति
दुनिया भर के बैंकों में लीबिया की 168 अरब डॉलर की संपत्ति जमा है। इनमें 50 अरब डॉलर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन जैसे देशों में जमा हैं। वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के पास 40 अरब डॉलर जमा हैं। बंगदारा के मुताबिक, सब कुछ इस गृह युद्ध से पहले यहां का आर्थिक उत्पादन 80 अरब डॉलर था। अगले 10 सालों में इसे दोगुना किया जा सकता है।
तेल के भंडार मुक्त कराए
अगर नासिर ने स्वेज नहर को मिस्र की बेहतरी का रास्ता बनाया था, तो कर्नल गद्दाफी ने तेल के भंडार को इसके लिए चुना। लीबिया में 1950 के दशक में तेल के बड़े भंडार का पता चल गया था। लेकिन उसके खनन का काम पूरी तरह से विदेशी कंपनियों के हाथ में था। वही उसकी ऐसी कीमत तय करते थीं। गद्दाफी ने तेल कंपनियों से कहा कि या तो वो पुराने करार पर पुनर्विचार करें या उनके हाथ से खनन का काम वापस ले लिया जाएगा। लीबिया वो पहला विकासशील देश था, जिसने तेल के खनन से मिलनेवाली आमदनी में बड़ा हिस्सा हासिल किया। दूसरे अरब देशों ने भी उसका अनुसरण किया।
खत्म कर दी आजादी
1970 के आसपास उन्होंने विश्व के संबंध में एक तीसरा सिद्धांत विकसित करने का दावा किया। दावा किया कि इसके माध्यम से पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच का मतभेद खत्म हो जाएगा। दबे-कुचले लोगों बराबरी का हक मिलेगा। लेकिन जिस विचारधारा में लोगों को आजाद करने का दावा किया गया था, उसी के नाम पर उनकी सारी आजादी छीन ली गई।
अमेरिका विरोधी
2010 में टयूनीशिया से अरब जगत में बदलाव की क्रांति का प्रारंभ हुआ, तो उस संदर्भ में जिन देशों का नाम लिया गया, उसमें लीबिया को पहली पंक्ति में नहीं रखा गया था। क्योंकि गद्दाफी को पश्चिमी देशों का पिट्ठू नहीं समझा जाता था, जो क्षेत्र में जनता की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण समझा जाता था। उन्होंने तेल से मिले धन को भी दिल खोलकर बांटा था। ये अलग बात है कि इस प्रक्रिया में उनका परिवार भी बहुत अमीर हुआ था।
अमेरिकी हमले में बच गया था गद्दाफी
गद्दाफी ने बाद में चरमपंथी संगठनों को भी समर्थन देना शुरू कर दिया था। बर्लिन के एक नाइट क्लब पर साल 1986 में हुआ हमला इसी श्रेणी में था, जहां अमरीकी फौजी जाया करते थे। इस हमले का आरोप गद्दाफी के माथे मढ़ा गया। हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं थे। घटना से नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने त्रिपोली और बेनगाजी पर हवाई हमलों का हुक्म दिया। हालांकि गद्दाफ़ी हमले में बच गए, लेकिन कहा गया कि उनकी गोद ली बेटी हवाई हमलों में मारी गई।
यूएन की पाबंदी
लॉकरबी शहर के पास पैनएम जहाज में बम विस्फोट, जिसमें 270 लोग मारे गए। कर्नल गद्दाफी ने हमले के दो संदिग्धों को स्कॉटलैंड के हवाले करने से मना कर दिया, जिसके बाद लीबिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जो दोनों लोगों के आत्मसमर्पण के बाद 1999 में हटाया गया। उनमें से एक मेगराही को उम्रकैद हुई। बाद में गद्दाफी ने अपने परमाणु कार्यक्रम और रासायनिक हथियार कार्यक्रमों पर रोक लगाने की बात कही और पश्चिमी देशों से उनके संबंध सुधर गए।
Oct 21, 2011
गद्दाफी के अंत पर रहस्य के चलते आज नहीं दफन होगा शव
त्रिपोली. कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के खात्मे के साथ ही लीबिया में 42 साल लंबे तानाशाही शासन के अंत के साथ ही शनिवार को लीबिया को आज़ाद मुल्क घोषित कर दिया जाएगा। लीबिया की अंतरिम सरकार चला रही नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल (राष्ट्रीय अंतरिम परिषद) लीबिया को आज़ाद मुल्क घोषित करेगी। इसके साथ ही लीबिया में पूरी तरह से लोकतांत्रिक सरकार बनने की उलटी गिनती भी शुरू हो गई है।
लेकिन गद्दाफी की मौत कैसे हुई, इस पर अब भी रहस्य बरकरार है। इसी वजह से गद्दाफी को आज नहीं दफनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि गद्दाफी की मौत, किन हालात में की जाएगी, इसकी जांच की जा रही है। ब्रिटिश अख़बार गार्जियन के मुताबिक गद्दाफी को दफनाने में हो रही देर की दूसरी वजह यह आशंका है कि अगर गद्दाफी के शव को सार्वजनिक तौर पर दफन किया जाएगा तो उसकी मजार पर लोग इकट्ठा होंगे और उसे शहीद का दर्जा दे सकते हैं। गौरतलब है कि इस साल मई में ओसामा बिन लादेन को भी इसी डर से अमेरिका ने मारने के बाद समुद्र में दफन कर दिया था।
वहीं, दूसरी ओर शनिवार को मुस्तफा अब्दुल जलील बेनगाजी से लीबिया की आजादी का ऐलान करेंगे। लेकिन लीबिया में इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की जा रही है कि लीबिया के स्वतंत्र देश होने का ऐलान राजधानी त्रिपोली की जगह लीबिया के बेनगाजी से क्यों की जा रही है।
लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने गद्दाफी की मौत के बाद ऐलान किया, 'अब लीबिया के लिए नई शुरुआत का समय आ गया है। नया और एकता के सूत्र में बंधा लीबिया।' गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया में जश्न का माहौल है। दुनिया के अलग-अलग इलाकों में रह रहे लीबियाई नागरिक भी तानाशाही शासन के अंत पर खुशी मना रहे हैं। लेकिन दुनिया के कई देश लीबिया के भविष्य को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे हैं। दुनिया के कई मुल्क लीबिया को शुभकामनाएं देने के साथ आशंका भी जाहिर कर रहे हैं कि इस देश में अराजकता का माहौल जल्द खत्म हो पाएगा।
खबरों के मुताबिक अपने आखिरी समय में अपने गृह नगर सिरते में छुपा गद्दाफी वहां से भागने की फिराक में था। वह अपने काफिले के साथ वहां से जैसे ही निकला, फ्रेंच लडा़कू विमानों ने उस पर हमला कर दिया। हवाई हमले के बाद गद्दाफी का काफिला नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल की फौज के साथ झड़प में फंस गया। माना जा रहा है कि इस दौरान हुई गोलीबारी में गद्दाफी ज़ख़्मी हो गया। इसके बाद वह जमीन पर घिसटते हुए एक पाइप के पास जाकर छुप गया। कुछ घंटों बाद एनटीसी के लड़ाकों ने गद्दाफी को पानी की निकासी के लिए बने एक पाइप के पास से खोज निकाला।
बताया जा रहा है कि इनमें से एक ने अपने जूते से गद्दाफी की पिटाई की। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी दया की भीख मांग रहा था। वहीं, गद्दाफी के शव के साथ एंबुलेंस में सवार अब्दल-जलील अब्दल अजीज नाम के डॉक्टर का दावा है कि गद्दाफी को दो गोलियां लगी थीं। अजीज के मुताबिक एक गोली गद्दाफी सिर में और सीने पर लगी थी।
वहीं, एनटीसी के फील्ड कमांडर मोहम्मद लीत ने बताया, 'गद्दाफी को जब एनटीसी के लड़ाकों ने ललकार कर जब फायरिंग शुरू की तो वह एक जीप पर सवार था। इसके बाद वह जीप से उतरकर भागने लगा। गद्दाफी भागकर एक गंदे पानी की निकासी के लिए बने पाइप में छुप गया। लीबियाई लड़ाकों ने उसका पीछा किया और उसे वहां जाकर चुनौती दी। इसके बाद गद्दाफी पाइप से बाहर आ गया। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी पाइप से बाहर आते ही गद्दाफी के एक हाथ में कैलेशनिकोव राइफल तो दूसरे हाथ में सोने की पिस्तौल थी।'
लीत के मुताबिक, 'गद्दाफी ने बाहर आकर दायें और बायें देखा और पूछा कि क्या हो रहा है? इसके बाद एनटीसी के लड़ाकों ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में गद्दाफी के पैर और कंधे ज़ख़्मी हो गए।' लेकिन लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि गद्दाफी के सिर में चोट लगी थी।
हालांकि, अभी तक पूरी तरह से यह साफ नहीं हो पाया है कि गद्दाफी का अंत कैसे हुआ। नाटो ने भी एक बयान में कहा कि उसके जंगी विमानों ने सिरते के नजदीक सेना की दो गाड़ियों पर बमबारी की थी। लेकिन नाटो इस बात पुष्टि नहीं कर पाया कि इन गाड़ियों में गद्दाफी था या नहीं।
इस बीच, लीबियाई अधिकारियों का कहना है कि पूर्व शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी सिरते में उनके वफ़ादारों और अंतरिम सरकार के सैनिकों के बीच हुई गोलीबारी में मारे गए। लीबिया के कार्यवाहक प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गद्दाफी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि अंतरिम सरकार के सैनिकों और गद्दाफ़ी के वफ़ादारों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें गद्दाफी के सिर में गोली लगी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कर्नल गद्दाफ़ी को ज़िंदा पकड़ा गया था, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।
जिबरिल ने मीडिया को जानकारी दी कि फ़ोरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हो गई है कि कर्नल गद्दाफ़ी की पकड़े जाने के बाद ले जाए जाते समय गोलियों की चोट से मौत हो गई। जिब्रील ने रिपोर्टों के हवाले से कहा, 'जब कार जा रही थी तो क्रांतिकारियों और गद्दाफ़ी के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें एक गोली उनके सिर में लगी।' हालांकि, जिबरिल के अनुसार डॉक्टर ये नहीं बता सके कि गोली क्रांतिकारियों की ओर से लगी या गद्दाफ़ी के किसी सैनिक की गोली ने ही उनकी जान ली। इससे पहले एनटीसी के कुछ सैनिकों ने कर्नल की मौत का अलग क़िस्सा बयान किया था, जहां उनका कहना था कि जब वह भागने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें पकड़ने वालों ने ही उन्हें गोली मार दी। मिसराता की मस्जिद में रखे गए गद्दाफी के शव को सिरते से मिसराता एक जुलूस की शक्ल में ले जाया गया।
दूसरी तरफ, लीबिया में लंबे समय से बमबारी कर रहे नाटो के संचालक अगले कुछ घंटों में बैठक करके लीबिया में बम हमले को खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं। नाटो महासचिवन ऐंडर्स फ़ॉग रैसमूसन ने कहा कि कर्नल गद्दाफ़ी की मौत के साथ अब वह मौक़ा आ गया है। उन्होंने कहा, 'कर्नल गद्दाफ़ी का 42 साल का खौफ का राज आख़िरकार खत्म हो गया है। मैं सभी लीबियाई लोगों से अपील करता हूं कि वे आपसी मतभेद भुलाकर एक उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर काम करें।'
इस बीच, खबरें हैं कि गद्दाफी के एक बेटे सैफ अल-इस्लाम बानी वालिद नाम के शहर में देखा गया था। इसके बाद वह बानी वालिद के आसपास के रेगिस्तान में भाग गया है। वहीं, गद्दाफी के दूसरे बेटे मुत्तसिम गद्दाफी की मौत हो गई है।
दुनिया भर में खुशी की लहर
गद्दाफी की मौत से लीबिया सहित दुनिया के कई अन्य देशों में खुशी की लहर दौड़ गई है। दुनिया के कई देशों ने गद्दाफी की मौत का स्वागत किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लीबियाई तानाशाह की मौत को मध्य-पूर्व के तमाम कठोर शासकों के लिए सबक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे शासकों का ऐसा अंत एक तरह से निश्चित है। वहीं, हिलेरी क्लिंटन ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में एक काले अध्याय की समाप्ति बताया है।
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में मील का पत्थर बताते हुए कहा है कि चार दशकों से ज़्यादा लंबे चले तानाशाही शासन के खिलाफ जंग में जनता की जीत हुई है। लेकिन सरकोजी ने इस बात की आशंका जताई है कि कहीं सद्दाम हुसैन की मौत के बाद इराक जैसे माहौल लीबिया में न पैदा हो जाएं। उन्होंने कहा, 'सिरते की आज़ादी, एक नई प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना होगी।' डेविड कैमरन ने भी इसी तरह के भाव जाहिर किए हैं। मिस्र और अरब लीग ने भी लीबिया को नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं दी हैं। लीबिया की अंतरिम एनटीसी की सरकार के साथ कड़वे रिश्ते के बावजूद चीन ने लीबिया में लोकतंत्र और एकता पर जोर दिए जाने की अपील की है।
लेकिन गद्दाफी की मौत कैसे हुई, इस पर अब भी रहस्य बरकरार है। इसी वजह से गद्दाफी को आज नहीं दफनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि गद्दाफी की मौत, किन हालात में की जाएगी, इसकी जांच की जा रही है। ब्रिटिश अख़बार गार्जियन के मुताबिक गद्दाफी को दफनाने में हो रही देर की दूसरी वजह यह आशंका है कि अगर गद्दाफी के शव को सार्वजनिक तौर पर दफन किया जाएगा तो उसकी मजार पर लोग इकट्ठा होंगे और उसे शहीद का दर्जा दे सकते हैं। गौरतलब है कि इस साल मई में ओसामा बिन लादेन को भी इसी डर से अमेरिका ने मारने के बाद समुद्र में दफन कर दिया था।
वहीं, दूसरी ओर शनिवार को मुस्तफा अब्दुल जलील बेनगाजी से लीबिया की आजादी का ऐलान करेंगे। लेकिन लीबिया में इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की जा रही है कि लीबिया के स्वतंत्र देश होने का ऐलान राजधानी त्रिपोली की जगह लीबिया के बेनगाजी से क्यों की जा रही है।
लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने गद्दाफी की मौत के बाद ऐलान किया, 'अब लीबिया के लिए नई शुरुआत का समय आ गया है। नया और एकता के सूत्र में बंधा लीबिया।' गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया में जश्न का माहौल है। दुनिया के अलग-अलग इलाकों में रह रहे लीबियाई नागरिक भी तानाशाही शासन के अंत पर खुशी मना रहे हैं। लेकिन दुनिया के कई देश लीबिया के भविष्य को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे हैं। दुनिया के कई मुल्क लीबिया को शुभकामनाएं देने के साथ आशंका भी जाहिर कर रहे हैं कि इस देश में अराजकता का माहौल जल्द खत्म हो पाएगा।
खबरों के मुताबिक अपने आखिरी समय में अपने गृह नगर सिरते में छुपा गद्दाफी वहां से भागने की फिराक में था। वह अपने काफिले के साथ वहां से जैसे ही निकला, फ्रेंच लडा़कू विमानों ने उस पर हमला कर दिया। हवाई हमले के बाद गद्दाफी का काफिला नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल की फौज के साथ झड़प में फंस गया। माना जा रहा है कि इस दौरान हुई गोलीबारी में गद्दाफी ज़ख़्मी हो गया। इसके बाद वह जमीन पर घिसटते हुए एक पाइप के पास जाकर छुप गया। कुछ घंटों बाद एनटीसी के लड़ाकों ने गद्दाफी को पानी की निकासी के लिए बने एक पाइप के पास से खोज निकाला।
बताया जा रहा है कि इनमें से एक ने अपने जूते से गद्दाफी की पिटाई की। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी दया की भीख मांग रहा था। वहीं, गद्दाफी के शव के साथ एंबुलेंस में सवार अब्दल-जलील अब्दल अजीज नाम के डॉक्टर का दावा है कि गद्दाफी को दो गोलियां लगी थीं। अजीज के मुताबिक एक गोली गद्दाफी सिर में और सीने पर लगी थी।
वहीं, एनटीसी के फील्ड कमांडर मोहम्मद लीत ने बताया, 'गद्दाफी को जब एनटीसी के लड़ाकों ने ललकार कर जब फायरिंग शुरू की तो वह एक जीप पर सवार था। इसके बाद वह जीप से उतरकर भागने लगा। गद्दाफी भागकर एक गंदे पानी की निकासी के लिए बने पाइप में छुप गया। लीबियाई लड़ाकों ने उसका पीछा किया और उसे वहां जाकर चुनौती दी। इसके बाद गद्दाफी पाइप से बाहर आ गया। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी पाइप से बाहर आते ही गद्दाफी के एक हाथ में कैलेशनिकोव राइफल तो दूसरे हाथ में सोने की पिस्तौल थी।'
लीत के मुताबिक, 'गद्दाफी ने बाहर आकर दायें और बायें देखा और पूछा कि क्या हो रहा है? इसके बाद एनटीसी के लड़ाकों ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में गद्दाफी के पैर और कंधे ज़ख़्मी हो गए।' लेकिन लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि गद्दाफी के सिर में चोट लगी थी।
हालांकि, अभी तक पूरी तरह से यह साफ नहीं हो पाया है कि गद्दाफी का अंत कैसे हुआ। नाटो ने भी एक बयान में कहा कि उसके जंगी विमानों ने सिरते के नजदीक सेना की दो गाड़ियों पर बमबारी की थी। लेकिन नाटो इस बात पुष्टि नहीं कर पाया कि इन गाड़ियों में गद्दाफी था या नहीं।
इस बीच, लीबियाई अधिकारियों का कहना है कि पूर्व शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी सिरते में उनके वफ़ादारों और अंतरिम सरकार के सैनिकों के बीच हुई गोलीबारी में मारे गए। लीबिया के कार्यवाहक प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गद्दाफी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि अंतरिम सरकार के सैनिकों और गद्दाफ़ी के वफ़ादारों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें गद्दाफी के सिर में गोली लगी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कर्नल गद्दाफ़ी को ज़िंदा पकड़ा गया था, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।
जिबरिल ने मीडिया को जानकारी दी कि फ़ोरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हो गई है कि कर्नल गद्दाफ़ी की पकड़े जाने के बाद ले जाए जाते समय गोलियों की चोट से मौत हो गई। जिब्रील ने रिपोर्टों के हवाले से कहा, 'जब कार जा रही थी तो क्रांतिकारियों और गद्दाफ़ी के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें एक गोली उनके सिर में लगी।' हालांकि, जिबरिल के अनुसार डॉक्टर ये नहीं बता सके कि गोली क्रांतिकारियों की ओर से लगी या गद्दाफ़ी के किसी सैनिक की गोली ने ही उनकी जान ली। इससे पहले एनटीसी के कुछ सैनिकों ने कर्नल की मौत का अलग क़िस्सा बयान किया था, जहां उनका कहना था कि जब वह भागने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें पकड़ने वालों ने ही उन्हें गोली मार दी। मिसराता की मस्जिद में रखे गए गद्दाफी के शव को सिरते से मिसराता एक जुलूस की शक्ल में ले जाया गया।
दूसरी तरफ, लीबिया में लंबे समय से बमबारी कर रहे नाटो के संचालक अगले कुछ घंटों में बैठक करके लीबिया में बम हमले को खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं। नाटो महासचिवन ऐंडर्स फ़ॉग रैसमूसन ने कहा कि कर्नल गद्दाफ़ी की मौत के साथ अब वह मौक़ा आ गया है। उन्होंने कहा, 'कर्नल गद्दाफ़ी का 42 साल का खौफ का राज आख़िरकार खत्म हो गया है। मैं सभी लीबियाई लोगों से अपील करता हूं कि वे आपसी मतभेद भुलाकर एक उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर काम करें।'
इस बीच, खबरें हैं कि गद्दाफी के एक बेटे सैफ अल-इस्लाम बानी वालिद नाम के शहर में देखा गया था। इसके बाद वह बानी वालिद के आसपास के रेगिस्तान में भाग गया है। वहीं, गद्दाफी के दूसरे बेटे मुत्तसिम गद्दाफी की मौत हो गई है।
दुनिया भर में खुशी की लहर
गद्दाफी की मौत से लीबिया सहित दुनिया के कई अन्य देशों में खुशी की लहर दौड़ गई है। दुनिया के कई देशों ने गद्दाफी की मौत का स्वागत किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लीबियाई तानाशाह की मौत को मध्य-पूर्व के तमाम कठोर शासकों के लिए सबक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे शासकों का ऐसा अंत एक तरह से निश्चित है। वहीं, हिलेरी क्लिंटन ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में एक काले अध्याय की समाप्ति बताया है।
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में मील का पत्थर बताते हुए कहा है कि चार दशकों से ज़्यादा लंबे चले तानाशाही शासन के खिलाफ जंग में जनता की जीत हुई है। लेकिन सरकोजी ने इस बात की आशंका जताई है कि कहीं सद्दाम हुसैन की मौत के बाद इराक जैसे माहौल लीबिया में न पैदा हो जाएं। उन्होंने कहा, 'सिरते की आज़ादी, एक नई प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना होगी।' डेविड कैमरन ने भी इसी तरह के भाव जाहिर किए हैं। मिस्र और अरब लीग ने भी लीबिया को नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं दी हैं। लीबिया की अंतरिम एनटीसी की सरकार के साथ कड़वे रिश्ते के बावजूद चीन ने लीबिया में लोकतंत्र और एकता पर जोर दिए जाने की अपील की है।
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LATEST NEWS
Oct 15, 2011
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बैठे-बैठे गम में गिरफ्तार हो गए किसी के प्यार में आबाद हो गए। दो गज जमीन मिल ही गई मुझ गरीब को मरने के बाद हम भी जमींदार हो गए।
अर्ज किया है … … … उनकी गली से गुजरे तो उनका चौबारा नज़र आया … … … … उनका बाप बाहर आकर बोला - “हाथ-पैर तोड़ दूंगा जो दोबारा नज़र आया !!!”
Sonia Gandhi in Dabaang style - “हज़ारों” से डर नहीं लगता साहब… … … … … … “हजारे” से लगता है !!!
लड़के ने भगवान से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवान ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
लड़के ने भगवन से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवन ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
प्यार हुआ इकरार हुआ है … प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल … … … … क्यूँ न डरे दिल ? … … … क्योंकि आजकल के प्यार से बढ़ता है, सिर्फ मोबाइल और रेस्टौरेंट का बिल !!!
जब question paper हो out of control … … answer sheet को करके गोल … … answer sheet को करके गोल … … aeroplane उड़ा के बोल … … … … ALL IS FAIL …….. !
गोलू 8 बजे स्कूल पहुंचा. टीचर – स्कूल 7 बजे शुरू होता है. इतने लेट क्यूँ आये ? गोलू - मिस, प्लीज आप मेरी इतनी फिकर मत किया करो. लोग गलत समझते हैं …. !
हवा चली, उड़ गया पप्पू … वाह ! वाह ! हवा चली, उड़ गया पप्पू … फिर क्या हुआ ? ? ? ? फिर क्या होना था … हवा रुकी, गिर गया पप्पू !!!
आज कुछ कमी है तेरे बगैर न रंग न रोशनी है तेरे बगैर वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा है बस धड़कन मेरी थमी है तेरे बगैर।
अर्ज किया है … … … उनकी गली से गुजरे तो उनका चौबारा नज़र आया … … … … उनका बाप बाहर आकर बोला - “हाथ-पैर तोड़ दूंगा जो दोबारा नज़र आया !!!”
Sonia Gandhi in Dabaang style - “हज़ारों” से डर नहीं लगता साहब… … … … … … “हजारे” से लगता है !!!
लड़के ने भगवान से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवान ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
लड़के ने भगवन से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवन ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
प्यार हुआ इकरार हुआ है … प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल … … … … क्यूँ न डरे दिल ? … … … क्योंकि आजकल के प्यार से बढ़ता है, सिर्फ मोबाइल और रेस्टौरेंट का बिल !!!
जब question paper हो out of control … … answer sheet को करके गोल … … answer sheet को करके गोल … … aeroplane उड़ा के बोल … … … … ALL IS FAIL …….. !
गोलू 8 बजे स्कूल पहुंचा. टीचर – स्कूल 7 बजे शुरू होता है. इतने लेट क्यूँ आये ? गोलू - मिस, प्लीज आप मेरी इतनी फिकर मत किया करो. लोग गलत समझते हैं …. !
हवा चली, उड़ गया पप्पू … वाह ! वाह ! हवा चली, उड़ गया पप्पू … फिर क्या हुआ ? ? ? ? फिर क्या होना था … हवा रुकी, गिर गया पप्पू !!!
आज कुछ कमी है तेरे बगैर न रंग न रोशनी है तेरे बगैर वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा है बस धड़कन मेरी थमी है तेरे बगैर।
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BEST JOKES
एक कंजूस आदमी का बेटा अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ घूमने गया
एक कंजूस आदमी का बेटा अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ घूमने गया.
लौटकर आया तो कंजूस ने पूछा – “कितने रुपए उड़ा आए ?”
बेटा - “ढाई सौ.”
यह सुनकर कंजूस नाराज़ होकर गालियाँ देने लगा.
बेटा – “और क्या करता बापू….. उसके पास इतने ही थे … ?”
लौटकर आया तो कंजूस ने पूछा – “कितने रुपए उड़ा आए ?”
बेटा - “ढाई सौ.”
यह सुनकर कंजूस नाराज़ होकर गालियाँ देने लगा.
बेटा – “और क्या करता बापू….. उसके पास इतने ही थे … ?”
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नन्ही शिवानी , और डरावनी चुड़ैल जैसी शक्ल..
नन्ही शिवानी बेहद ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी... मां ने देखा, दौड़कर पास आई और सिर पर हाथ फिराते हुए पूछा, "क्या हुआ मेरी गुड़िया-सी बेटी को, रो क्यों रही है...?" शिवानी ने सुबकते हुए सवाल किया, "मम्मी, क्या मैं डरावनी चुड़ैल जैसी लगती हूं...?" मम्मी ने कहा, "नहीं बेटी, बिल्कुल नहीं..." शिवानी ने फिर पूछा, "क्या मेरी आंखें मेंढकी जैसी हैं...?" मम्मी ने कहा, "अरे, कौन कहता है... मेरी गुड़िया तो मृगनयनी है. शिवानी :"क्या मेरी नाक भैंस जैसी है...?" मम्मी: "हरगिज़ नहीं, मेरी बच्ची, तेरी नाक तो बिल्कुल सुतवां और बहुत सुन्दर है..." शिवानी : "क्या मैं गैण्डे की तरह बेडौल हूं...?" मम्मी: "ऐसा कतई नहीं है, शिवानी... तू तो बार्बी डॉल जैसी प्यारी है..." अब शिवानी के चेहरे पर गुस्से के भाव आए, और ज़ोर से बोली, "अब नहीं छोड़ूंगी उस पड़ोसन को... वह कह रही थी, मैं बिल्कुल अपनी मम्मी जैसी दिखती हूं..."
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मुम्बई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जातीं
एक भिखारी भीख मांगने के प्रयोजन से एक घर के दरवाजे पहुंचा और दस्तक दी। अंदर से एक 46-47 साल की महिला बाहर आई।
भिखारी बोला - ’माताजी, भुखे को रोटी दो‘।
महिला बोली - ’शर्म नहीं आती, इतने हटृटे-कटृटे हो, कुछ काम-किया करो। अब भिखारी ने भी सुर बदला और बोला मैंडम, आप भी इतनी खूबसूरत हैं, गोरी-चिठी हैं गजब का फिगर है और आपकी उम्र भी ज्यादा नही हैं। आप मुम्बई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जातीं? घर पर बेकार बैठी हैं।
महिला बोली -जरा रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए हलवा-पूरी लाती हूं।
भिखारी बोला - ’माताजी, भुखे को रोटी दो‘।
महिला बोली - ’शर्म नहीं आती, इतने हटृटे-कटृटे हो, कुछ काम-किया करो। अब भिखारी ने भी सुर बदला और बोला मैंडम, आप भी इतनी खूबसूरत हैं, गोरी-चिठी हैं गजब का फिगर है और आपकी उम्र भी ज्यादा नही हैं। आप मुम्बई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जातीं? घर पर बेकार बैठी हैं।
महिला बोली -जरा रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए हलवा-पूरी लाती हूं।
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एक लड़की अपने बॉय-फ्रेंड के साथ घूम रही थी.
एक लड़की अपने बॉय-फ्रेंड के साथ घूम रही थी.
बाप ने देख लिया तो लड़की को फोन किया.
बाप -”बेटी, कहाँ हो ?”
बेटी – “पेपर देने आई हूँ …. ”
बाप – बेटी, जरा ध्यान से पेपर देना …..इस पेपर का रिजल्ट आया तो जान ले लूँगा ….. !
बाप ने देख लिया तो लड़की को फोन किया.
बाप -”बेटी, कहाँ हो ?”
बेटी – “पेपर देने आई हूँ …. ”
बाप – बेटी, जरा ध्यान से पेपर देना …..इस पेपर का रिजल्ट आया तो जान ले लूँगा ….. !
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संता रेलवे ट्रेक पर आत्महत्या करने गया ।
संता रेलवे ट्रेक पर आत्महत्या करने गया । साथ में वह शराब की बॉटल और मुर्गे की टांग साथ लेकर गया।
किसी शख्स ने संता को रोक कर पूछा: क्या है, ये सब क्यूं लेकर बैठे हो?
संता: साली ट्रेन लेट आई तो कहीं मैं भूख से न मर जाऊं।
किसी शख्स ने संता को रोक कर पूछा: क्या है, ये सब क्यूं लेकर बैठे हो?
संता: साली ट्रेन लेट आई तो कहीं मैं भूख से न मर जाऊं।
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एक लड़की पढ़कर चार लोगों को शिक्षित बनाती है
सरकार कहती है कि एक लड़की पढ़कर घर के चार लोगों को शिक्षित बनाती है,
लेकिन लड़की के कॉलेज में पढ़ते समय 40 लड़के फेल हो जाते हैं उसका क्या ?
लेकिन लड़की के कॉलेज में पढ़ते समय 40 लड़के फेल हो जाते हैं उसका क्या ?
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दो बच्चे आपस में झगड़ रहे थे.
दो बच्चे आपस में झगड़ रहे थे.
पहला-मेरी साईकिल तेरी साईकिल से अच्छी है.
दूसरा-नहीं मेरी अच्छी है.
पहला-मेरी कैप तेरी कैप से अच्छी है.
दूसरा-नहीं मेरी अच्छी है.
पहला-मेरी मम्मी तेरी मम्मी से अच्छी है.
दूसरा-हो सकती है…… मेरे पापा भी यही कहते हैं.
पहला-मेरी साईकिल तेरी साईकिल से अच्छी है.
दूसरा-नहीं मेरी अच्छी है.
पहला-मेरी कैप तेरी कैप से अच्छी है.
दूसरा-नहीं मेरी अच्छी है.
पहला-मेरी मम्मी तेरी मम्मी से अच्छी है.
दूसरा-हो सकती है…… मेरे पापा भी यही कहते हैं.
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एक दिन 6 लोग एक प्लेन में सफर कर रहे थे।--best top jock
एक दिन 6 लोग एक प्लेन में सफर कर रहे थे। उनमें से एक बॉलीवुड अभिनेता था,दूसरा कांग्रेस नेता था ,तीसरा मंत्री था , एक बच्चा था और एक बूढ़ा आदमी था।
अचानक प्लेन में कुछ खराबी आ जाती है। और प्लेन में सिर्फ चार ही पैराशूट रखे होते हैं।
सबसे पहले अभिनेता कूद जाता है। यह बोलते हुए कि मेरी बॉलीवुड को जरूरत है।
फिर कांग्रेस नेता कूद जाता है। यह बोलते हुए कि मेरी कांग्रेस को जरूरत है।
मंत्री जी भी कूद जाते हैं। यह बोलते हुए कि हमारी रेलवे को मेरी बहुत जरूरत है भाई।
अब प्लेन में सिर्फ छोटा बच्चा और बूढ़ा आदमी ही बचता है।
बूढा बच्चे से: बेटा तुम कूद जाओ । तुम्हारी पूरी जिंदगी तुम्हारे सामने पड़ी है। मैं तो अपनी जिंदगी जी चुका हूं। मैं अपनी जिंदगी तुम्हारे लिए त्यागता हूं।
बच्चा बूढ़ा आदमी से हंसते हुए: अरे अंकल अपन दोनों कूद सकते हैं। क्योंकि मंत्री जी तो मेरा स्कूल बैग लेकर कूद गए है
अचानक प्लेन में कुछ खराबी आ जाती है। और प्लेन में सिर्फ चार ही पैराशूट रखे होते हैं।
सबसे पहले अभिनेता कूद जाता है। यह बोलते हुए कि मेरी बॉलीवुड को जरूरत है।
फिर कांग्रेस नेता कूद जाता है। यह बोलते हुए कि मेरी कांग्रेस को जरूरत है।
मंत्री जी भी कूद जाते हैं। यह बोलते हुए कि हमारी रेलवे को मेरी बहुत जरूरत है भाई।
अब प्लेन में सिर्फ छोटा बच्चा और बूढ़ा आदमी ही बचता है।
बूढा बच्चे से: बेटा तुम कूद जाओ । तुम्हारी पूरी जिंदगी तुम्हारे सामने पड़ी है। मैं तो अपनी जिंदगी जी चुका हूं। मैं अपनी जिंदगी तुम्हारे लिए त्यागता हूं।
बच्चा बूढ़ा आदमी से हंसते हुए: अरे अंकल अपन दोनों कूद सकते हैं। क्योंकि मंत्री जी तो मेरा स्कूल बैग लेकर कूद गए है
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एक लड़की ने coin डालकर अपना वजन किया
एक लड़की ने coin डालकर अपना वजन किया -52kg
सेंडल उतारी-51 kg
जैकेट उतारी-50 kg
फिर दुपट्टा उतारा-49kg
और coin ख़त्म हो गए ……
पास में खड़ा एक भिखारी बोला – “तू चालू रख ! coin मै डालूँगा!”
सेंडल उतारी-51 kg
जैकेट उतारी-50 kg
फिर दुपट्टा उतारा-49kg
और coin ख़त्म हो गए ……
पास में खड़ा एक भिखारी बोला – “तू चालू रख ! coin मै डालूँगा!”
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Aug 21, 2011
अन्ना ने भरी हुंकार, पीएम आएं तो भी नहीं तोडूंगा अनशन
नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रही टीम अन्ना ने आज साफ कर दिया है कि वो सरकार से बातचीत के लिए तैयार है लेकिन जन लोकपाल बिल पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। अन्ना ने अनशन के मंच से आज एक बार फिर चेतावनी दी है कि जब तक जनलोकपाल बिल पारित नहीं होता उनका आंदोलन जारी रहेगा। अन्ना ने कहा, ‘बातचीत का रास्ता खुला है। लेकिन कितनी भी चर्चा हो जाए, जब तक जनलोकपाल बिल पारित नहीं होता हम अनशन से नहीं उठेंगे चाहे पीएम ही यहां क्यों न आ जाएं।’
अन्ना हजारे के अनशन का आज छठा दिन है लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता के जोश में कमी आती नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा, ‘रामलीला मैदान में हर साल रावण का दहन किया जाता है। हम भी यहां भ्रष्टाचार रुपी रावण का दहन करने के लिए रामलीला मैदान में बैठे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में सभी धर्मों के लोग हिस्सा ले रहे हैं। मीडिया ने भी दिखाया कि वह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है लेकिन अन्य तीन खंभों से भी मजबूत है। मीडिया ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को घर घर में पहुंचाया जिससे यह आंदोलन इतना बड़ा हो सका है। युवा शक्ति की हिस्सेदारी उम्मीद किरण जगाती है। यह क्रांति रक्तरंजित नहीं बल्कि शांतिपूर्ण है और इससे पूरी दुनिया सीख लेगी।’
आंदोलन की आगामी रणनीति तय करने के लिए टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक में तय हुआ कि जनलोकपाल बिल पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में लिए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैठक में जनलोकपाल बिल की मोटी-मोटी बातों पर दोबारा विचार किया गया। टीम अन्ना इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि जन लोकपाल बिल की सभी बातें अहम हैं और किसी भी बिंदु से समझौता नहीं किया जाएगा।
केजरीवाल ने सरकार की ओर से अब तक बातचीत की कोई पेशकश नहीं आने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, 'कल पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं। हम पीएम से पूछना चाहते हैं कि हम किससे बात करने के लिए कहां और कितने बजे आएं।’
सरकार और सिविल सोसायटी के लोकपाल बिल पर सार्वजनिक तौर पर बहस की मांग करते हुए केजरीवाल ने कहा, 'कल अन्ना के अनशन को एक हफ्ता पूरा हो जाएगा। सभी लोगों से निवेदन है कि अपने-अपने सांसदों को पकडिए। घरों के बाहर धरना दें। उनसे सार्वजनिक तौर पर बताएं कि वो सरकारी या जनलोकपाल बिल के साथ हैं। दिल्ली में सभी मंत्रियों के घरों के बाहर धरना दिया जाए। सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं के घर के बाहर धरना दिया जाए। सभी पार्टियों से निवेदन है कि वो ये बताएं कि जनलोकपाल बिल की कौन सी बात मंजूर है और नहीं मंजूर है। यहां रामलीला मैदान में मंच पर उसका फैसला होगा। जिन्हें जनलोकपाल को लेकर आपत्ति है वो देश की जनता के सामने वाद-विवाद करें।'
उन्होंने बताया कि आज शाम पांच बजे इंडिया गेट से एक महारैली निकाली जाएगी जो रामलीला मैदान पहुंचेगी। उन्होंने यह भी कहा, 'कल मुसलमान भाईयों का रोजा है और हिंदू भाइयों की जन्माष्टमी है। ऐसे में हम कल यहां मंच पर सुबह रोजा खोलेंगे और रात को जन्माष्टमी का व्रत तोड़ेंगे।'
सेना ने बताया अन्ना को बेदाग
भ्रष्टाचार के खिलाफ छह दिनों से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे को सेना ने भी बेदाग छवि का करार दिया है। सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में सेना में यह जवाब दिया है। आरटीआई के तहत अन्ना के कॅरियर के बारे में जानकारी मांगी गई थी। सेना में अन्ना के करियर के बारे में सवाल थे। सेना ने इस जवाब में कहा कि अन्ना का कॅरियर बेदाग रहा है। कभी भगोड़े नहीं रहे। उन्हें कॅरियर में पांच पदक मिले हैं। आरटीआई के तहत यह जानकारी मांगने वाले शख्स सुभाष अग्रवाल हैं जिनकी पहचान आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में है। सुभाष अग्रवाल ने कहा है कि उन्होंने अन्ना के बारे में छह सवाल पूछे थे जिनमें से चार के जवाब नहीं मिले हैं।
डॉक्टरों ने आज सुबह अन्ना के स्वास्थ्य की जांच की। टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने बताया है कि अन्ना का स्वास्थ्य ठीक है। ट्विटर के जरिये भेजे संदेश में बेदी ने देश से लोगों से दुआ करने की अपील की है कि अन्ना का स्वास्थ्य अच्छा ही रहे।
इससे पहले कांग्रेस के ही एक सांसद ने अन्ना के जनलोकपाल बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजकर सभी को चौंका दिया है। बरेली से सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने कहा है कि कांग्रेस चाहती है कि इस मामले के हर पहलू पर चर्चा हो। स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन अभिषेक मनु सिंघवी को भेजे बिल में ऐरन ने कहा है कि अन्ना की टीम ने जो जन लोकपाल बिल तैयार किया है वह उससे भी सख्त जन लोकपाल बिल चाहते हैं।
सरकार और टीम अन्ना के बीच सुलह के आसार नहीं दिखाई दिख रहे हैं। अन्ना हजारे जनलोकपाल बिल संसद में पास होने तक अनशन पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने में जुटी है। सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने सरकारी लोकपाल बिल और जनलोकपाल दोनों को खारिज करते हुए तीसरा मसौदा पेश कर मामले को और उलझा दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में बनी एनएसी की सदस्य अरुणा रॉय ने जनलोकपाल, लोकपाल और अपने मसौदे को शामिल करते हुए बेहतर विधेयक तैयार करने की वकालत की है। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने अरुणा रॉय को भी चर्चा के लिए रामलीला मैदान आमंत्रित किया है।
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Aug 15, 2011
Cutest proposal by a nursery class
Cutest proposal by a nursery class
Boy: Kya tu meleko apna addresh degi?
Girl - Pal Kyun??
Boy - Ek din baalat lekal aaunga na!
Boy: Kya tu meleko apna addresh degi?
Girl - Pal Kyun??
Boy - Ek din baalat lekal aaunga na!
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TERI BEHEN HAI IS LIYE........!!!
BIWI : PHONE PE ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS SE BAAT KAR RAHE HO ?
PATI : BEHEN HAI ?
BIWI : TO ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS LIYE ?
PATI : TERI BEHEN HAI IS LIYE........!!!
PATI : BEHEN HAI ?
BIWI : TO ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS LIYE ?
PATI : TERI BEHEN HAI IS LIYE........!!!
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MAIN REH LONGA APNE SASURAL MEIN..........!!!!
SANTA KANGAAL HONE PAR......!!!
SANTA KA BUSINESS MEIN BOHAT GHATA HO GAYA
AUR WOH BURI TARAH KANGAAL HO GAYA,
USNE EK FAISLA KIYA AUR JAAKAR APNI BIWI SE KAHA......!!!
"TUM BACCHON KO UNKI NAANI KE YAHAN BHEJ DO,
AUR KHUD APNI MAA KE YAHAN CHALE JAO"
PREETO : AUR AAP ?
SANTA : MERA KYA HAI ? MAIN REH LONGA
APNE SASURAL MEIN..........!!!!
SANTA KA BUSINESS MEIN BOHAT GHATA HO GAYA
AUR WOH BURI TARAH KANGAAL HO GAYA,
USNE EK FAISLA KIYA AUR JAAKAR APNI BIWI SE KAHA......!!!
"TUM BACCHON KO UNKI NAANI KE YAHAN BHEJ DO,
AUR KHUD APNI MAA KE YAHAN CHALE JAO"
PREETO : AUR AAP ?
SANTA : MERA KYA HAI ? MAIN REH LONGA
APNE SASURAL MEIN..........!!!!
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काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं
सरकारी नाइ (Barber) ने बाल काट -ते वक़्त कपिल सिब्बल से पूछा - साब ये
स्विस बैंक वाला क्या लफड़ा है ?
कपिल सिब्बल चिल्लाया - अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वायरी कर रहा है ?
नाइ ( Barber)- सॉरी साब ऐसे ही पूछ लिया .
अगले दिन प्रणब मुकर्जी से बल काट -के वक़्त पूछा - साब ये कला धन क्या होता है ?
प्रणब चिल्लाये - तुम हमसे ये सवाल क्यू पूछा ?
नाइ - सॉरी साब बस ऐसे ही पूछा लिया.
अगले दिन सीबीआई ने नाइ को बुलाया और पूछा - क्या तुम बाबा रामदेव के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - क्या तुम अन्ना के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - तो तुम बाल कट -ते वक़्त कांग्रेसी नेताओं से फालतू के सवाल क्यू करते हो ?
नाइ - साब न जाने क्यू स्विस बैंक और काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं और मुझको बाल काटने में आसानी हो जाती है. इसलिए पूछता रहता हूँ.
स्विस बैंक वाला क्या लफड़ा है ?
कपिल सिब्बल चिल्लाया - अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वायरी कर रहा है ?
नाइ ( Barber)- सॉरी साब ऐसे ही पूछ लिया .
अगले दिन प्रणब मुकर्जी से बल काट -के वक़्त पूछा - साब ये कला धन क्या होता है ?
प्रणब चिल्लाये - तुम हमसे ये सवाल क्यू पूछा ?
नाइ - सॉरी साब बस ऐसे ही पूछा लिया.
अगले दिन सीबीआई ने नाइ को बुलाया और पूछा - क्या तुम बाबा रामदेव के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - क्या तुम अन्ना के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - तो तुम बाल कट -ते वक़्त कांग्रेसी नेताओं से फालतू के सवाल क्यू करते हो ?
नाइ - साब न जाने क्यू स्विस बैंक और काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं और मुझको बाल काटने में आसानी हो जाती है. इसलिए पूछता रहता हूँ.
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Aug 7, 2011
साधारण मोबाइल फोनों पर वीडियो देखने की राह हुई आसान
मुम्बई. अभी तक बिना किसी विशेष सुविधा वाले मोबाइल फोन (फीचर फोन) पर वीडियो सामग्री नहीं देखी जा सकती थी। लेकिन जिग्सी नाम की एक नई प्रौद्योगिकी ने साधारण मोबाइल फोनों पर भी वीडियो सामग्री देखना सम्भव बना दिया है। यानी, अत्यधिक सस्ते मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले देश के करोड़ों ग्राहक भी अब वीडियो सामग्री देखने का लुत्फ उठा पाएंगे।
खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।
जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।
बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।
देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।
जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।
शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।
इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।
इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।
यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।
जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"
जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।
इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।
कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।
खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।
जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।
बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।
देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।
जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।
शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।
इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।
इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।
यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।
जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"
जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।
इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।
कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।
जानिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का गणित----कैसे चलता है साख का बाजार
वॉशिंगटन. एएए, बीबीबी, सीए, सीसीसी, सी, डी देखने और सुनने में स्कूली बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के ग्रेड की तरह लगते हैं। असल में ये भी एक तरह का मूल्यांकन ही हैं। लेकिन, यह स्कूली बच्चों को नहीं मिलता। यह देशों, बड़ी कंपनियों और बड़े पैमाने पर उधार लेने वालों का मूल्यांकन करती है। इस मूल्यांकन पर यह तय होता है कि उधार लेने वाले की माली हालत कैसी है? उसके उधार लौटाने की क्षमता कितनी है? ऐसे में अच्छा ग्रेड मिलने का सीधा मतलब है कम ब्याज पर आसानी से कर्ज लेने की पात्रता हासिल करना। वहीं, खराब मूल्यांकन मिलने पर ऊंची दरों पर बमुश्किल कर्ज मिलता है।
ये हैं बड़े खिलाड़ी : इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच। इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पूअर। इसकी नींव १८६० में हेनरी पूअर ने रखी थी।पूअर ने अमरीका में नहरों और रेल नेटवर्क के विकास का इतिहास लिखा था। १९०६ में गैर रेल कंपनियों के वित्त की जांच शुरू होने पर स्टैण्डर्ड स्टैटस्टिक ब्यूरो की स्थापना हुई। इन दोनों कंपनियों का १९४० के दशक में विलय हो गया। १९०९ में जॉन मूडी ने मूडीज की स्थापना की। मूडीज ने भी रेल वित्त की साख का विश्लेषण और उनका मूल्यांकन करना शुरू किया। आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का करीब ४० फीसदी कारोबार इन्हीं दो कंपनियों के पास हैं। फिच इन्हीं दोनों कंपनियों का छोटा रूप है। इसके अलावा भी कई कंपनियां हैं। हालांकि उनके रेटिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
महत्व का कारण : स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच की ग्रेडिंग का इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे अहम कारण है अमरीका की वित्तीय निगरानी करने वाली एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन।
१९७५ में इस कमीशन ने इन तीन कंपनियों को मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग एजेंसी घोषित किया था। इससे उधार लेने की इच्छुक कंपनियों और देशों का जीवन आसान हो गया। इन एजेंसियों ने उनकी वित्तीय हालत और साख का आकलन कर उन्हें रेटिंग देना शुरू कर दिया। इन रेटिंग एजेंसियों की ताकत तब और बढ़ गई, जब सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने आदेश दिया कि सरकारी नियंत्रण वाले निवेश संस्थान केवल ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
कुछ निवेशकों की रेटिंग गिरने की स्थिति में उनमें किया गया निवेश बेचने का भी निर्देश दिया। इसके कारण जिन कंपनियों या देशों की रेटिंग नीचे गिरती है, उनके लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है।
ऐसे में बड़ी निवेश कंपनियां जब रेटिंग कम होने पर अपने निवेशों को बड़े पैमाने पर निकालना या बेचना शुरू करती है तो उनके बांड की कीमत बाज़ार में और ज्यादा गिर जाती है। इससे उनको मिलने वाले कर्ज पर ब्याज और ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या है मतलब?
> एएए : सबसे मजबूत सबसे बेहतर
> एए : वादों को पूरा करने में सक्षम
> ए : वादों को पूरा करने की क्षमता पर विपरीत परिस्थितियों का पड़ सकता है असर
> बीबीबी : वादों को पूरा करने की क्षमता, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से आर्थिक हालात प्रभावित होने की ज्यादा गुंजाइश।
> सीसी : वर्तमान में बहुत कमजोर
> डी : उधार लौटाने में असफल
ये हैं बड़े खिलाड़ी : इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच। इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पूअर। इसकी नींव १८६० में हेनरी पूअर ने रखी थी।पूअर ने अमरीका में नहरों और रेल नेटवर्क के विकास का इतिहास लिखा था। १९०६ में गैर रेल कंपनियों के वित्त की जांच शुरू होने पर स्टैण्डर्ड स्टैटस्टिक ब्यूरो की स्थापना हुई। इन दोनों कंपनियों का १९४० के दशक में विलय हो गया। १९०९ में जॉन मूडी ने मूडीज की स्थापना की। मूडीज ने भी रेल वित्त की साख का विश्लेषण और उनका मूल्यांकन करना शुरू किया। आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का करीब ४० फीसदी कारोबार इन्हीं दो कंपनियों के पास हैं। फिच इन्हीं दोनों कंपनियों का छोटा रूप है। इसके अलावा भी कई कंपनियां हैं। हालांकि उनके रेटिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
महत्व का कारण : स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच की ग्रेडिंग का इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे अहम कारण है अमरीका की वित्तीय निगरानी करने वाली एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन।
१९७५ में इस कमीशन ने इन तीन कंपनियों को मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग एजेंसी घोषित किया था। इससे उधार लेने की इच्छुक कंपनियों और देशों का जीवन आसान हो गया। इन एजेंसियों ने उनकी वित्तीय हालत और साख का आकलन कर उन्हें रेटिंग देना शुरू कर दिया। इन रेटिंग एजेंसियों की ताकत तब और बढ़ गई, जब सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने आदेश दिया कि सरकारी नियंत्रण वाले निवेश संस्थान केवल ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
कुछ निवेशकों की रेटिंग गिरने की स्थिति में उनमें किया गया निवेश बेचने का भी निर्देश दिया। इसके कारण जिन कंपनियों या देशों की रेटिंग नीचे गिरती है, उनके लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है।
ऐसे में बड़ी निवेश कंपनियां जब रेटिंग कम होने पर अपने निवेशों को बड़े पैमाने पर निकालना या बेचना शुरू करती है तो उनके बांड की कीमत बाज़ार में और ज्यादा गिर जाती है। इससे उनको मिलने वाले कर्ज पर ब्याज और ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या है मतलब?
> एएए : सबसे मजबूत सबसे बेहतर
> एए : वादों को पूरा करने में सक्षम
> ए : वादों को पूरा करने की क्षमता पर विपरीत परिस्थितियों का पड़ सकता है असर
> बीबीबी : वादों को पूरा करने की क्षमता, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से आर्थिक हालात प्रभावित होने की ज्यादा गुंजाइश।
> सीसी : वर्तमान में बहुत कमजोर
> डी : उधार लौटाने में असफल
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कहीं नहीं देखी ऐसी दीवानगी-दिव्या bharati
पांच अप्रैल, 1993 को मात्र उन्नीस वर्ष की आयु में चौदह हिंदी और सात दक्षिण भारतीय फिल्में पूरी करके और एक दर्जन फिल्मों के लिए अनुबंधित दिव्या भारती की मृत्यु हो गई। वर्सोवा, मुंबई स्थित पांचवें माले पर मौजूद अपने फ्लैट की खिड़की से फिसलकर गिरीं और मृत पाई गईं। उस समय उनके घर कुछ अंतरंग मित्र मौजूद थे। पुलिस ने गहन तहकीकात के बाद उसे दुर्घटना के रूप में दर्ज करके फाइल बंद कर दी।
मृत्यु के समय अनुबंधित फिल्मों में से एक थी ‘लाडला’, जिसे बाद में श्रीदेवी के साथ बनाया गया। दिव्या भारती कुछ हद तक श्रीदेवी से मिलती-जुलती थीं, पर उनके अभिनय में एक बेबाक सा चुलबुलापन नजर आता था, जो दशकों पूर्व की बिंदास गीताबाली की याद दिलाता था।
शबनम कपूर की ‘दीवाना’ (१९९२) में दिव्या के नायक ऋषि कपूर और कथा के अनुसार उनकी तथाकथित मृत्यु के बाद युवा विधवा का दिल जीतने वाले खिलंदड़ पात्र को शाहरुख ने अभिनीत किया था और इसी भूमिका में अपनी ऊर्जा और भावना की तीव्रता के कारण शाहरुख खान को खूब सराहा गया। दिव्या और शाहरुख पर फिल्मांकित किए गए गीत- ‘ये कैसी दीवानगी.’ में दिव्या और शाहरुख खान के बीच समान गति से प्रवाहित ऊर्जा के कारण उत्पन्न प्रेम का रसायन पर्दे पर जादू सा जगा देता था।
अगर दिव्या जीवित रहतीं, तो उनकी और शाहरुख की जोड़ी प्रेम फिल्मों में भावना की तीव्रता भर देती। मात्र सोलह की उम्र में वेंकटेश के साथ उसने सफल ‘बोबिला राजा’ की। दक्षिण की दो सफलताओं पर सवार दिव्या को मुंबई के निर्माताओं ने घेर लिया। माता-पिता से छुप उसने निर्माता साजिद नाडियादवाला से प्रेम विवाह किया और सफलता के नशे में प्रेम ने एक बदहवासी, दीवानगी पैदा की।
ज्ञातव्य है कि वह दौर फिल्म उद्योग में अपराध जगत के दबदबे का दौर था। और उन दिनों यह अफवाह थी कि दिव्या पर भी अनेक दबाव थे, परंतु वे मंदाकिनी की तरह डिगी नहीं और पांच अप्रैल की रात उन्हें सजा दी गई थी। पुलिस तहकीकात में यह बेबुनियाद पाया गया।
बहरहाल, यह भी संभावना है कि धन और ख्याति की वर्षा यह मध्यम वर्ग परिवार की मामूली सी शिक्षित लड़की साध नहीं पाई और हर समय वे तरंग में रहती थीं। उस रात शायद उसने ज्यादा पी ली या ड्रग्स के साथ शराब मिला ली। यह दुखद है कि इतनी सुंदर, स्वस्थ प्रतिभाशाली कलाकार जरा सी अभिव्यक्त होकर चली गई, जैसे पूर्णिमा की रात के पहले पहर ही बदलियां छा जाएं।
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1970 से अब तक वायुसेना के 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए
नई दिल्ली। वायुसेना के 999 विमान 1970 के बाद से दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं। इनमें से 34 फीसदी दुर्घटना पायलटों की गलती से हुई है। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने एक संसदीय समिति को दी है।
यदि मिग21 विमान की ताजा दुर्घटना को भी शामिल कर लिया जाए, तो आंकड़ा 1000 हो जाता है।
वायुसेना के 946 मिग विमानों में से आधे से अधिक अब तक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।
समिति द्वारा बजटीय मांग से सम्बंधित संसद में बुधवार को पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया, "मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में 1970 से अब तक हुई विमान दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया है। इसके मुताबिक अक तक 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुक हैं।"
उप्र: वायुसेना का जगुआर दुर्घटनाग्रस्त, दो की मौत
इन 999 मामलों में से 12 की अभी जांच चल रही है, जबकि शेष 987 में से 388 मामले में चालक दल की गलती सामने आई है।
राजस्थान में हुए मिग लड़ाकू विमान की दुर्घटना होने और पायलट के मारे जाने की घटना के अगले ही दिन रक्षा संसदीय रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मिग बेड़े के आधे से अधिक विमान हादसों में स्वाहा हो चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की आज संसद में पेश रिपोर्ट में मंत्रालय के हवाले से यह स्वीकार किया गया है कि मिग विमानों की ज्यादातर दुर्घटनाएं पुरानी टेक्नोलाजी की वजह से हुई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि पुरानी पड़ चुकी टेक्नोलाजी के कारण मिग 21 और मिग 27 के इंजन में खराबी आने की घटनाएं आम हैं।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन विमानों की आपूर्ति करने वाले देश रूस ने भी इन्हें अपनी सेवा से बाहर कर दिया है और दुनिया में अकेली भारतीय वायुसेना ही है, जो इन विमानों पर अपना दावं लगाए हुए है।
समिति ने नए विमानों की खरीदारी की प्रक्रिया को योजनाबद्ध ढंग से पूरा करने की वकालत करते हुए मंत्रालय से कहा है कि मौजूदा विमानों के जीवनकाल को बढ़ाने तथा पायलटों की ट्रेनिंग पर नए सिरे से विचार किया जाए और मिग विमानों को जितना जल्दी संभव हो, रिटायर कर दिया जाए।
बीकानेर में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त, पायलट की मौत
मानवीय गलतियों में सुधार के पहलू के बारे में संसदीय समिति को बताया गया कि पायलटों की ट्रेनिंग के लिए समुचित ट्रेनर विमानों की उपलब्धता की कमी चिंता का विषय है।
इस समय वायुसेना के प्रशिक्षण विमानों के बेड़े में 114 एचपीटी, 96 किरण एमके-वन ए, 41 किरण एके-दो, 42 हॉक, 35 चेतक, 19 डोर्नियर, आठ एएन-32 परिवहन विमान और छह एवरो विमान हैं। अधिकांश ट्रेनरों में एचपीटी और किरण मार्क-1 एवं मार्क दो विमान हैं जिन्हें बदला जा रहा है।
यदि मिग21 विमान की ताजा दुर्घटना को भी शामिल कर लिया जाए, तो आंकड़ा 1000 हो जाता है।
वायुसेना के 946 मिग विमानों में से आधे से अधिक अब तक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।
समिति द्वारा बजटीय मांग से सम्बंधित संसद में बुधवार को पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया, "मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में 1970 से अब तक हुई विमान दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया है। इसके मुताबिक अक तक 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुक हैं।"
उप्र: वायुसेना का जगुआर दुर्घटनाग्रस्त, दो की मौत
इन 999 मामलों में से 12 की अभी जांच चल रही है, जबकि शेष 987 में से 388 मामले में चालक दल की गलती सामने आई है।
राजस्थान में हुए मिग लड़ाकू विमान की दुर्घटना होने और पायलट के मारे जाने की घटना के अगले ही दिन रक्षा संसदीय रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मिग बेड़े के आधे से अधिक विमान हादसों में स्वाहा हो चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की आज संसद में पेश रिपोर्ट में मंत्रालय के हवाले से यह स्वीकार किया गया है कि मिग विमानों की ज्यादातर दुर्घटनाएं पुरानी टेक्नोलाजी की वजह से हुई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि पुरानी पड़ चुकी टेक्नोलाजी के कारण मिग 21 और मिग 27 के इंजन में खराबी आने की घटनाएं आम हैं।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन विमानों की आपूर्ति करने वाले देश रूस ने भी इन्हें अपनी सेवा से बाहर कर दिया है और दुनिया में अकेली भारतीय वायुसेना ही है, जो इन विमानों पर अपना दावं लगाए हुए है।
समिति ने नए विमानों की खरीदारी की प्रक्रिया को योजनाबद्ध ढंग से पूरा करने की वकालत करते हुए मंत्रालय से कहा है कि मौजूदा विमानों के जीवनकाल को बढ़ाने तथा पायलटों की ट्रेनिंग पर नए सिरे से विचार किया जाए और मिग विमानों को जितना जल्दी संभव हो, रिटायर कर दिया जाए।
बीकानेर में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त, पायलट की मौत
मानवीय गलतियों में सुधार के पहलू के बारे में संसदीय समिति को बताया गया कि पायलटों की ट्रेनिंग के लिए समुचित ट्रेनर विमानों की उपलब्धता की कमी चिंता का विषय है।
इस समय वायुसेना के प्रशिक्षण विमानों के बेड़े में 114 एचपीटी, 96 किरण एमके-वन ए, 41 किरण एके-दो, 42 हॉक, 35 चेतक, 19 डोर्नियर, आठ एएन-32 परिवहन विमान और छह एवरो विमान हैं। अधिकांश ट्रेनरों में एचपीटी और किरण मार्क-1 एवं मार्क दो विमान हैं जिन्हें बदला जा रहा है।
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‘जूनो’ चला ‘ज्यूपिटर से मिलने, चार साल बाद पहुंचेगा
केप केनवेरल। सौरमंडल के अध्ययन के लिए विकसित किया गया अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) का खोजी यान ‘जूनो’ अपनी पांच साल की यात्रा के दौरान लगभग सोलह हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बृहस्पति ग्रह तक की टोह लेगा। यह अंतरिक्षयान मानव द्वारा निर्मित सबसे तेज चलने वाली मशीन है।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि चार टन वजनी जूनो भारतीय समयानुसार रात नौ बजकर चार मिनट पर एटलस-5 रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इस रॉकेट पर पांच बूस्टर इंजन लगे हुए हैं और नासा के किसी भी मानवरहित अंतरिक्ष मिशन के लिए इसे बेहद दमदार समझा जाता है। इस अंतरिक्ष यान का नाम रोमन मिथकीय देवता ‘ज्यूपिटर’ की पत्नी ‘जूनो’ के नाम पर रखा गया है। ज्यूपिटर को ही बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है।
इस अंतरिक्षयान के जरिए तीन छोटी मूर्तियों को भी अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है। इसमें ‘ज्यूपिटर देवता’, उसकी पत्नी ‘जूनो’ और इस ग्रह को पहली बार टेलिस्कोप के जरिए ढूंढने वाले इतालवी खगोलशास्त्री ‘गैलेलियो गैलिली’ की मूर्तियां शामिल हैं।
गुरु के लिए रवाना हो रहा है पहला अंतरिक्षयान ‘जूनो’!
जूनो बृहस्पति ग्रह पर जानेवाला विश्व का पहला ऐसा खोजी यान है जो सौर ऊर्जा से संचालित है। चूंकि बृहस्पति ग्रह को मिलने वाली सौर ऊर्जा पृथ्वी के मुकाबले 25 फिसदी कम है, इसलिए इस यान का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यह कम सौर ऊर्जा से भी अपनी आवश्यकतानुसार विद्युत ऊर्जा का निर्माण कर सके। खुले अंतरिक्ष में सूर्य से निकलने वाले विकिरण से बचाव का कोई उपाय नहीं है और इससे किसी भी अंतरिक्षयान के सोलर सेल और अन्य उपकरण आसानी से नष्ट हो सकते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर जूनो के सोलर सेल इस तरह से बनाए गए हैं कि ये सौर-विकिरण को 50 फिसदी अधिक समय तक झेल पाने में सक्षम हैं।
जूनो बृहस्पति ग्रह की अपनी दो अरब 80 करोड़ किलोमीटर लंबी यात्रा को पांच बरस में पूरा करने के बाद वर्ष 2016 में बृहस्पति की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद यह उसकी परिक्रमा कर आंकड़े जुटाएगा। यह बृहस्पति की ध्रुवीय कक्षा में स्थापित होने वाला पहला अंतरिक्षयान होगा। एक वर्ष तक बृहस्पति का अध्ययन करने के बाद इसका मिशन पूरा हो जाएगा और यह 2017 में बृहस्पति की सतह पर गिरकर नष्ट हो जाएगा।
जूनो अंतरिक्षयान अपने इस मिशन के दौरान अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा। इस मिशन के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से जुड़े देशों इटली, बेल्जियम और फ्रांस ने भी मदद दी है। यान में इस प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं जो बृहस्पति ग्रह के रोजमर्रा के घटनाक्रम का पता लगाने के अलावा उसके अंतर को खंगालने का भी प्रयत्न करेंगे।
इस मिशन के दो प्रमुख उद्देश्यों में बृहस्पति पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना और उसकी सतह के बारे में अधिक जानकारी जुटाना होगा। जूनो यह पता लगाने की भी कोशिश करेगा कि क्या बृहस्पति की आंतरिक संरचना ठोस पदार्थों से मिल कर बनी है अथवा वह गैस रूप में है।
इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक बृहस्पति के उस चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाने का भी प्रयत्न करेंगे जो पृथ्वी के गुरुत्वबल के मुकाबले 20 हजार गुना अधिक शक्तिशाली है। बृहस्पति का अति शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र अपने आस-पास से गुजरती किसी भी बड़ी उल्का या क्षुद्र ग्रह को आसानी से अपने अंदर समा लेता है। इस तरह से बृहस्पति कई मायनों में अंतरिक्ष की बड़ी चट्टानों से पृथ्वी की रक्षा भी करता है।
अपने अभियान के दौरान जूनो पिछले 300 वर्षों से बृहस्पति की सतह पर चल रहे भीषण तूफानों के बारे में भी पता लगाने की कोशिश करेगा। धरती से देखने पर यह तूफ्ना बृहस्पति की सतह पर एक बड़े लाल धब्बे के रूप में दिखता है ।अंग्रेज खगोलशास्त्री राबर्ट हुक ने वर्ष 1664 में पहली बार इसका पता लगाया था।
उल्लेखनीय है कि नासा ने 1973 में ‘पायोनियर’ अंतरिक्षयान के जरिए बृहस्पति ग्रह के शोध का आगाज किया था। इसके बाद के तीन दशकों में वायजर, उल्येसिस और कैसिनी यानों ने भी इस ग्रह के वातावरण का जायजा लिया।
प्लूटो क्षुद्र ग्रह के अध्ययन के लिए जानेवाले नासा के अंतरिक्ष यान ‘न्यू होराइजन्स’ ने 2007 में आवश्यक गति प्राप्त करने के लिए इस ग्रह का चक्कर लगाया था।
जूनो के बाद नासा की ‘यूरोपा जूपिटर सिस्टम मिशन’ को 2020 में वहां भेजने की योजना है, जो बृहस्पति के तीन बड़े चंद्रमाओं यूरोपा, गैनिमेड और कैलिस्टो की बर्फीली सतहों का अध्ययन कर वहां पानी होने की संभावनाओं की तलाश करेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि चार टन वजनी जूनो भारतीय समयानुसार रात नौ बजकर चार मिनट पर एटलस-5 रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इस रॉकेट पर पांच बूस्टर इंजन लगे हुए हैं और नासा के किसी भी मानवरहित अंतरिक्ष मिशन के लिए इसे बेहद दमदार समझा जाता है। इस अंतरिक्ष यान का नाम रोमन मिथकीय देवता ‘ज्यूपिटर’ की पत्नी ‘जूनो’ के नाम पर रखा गया है। ज्यूपिटर को ही बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है।
इस अंतरिक्षयान के जरिए तीन छोटी मूर्तियों को भी अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है। इसमें ‘ज्यूपिटर देवता’, उसकी पत्नी ‘जूनो’ और इस ग्रह को पहली बार टेलिस्कोप के जरिए ढूंढने वाले इतालवी खगोलशास्त्री ‘गैलेलियो गैलिली’ की मूर्तियां शामिल हैं।
गुरु के लिए रवाना हो रहा है पहला अंतरिक्षयान ‘जूनो’!
जूनो बृहस्पति ग्रह पर जानेवाला विश्व का पहला ऐसा खोजी यान है जो सौर ऊर्जा से संचालित है। चूंकि बृहस्पति ग्रह को मिलने वाली सौर ऊर्जा पृथ्वी के मुकाबले 25 फिसदी कम है, इसलिए इस यान का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यह कम सौर ऊर्जा से भी अपनी आवश्यकतानुसार विद्युत ऊर्जा का निर्माण कर सके। खुले अंतरिक्ष में सूर्य से निकलने वाले विकिरण से बचाव का कोई उपाय नहीं है और इससे किसी भी अंतरिक्षयान के सोलर सेल और अन्य उपकरण आसानी से नष्ट हो सकते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर जूनो के सोलर सेल इस तरह से बनाए गए हैं कि ये सौर-विकिरण को 50 फिसदी अधिक समय तक झेल पाने में सक्षम हैं।
जूनो बृहस्पति ग्रह की अपनी दो अरब 80 करोड़ किलोमीटर लंबी यात्रा को पांच बरस में पूरा करने के बाद वर्ष 2016 में बृहस्पति की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद यह उसकी परिक्रमा कर आंकड़े जुटाएगा। यह बृहस्पति की ध्रुवीय कक्षा में स्थापित होने वाला पहला अंतरिक्षयान होगा। एक वर्ष तक बृहस्पति का अध्ययन करने के बाद इसका मिशन पूरा हो जाएगा और यह 2017 में बृहस्पति की सतह पर गिरकर नष्ट हो जाएगा।
जूनो अंतरिक्षयान अपने इस मिशन के दौरान अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा। इस मिशन के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से जुड़े देशों इटली, बेल्जियम और फ्रांस ने भी मदद दी है। यान में इस प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं जो बृहस्पति ग्रह के रोजमर्रा के घटनाक्रम का पता लगाने के अलावा उसके अंतर को खंगालने का भी प्रयत्न करेंगे।
इस मिशन के दो प्रमुख उद्देश्यों में बृहस्पति पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना और उसकी सतह के बारे में अधिक जानकारी जुटाना होगा। जूनो यह पता लगाने की भी कोशिश करेगा कि क्या बृहस्पति की आंतरिक संरचना ठोस पदार्थों से मिल कर बनी है अथवा वह गैस रूप में है।
इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक बृहस्पति के उस चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाने का भी प्रयत्न करेंगे जो पृथ्वी के गुरुत्वबल के मुकाबले 20 हजार गुना अधिक शक्तिशाली है। बृहस्पति का अति शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र अपने आस-पास से गुजरती किसी भी बड़ी उल्का या क्षुद्र ग्रह को आसानी से अपने अंदर समा लेता है। इस तरह से बृहस्पति कई मायनों में अंतरिक्ष की बड़ी चट्टानों से पृथ्वी की रक्षा भी करता है।
अपने अभियान के दौरान जूनो पिछले 300 वर्षों से बृहस्पति की सतह पर चल रहे भीषण तूफानों के बारे में भी पता लगाने की कोशिश करेगा। धरती से देखने पर यह तूफ्ना बृहस्पति की सतह पर एक बड़े लाल धब्बे के रूप में दिखता है ।अंग्रेज खगोलशास्त्री राबर्ट हुक ने वर्ष 1664 में पहली बार इसका पता लगाया था।
उल्लेखनीय है कि नासा ने 1973 में ‘पायोनियर’ अंतरिक्षयान के जरिए बृहस्पति ग्रह के शोध का आगाज किया था। इसके बाद के तीन दशकों में वायजर, उल्येसिस और कैसिनी यानों ने भी इस ग्रह के वातावरण का जायजा लिया।
प्लूटो क्षुद्र ग्रह के अध्ययन के लिए जानेवाले नासा के अंतरिक्ष यान ‘न्यू होराइजन्स’ ने 2007 में आवश्यक गति प्राप्त करने के लिए इस ग्रह का चक्कर लगाया था।
जूनो के बाद नासा की ‘यूरोपा जूपिटर सिस्टम मिशन’ को 2020 में वहां भेजने की योजना है, जो बृहस्पति के तीन बड़े चंद्रमाओं यूरोपा, गैनिमेड और कैलिस्टो की बर्फीली सतहों का अध्ययन कर वहां पानी होने की संभावनाओं की तलाश करेगा।
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Jun 19, 2011
आईपैड एक तरह का टेबलेट कंप्यूटर है जिसे अमेरिकी कंपनी ऐप्पल ने बनाया है यह आकर में लैपटप से छोटा और स्मार्टफोन से बड़ा होता है. यह मूल रुप से ऑडियो-वीडियो मीडिया खासकर ई बुक्स वगैरह के लिए बेहतर है। उसके अलावा यह फिल्में देखने, गेम्स खेलने और वेब कंटेंट के लिए उपयोगी होता है।आईफोन और आईपॉड की तरह यह मल्टीटच डिस्पले नियंत्रित होता है। इसके पहले टेबलेट कंप्यूटरों में यह सुविधा नहीं होती थी।ऐप्पल ने पहला आईपैड 2010 में रिलीज किया था लेकिन महज 80 दिनों में उसने तीस लाख आईपैड बेच दिए थे।
जानिए क्या होती है हाइब्रिड कार
आपने कई लोगों से हाइब्रिड कार के बारे में सुना होगा लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि यह क्या होती है। हाईब्रिड टेक्नोलॉजी से मतलब दो ईधन से चलने से हाईब्रिड कारें पेट्रोल या डीजल और बैट्री की पावर से चलती है दुनिया भर में हाईब्रिड टेक्नोलॉजी को लेकर अलग अलग वाहन बनाए गए हैं इसमें डीजल-बैट्री, पेट्रोल- बेट्री से चलने वाली गाडियां होती है। अगर आपको याद हो तो काफी पहले मोपेड चला करती थी जिसमें पहले पैडल मारते थे उसके बाद वो स्टार्ट होकर चलती थी वो भी एक तरह की हाईब्रिड बाइक थी क्योंकि उसमें शरीर की ताकत और ईधन दोनो इस्तेमाल हो रहे हैं। होंडा सिविक एक हाइब्रिड कार है पैट्रोल और कार की बैट्री दोनो से चलती है ऐसी गाड़ियां ईधन की बचत ज्यादा करती हैं और इनसे प्रदूषण भी काफी कम होता है।
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May 8, 2011
80 अरब डॉलर खर्च कर 10 लाख लोगों से जासूसी करवाता है अमेरिका
click here विकीलीक्स के ताजा खुलासे से देश के सियासी गलियारे में मचे कोहराम के बीच एक बात तो साफ हो गई है कि अमेरिका भारत में स्थित अपने राजनयिकों से जासूसी करवाता रहा है। यही नहीं, अमेरिका किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल की भी पूरी कोशिश करता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और वहां की सेना जासूसी के इस गोरखधंधे में शामिल होती है। खुफिया मामलों के जानकारों के मुताबिक यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अमेरिका ने पिछले साल सिविलियन और मिलिट्री जासूसी पर कितना खर्च किया है। वैसे अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जेम्स क्लैपर ने बताया कि पिछले साल अमेरिका ने जासूसी के काम पर 80.1 अरब डॉलर खर्च किए। इसमें सिविल एजेंसियों पर 53.1 अरब डॉलर जबकि बाकी रकम रक्षा मंत्रालय पर खर्च की गई। जासूसी पर खर्च की जाने वाली यह रकम अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (42.6 अरब डॉलर) या विदेश मंत्रालय (48.9 अरब डॉलर) के बजट से अधिक है। इससे पहले अमेरिकी सरकार ने 1998 में खुफिया गतिविधियों पर खर्च की जाने वाली रकम (26.7 अरब डॉलर) का सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया था।जानकारों ने नए खुलासों के आधार पर यह दावा किया है कि अमेरिकी सरकार सिविलियन इंटेलिजेंस ऑपरेशन पर हर साल 45 अरब डॉलर और रक्षा खुफिया पर 30 अरब डॉलर खर्च करती है। इस पूरे नेटवर्क में करीब दो लाख कर्मचारी जुटे हैं। 1994 में अमेरिका खुफिया गतिविधियों पर हर साल करीब 26 अरब डॉलर खर्च करता था। कैसे काम करता है अमेरिकी खुफिया तंत्र अमेरिका में आतंकवाद विरोधी, होमलैंड सिक्योरिटी और खुफिया से जुड़े कामों में करीब 3200 संगठन (1271 सरकारी संगठन और 1931 प्राइवेट कंपनियां) जुटी हैं। इस नेटवर्क से जुड़े 8 लाख 54 हजार लोग अमेरिका में करीब 10 हजार ठिकानों पर फैले हैं। सितम्बर 2001 में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से वाशिंगटन और आसपास के इलाकों में अति गोपनीय खुफिया कार्यों के लिए 33 इमारतें तैयार की जा रही हैं या बन गई हैं। अमेरिका में साल 2001 के आखिर तक 24 संगठन बनाए गए जिनमें होमलैंड सिक्योरिटी का दफ्तर और फॉरेन टेररिस्ट एसेट ट्रैकिंग टास्क फोर्स शामिल हैं। 2002 में 37 और ऐसे संगठन तैयार किए गए जिनका काम व्यापक विनाश के हथियारों पर नजर रखना, हमले की आशंका पर नजर रखना और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मोर्चे पर नई रणनीति तैयार करना है। इसके बाद 2004 में 36, 2005 में 26, 2006 में 31, 2007 में 32, 2008 और 2009 में 20-20 या इनसे अधिक संगठन खड़े गए। कुल मिलाकर 9/11 की घटना के बाद अमेरिका में कम से कम 263 संगठन खड़े किए गए हैं। अधिकतर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों का काम एक जैसा ही होता है। अमेरिका के 15 शहरों फैले 51 संघीय संगठन और मिलिट्री कमान पैसे के लेन देन और आतंकवादियों के नेटवर्क पर नजर रखते हैं। जानकारों के मुताबिक विदेशी और घरेलू जासूसी से जुड़ी रिपोर्टों की संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि हर साल करीब 50 हजार खुफिया रिपोर्टों को कूड़ेदान में फेंकना पड़ता है। अमेरिकी प्रशासन के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के हवाले से ‘वाशिंगटन पोस्ट’ लिखता है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) द्वारा अपने नागरिकों की जासूसी के दौरान इकट्ठा की गई सूचनाओं तक संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई), रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए), सीआईए और होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की भी पहुंच होती है। अमेरिकी प्रशासन की ओर से अपने ही नागरिकों की जासूसी करने की बात उस वक्त सामने आई जब इलेक्ट्रॉनिक्स फ्रंटियर फाउंडेशन नामक संगठन के हाथ ऐसे दस्तावेज हाथ लगे जिससे साफ हो गया कि खुफिया एजेंट सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के जरिये कई तरह के लोगों से दोस्ती कर मौजूदा हालात की जानकारी इकट्ठा करते हैं। यदि कोई आदमी इन एजेंटों के जाल में फंस कर वेबसाइट पर दोस्ती कर लेता है तो एजेंट यूजर से नजदीकी बढ़ाकर कई तरह की जानकारियां हासिल कर लेते हैं। भारतीय राजनयिकों की जासूसी खोजी वेबसाइट विकीलीक्स के खुलासे से भारत, अमेरिका सहित दुनिया के अधिकतर देशों में सियासी कोहराम मचा है। खुलासे से साफ हुआ है कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजनयिकों की जासूसी के आदेश दिए थे। संदेशों से साफ है कि अमेरिका ने इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के राजनयिकों की जासूसी करवाई है। पिछले साल विकीलीक्स ने अमरीकी दूतावासों की ओर से भेजे गए जिन करीब ढाई लाख संदेशों को सार्वजनिक किया, उनमें से 3038 संदेश नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से भेजे गए हैं। विकीलीक्स के खुलासों के मुताबिक अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून सहित यूएन नेतृत्व और सुरक्षा परिषद में शामिल चीन, रूस, फ्रांस व ब्रिटेन के प्रतिनिधियों की जासूसी में भी जुटा है। हालांकि विकिलीक्स के इस खुलासे पर अमेरिका भड़क गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पी जे क्राउले ने कहा, ‘हमारे राजनयिकों द्वारा जुटाई गई सूचनाएं हमारी नीतियों और कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में मददगार होती हैं। हमारे राजनयिक ‘डिप्लोमैट्स’ ही हैं जासूस नहीं।’ अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने विकीलीक्स की हरकत को गैरजिम्मेदाराना करार दिया। पेंटागन ने इन सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं। यूएन में अमेरिकी दूत सुसान राइस ने भी क्राउले की तर्ज पर अपने राजनयिकों का बचाव किया है। उन्होंने कहा, ‘हमारे राजनयिक भी वही करते हैं जो दुनियाभर में अन्य देशों के जासूस हर दिन करते हैं। इनका काम संबंधों को मजबूत बनाने, बातचीत की प्रक्रिया जारी रखने और जटिल समस्याओं का हल ढूंढने में मदद करना है।’ पाकिस्तान में दो नागरिकों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया रेमंड डेविस भी अमेरिकी जासूस बताया गया। हालांकि अमेरिका ने पाकिस्तान को यह समझाने की कोशिश की कि डेविस को राजनयिक दर्जा हासिल है इसलिए उन्हें वापस अमेरिका भेजा जाना चाहिए। आपकी राय क्या अमेरिका के जासूसी जाल से बचना मुमकिन नहीं रह गया है या फिर सरकारें अपना हित और अमेरिकी रौब को देखते हुए घुटने टेक कर उसके जाल में फंसने के लिए तैयार रहती हैं।
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190 करोड़ की मालकिन, घर-घर बर्तन-कपड़े धोने पर मजबूर
सूरत। आज 'मदर्स डे' पर जहां एक तरफ मां की पूजा की जा रही है। वहीं कुछ ऐसी माएं भी हैं, जिन्हें उन कपूतों की वजह से ही आज दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रही हैं, जिन्हें वे हमेशा अपने सीने से लगाए रखती थीं। ठीक इसी तरह इस मां की कहानी है, जिसे सुनते ही आपकी आंखें भर आएंगी... आभवा के जमींदार व 109 करोड़ रुपए के वारिस रोहित देसाई की पत्नी हंसाबेन का जीवन ऐशो-आराम से भरपूर था। लेकिन पति के देहांत के बाद उनकी जिंदगी जैसे बिखर सी गई। कुछ ही दिनों बाद उनकी हालत ऐसी कर दी गई कि वे आज घर-घर बर्तन व साफ करके अपना पेट पाल रही हैं। मां के साथ यह कृत्य किसी और ने नहीं, बल्कि सगे बेटे ने ही किया। हंसाबेन बताती हैं कि उनके सगे बेटे संदीप ने पहले तो उनकी सारी जायदाद अपने नाम कर ली और बाद में उन्हें घर से भी निकाल दिया। हंसाबेन आज जब अपने पुराने दिनों को याद करती हैं तो उनकी आखें आंसुओं से भर जाती हैं कि जहां एक समय उनकी एक आवाज पर कई नौकर हाजिर हो जाया करते थे, वहीं आज वे नौकरों की तरह दूसरों के घरों में बर्तन व कपड़े धोकर जीवन बसर पर मजबूर हैं। हंसाबेन कहती हैं कि संदीप ने उन्हें विश्वास में लेकर सारी जायदाद अपने नाम कर ली और जब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाना चाही तो संदीप ने उन्हें घर से ही निकाल दिया। बेघर होने के बाद हंसाबेन के पास जीवन बसर करने के लिए कुछ भी नहीं रहा और वे दूसरे लोगों के घर के बर्तन-कपड़े धोने जैसे काम करने पर मजबूर हो गईं। लोगों के कहने पर हंसाबेन ने इसकी शिकायत फैमिली कोर्ट में भी की और कोर्ट द्वारा संदीप को यह आदेश भी दिया जा चुका है कि वह मां के भरण-पोषण का पूरा खर्च उठाए। लेकिन संदीप ने अदालत के फैसले को भी नहीं माना। पति के मित्र ने सहारा दिया... वह भी बेटे से देखा न गया बेघर किए जाने के बाद हंसाबेन को उनके पति के दोस्त नानूभाई ने सहारा दिया। हंसाबेन वहां पर लगभग छह महीने तक रहीं और उनका कहना है कि इस घर में उन्हें इतना प्यार मिला, जितना उनके सगे बेटे ने भी कभी नहीं दिया। लेकिन हंसाबेन का यह सुख भी बेटे से देखा नहीं गया और उसने एक बार नानूभाई के घर पहुंचकर नानूभाई के साथ काफी गाली-गलौच की। नानूभाई ने तो हंसाबेन से इसकी कोई शिकायत नहीं कि लेकिन हंसाबेन नहीं चाहती थीं कि फिर उनका बेटा इस घर में आकर हंगामा करे और इस घर के लोगों की शांति भंग करे। नानूभाई के बहुत रोकने पर भी वे नहीं मानीं और उन्होंने यह घर छोड़ दिया। मां को डायन कहता था... हंसाबेन ने बताया कि उनका बेटा अपने बच्चों को उनके पास नहीं आने देता था और उनसे कहता था कि दादी के पास मत जाना, उसे गंभीर बीमारी है, नहीं तो तुम भी बीमार पड़ जाओगे। इसके अलावा संदीप उन्हें डायन कहकर ही पुकारता था। ......अब समाज या कानून के डर से इस मां को उसका बेटा भले ही खाने-पीने के लिए चंद रुपए दे दे, लेकिन क्या उससे मां के सीने पर लगे जख्म भर पाएंगे? ......सवाल यह उठता है कि मां तो अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर भूखा नहीं सोने देती। अगर सोने के लिए बिस्तर न हों तो उन्हें अपने सीने से लगाकर सुलाती है। ...जब बच्चों को मां की जरूरत होती है तब वह तो अपने सारे फर्ज पूरी ईमानदारी और निस्वार्थ भाव से पूरा करती है। लेकिन जब बच्चों की बारी आती है तो वह उनकी आंखों में ही चुभने लगती है, आखिर क्यों ?
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इंटरनेट के जरिए चल रहे हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़
नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने इंटरनेट के जरिए चलने वाले हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उसके रैकेट में देश के अलग अलग शहरों में रहने वाली एयर होस्टेस और मॉडल्स ही नहीं, बल्कि टीवी सीरियल्स की कई जानीमानी अभिनेत्रियां और कुछ उभरती हुईं या फ्लॉप अभिनेत्रियां शामिल हैं। आरोपी जोधपुर का सुधांशु गुप्ता (32) का है। पुलिस का मानना है कि वह साइबर पिंप (दलाल) और इस रैकेट का मास्टरमाइंड था। उसने दावा किया है कि इनके क्लाइंट भी कितने हाई प्रोफाइल थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्लाइंट को लड़की मुहैया करवाने की एवज में उससे 1 से 10 लाख रुपये तक लिए जाते थे। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) अशोक चांद के मुताबिक को हेड कॉन्स्टेबल अमित तोमर को सूचना मिली थी कि एक हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट चलाने वाला शख्स शालीमार बाग इलाके में आने वाला है। इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने ट्रैप लगाकर सुधांशु को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ में कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं। एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुधांशु ने 2003 में गाजियाबाद के एक मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी। एक साल तक दिल्ली स्थित एक मल्टी नैशनल बैंक मंे बतौर रीजनल मैनेजर नौकरी करने के बाद उसने एक शेयर ब्रोकर कंपनी में जॉब हासिल कर लिया और फिर 2005 में वह जोधपुर चला गया। वहां उसने टूर एंड ट्रैवल्स का बिजनेस शुरू किया। डीसीपी के मुताबिक पिछले साल जब वह बिजनेस के सिलसिले में दिल्ली आया था, उसी दौरान उसकी मुलाकात एक कॉलगर्ल से हुई और दोनों ने मिलकर वेब पोर्टल के जरिए एस्कॉर्ट सर्विसेज मुहैया करवाने का प्लान बनाया। सुधांशु ने इंटरनेट पर एक वेबसाइट तैयार की और इसके जरिए उसने देशभर में अपना नेटवर्क फैलाया, जिसमें कॉलगर्ल्स के साथ साथ उसके क्लाइंट्स भी शामिल थे। इंटरनेट के जरिए ही एस्कॉर्ट सर्विस देने की इच्छुक लड़कियों को अपने रैकेट में शामिल करता था और जरूरत के मुताबिक उन्हें अलग अलग शहरों में अपने क्लाइंट्स के पास भेजता था। क्लाइंट्स भी पोर्टल के जरिए ही संपर्क करते थे और बाद में फोन पर डील फाइनल होती थी। सुधांशु का चेहरा न तो कभी किसी क्लाइंट ने देखा और न कभी वह रैकेट में शामिल लड़कियों से मिला। सारा काम बस मोबाइल और इंटरनेट के जरिए ही हो जाता था। रैकेट के लिए काम करने वाली सभी लड़कियों को एक बैंक अकाउंट नंबर दिया गया था। क्लाइंट से कैश पेमेंट लेने के बाद लड़कियां पेमेंट का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा खुद उस बैंक अकाउंट में जमा करवा देती थीं, जिसका नंबर सुधांशु उन्हें देता था। बाद में सुधांशु डेबिट कार्ड से रकम निकाल लेता था। बाकी रकम लड़की खुद रख लेती थी। पुलिस के मुताबिक मार्च में भोपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एमपी नगर स्थित एक होटल में छापा मारकर वेश्यावृत्ति के आरोप में दिल्ली की एक हाई प्रोफाइल लड़की को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में लड़की ने बताया था कि वह सुधांशु के लिए काम करती है और उसी के कहने पर वह दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर भोपाल आई थी। उसने सुधांशु द्वारा बताए गए तीन बैंक अकाउंटों में 1 लाख 48 हजार रुपये भी जमा करवाए थे। भोपाल क्राइम ब्रांच ने ये तीनों बैंक अकाउंट सीज कर दिए थे और सरगर्मी से उसे तलाश रही थी। भोपाल पुलिस की धरपकड़ के बाद सुधांशु अपने पोर्टल को बेचने की तैयारी भी कर रहा था।
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जब एक ही गेंद पर दो तरीके से आउट हुए रायडू
क्रिकेट मैदान पर कई बार हास्यास्पद स्थिति पैदा होती है। कभी बल्लेबाजों द्वारा खेला गया अटपटा शॉट तो कभी अजीब सी मिसफिल्डिंग। कुछ ही ऐसी रोचक स्थिति पैदा हुई मुंबई इंडियंस और दिल्ली डेयरडेविल्स मुकाबले में जब अंबाती रायडू एक ही गेंद पर दो तरीके से आउट हुए। अंबाती रायडू ने इस मुकाबले में 39 गेंदों में 59 रन की बेहतरीन पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 7 चौके और 2 छक्के जड़े। हालांकि वे जिस अंदाज में आउट हुए वो भी बड़ा हास्यास्पद था। मुंबई पारी के 19वें ओवर के 5वें गेंद पर एक्सट्रा कवर के ऊपर से शॉट खेलने के लिए बैकफुट पर गए। गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर हवा में चली गई और वीरेंद्र सहवाग ने उनका कैच पकड़ा। हालांकि चौंकाने वाली बात ये थी कि शॉट खेलने के दौरान अंबाती विकेट इतने करीब पहुंच गए कि उनके दाएं पैर ने स्टंप बिखेर दिया। यह पूरा माजरा टीवी रिप्ले देखने के बाद साफ हुआ। उन्हें कैच आउट की जगह हिट विकेट करार दिया गया। हालांकि विकेट जेम्स हॉप्स के खाते में ही गया।
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Mar 3, 2011
सबसे महंगी शादी: 250 करोड़ में हुआ विधायक की बेटी का भव्य विवाह
नई दिल्ली। और जैसी कि उम्मीद थी प्रदेश के सोहना विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने देश भर में एक रिकॉर्ड कायम कर दिया। यह रिकॉर्ड है बेटी की सबसे महंगी और भव्य शादी का। इसके पहले तक प्रदेश के लोग फरीदाबाद के सांसद अवतार सिंह भड़ाना की बेटी की शादी को याद करते थे। भड़ाना की बेटी की शादी पानीपत निवासी सफीदों के पूर्व विधायक बच्चन सिंह आर्य के बेटे अशोक आर्य से हुई है। जौनापुरिया की बेटी योगिता की शादी सोमवार रात दिल्ली के जाने माने गुर्जर नेता कंवर सिंह तंवर के बेटे ललित तंवर से हुई। बताया जाता है कि शादी में कुल लगभग 250 करोड़ रुपए खर्च किए गए। दूल्हे को टीके की रस्म में बतौर शगुन ढाई करोड़ रुपए दिए गए तो परिवार के डेढ़ दर्जन सदस्यों को टीके के समय शगुन के रूप में एक-एक करोड़ रुपए दिए गए। लगभग 2000 बारातियों में से सभी को 11 हजार से लेकर 21 हजार रुपए, 30-30 ग्राम के चांदी के बिस्कुट व एक-एक सफारी सूट दिए गए। इस शादी में कई हजार लोगों ने शिरकत की। आसपास के सभी गांवों को इस शादी में निमंत्रण दिया गया था। सगाई पर दूल्हे को 45 करोड़ रुपये का हेलिकॉप्टर दिया गया था। फूलों से महका सारा रास्ता विवाह समारोह के लिए बनाए गए पंडाल से लगभग चार किलोमीटर पहले से ही भव्य प्रकाश व्यवस्था की गई थी। सात घोड़ों के रथ पर सवार दूल्हा बने ललित के विवाह मंडप में पहुंचते ही आतिशबाजी से पूरा आसमान नहा उठा। बारातियों का रास्ता फूलों से महक रहा था। कोलकाता से लेकर बैंकॉक तक से फूल मंगाए गए थे। मीनू में डेढ़ सौ से ज्यादा व्यंजन थे, जिनमें चांदनी चौक की चाट से लेकर हैदराबादी बिरयानी तक थी।
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Mar 2, 2011
दो बोतल व्हिस्की 1.4 करोड़ रुपए में बिकी
नई दिल्ली: शराब के शौकीन अपने शौक को पूरा करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसकी मिसाल हाल ही में देखने को मिली जब व्हिस्की पीने के शौकीन दो लोगों ने ग्लासगो में डलमोर 64 ट्रिनिटास व्हिस्की की दो बोतल खरीदने के लिए दो लाख पौंड (करीब 1.4 करोड़ रुपए) खर्च किए। चौंसठ साल पुरानी इस शराब की केवल तीन बोतलें तैयार की गई थीं जिसमें से एक बोतल अमेरिका के एक व्यक्ति ने, जबकि दूसरी बोतल ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित व्हिस्की निवेशक ने एक-एक लाख पौंड में खरीदी। डलमोर व्हिस्की तैयार करने वाली कंपनी व्हाइट एंड मैके के युनाइटेड स्प्रिट्सि तीसरी बोतल अक्तूबर के अंत में लंदन में होने वाले एक व्हिस्की शो में रिकार्ड कीमत में बेचने की योजना बनाई है। कंपनी का दावा है कि विश्व के इतिहास में पहली बार व्हिस्की ने लाख पौंड का स्तर छूआ है।
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जानिए क्या होता है सेक्शन 80डी
आयकर की धारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में अदा किए गए प्रीमियम पर आयकर कटौती हासिल होती है। लेकिन सेक्शन 80 डी से जुड़े कई और प्रावधान हैं, जिनपर कर कटौती हासिल होती है। मसलन 80डीडी के तहत आपको अपनी पत्नी, माता-पिता, बच्चे और आश्रित भाई-बहन के इलाज के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम पर कर कटौती हासिल होती है। यह राशि 50,000 रुपये तक होती है। अगर किसी कारणवश अपंगता 40 फीसदी है तो 50000 की कटौती मिलती है। लेकिन यह अपंगता 80 फीसदी या ज्यादा है तो एक लाख रुपये की कटौती मिलती है। सेक्शन 80डीडीबी के तहत किसी गंभीर और लंबी बीमारी के इलाज में खर्च की गई रकम पर कर कटौती मिलती है। इनमें कैंसर डिम्नेशिया, पार्किंसंश और एड्स कुछ दूसरी बीमारियां शामिल हैं। सीनियर सिटीजन के मामले में यह कटौती 40,000 रुपये से लेकर 60,000 रुपये तक हो सकती है। कोई आयकर दाता अपने माता-पिता, बच्चे, आश्रित भाई-बहनों और पत्नी के इलाज में खर्च की गई रकम को कटौती के लिए दावा कर सकता है। इसके लिए चिकित्सक से प्रमाणपत्र लेना होता। सरकारी अस्पताल के चिकित्सक से प्रमाणन मान्य है। पूरी इलाज राशि की कटौती के लिए दावा किया जा सकता है।
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जानिए क्या होता है आयकर धारा 80जी
आयकर की धारा 80 जी के तहत कोई भी व्यक्ति किसी फंड्स या चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन को दिए गए दान पर कर का छूट ले सकता है। ऐसे मामले में सिर्फ एक ही शर्त है कि आप जिस संस्था का यह दान देते हैं वह सरकार के पास रजिस्टर्ड जरूर हो। ऐसे दान में रकम की कोई नहीं है। हालांकि कर छूट का लाभ केवल कुल दान की रकम के दस फीसदी हिस्से तक ही लिया जा सकता है। आयकर की धारा 80 जी के तहत लाभ लेने के लिए आपको दान की रसीद भी जारी करना पड़ता है। आयकर की धारा 80 की अलग-अलग उपधाराओं में आयकर में छूट मिलता है। इनमें बच्चों की शिक्षा, यूलिप या इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत अदा किया गया प्रीमियम भी है। इसके अलावा मेडिकल इंश्योरेंस में अदा किए गए प्रीमियम पर आय कर में छूट क्लेम कर सकते हैं। हालांकि इंश्योरेंस प्रीमियम की रसीदें आयकर कटौती ब्योरे में शामिल करना बेहद जरूरी होता है। बच्चों की फीस में सिर्फ ट्यूशन फीस पर आयकर में छूट मिलती है।
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नाम और शोहरत दिलाती है हाथ में बनी 'यह रेखा'
आप कितने अमीर हैं... या कितने भाग्यशाली हैं... या सफलता के किस शिखर तक आप पहुंचेंगे... इन प्रश्नों के उत्तर भी आपके हाथों की लकीरों में लिखा हैं। वैसे तो काफी कुछ भाग्य रेखा पर निर्भर करता है परंतु सूर्य रेखा भी भाग्य रेखा के साथ अच्छी स्थिति में हो तो वह व्यक्ति सफलता के नए आयाम स्थापित करता है। कहां होती हैं सूर्य रेखा? ज्योतिष शस्त्र के अनुसार सूर्य रेखा व्यक्ति के यश, गौरव, मान-सम्मान, प्रसिद्धि को दर्शाती है। यह रेखा सभी के हाथों में नहीं होती, गरीबों के हाथों में तो होती ही नहीं है। सूर्य रेखा जीवन रेखा या भाग्य रेखा या चंद्र क्षेत्र या मस्तिष्क रेखा या मंगल क्षेत्र (हथेली के मध्य क्षेत्र को मंगल क्षेत्र कहते हैं) से शुरू होकर अनामिका (रिंग फिंगर) तक जाती है। यह रेखा जिसके हाथ में होती है वह व्यक्ति कलाप्रेमी होता है और खूब यश और मान-सम्मान प्राप्त करता है। - यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति सुदंरता की पूजा करने वाला होता है। अन्य रेखाएं दोष रहित तो व्यक्ति कला के क्षेत्र में यश प्राप्त करता है। - यदि यह रेखा भाग्य रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति राजा के समान सुख प्राप्त करता है। - यदि सूर्य रेखा चंद्र क्षेत्र से शुरू हो तो वह व्यक्ति सफलता अन्य लोगों की मदद से प्राप्त करता है। साथ मस्तिष्क रेखा चंद्र क्षेत्र की ओर झुकी हो तो व्यक्ति लेखन के क्षेत्र में नाम और पैसा कमाता है। - यह रेखा हथेली के प्रारंभ से जितनी दूरी से शुरू होती है व्यक्ति को यश और मान-सम्मान उतनी ही अधिक आयु के बाद प्राप्त होता है। - यह रेखा एकदम स्पष्ट हो तो व्यक्ति काफी संवेदनशील होता है। - सूर्य क्षेत्र (अनामिका उंगली के नीचे का क्षेत्र) पर अधिक रेखाएं हो तो व्यक्ति कलाप्रिय होता है और कई योजनाएं बनाता है सभी योजनाओं पर ठीक से कार्य नहीं कर पाता। - सूर्य रेखा ना होने पर व्यक्ति बहुत मेहनत करता है परंतु उसे यश प्राप्त नहीं हो पाता और ऐसा व्यक्ति हमेशा अपेक्षित सम्मान के लिए तरसता रहता है। - सूर्य रेखा वाला व्यक्ति प्रसन्नचित और उत्साही होता है।
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कॉम्बीफ्लेम सहित 6 दवाओं की बिक्री पर बैन
जयपुर. औषधि नियंत्रक विभाग ने एक आदेश जारी कर निर्धारित मापदंडो पर खरा नहीं उतरने पर कॉम्बीफ्लेम, कायनिम, रेस्ट पी, बिसकोडिल, डेनिम पी, आईबूफेम की बिक्री पर प्रतिबंध किया है। औषधि एवं प्रसारण साम्रगी अधिनियम 1940 के तहत इनकी बिक्री पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगाया है। निर्माता साईकेम लेबोरेट्री प्राइवेट लिमिटेड गेगरेट की औषधि रेस्ट पी (नीमुस्लाइड व पेरासिटामोल टेबलेट बैच नंबर टी 174) का सैंपल राजकीय विश्लेषण प्रयोगशाला द्वारा अवमानक घोषित किया गया है। इसमें पेरासिटामोल की मात्रा 66 प्रतिशत मिली। औषधि नियंत्रक डी.के.श्रंगी ने बताया कि डेनवर हैल्थ केयर पंत नगर उत्तराखंड द्वारा निर्मित औषधि आईबूफेम (आईबूप्रोफेन व पेरासिटामोल) टेबलेट बेच नंबर ईआईपी 0001) में मुखय घटक आईबूप्रोफेन की मात्रा 51 प्रतिशत मिली। इसी प्रकार निर्माता गोविस फर्मा लिमिटेड सोलान की कॉम्बीफ्लेम (आईबूप्रोफेन पेरासिटामोल व क्लोरफेनिरामिन बैच नंबर सीएम 252), जेकसन लेबोरेट्री प्रा.लि. अमृतसर की बिसकोडिल टेबलेट बैच नंबर टी 4215, निर्माता एलांयस बायोटेक बद्दी की टेबलेट कायनिम (नीमुस्लाइड व पेरासिटामोल बेच नंबर एटी 1213, निर्माता डॉ.जोन्स लेब प्रा.लि. हरिद्वार की टेबलेट आथरेरिड पी बेच नंबर एआरपीटी 04 के सैंपल औषधि परीक्षण प्रयोगशाला जयपुर द्वारा जारी परीक्षण रिपोर्ट में अवमानक घोषित किया है।
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Jan 30, 2011
भ्रष्टाचारियों का ‘राजा’? जोशी दंपती मतलब अकूत संपत्ति
भोपाल. फरवरी 4, 2010.........मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राजनितिज्ञों और अफसरों की पॉश कालोनी, 74 बंगला क्षेत्र अचानक सुर्ख़ियों में आ जाता है। एक आईएएस दंपत्ति के यहां छापा डालते ही आयकर विभाग के अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। आईएएस दंपत्ति अरविंद जोशी और टीनू जोशी के निवास पर मारे गए इस छापे में तीन करोड़ रुपए से अधिक की नकद राशि संबंधित विभाग जब्त करता है।एक साथ इतने कैश की उम्मीद शायद आयकर विभाग को भी नहीं थी सो विभाग को बाकायदा नोट गिनने की मशीन लगानी पड़ी। दिनभर चली इस कवायद में विभाग के हाथ जोशी दंपत्ति से संबंधित करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति का ब्योरा मिलता है। फरवरी 5,2010.......भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री का पता लगते ही सरकार में एक अजीब सी खलबली मच जाती है। नतीजा ....चौबीस घंटे के अंदर ही इंकमटेक्स के जाल में फंसे प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी को राज्य सरकार द्वारा सस्पेंड कर दिया जाता है। धन-कुबेर निकली आईएएस जोड़ी प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी मामले की जांच में जुटे आयकर विभाग ने साल 2010 जाते-जाते इस दंपत्ति की 350 करोड़ की नामी बेनामी संपत्ति का खुलासा किया। आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट बताती है कि जोशी दंपत्ति उन्होंने ने यह संपत्ति 1989 से 2010 के दौरान बनाई। 1979 बैच के आईएएस अधिकारी अरविन्द और टीनू जोशी ने 30 वर्षों के प्रशासनिक सफ़र में कई विभागों की कमान संभाली। इन पदों पर रहते हुए इस दंपत्ति ने कई बड़े ठेकों को पास कराया। माना जाता है कि ठेकों को पास कराने की आड़ में इस दंपत्ति ने कमीशन के तौर पर खासी रकम जमा कर ली थी। इसी रकम को इस दंपत्ति ने चरणबद्ध तरीके से रियल स्टेट और अन्य दीगर कामों में लगाया। मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त इस दंपत्ति को काले को सफेद करने में खासी महारत हासिल थी। यही कारण था कि विभिन्न जगहों पर निवेश किए काले धन में इन्होनें फर्जी नाम और पतों का जमकर इस्तेमाल किया। आपको बता दें कि टीनू जोशी नें जहाँ बिज़नस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है।वहीं अरविंद जोशी ने भी ऑस्ट्रेलिया की ही यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉलोन्गॉन्ग से एमबीए किया है। आईये नज़र डालें फर्जी बाडे़ की पूरी दास्तान पर..... रक्षा मंत्रालय में रहते खरीदी 121 एकड़ जमीन: सूत्र बताते हैं कि 1999 से 2004 के बीच रक्षा मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहते हुए जोशी ने भोपाल और आसपास 121 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। 2004-05 में उन्होंने 58 एकड़ जमीन खरीदी। यह जमीन बिलकिसगंज, मूलखेड़ी, सागोनीकला,मेंडोरी, दीवानगंज,बैरसिया,गोडावर, चिकलोद,खरमई व आसपास के गांवों में क्रय की गई। आसाम से शुरू हुआ निवेश का खेल जोशी ने जमीनों में निवेश की शुरूआत आसाम के कामरू जिला के मौजा रामचारी से की। 2001 से 2004 के बीच भोपाल में सात प्लॉट खरीदे गए। उन्होंने 2005 से 2008 के बीच रियल एस्टेट में करीब पांच करोड़ का निवेश किया। जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव रहते हुए जोशी ने तवा, बरगी, बाणसागर और हंसदेव बांधों का ठेका दिया और सवा करोड़ का लेन-देन किया। तीन करोड़ 55 लाख का प्रीमियम जोशी दंपती आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल में 3 करोड़ 55 लाख का सालाना प्रीमियम जमा करती है। इसमें 50 लाख अरविंद जोशी,70 लाक ईशान जोशी,75 लाख आसमी जोशी,51 लाख एचएम जोशी और 1 करोड़ 10 लाख निर्मला जोशी के नाम से जमा होता है। ईशान और आसमी पढ़ाई कर रहे हैं और निर्मला ग्रहणी हैं। हर बीमा पॉलिसी में खुद को छुपाने के लिए जोशी ने फर्जी पते और गलत नाम दिए। जिन पतों पर यह पॉलिसी पाई गईं वे थे ई-15/3 ,एफ-68 मिनाल रेसीडेंसी (सीमा जायसवाल का पता) एफ-95 इंद्रप्रस्थ राज होम्स (सीमा जायसवाल के भाई मिराज अली का पता)। सभी पॉलिसी में नॉमिनी या तो जोशी खुद है या उनके परिवार के सदस्य। शेयरों में भी किया निवेश जोशी ने अपने नाम से 274 करोड़ की फ्यूचर ऑप्शन शेयर ट्रेडिंग की है। अरविंद और टीनू जोशी के नाम से 3 करोड़ रुपए के शेयर मिले हैं। अरविंद जोशी के क्रेजी इंफोटेक में 50 हजार शेयर,होन्किल इंडिया लिमिटेड में 10 हजार सहित सेंचुरी,भारतीएयरटेल,आइडिया,एनडीटीवी,आईसीआईसीआई,यूटीआई बैंक,आईडीबीआई बैंक,देना बैंक,पीएनबी,केएस आइल,एचडीएफसी और टाटा स्टील कंपनी में शेयर हैं। टीनू जोशी के पास हिंडाल्को के 1500,जेपी के 1600,इंडियन होटल के 1000 और यूको बैंक के 2000 शेयर हैं। गुवाहाटी में 18 फ्लैट अरविंद जोशी के पास गुवाहाटी के कामरूप हाउसिंग प्रोजेक्ट में 18 फ्लैट हैं। 1999 से 2004 के बीच रक्षा विभाग में संयुक्त सचिव रहते हुए जोशी श्रीदेव शर्मा ग्रुप के संपर्क में आए। दोनों ने गुवाहाटी में 15 बीघा जमीन खरीदी। कामरुप हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रा लिमिटेड, नई दिल्ली के नाम से कंपनी बनाई गई। जोशी के भोपाल में छह फ्लैट और सात प्लॉट हैं। इतना ही नहीं बेटे ईशान जोशी के नाम से इथोस एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और 100 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। जोशी ने भोपाल, रायसेन, सीहोर, बालाघाट, कान्हा और बांधवगढ़ में करीब 400 एकड़ जमीन खरीदी। 80 बैंक खातों में करोड़ों का लेन-देन आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट में अरविंद जोशी के निवास से 80 बैंक खातों की जानकारी मिली थी। इन खातों से करोड़ों रुपए का लेन-देन किया गया है। आईसीआईसीआई बैंक में उनके केवल एक खाते नंबर 00551029336 के लेन-देन ने ही उनके भ्रष्टाचार के तमगे में चार चांद लगा दिए हैं। खाते में ओपनिंग बैलेंस था 38500 रुपए। इसके बाद खाते में शायद ही कभी एक लाख से कम का लेन-देन हुआ। 2006 में इस खाते के खुलने के बाद नोटों की ऐसी झड़ी लगी कि मानों इसमें खुद-ब-खुद पैसा जमा हो रहा हो। मात्र चार साल में इस बचत खाते में आए दिन हो रहे लाखों के ट्रांजेक्शन से बैंक भी इतना खुश था कि खाते को विशेष ए श्रेणी दी गई। अब हो सकती है सात साल जेल आयकर विभाग निलंबित आईएएस दंपति अरविंद और टीनू जोशी के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की अनुशंसा करने जा रहा है। इस कानून में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। जोशी के घर से विदेशी मुद्रा और विदेशी शराब मिलने के मामले में रिजर्व बैंक ने उन्हें हाल ही में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शर्म से झुक गया पिता का सर... अरविन्द जोशी की भ्रष्टाचार में संलिप्तता का सबसे बुरा असर उनके पिता की साख पर पड़ा। गौरतलब है कि अरविन्द जोशी के पिता एचएम जोशी मध्य प्रदेश सरकार में पुलिस महानिदेशक रह चुके है। अरविन्द जोशी से उलट उनके पिता की ईमानदार छवि के किस्से आज भी प्रदेश भर में मशहूर हैं।लेकिन अरविन्द और टीनू जोशी प्रकरण ने न सिर्फ एचएम जोशी बल्कि पूरी 'प्रशासनिक सेवा' की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया दिया है।
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पूरी फिल्मी है हसन अली की कहानी, स्विस बैंकों में जमा कर रखे हैं ८ अरब डॉलर
विज्ञापन नई दिल्ली. पुणे के व्यवसायी हसन अली की ज़िंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली ने स्विस बैंकों में करीब ८ अरब अमेरिकी डॉलर का काला धन जमा किया था। हालांकि, भारत सरकार ने हाल ही में दावा किया है कि उसके स्विस खाते अब खाली हो चुके हैं। जानकार मानते हैं कि पैसे कहां गए होंगे, यह पता लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। अली के बारे में कहा जाता है कि वे देश के सबसे बड़े कर अपराधी हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली के खिलाफ जांच में शामिल एक अफसर का कहना है कि हसन अली के खिलाफ देश की सुरक्षा से जुड़े कई कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रणब मुखर्जी को लिखी एक गोपनीय चिट्ठी में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए हसन अली के खिलाफ जांच की जा सकती है। सुब्रमण्यम ने यह राय 2009 में दायर की गई याचिका के जवाब में दिया था। जांचकर्ताओं को हसन अली द्वारा हस्ताक्षर किए गए हलफनामे मिल हैं जिनमें विदेशी खातों से जुडी लेनदेन की जानकारी दी गई है। इन हलफनामों की वैधता की पुष्टि ब्रिटेन में मौजूद भारतीय दूतावास ने की थी। रक्षा सौदों में कमाया काला धन जांचकर्ताओं का कहना है कि हसन अली के खातों में मौजूद पैसा रक्षा सौदों में कमाया गया हो सकता है। उनका यह भी मानना है कि हसन अली कई राजनेताओं के काले धन को ठिकाने लगाने का काम भी करता रहा है। जांचकर्ताओं को शक है कि पिछले 15 सालों में हसन अली ने 36,000 करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा किया है। अदनान खशोगी की मदद से खुलवाया था खाता बताया जाता है कि हथियारों की तस्करी करने वाले अदनान खशोगी की मदद से हसन अली ने स्विस बैंकों में खाता खुलवाया था। इसके अलावा अदनान के साथ अली का वित्तीय लेनदेन था। कार किराए पर देने का काम करता था प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह बात सामने आई है कि 1993 में हसन अली ने कार किराए पर देने का काम शुरू किया था, जिसे 1994 में उसने बंद कर दिया। इसके बाद वह अपने रिश्तेदार हैदर अली खान के साथ मिलकर हैदराबाद में कुछ बैंक धोखाधड़ी के मामलों में उसका नाम आया। क्या है कारोबार, कोई नहीं जानता करोड़ों-अरबों के मालिक हसन अली कौन सा कारोबार करते हैं, यह कोई नहीं जानता है। आजकल वह पुणे में रहते हैं। स्विस सरकार ने मांगी जानकारी कहा जाता है कि हसन अली ने हवाला कारोबार, मनी लॉन्डरिंग जैसे कामों के जरिए बहुत पैसा कमाया है। हसन अली के काले धन का मुद्दा जब भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार के सामने उठाया तो वहां की सरकार ने कहा कि आप हसन अली के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी सबूतों के साथ दें तो वहां की सरकार मदद करने को तैयार है। लेकिन इस मामले में भारत सरकार ने आजतक कोई पहल नहीं की है। उलटे सरकार का कहना है कि अली के स्विस बैंक खाते अब खाली हैं।
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Jan 28, 2011
हर साल 100 करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी
केंद्र सरकार गरीबों को केरोसीन पर 20 हजार करोड़ की सब्सिडी दे रही है। देश में हर साल 1116 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। इसमें से 40 फीसदी यानी लगभग 450 करोड़ लीटर हर साल माफिया के पास पहुंच जाता है। तेल माफिया सस्ते केरोसीन को महंगे पेट्रोल-़डीजल में मिलाकर बेचते हैं और जमकर मुनाफा कमाते हैं। इस बेखौफ धंधे के बीच फिर जो भी आता है मारा जाता है। फिर चाहे षणमुगम मंजुनाथ हों या यशवंत सोनवणो। केरोसीन के काले बाजार, उसकी अर्थव्यवस्था और राजनीति पर देश भर से भास्कर संवाददाताओं की खोजपरक खबर- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा लगभग आधा केरोसीन कालाबाजारियों के पास चला जाता है। सरकार हर साल केरोसीन पर सब्सिडी के रूप में जो 20 हजार करोड़ रुपए देती है वह वही है जो हम टैक्स के रूप में सरकार को चुकाते हैं। चोरी, कालाबाजारी और तस्करी के कारण सरकार को हर साल 17 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। लेकिन फिर भी घाटे का यह सौदा जारी है।
मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर जिस पानेवाड़ी में यह घटना हुई वह महाराष्ट्र में केरोसीन की कालाबाजारी का गढ़ माना जाता है।सरकार सस्ता केरोसीन मुहैया कराने के लिए भारी भरकम राशि सब्सिडी पर खर्च कर रही है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकानॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक इस छूट का सबसे ज्यादा फायदा तेल माफिया उठा रहे हैं। क्योंकि मात्र साढ़े 12 रुपए में मिलने वाला एक लीटर केरोसीन को वे कई गुना महंगे पेट्रोल-डीजल में मिलाकर भारी मुनाफा कमा लेते हैं। देश में हर महीने 93 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। देश के हर व्यक्ति को करीब एक लीटर यानी साल में 12 लीटर। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा मुहैया 40 फीसदी केरोसीन कालाबाजारियों के हाथों में चला जाता है। नेपाल, पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों में केरोसीन की कीमतें पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगभग बराबर है। इसलिए सरकारी तेल डिपो व टैंकरों से चुराया गया केरोसीन तस्करी के जरिए इन देशों में महंगे दाम पर बेच दिया जाता है। एसोचेम के एक सर्वे के अनुसार हर साल सौ करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी हो रही है। इससे सरकार को हर साल 3395 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। कालाबाजारी इसलिए राशन की दुकानों से मिलने वाला केरोसीन 12.50 रुपए लीटर है। सरकार इसमें एक केमिकल मिलाकर नीला बनाती है। इसमें दस मिलीलीटर की मिलावट भी एक लीटर पेट्रोल या डीजल को नीला बना देती है। वहीं, सफेद केरोसीन का सरकारी रेट 30 रुपए से अधिक है। चूंकि सफेद केरोसीन खुले बाजार में मिलता ही नहीं है और इसकी मिलावट करने से मिलावटखोरों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता इसलिए कालाबाजारी करने वाले नीले केरोसीन को हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाकर सफेद बना लेते हैं। इसे वह 35 से 45 रुपए प्रति लीटर में बेचकर जबरदस्त मुनाफा कमाते हैं। वहीं, सफेद केरोसीन को डीजल और पेट्रोल में मिलाने करने से उसका रंग नहीं बदलता और मिलावट का पता नहीं चलता। केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सचिव रहे सुशील चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक तेल कंपनियां केरोसीन का भंडारण जिला स्तर पर करती हैं और वहीं वह कालाबाजारियों के हाथ लग जाता है। त्रिपाठी कहते हैं कि कालाबाजारी रोकने का एक तरीका केरोसीन का भंडारण गांव या ब्लॉक स्तर पर करना हो सकता है जहां इसे डीलर के नहीं बल्कि पंचायत की निगरानी में रखा जाए। लेकिन परिवहन की कीमत बढ़ने के डर से तेल कंपनियां इसके लिए राजी नहीं होती। मिलावटखोरों का सबसे बड़ा अड्डा है मनमाड़ मुंबई : नासिक रोड पर तेल टैंकरों का ट्रैफिक कम करने के लिए 13 साल पहले मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर पानेवाड़ी गांव में भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने पाइपलाइन से पेट्रोलियम पदार्थ लाने की योजना शुरू की। वहां 225 एकड़ जमीन पर बड़ा सा डिपो भी बनाया गया। बाद में अन्य तेल कंपनियों ने भी अपने-अपने डिपो वहां बनाए। इससे आसपास के सात-आठ जिलों में पेट्रोलियम पदार्थो की सप्लाई शुरू हुई। पर इसके साथ ही केरोसीन की कालाबाजारी व मिलावटखोरी भी शुरू हो गई।
इसमें तेल कंपनियों के अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर पुलिस तक शामिल है। इलाके के कई पुलिस अफसर तो ‘मिलावट माफिया’ तक कहलाते हैं। ऐसे होती है केरोसीन की चोरी ऑइल कंपनियां पीडीएस के तहत मिलने वाला केरोसीन जिला मुख्यालयों में बने डिपो में लाती हैं। फिर टैंकरों और ड्रमों के जरिए वह कस्बों व गांवों तक पहुंचता है। पुणो के ऑटोमोबाइल रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एस जुट्टू के मुताबिक इन्हीं टैंकरों से चोरी की शुरुआत होती है जो गांव में राशन की दुकान तक चलती है। कहीं तो टैंकर के टैंकर ही मिलावट के लिए पेट्रोल पम्प पर लाए जाते हैं। कई बार डीलर ही टैंकर ब्लैक में बेच देता है। यशवंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवारों के खाते में पैसा जमा करे सरकार जब तक बाजार में किसी चीज की दो कीमते होंगी तो स्मगलिंग और कालाबाजारी तो होगी ही। एक जमाने में सोने की स्मगलिंग बहुत मुनाफे का सौदा होता था। उसे रोकने के लिए हमने उसका आयात आसान कर दिया। जब घरेलू बाजार में सोना सुलभ है तो उसकी स्मगलिंग बंद हो गई। आश्चर्य की बात है कि अभी तक हमने इससे कोई सबक नहीं लिया। पूरी व्यवस्था किसी ठेलेगाड़ी की तरह धक्का मार-मार कर चल रही र्है। सरकार को केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवार के खाते में पैसा जमा कर देने चाहिए। न रहेगी सब्सिडी न होगी केरोसीन की कालाबाजारी। प्रोफे सर अरुण कुमार , दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बैंक खातों में पैसा जमा कराने से तो भ्रष्टाचार और बढ़ेगा, सब्सिडी नहीं, प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है हमारा प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है न कि सब्सिडी की नीति। सरकार को सबसे पहले अमीर और गरीब को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। सरकार इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है। सब्सिडी ऐसे लोगों के लिए है जिनके पास तन ढकने को कपड़े नहीं है और न ही रोटी और दवाई के पैसे। इसलिए रियायत तो जरूरी है।
लेकिन उनके बैंक खाते में पैसा देने से भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। इसलिए सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि सब्सिडी तो जारी रहे लेकिन केरोसीन की कालाबाजारी पर रोक लग जाए। इसी से मिलावटखोरों पर भी लगाम कसेगी। सार्थक बेहुरिया इंडियन ऑयल कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन हत्या की जड़ सब्सिडी है, पर फैसला सरकार को लेना है कि इसे जारी रखा जाए या नहीं? षणमुगम मंजुनाथ और यशवंत सोनवणो की हत्या की जड़ में केरोसीन और रसोई गैस पर दी जाने वाली भारी सब्सिडी है। इसी वजह से इनकी चोरी और कालाबाजारी होती है। चूंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार मूल्य के मुताबिक निर्धारित हो रही हैं इसलिए कालाबाजारी के बारे में कहीं सुनाई नहीं देता। केरोसीन और रसोई गैस की कालाबाजारी बड़ी समस्या है। लेकिन यह सरकार को ही तय करना है कि उसे सब्सिडी जारी रखनी है या खत्म कर देनी है। दिल्ली के लोनी, बिजवासन, असम में सिलीगुड़ी, गुजरात में कांडला, उत्तरप्रदेश में मथुरा में सबसे बड़े तेल डिपो हैं, जहां इस तरह के माफियाओं के सक्रिय होने की आशंका है। गुरुचरण दास जानेमाने अर्थशास्त्री सब्सिडी का दुरुपयोग होता ही है, इसे खत्म कर स्मार्ट कार्ड के जरिये गरीबों को मदद दी जाए सब्सिडी जहां भी दी जाती है उसका दुरुपयोग होता ही है। इसलिए हर क्षेत्र में सब्सिडी तुरंत खत्म कर दिया जाना चाहिए। हमारे सामने पंजाब में मुफ्त बिजली दिए जाने का अच्छा उदाहरण है। चूंकि बिजली मुफ्त मिल रही थी, इसलिए वहां दिन-दिन भर पंपसेट चलाए गए। फसल तो जरूर अच्छी हुई लेकिन अंधाधुंध पानी निकाले जाने के कारण वहां का भूजल स्तर इतना गिर गया है कि सिचांई की लागत बढ़ गई है और पैदावार गिर रही है। सब्सिडी के विकल्प के रूप में सरकार को किसानों को सीधे आर्थिक सहायता देनी चाहिए। वह चाहे उनके खाते में पैसा जमा कर हो या स्मार्ट कार्ड के जरिए हो।
मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर जिस पानेवाड़ी में यह घटना हुई वह महाराष्ट्र में केरोसीन की कालाबाजारी का गढ़ माना जाता है।सरकार सस्ता केरोसीन मुहैया कराने के लिए भारी भरकम राशि सब्सिडी पर खर्च कर रही है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकानॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक इस छूट का सबसे ज्यादा फायदा तेल माफिया उठा रहे हैं। क्योंकि मात्र साढ़े 12 रुपए में मिलने वाला एक लीटर केरोसीन को वे कई गुना महंगे पेट्रोल-डीजल में मिलाकर भारी मुनाफा कमा लेते हैं। देश में हर महीने 93 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। देश के हर व्यक्ति को करीब एक लीटर यानी साल में 12 लीटर। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा मुहैया 40 फीसदी केरोसीन कालाबाजारियों के हाथों में चला जाता है। नेपाल, पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों में केरोसीन की कीमतें पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगभग बराबर है। इसलिए सरकारी तेल डिपो व टैंकरों से चुराया गया केरोसीन तस्करी के जरिए इन देशों में महंगे दाम पर बेच दिया जाता है। एसोचेम के एक सर्वे के अनुसार हर साल सौ करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी हो रही है। इससे सरकार को हर साल 3395 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। कालाबाजारी इसलिए राशन की दुकानों से मिलने वाला केरोसीन 12.50 रुपए लीटर है। सरकार इसमें एक केमिकल मिलाकर नीला बनाती है। इसमें दस मिलीलीटर की मिलावट भी एक लीटर पेट्रोल या डीजल को नीला बना देती है। वहीं, सफेद केरोसीन का सरकारी रेट 30 रुपए से अधिक है। चूंकि सफेद केरोसीन खुले बाजार में मिलता ही नहीं है और इसकी मिलावट करने से मिलावटखोरों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता इसलिए कालाबाजारी करने वाले नीले केरोसीन को हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाकर सफेद बना लेते हैं। इसे वह 35 से 45 रुपए प्रति लीटर में बेचकर जबरदस्त मुनाफा कमाते हैं। वहीं, सफेद केरोसीन को डीजल और पेट्रोल में मिलाने करने से उसका रंग नहीं बदलता और मिलावट का पता नहीं चलता। केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सचिव रहे सुशील चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक तेल कंपनियां केरोसीन का भंडारण जिला स्तर पर करती हैं और वहीं वह कालाबाजारियों के हाथ लग जाता है। त्रिपाठी कहते हैं कि कालाबाजारी रोकने का एक तरीका केरोसीन का भंडारण गांव या ब्लॉक स्तर पर करना हो सकता है जहां इसे डीलर के नहीं बल्कि पंचायत की निगरानी में रखा जाए। लेकिन परिवहन की कीमत बढ़ने के डर से तेल कंपनियां इसके लिए राजी नहीं होती। मिलावटखोरों का सबसे बड़ा अड्डा है मनमाड़ मुंबई : नासिक रोड पर तेल टैंकरों का ट्रैफिक कम करने के लिए 13 साल पहले मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर पानेवाड़ी गांव में भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने पाइपलाइन से पेट्रोलियम पदार्थ लाने की योजना शुरू की। वहां 225 एकड़ जमीन पर बड़ा सा डिपो भी बनाया गया। बाद में अन्य तेल कंपनियों ने भी अपने-अपने डिपो वहां बनाए। इससे आसपास के सात-आठ जिलों में पेट्रोलियम पदार्थो की सप्लाई शुरू हुई। पर इसके साथ ही केरोसीन की कालाबाजारी व मिलावटखोरी भी शुरू हो गई।
इसमें तेल कंपनियों के अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर पुलिस तक शामिल है। इलाके के कई पुलिस अफसर तो ‘मिलावट माफिया’ तक कहलाते हैं। ऐसे होती है केरोसीन की चोरी ऑइल कंपनियां पीडीएस के तहत मिलने वाला केरोसीन जिला मुख्यालयों में बने डिपो में लाती हैं। फिर टैंकरों और ड्रमों के जरिए वह कस्बों व गांवों तक पहुंचता है। पुणो के ऑटोमोबाइल रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एस जुट्टू के मुताबिक इन्हीं टैंकरों से चोरी की शुरुआत होती है जो गांव में राशन की दुकान तक चलती है। कहीं तो टैंकर के टैंकर ही मिलावट के लिए पेट्रोल पम्प पर लाए जाते हैं। कई बार डीलर ही टैंकर ब्लैक में बेच देता है। यशवंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवारों के खाते में पैसा जमा करे सरकार जब तक बाजार में किसी चीज की दो कीमते होंगी तो स्मगलिंग और कालाबाजारी तो होगी ही। एक जमाने में सोने की स्मगलिंग बहुत मुनाफे का सौदा होता था। उसे रोकने के लिए हमने उसका आयात आसान कर दिया। जब घरेलू बाजार में सोना सुलभ है तो उसकी स्मगलिंग बंद हो गई। आश्चर्य की बात है कि अभी तक हमने इससे कोई सबक नहीं लिया। पूरी व्यवस्था किसी ठेलेगाड़ी की तरह धक्का मार-मार कर चल रही र्है। सरकार को केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवार के खाते में पैसा जमा कर देने चाहिए। न रहेगी सब्सिडी न होगी केरोसीन की कालाबाजारी। प्रोफे सर अरुण कुमार , दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बैंक खातों में पैसा जमा कराने से तो भ्रष्टाचार और बढ़ेगा, सब्सिडी नहीं, प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है हमारा प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है न कि सब्सिडी की नीति। सरकार को सबसे पहले अमीर और गरीब को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। सरकार इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है। सब्सिडी ऐसे लोगों के लिए है जिनके पास तन ढकने को कपड़े नहीं है और न ही रोटी और दवाई के पैसे। इसलिए रियायत तो जरूरी है।
लेकिन उनके बैंक खाते में पैसा देने से भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। इसलिए सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि सब्सिडी तो जारी रहे लेकिन केरोसीन की कालाबाजारी पर रोक लग जाए। इसी से मिलावटखोरों पर भी लगाम कसेगी। सार्थक बेहुरिया इंडियन ऑयल कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन हत्या की जड़ सब्सिडी है, पर फैसला सरकार को लेना है कि इसे जारी रखा जाए या नहीं? षणमुगम मंजुनाथ और यशवंत सोनवणो की हत्या की जड़ में केरोसीन और रसोई गैस पर दी जाने वाली भारी सब्सिडी है। इसी वजह से इनकी चोरी और कालाबाजारी होती है। चूंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार मूल्य के मुताबिक निर्धारित हो रही हैं इसलिए कालाबाजारी के बारे में कहीं सुनाई नहीं देता। केरोसीन और रसोई गैस की कालाबाजारी बड़ी समस्या है। लेकिन यह सरकार को ही तय करना है कि उसे सब्सिडी जारी रखनी है या खत्म कर देनी है। दिल्ली के लोनी, बिजवासन, असम में सिलीगुड़ी, गुजरात में कांडला, उत्तरप्रदेश में मथुरा में सबसे बड़े तेल डिपो हैं, जहां इस तरह के माफियाओं के सक्रिय होने की आशंका है। गुरुचरण दास जानेमाने अर्थशास्त्री सब्सिडी का दुरुपयोग होता ही है, इसे खत्म कर स्मार्ट कार्ड के जरिये गरीबों को मदद दी जाए सब्सिडी जहां भी दी जाती है उसका दुरुपयोग होता ही है। इसलिए हर क्षेत्र में सब्सिडी तुरंत खत्म कर दिया जाना चाहिए। हमारे सामने पंजाब में मुफ्त बिजली दिए जाने का अच्छा उदाहरण है। चूंकि बिजली मुफ्त मिल रही थी, इसलिए वहां दिन-दिन भर पंपसेट चलाए गए। फसल तो जरूर अच्छी हुई लेकिन अंधाधुंध पानी निकाले जाने के कारण वहां का भूजल स्तर इतना गिर गया है कि सिचांई की लागत बढ़ गई है और पैदावार गिर रही है। सब्सिडी के विकल्प के रूप में सरकार को किसानों को सीधे आर्थिक सहायता देनी चाहिए। वह चाहे उनके खाते में पैसा जमा कर हो या स्मार्ट कार्ड के जरिए हो।
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Jan 25, 2011
सिर्फ 14 हजार लगाकर खड़ा कर लिया करोड़ों का बिजनेस
अगर आपसे कहा जाए की महज 14 हजार रुपए का इस्तेमाल कर के करोडों का कारोबार कीजिए तो आपको ये नामुमकिन सा लगेगा। लेकिन यह कारनामा विनीत वाजपेयी नाम के शख्स ने कर दिखाया है। सिर्फ 14,000 रुपये और दो किराये पर लिए हुए कंप्यूटर की बदौलत आज वे देश की सबसे बड़ी डिजिटल मीडिया कंपनी खड़ी कर चुके हैं। इनकी कंपनी मैग्नानॅ साल्यूशंस के ग्राहकों में भारती, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचसीएल, मारुति और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कई बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। दुनिया भर में इस कंपनी के ग्राहकों में 600 से अधिक कंपनियां शामिल हैं। वाजपेयी बताते हैं, “जब मैंने कारोबार शुरू किया था, उस समय मुझे यह बताने वाला कोई नहीं था कि क्या सही है और क्या गलत। मैंने काम करते-करते सब सीखा। कई बार मैंने ऐसी गलतियां भी कीं, जिनसे मुझे झटका लगा।” आज वाजपेयी 33 साल के हैं। 22 साल की उम्र में उन्होंने अपने कारोबार की शुरूआत की थी। वे खुद बताते हैं कि जब उन्होंने कारोबार शुरु किय था उस समय उनके पास सिर्फ 14,000 रुपये थे, जो उन्होंने गर्मी की छुटिटयों में पार्टटाइम नौकरी कर के बचाए थे। अब वाजपेयी अपने कारोबारी जीवन के इस बेहतरीन अनुभव को लेकर किताब लिखने का मन बना रहे हैं।
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ये है दुनिया का सबसे महंगा मोबाइल नंबर
महंगे मोबाइल फोन के चर्चे तो आपने खूब सुने होंगे लेकिन हम आपको दुनिया के सबसे महंगे मोबाइल नंबर के बारे में बता रहे हैं। यह नंबर इतना महंगा है कि इतनी कीमत में आपको दर्जनों महंगे मोबाइल फोन मिल जाएंगे। इस नंबर की कीमत है 27.5 लाख डॉलर यानी करीब 12.69 करोड़ रुपए। और यह नंबर है 6666666। दुनिया के इस सबसे महंगे मोबाइल नंबर को बेचने वाली कतर की दूरसंचार कंपनी क्यूटेल को गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी जगह मिली है। आपको बता दें कि दुनिया का दूसरा सबसे महंगा मोबाइल नंबर बेचने का खिताब का चीन की एक दूरसंचार कंपनी के नाम पर दर्ज है। यह नंबर 4.8 लाख डालर यानी करीब 2 करोड़ 22 लाख रुपये में बेचा गया था। और यह नंबर है 8888-8888।
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Jan 20, 2011
ये हैं 2010 की हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्ती
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्ती के तौर पर किसी प्रोड्यूसर, डायरेक्टर या फिर एक्टर नहीं बल्कि एक टॉक शो की क्वीन कही जाने वाली ओपरा विनफ्रे का नाम सामने आया है। ओपरा विनफ्रे ने फोर्ब्स मैगजीन की हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्तियों की लिस्ट में टॉप पर जगह बनाई है। और यहां तक पहुंचने के लिए विनफ्रे ने मशहूर फिल्म 'अवतार' के डायरेक्टर जेम्स कैमरन को भी पीछे छोड़ दिया है।
फोर्ब्स के मुताबिक मीडिया जगत की बड़ी हस्ती के तौर पर मशहूर विनफ्रे ने इस साल अपने बैंक बैलेंस में 315 मिलियन डॉलर का इजाफा किया, जबकि साइंस फिक्शन पर बनी अपनी फिल्म अवतार की पूरी दुनिया में जबर्दस्त कामयाबी की बदौलत जेम्स कैमरन 210 मिलियन डॉलर की अनुमानित दौलत के साथ हॉलिवुड की दूसरी सबसे अमीर हस्ती रहे। आपको यह भी बता दें कि विनफ्रे का नाम फोर्ब्स की सबसे पावरफुल सेलिब्रिटी की लिस्ट में भी टॉप पर रहा था।
फोर्ब्स के मुताबिक मीडिया जगत की बड़ी हस्ती के तौर पर मशहूर विनफ्रे ने इस साल अपने बैंक बैलेंस में 315 मिलियन डॉलर का इजाफा किया, जबकि साइंस फिक्शन पर बनी अपनी फिल्म अवतार की पूरी दुनिया में जबर्दस्त कामयाबी की बदौलत जेम्स कैमरन 210 मिलियन डॉलर की अनुमानित दौलत के साथ हॉलिवुड की दूसरी सबसे अमीर हस्ती रहे। आपको यह भी बता दें कि विनफ्रे का नाम फोर्ब्स की सबसे पावरफुल सेलिब्रिटी की लिस्ट में भी टॉप पर रहा था।
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मोबाइल ऑपरेटर बदलने से पहले इन बातों पर भी करें गौर!
अगर आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलना चाहते हैं तो एक बार सोच लीजिए। जरूरी नहीं है कि आपकी समस्या का समाधान हो ही जाए। हालात कहीं पहले से बदतर न हो जाएं।
आप मोबाइल ऑपरेटर इसलिए बदलना चाहते हैं कि आपको बेहतर सर्विस मिले या बेहतर टैरिफ प्लान मिले। लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सभी के टैरिफ प्लान एक जैसे ही हैं। इनमें बहुत कम का फर्क है और ये आपकी जरूरतों के मुताबिक कम तथा ऑपरेटर के मुनाफे को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनमें ग्राहक के फायदे की बात नहीं सोची जाती है। और वैसे भी अब कॉल रेट काफी घट गए हैं।
हाल में किए गए एक सर्वे के मुताबिक नंबर बदलने का कुल असर नगण्य होगा। यानी बड़े ऑपरेटरों के जितने ग्राहक जाएंगे उतने दूसरों से आ भी जाएंगे। ज़ाहिर है ऐसे में वे क्यों बड़ी धनराशि अपनी सेवा सुधारने में खर्च करेंगे। उनकी कोशिश अपने कस्टमर केयर सर्विस की सेवा सुधारने की होगी ना कि वास्तविक सेवा जिसे सुधारने पर उन्हें खर्च करना होता है। ये कुछ प्वाइंट हैं जिन्हे ध्यान में रखकर ही आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलें--
1- ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक लगभग सभी ऑपरेटरों की सेवा 90 प्रतिशत संतोषजनक है। इसके मुताबिक पूरे भारत में कॉल सक्सेस रेट 97.26 प्रतिशत तक है। मुंबई में तो यह 99.99 प्रतिशत है। ट्राई के अनुसार कॉल ड्रॉप रेट पूरे देश में 3 प्रतिशत से भी कम है।
2- अब आप अपनी सेवा या टैरिफ प्लान देखकर खुद तय करें कि आपको ऑपरेटर बदलना है या नहीं। लेकिन एक परिवार के सदस्य अगर एक ही नेटवर्क में रहें तो इसका फायदा सभी को मिलेगा।
3- सभी कंपनियों के टैरिफ प्लान लगभग एक जैसे हैं।
4-ये ऑपरेटरों के मुनाफे के लिए हैं।
5- सभी कंपनियों की सर्विस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है।
6- ट्राई के मुताबिक कॉल ड्राप रेट 3 फीसदी से कम।
7- नए ग्राहकों को कितना फायदा होगा कहना मुश्किल।
आप मोबाइल ऑपरेटर इसलिए बदलना चाहते हैं कि आपको बेहतर सर्विस मिले या बेहतर टैरिफ प्लान मिले। लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सभी के टैरिफ प्लान एक जैसे ही हैं। इनमें बहुत कम का फर्क है और ये आपकी जरूरतों के मुताबिक कम तथा ऑपरेटर के मुनाफे को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनमें ग्राहक के फायदे की बात नहीं सोची जाती है। और वैसे भी अब कॉल रेट काफी घट गए हैं।
हाल में किए गए एक सर्वे के मुताबिक नंबर बदलने का कुल असर नगण्य होगा। यानी बड़े ऑपरेटरों के जितने ग्राहक जाएंगे उतने दूसरों से आ भी जाएंगे। ज़ाहिर है ऐसे में वे क्यों बड़ी धनराशि अपनी सेवा सुधारने में खर्च करेंगे। उनकी कोशिश अपने कस्टमर केयर सर्विस की सेवा सुधारने की होगी ना कि वास्तविक सेवा जिसे सुधारने पर उन्हें खर्च करना होता है। ये कुछ प्वाइंट हैं जिन्हे ध्यान में रखकर ही आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलें--
1- ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक लगभग सभी ऑपरेटरों की सेवा 90 प्रतिशत संतोषजनक है। इसके मुताबिक पूरे भारत में कॉल सक्सेस रेट 97.26 प्रतिशत तक है। मुंबई में तो यह 99.99 प्रतिशत है। ट्राई के अनुसार कॉल ड्रॉप रेट पूरे देश में 3 प्रतिशत से भी कम है।
2- अब आप अपनी सेवा या टैरिफ प्लान देखकर खुद तय करें कि आपको ऑपरेटर बदलना है या नहीं। लेकिन एक परिवार के सदस्य अगर एक ही नेटवर्क में रहें तो इसका फायदा सभी को मिलेगा।
3- सभी कंपनियों के टैरिफ प्लान लगभग एक जैसे हैं।
4-ये ऑपरेटरों के मुनाफे के लिए हैं।
5- सभी कंपनियों की सर्विस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है।
6- ट्राई के मुताबिक कॉल ड्राप रेट 3 फीसदी से कम।
7- नए ग्राहकों को कितना फायदा होगा कहना मुश्किल।
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तो ये हैं भारत के सबसे गरीब और अमीर मुख्यमंत्री
अगर भारत के सबसे अमीर और सबसे गरीब सीएम की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती देश की सबसे अमीर सीएम है जबकि पश्चिम बंगाल के सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं।
मायावती-- भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री का ताज जाता है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बहन मायावती को। बहनजी के पास 86 करोड़ रुपए की संपत्ति है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के पास 75 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है जिसमें ओखला में एक 15.5 करोड़ रुपए का कर्मशल सेंटर और सरदार पटेल रोड़ पर एक 54 करोड़ रुपए का एक प्लॉट शामिल है। इसके अलावा बहनजी के पास 90 लाख रुपए की ज्वैलरी भी है।
प्रकाश सिंह बादल—पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल देश के दूसरे सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। बादल के पास 8.6 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इनके पास 4 करोड़ रुपए के फार्मलैंड और तकरीबन 2 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है। इसके अलावा 38 लाख रुपए की ज्वैलरी भी बादल की संपत्ति में शामिल है।
एन किरन कुमार रेड्डी—आन्ध्र प्रदेश के सीएम किरन कुमार रेड्डी भी इस लिस्ट में शामिल हैं रेड्डी देश के तीसरे सबसे अमीर मुख्य मंत्री है इनके पास 8.1 करोड़ रुपए की संपत्ति है। जिसमें 2.7 करोड़ रुपए तो इनके घर की ही कीमत है। बीएस येदुरप्पा- कर्नाटक के सीएम बीएस येदुरप्पा बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। इनके पास 5.38 करोड़ रुपए की संपत्ति है। येदुरप्पा के पास 31.5 लाख रुपए का सोना और 15.9 लाख रुपए कीमत की चांदी है। जबकि 3 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है।
नवीन पटनायक— नवीन पटनायक उडीसा के मुख्यमंत्री है इनकी कुल संपत्ति 4.7 करोड़ रुपए है। इनके पास भुवनेश्वर में 1.5 करोड़ रुपए का फार्महाउस है साथ ही 3 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी दिल्ली और भुवनेश्वर में है। आपको बता दें नवीन पटनायक कुंवारे है और फिर भी इनके पास 1.5 लाख रुपए की ज्वैलरी है।
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा- हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पास तकरीबन 3.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है। हुड्डा के पास तकरीबन 65 लाख रुपए का सोना है।
उमर अब्दुल्ला-- जम्मू कश्मीर क मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास 2 करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें हिमाचल में उनकी एक फैक्ट्री और दिल्ली में एक फ्लैट शामिल है। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला के पास 40 लाख की ज्वैलरी है।
नरेन्द्र मोदी-- गुजरात के सुपर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास 1.78 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उनका गांधी नगर में 1.65 करोड़ रुपए का एक फ्लैट हैजबकि आठ लाख रुपए बैंक डिपॉजिट है।
यह तो थे देश के सबसे अमीर सीएम अब हम आपको बतातें है देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के बारे में यह हैं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य इनकी कुल संपत्ति केवल 15.2 लाख रुपए है। इनके बैंक डिपॉजिट 6.42 लाख, एलआईसी 2.6 लाख रुपए की है।
मायावती-- भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री का ताज जाता है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बहन मायावती को। बहनजी के पास 86 करोड़ रुपए की संपत्ति है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के पास 75 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है जिसमें ओखला में एक 15.5 करोड़ रुपए का कर्मशल सेंटर और सरदार पटेल रोड़ पर एक 54 करोड़ रुपए का एक प्लॉट शामिल है। इसके अलावा बहनजी के पास 90 लाख रुपए की ज्वैलरी भी है।
प्रकाश सिंह बादल—पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल देश के दूसरे सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। बादल के पास 8.6 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इनके पास 4 करोड़ रुपए के फार्मलैंड और तकरीबन 2 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है। इसके अलावा 38 लाख रुपए की ज्वैलरी भी बादल की संपत्ति में शामिल है।
एन किरन कुमार रेड्डी—आन्ध्र प्रदेश के सीएम किरन कुमार रेड्डी भी इस लिस्ट में शामिल हैं रेड्डी देश के तीसरे सबसे अमीर मुख्य मंत्री है इनके पास 8.1 करोड़ रुपए की संपत्ति है। जिसमें 2.7 करोड़ रुपए तो इनके घर की ही कीमत है। बीएस येदुरप्पा- कर्नाटक के सीएम बीएस येदुरप्पा बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। इनके पास 5.38 करोड़ रुपए की संपत्ति है। येदुरप्पा के पास 31.5 लाख रुपए का सोना और 15.9 लाख रुपए कीमत की चांदी है। जबकि 3 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है।
नवीन पटनायक— नवीन पटनायक उडीसा के मुख्यमंत्री है इनकी कुल संपत्ति 4.7 करोड़ रुपए है। इनके पास भुवनेश्वर में 1.5 करोड़ रुपए का फार्महाउस है साथ ही 3 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी दिल्ली और भुवनेश्वर में है। आपको बता दें नवीन पटनायक कुंवारे है और फिर भी इनके पास 1.5 लाख रुपए की ज्वैलरी है।
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा- हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पास तकरीबन 3.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है। हुड्डा के पास तकरीबन 65 लाख रुपए का सोना है।
उमर अब्दुल्ला-- जम्मू कश्मीर क मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास 2 करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें हिमाचल में उनकी एक फैक्ट्री और दिल्ली में एक फ्लैट शामिल है। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला के पास 40 लाख की ज्वैलरी है।
नरेन्द्र मोदी-- गुजरात के सुपर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास 1.78 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उनका गांधी नगर में 1.65 करोड़ रुपए का एक फ्लैट हैजबकि आठ लाख रुपए बैंक डिपॉजिट है।
यह तो थे देश के सबसे अमीर सीएम अब हम आपको बतातें है देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के बारे में यह हैं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य इनकी कुल संपत्ति केवल 15.2 लाख रुपए है। इनके बैंक डिपॉजिट 6.42 लाख, एलआईसी 2.6 लाख रुपए की है।
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अब तक की सबसे अच्छी भारतीय फिल्म है 'धोबी घाट'-राहुल बोस फिल्मकार
अलग तरह की भूमिकाएं निभाने के लिए मशहूर अभिनेता राहुल बोस फिल्मकार किरण राव के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'धोबी घाट' की प्रशंसा करते हुए नहीं थकते। वह इस फिल्म को विश्व-स्तरीय बताते हैं।
बोस ने ट्विटर पर लिखा है, "एक निजी प्रदर्शन में 'धोबी घाट' देखी। मैं किरण राव को नमन करता हूं, मेरे द्वारा अब तक देखी गई फिल्मों में से सबसे अच्छी भारतीय फिल्मों में यह शामिल है। यदि हम वाकई भारतीय सिनेमा में वास्तविक सिनेमा खोजें तो हमारी खोज मार्मिक और दिल को छू लेने वाली फिल्म 'धोबी घाट' पर आकर खत्म हो जाती है।"
आमिर खान के निर्माण में बनी 'धोबी घाट' शुक्रवार को प्रदर्शित होने जा रही है। इसमें आमिर के अलावा प्रतीक बब्बर, कृति मल्होत्रा और मोनिका डोगरा ने अभिनय किया है।
बोस ने 'धोबी घाट' में अभिनय के लिए प्रतीक, मोनिका, कृति व आमिर की सराहना की है। उन्होंने फिल्म का सम्पादन और संगीत भी बेहतरीन बताया है।
आपकी बात
आमिर खान की होम प्रोडक्शन फिल्म ‘धोबीघाट’ शुक्रवार को रिलीज होने वाली है। कई जानकार इसे उम्दा फिल्म मान रहे हैं तो कई इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। आपकी नजर में कैसी होगी यह फिल्म, अपनी राय जाहिर करें। आप यह भी बता सकते हैं कि ‘घोबीघाट’ आप क्यों देखना चाहेंगे- क्योंकि यह आमिर खान की फिल्म है
या फिर आमिर की पत्नी ने कैसा डायरेक्शन किया है
रिव्यू पढ़ कर या दोस्तों से पूछकर तय करेंगे
सीरियस फिल्म हो सकती है, नहीं देखेंगे
हीरो-हीरोइन की नई जोड़ी है, देखेंगे
इसके लिए आप नीचे ‘आपका मत’ सेक्शन में जाकर वोट भी कर सकते हैं...
बोस ने ट्विटर पर लिखा है, "एक निजी प्रदर्शन में 'धोबी घाट' देखी। मैं किरण राव को नमन करता हूं, मेरे द्वारा अब तक देखी गई फिल्मों में से सबसे अच्छी भारतीय फिल्मों में यह शामिल है। यदि हम वाकई भारतीय सिनेमा में वास्तविक सिनेमा खोजें तो हमारी खोज मार्मिक और दिल को छू लेने वाली फिल्म 'धोबी घाट' पर आकर खत्म हो जाती है।"
आमिर खान के निर्माण में बनी 'धोबी घाट' शुक्रवार को प्रदर्शित होने जा रही है। इसमें आमिर के अलावा प्रतीक बब्बर, कृति मल्होत्रा और मोनिका डोगरा ने अभिनय किया है।
बोस ने 'धोबी घाट' में अभिनय के लिए प्रतीक, मोनिका, कृति व आमिर की सराहना की है। उन्होंने फिल्म का सम्पादन और संगीत भी बेहतरीन बताया है।
आपकी बात
आमिर खान की होम प्रोडक्शन फिल्म ‘धोबीघाट’ शुक्रवार को रिलीज होने वाली है। कई जानकार इसे उम्दा फिल्म मान रहे हैं तो कई इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। आपकी नजर में कैसी होगी यह फिल्म, अपनी राय जाहिर करें। आप यह भी बता सकते हैं कि ‘घोबीघाट’ आप क्यों देखना चाहेंगे- क्योंकि यह आमिर खान की फिल्म है
या फिर आमिर की पत्नी ने कैसा डायरेक्शन किया है
रिव्यू पढ़ कर या दोस्तों से पूछकर तय करेंगे
सीरियस फिल्म हो सकती है, नहीं देखेंगे
हीरो-हीरोइन की नई जोड़ी है, देखेंगे
इसके लिए आप नीचे ‘आपका मत’ सेक्शन में जाकर वोट भी कर सकते हैं...
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Jan 19, 2011
काली कमाई जमा करने वाले भारतीयों के नाम सामने आए!
नई दिल्ली. स्विस बैंक में काला धन जमा करने वाले खाताधारकों के नाम सामने शुरू हो गए हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियां-अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के अलावा असद अली खान और जाहिदा अली खान के नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि, इन नामों का खुलासा करने वाले एक निजी चैनल ने साफ कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि सामने आ रहे खाताधारकों के नाम सही हैं या नहीं या फिर इनका भारत से कोई संबंध है या नहीं।
मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियों के अलावा जाहिदा और असद के नाम से स्विट्जरलैंड के जूलियस बाएर बैंक एंड ट्रस्ट लिमिटेड नाम के बैंक में खाते हैं। अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल के नाम से जूलियस बेयर बैंक में करीब ३. ८३ अरब रुपये और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के नाम ४४.६५ करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा हैं। रुडोल्फ एलमर ने दो हजार नामों की सूची वाली दो सीडी विकीलीक्स वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे को सौंपी है। माना जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के काफी लोगों के नाम हैं।
इस बारे में एलमर ने एक निजी चैनल से कहा कि जूलियस बाएर बैंक का भारत में बड़ा कारोबार है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जूलियस बाएर के मालिक का भारत में अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने तो असल में भारत में कुछ निवेश मैनेजर भी नियुक्त किए हैं जिनका मकसद भारत से पैसा जुटाना है।'
राजनीतिक सरगर्मी तेज
विकीलीक्स के हाथ स्विस बैंक के खाताधारकों की सूची जब से लगी तब से देश के राजनीतिक हलकों में खासी हलचल है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से मांग की है कि स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले सभी लोगों के नाम उजागर किए जाएं। बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई कि इस बारे में सुप्रीम में याचिका की सुनवाई के बाद सरकार को स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना होगा। सीपीएम ने भी एक बयान जारी कर खाता धारकों के नाम उजागर करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में बुधवार को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने अदालत को सभी जरूरी सूचनाएं मुहैया करा दी हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ अच्छी अच्छी बातें कर रही है जबकि यह मसला सीधे तौर पर कर चोरी से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।
एलमर के खिलाफ आज सुनवाई
बैंक की गोपनियता भंग करने के आरोपों का सामना कर रहे एलमर के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक अदालत में बुधवार को सुनवाई है। एलमर को जूलियस बाएर बैंक ने 2002 में नौकरी से निकाल दिया था।
भारत की जीडीपी से ज़्यादा धन छुपा है स्विस बैंक में
इस बैंक में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर ( करीब ७१ लाख करोड़ रुपये) के जमा होने की जानकारी सामने आ रही है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 50 से 55 लाख करोड़ रुपये के बीच है।
सत्यता जांचने के बाद सामने लाएंगे नाम
एल्मर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दो हजार स्विस खाताधारकों की सीडी तो सौंप दी है लेकिन अंसाजे ने कहा है कि इन दस्तावेजों की सत्यता जांचने के बाद जल्द ही वह इसे दुनिया के सामने लाएंगे। असांजे इन नामों का खुलासा किसी वक्त कर सकते हैं। इन सीडी में करीब 40 राजनेताओं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों की जानकारी है। ऐसी खबर है कि इन दस्तावेज में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर के जमा होने की जानकारी हो सकती है। इसमें कई भारतीयों के भी नाम हो सकते हैं।
आपकी राय
तो क्या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा? उन बड़े लोगों के नाम जगजाहिर हो जाएंगे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उन्होंने स्विस बैंक को अपनी तिजोरी बना रखी है? क्या बड़ी भारतीय कंपनियों, नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के बेनकाब होने का वक्त आ गया है? अगर ये बेनकाब हो भी गए तो क्या भारत सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी? काली कमाई का यह पैसा सरकार अपने खजाने में वापस ला पाएगी? खबर पढ़ कर आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे। साथ ही, इनके जवाब भी आपके दिमाग में होंगे। आप अपने जवाब और सवाल भी, दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात लिख कर सबमिट करें:
ये हैं देश के बड़े पांच घोटाले जिनसे मचा सियासी तूफान
मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियों के अलावा जाहिदा और असद के नाम से स्विट्जरलैंड के जूलियस बाएर बैंक एंड ट्रस्ट लिमिटेड नाम के बैंक में खाते हैं। अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल के नाम से जूलियस बेयर बैंक में करीब ३. ८३ अरब रुपये और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के नाम ४४.६५ करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा हैं। रुडोल्फ एलमर ने दो हजार नामों की सूची वाली दो सीडी विकीलीक्स वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे को सौंपी है। माना जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के काफी लोगों के नाम हैं।
इस बारे में एलमर ने एक निजी चैनल से कहा कि जूलियस बाएर बैंक का भारत में बड़ा कारोबार है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जूलियस बाएर के मालिक का भारत में अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने तो असल में भारत में कुछ निवेश मैनेजर भी नियुक्त किए हैं जिनका मकसद भारत से पैसा जुटाना है।'
राजनीतिक सरगर्मी तेज
विकीलीक्स के हाथ स्विस बैंक के खाताधारकों की सूची जब से लगी तब से देश के राजनीतिक हलकों में खासी हलचल है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से मांग की है कि स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले सभी लोगों के नाम उजागर किए जाएं। बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई कि इस बारे में सुप्रीम में याचिका की सुनवाई के बाद सरकार को स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना होगा। सीपीएम ने भी एक बयान जारी कर खाता धारकों के नाम उजागर करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में बुधवार को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने अदालत को सभी जरूरी सूचनाएं मुहैया करा दी हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ अच्छी अच्छी बातें कर रही है जबकि यह मसला सीधे तौर पर कर चोरी से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।
एलमर के खिलाफ आज सुनवाई
बैंक की गोपनियता भंग करने के आरोपों का सामना कर रहे एलमर के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक अदालत में बुधवार को सुनवाई है। एलमर को जूलियस बाएर बैंक ने 2002 में नौकरी से निकाल दिया था।
भारत की जीडीपी से ज़्यादा धन छुपा है स्विस बैंक में
इस बैंक में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर ( करीब ७१ लाख करोड़ रुपये) के जमा होने की जानकारी सामने आ रही है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 50 से 55 लाख करोड़ रुपये के बीच है।
सत्यता जांचने के बाद सामने लाएंगे नाम
एल्मर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दो हजार स्विस खाताधारकों की सीडी तो सौंप दी है लेकिन अंसाजे ने कहा है कि इन दस्तावेजों की सत्यता जांचने के बाद जल्द ही वह इसे दुनिया के सामने लाएंगे। असांजे इन नामों का खुलासा किसी वक्त कर सकते हैं। इन सीडी में करीब 40 राजनेताओं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों की जानकारी है। ऐसी खबर है कि इन दस्तावेज में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर के जमा होने की जानकारी हो सकती है। इसमें कई भारतीयों के भी नाम हो सकते हैं।
आपकी राय
तो क्या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा? उन बड़े लोगों के नाम जगजाहिर हो जाएंगे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उन्होंने स्विस बैंक को अपनी तिजोरी बना रखी है? क्या बड़ी भारतीय कंपनियों, नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के बेनकाब होने का वक्त आ गया है? अगर ये बेनकाब हो भी गए तो क्या भारत सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी? काली कमाई का यह पैसा सरकार अपने खजाने में वापस ला पाएगी? खबर पढ़ कर आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे। साथ ही, इनके जवाब भी आपके दिमाग में होंगे। आप अपने जवाब और सवाल भी, दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात लिख कर सबमिट करें:
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वर्ल्ड कप के लिए पाकिस्तानी टीम घोषित, कप्तान के नाम का खुलासा नहीं
कराची. पाकिस्तान ने 19 फरवरी से भारतीय उपमहाद्वीप में होने वाले विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए अपनी 15 सदस्यीय टीम की घोषणा कर दी लेकिन कप्तान के नाम का खुलासा नहीं किया। पूर्व कप्तान मोहम्मद यूसुफ को इस टीम में जगह नहीं मिली है।
शाहिद आफरीदी की कप्तानी में न्यूजीलैंड में छह एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेल रही पाकिस्तानी टीम के सभी खिलाड़ियों को विश्व कप टीम में बरकरार रखा गया है। अनुभवी तेज गेंदबाज रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर को पेस आक्रमण की कमान सौंपी गयी है जबकि उमर गुल, सोहेल तनवीर और वहाब रियाज की तिकड़ी उनका साथ देगी।
तीन विश्व कप खेल चुके यूसुफ ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किये जाने पर आश्चर्य जताते हुए चयनकर्ता इस फैसले की वजह बता सकते हैं। उन्होंने कहा, यह बेहद निराशाजनक है। मैं फिट हूं और लगातार घरेलू मैचों में खेल रहा हूं फिर भी मुझे इस बड़े टूर्नामेंट के लिए चुना नहीं गया। मेरे अंदर अभी काफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बाकी है।
पाकिस्तानी टीम-
मोहम्मद हफीज, अहमद शहजाद, यूनुस खान, मिस्बाह उल हक, उमर अकमल, अशद शफीक. कामरान अकमल, शाहिद आफरीदी, अब्दुल रज्जाक, अब्दुल रहमान, सईद अजमल, शोएब अख्तर, उमर गुल, वहाब रियाज और सोहेल तनवीर।
शाहिद आफरीदी की कप्तानी में न्यूजीलैंड में छह एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेल रही पाकिस्तानी टीम के सभी खिलाड़ियों को विश्व कप टीम में बरकरार रखा गया है। अनुभवी तेज गेंदबाज रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर को पेस आक्रमण की कमान सौंपी गयी है जबकि उमर गुल, सोहेल तनवीर और वहाब रियाज की तिकड़ी उनका साथ देगी।
तीन विश्व कप खेल चुके यूसुफ ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किये जाने पर आश्चर्य जताते हुए चयनकर्ता इस फैसले की वजह बता सकते हैं। उन्होंने कहा, यह बेहद निराशाजनक है। मैं फिट हूं और लगातार घरेलू मैचों में खेल रहा हूं फिर भी मुझे इस बड़े टूर्नामेंट के लिए चुना नहीं गया। मेरे अंदर अभी काफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बाकी है।
पाकिस्तानी टीम-
मोहम्मद हफीज, अहमद शहजाद, यूनुस खान, मिस्बाह उल हक, उमर अकमल, अशद शफीक. कामरान अकमल, शाहिद आफरीदी, अब्दुल रज्जाक, अब्दुल रहमान, सईद अजमल, शोएब अख्तर, उमर गुल, वहाब रियाज और सोहेल तनवीर।
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Jan 16, 2011
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किसी लड़की को छेड़ो, उसका हाथ पकड़ो, अगर वो थप्पड़ मारे तो कहो - "तुम पहले इम्तिहान में पास हो गई हो. मुझे ऐसी ही शरीफ लड़की चाहिए थी."
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डॉ. संता मरीज बंता की जांच करने के बाद बोले- आप मन से सोचिए कि मैं अच्छा हो रहा हूं। आप सचमुच ठीक हो जाएंगे। मरीज बंता- ठीक है, अब मैं चलता हूं। डॉ. संता- अरे, पर मेरी फीस? मरीज बंता- आप भी मन में सोच लीजिए, आपकी फीस मिल जाएगी।
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एक स्कूल फंक्शन में केजी क्लास का एक लड़का अपने कान बंद करके बैठा हुआ था। जब उसे पूछा गया तो उसने कहा कि मेरी गर्ल फ्रेंड स्पीच देने वाली है और वाह अपनी स्पीच की शुरुआत में कहती है My Dear Brothers n Sisters :-)
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वीरू: गब्बर अगर तेरी मां ठाकुर को राखी बांध दे तो वो तेरा क्या लगेगा। गब्बर: कुछ नहीं। वीरू: कैसे? गब्बर: उसके हाथ तो मैंने लेलिए न। राखी बंधेगी कहां।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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संता अपने जिगरी दोस्त बंता से- यार, कल एक ख़ूबसूरत लड़की से मेरी मुलाक़ात हुई। वह इतनी सुंदर थी कि मैं दीवाना हो गया और उससे आई लव यू कह दिया। बंता- बहुत दिलेरी दिखाई यार, वैसे लड़की ने क्या कहा? संता- लड़की बोली- मेरी चप्पल का साइज़ पता है क्या? बंता- हूं.. इन लड़कियों के साथ यही दि़क्क़त है। ज़रा सी जान-पहचान हुई नहीं कि तोहफ़ा मांगना शुरू कर देती हैं।
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बाप बेटे से- नालायक तुमने कभी अपनी कोई बुक खोल के पढ़ी है बेटा- हां पिता जी एक बुक रोज खोलता हूं। बाप: कौन सी। बेटा: फेसबुक
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अगर कोई अच्छा सा मैसेज हो तो जल्दी से उसे पेपर पर लिखकर संदूक में बंद कर दो कहीं गलती से भी सेंड न हो जाए। कनजूस
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रमन डॉक्टर के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मेरी बीवी पिछले छह घंटे से एकदम खामोश है। मैं क्या करूं? कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आप ही कुछ उपए बताएं। डॉक्टर ने कहा तो तुम मेरे पास क्यों आए हो तुम्हें तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों से संपर्क करना चाहिए।
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मैंने आपको फोन किया तो आपका नेटवर्क बोला, नमस्कार, मूर्खो की दुनिया में आपका स्वागत है, आप जिस मूर्ख से इस वक्त बात करना चाहते हैं उसका दिमाग इस वक्त आउट ऑफ कवरेज है
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आपके दिल में बस जाएंगे एसएमएस की तरह, दिल में बजेंगे रिंगटोन की तरह, दोस्ती कम नहीं होगी बैलेंस की तरह,सिर्फ आप बिजी न रहें नेटवर्क की तरह
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अगर अपने दिमाग को टेस्ट करना हो तो उसको गाय के आगे रख दो। अगर वह दूर जाती है तो समझ लो गोबर है और अगर पास आती है तो समझ लो भूसा है।
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अर्ज करता हूं दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी मुन्नी हो गई पुरानी क्योंकि अब आगई शीला की जवानी
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भिखारी: साहब एक रुपए दे दो.. साहब: तुम्हे शर्म नहीं आती क्या रोड पर खड़े हो कर भीख मांग रहे हो। भिखारी: अबे तेरे एक रुपए के लिए ऑफिस खोलूं क्या?
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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दसवीं का छात्र बोला: यार मैं इस बार के पेपर में फेल होना चाहता हूं। दोस्त: क्यों यार? छात्र: अरे यार पापा ने एक शर्त रखी है। दोस्त: क्या? छात्र: पापा ने कहा है कि अगर मैं फस्र्ट आया तो विज्ञान दिलवा देंगे अगर सेकण्ड आया तो आर्ट्स और अगर फेल हो गया तो शादी करवा देंगे।
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पति और पत्नी साथ घूमने गए। रास्ते में एक गधे को घास खाता देख पत्नी पति से बोली ओ,जी देखो आपका रिश्तेदार घास खा रहा है। नमस्ते करो पति:नमस्ते ससुर जी।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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डॉक्टर ने कहा: संता बच्चे को पानी पिलाने से पहले उबाल लेना। संता: जी डॉक्टर, वो तो सही है पर उबालने के बाद बच्चा मर तो नहीं जाएगा।
किसी लड़की को छेड़ो, उसका हाथ पकड़ो, अगर वो थप्पड़ मारे तो कहो - "तुम पहले इम्तिहान में पास हो गई हो. मुझे ऐसी ही शरीफ लड़की चाहिए थी."
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डॉ. संता मरीज बंता की जांच करने के बाद बोले- आप मन से सोचिए कि मैं अच्छा हो रहा हूं। आप सचमुच ठीक हो जाएंगे। मरीज बंता- ठीक है, अब मैं चलता हूं। डॉ. संता- अरे, पर मेरी फीस? मरीज बंता- आप भी मन में सोच लीजिए, आपकी फीस मिल जाएगी।
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एक स्कूल फंक्शन में केजी क्लास का एक लड़का अपने कान बंद करके बैठा हुआ था। जब उसे पूछा गया तो उसने कहा कि मेरी गर्ल फ्रेंड स्पीच देने वाली है और वाह अपनी स्पीच की शुरुआत में कहती है My Dear Brothers n Sisters :-)
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वीरू: गब्बर अगर तेरी मां ठाकुर को राखी बांध दे तो वो तेरा क्या लगेगा। गब्बर: कुछ नहीं। वीरू: कैसे? गब्बर: उसके हाथ तो मैंने लेलिए न। राखी बंधेगी कहां।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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संता अपने जिगरी दोस्त बंता से- यार, कल एक ख़ूबसूरत लड़की से मेरी मुलाक़ात हुई। वह इतनी सुंदर थी कि मैं दीवाना हो गया और उससे आई लव यू कह दिया। बंता- बहुत दिलेरी दिखाई यार, वैसे लड़की ने क्या कहा? संता- लड़की बोली- मेरी चप्पल का साइज़ पता है क्या? बंता- हूं.. इन लड़कियों के साथ यही दि़क्क़त है। ज़रा सी जान-पहचान हुई नहीं कि तोहफ़ा मांगना शुरू कर देती हैं।
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बाप बेटे से- नालायक तुमने कभी अपनी कोई बुक खोल के पढ़ी है बेटा- हां पिता जी एक बुक रोज खोलता हूं। बाप: कौन सी। बेटा: फेसबुक
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अगर कोई अच्छा सा मैसेज हो तो जल्दी से उसे पेपर पर लिखकर संदूक में बंद कर दो कहीं गलती से भी सेंड न हो जाए। कनजूस
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रमन डॉक्टर के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मेरी बीवी पिछले छह घंटे से एकदम खामोश है। मैं क्या करूं? कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आप ही कुछ उपए बताएं। डॉक्टर ने कहा तो तुम मेरे पास क्यों आए हो तुम्हें तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों से संपर्क करना चाहिए।
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मैंने आपको फोन किया तो आपका नेटवर्क बोला, नमस्कार, मूर्खो की दुनिया में आपका स्वागत है, आप जिस मूर्ख से इस वक्त बात करना चाहते हैं उसका दिमाग इस वक्त आउट ऑफ कवरेज है
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आपके दिल में बस जाएंगे एसएमएस की तरह, दिल में बजेंगे रिंगटोन की तरह, दोस्ती कम नहीं होगी बैलेंस की तरह,सिर्फ आप बिजी न रहें नेटवर्क की तरह
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अगर अपने दिमाग को टेस्ट करना हो तो उसको गाय के आगे रख दो। अगर वह दूर जाती है तो समझ लो गोबर है और अगर पास आती है तो समझ लो भूसा है।
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अर्ज करता हूं दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी मुन्नी हो गई पुरानी क्योंकि अब आगई शीला की जवानी
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भिखारी: साहब एक रुपए दे दो.. साहब: तुम्हे शर्म नहीं आती क्या रोड पर खड़े हो कर भीख मांग रहे हो। भिखारी: अबे तेरे एक रुपए के लिए ऑफिस खोलूं क्या?
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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।
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दसवीं का छात्र बोला: यार मैं इस बार के पेपर में फेल होना चाहता हूं। दोस्त: क्यों यार? छात्र: अरे यार पापा ने एक शर्त रखी है। दोस्त: क्या? छात्र: पापा ने कहा है कि अगर मैं फस्र्ट आया तो विज्ञान दिलवा देंगे अगर सेकण्ड आया तो आर्ट्स और अगर फेल हो गया तो शादी करवा देंगे।
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पति और पत्नी साथ घूमने गए। रास्ते में एक गधे को घास खाता देख पत्नी पति से बोली ओ,जी देखो आपका रिश्तेदार घास खा रहा है। नमस्ते करो पति:नमस्ते ससुर जी।
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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।
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डॉक्टर ने कहा: संता बच्चे को पानी पिलाने से पहले उबाल लेना। संता: जी डॉक्टर, वो तो सही है पर उबालने के बाद बच्चा मर तो नहीं जाएगा।
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इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति
शून्य से शुरुआत करके इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति कुशल नेतृत्व और श्रेष्ठ सोच की मिसाल हैं। स्पष्टता उनका सबसे बड़ा औजार है। मनीषा पांडेय से हुई बातचीत के प्रस्तुत अंशों में वे बता रहे हैं जीवन में विजन की महत्ता, अपनी निजी विचारधारा, बड़े लीडर के गुण और हमारे भौतिक समय में धन के प्रति नजरिए के बारे में..
किसी बड़े काम या बड़े उद्यम की सफलता के पीछे बड़ी दृष्टि या विजन होता है। वह दृष्टि क्या है? वह कौन सी सोच, विचार और व्यक्तित्व का गुण होता है, जिससे मिलकर एक बड़ा विजन तैयार होता है?
दरअसल दृष्टि, विचार और सोच, ये सारी बातें आपस में गुंथी हुई हैं। आमतौर पर लोग कहेंगे कि बड़ी और दूर तक सोच पाने की क्षमता से ही बड़ा विजन बनता है, लेकिन यह बात अधूरी है। बुनियादी रूप से बड़ा विजन आता है सबकी बेहतरी और तरक्की की बात सोचने से। अपने हर कदम के बारे में यह सोचने से कि इससे किसको लाभ होगा। अगर कोई कदम अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, तो उसके पीछे बड़ा विजन नहीं हो सकता। बड़े विजन का फलक बड़ा होता है और वह सामूहिक हितों और उन्नति की बात सोचता है।
क्या दृष्टि की संकीर्णता की वजह से ही हम कोई बड़ा स्वप्न देख और साकार नहीं कर पाते?
ऐसा नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बड़े सपने नहीं देखे और उन सपनों को पूरा नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। पूरी दुनिया में जहां भी शून्य से कोई बड़ी चीज खड़ी हुई, जिसके बारे में बहुतों का यह विश्वास था कि यह नामुमकिन है, तो निश्चित ही उस चीज की सफलता के पीछे बड़ा और सामूहिक हितों का विजन ही था।
सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की जो बात आप कर रहे हैं, वह किस तरह मुमकिन है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आप कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। लेकिन आपने निजी उद्यम का रास्ता चुना। क्यों?
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि जिनके बाद से कम्युनिज्म पर से मेरा विश्वास उठ गया और मुझे महसूस हुआ कि बहुत बड़े पैमाने पर उद्यम खड़े करके और ढेरों नौकरियां पैदा करके ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। देखिए, पूंजीवाद कोई बुरी या अनैतिक चीज नहीं है। हमारी दिक्कत यह है कि हमारे यहां मूल्यविहीन पूंजीवाद है। हम सारी नैतिकता और सबकी बेहतरी के मूल्यों से परे निजी हितों के बारे में सोचते हैं। अगर हम नैतिक ढंग से और ईमानदारी से काम करें, तो पूंजीवाद के रास्ते ही बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
लेकिन उसमें तो कुछ लोग हमेशा दोयम दर्जे के श्रमिक की ही भूमिका में होंगे?
पूंजीवाद में नहीं, अनैतिक, गैर-ईमानदार पूंजीवाद में होंगे। बड़े उद्यमी और स्वप्नदर्शी का यही तो दायित्व है कि वह सबको यह भरोसा दिला सके कि यह सामूहिक श्रम है, सबके हितों के लिए किया जा रहा श्रम है। उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे सके, यह विश्वास पैदा करके अपने कार्यस्थल पर एक निर्भय वातावरण बना सकें। कोई भी उद्यम जन के लिए, जन के द्वारा और जन का उद्यम हो।
एक बड़े लीडर में क्या गुण होने चाहिए?
बड़ा लीडर वह होता है, जो बड़ा सोचता है और सबको साथ लेकर चलता है। बड़ा लीडर वह है, जिसके कदम और फैसलों पर लोग भरोसा करें। लोगों को यह विश्वास हो कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, न कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए। जो उन लोगों जैसा ही सीधा, सरल और साधारण जीवन जिए, जिनके लिए वह काम कर रहा है। जिसके साथ लोग स्वयं को एकाकार महसूस कर सकें। बड़े काम में अनगिनत लोगों का श्रम और मेधा शामिल होते हैं। और लीडर ऐसा होना चाहिए, जिसकी एक आवाज पर वे अनगिनत लोग उसके पीछे चल पड़ें। वे उसका हाथ बन जाएं। उसके श्रम में शामिल हो जाएं।
क्या आपको ऐसा लीडर नजर आता है?
मौजूदा समय में निश्चित ही ऐसा कोई शख्स हमारे आसपास मौजूद नहीं है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा शख्स हुआ है, जिसकी एक पुकार ही असंख्य लोगों को साथ बुलाने के लिए काफी थी। महात्मा गांधी ऐसे ही लीडर थे।
एक और महत्वपूर्ण सवाल, धन-संपत्ति के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
आज जिस तरह से पूरी दुनिया सफलता के पीछे भाग रही है, और वह सफलता भी सिर्फ भौतिक सफलता के अर्थो में है, यह सचमुच बहुत चिंतनीय है। दरअसल धन अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। असल मुद्दा है उसके प्रति आपके नजरिए का। वह जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन क्या जीवन की हर गति सिर्फ धन के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है! क्या हमें प्रेम, रिश्तों, भावनाओं, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सपनों की कोई जरूरत नहीं! इन चीजों का धन से मोल कैसे आंकेंगे? लेकिन विडंबना देखिए कि आंका जा रहा है। सबकुछ जांचने-परखने का एक ही पैमाना बन गया है - धन। विज्ञान, तकनीक जैसी चीजें, जो मानवता के लिए बड़ा सृजन कर सकती हैं, का इस्तेमाल भी सिर्फ भौतिक विकास के लिए किया जा रहा है। ऐसे युवा नहीं मिलते, जो विज्ञान इसलिए पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैशन है। वे इसके और भीतर घुसना चाहते हैं, कुछ बड़ा रचना चाहते हैं। वे विज्ञान इसलिए पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें ऊंची तनख्वाहों वाली नौकरी मिलेगी। धन से संचालित ये लोग विज्ञान के नियम रट लेने वाली मशीन हैं, वे असल वैज्ञानिक नहीं हो सकते। वे दूसरों के खोजे नियमों और उनके आविष्कारों को अप्लाय तो कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बड़े आविष्कार नहीं कर सकते।
एन.आर.नारायणमूर्ति
जन्म- 20 अगस्त 1946 कानपुर आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएट। इन्फोसिस के संस्थापक।
किसी बड़े काम या बड़े उद्यम की सफलता के पीछे बड़ी दृष्टि या विजन होता है। वह दृष्टि क्या है? वह कौन सी सोच, विचार और व्यक्तित्व का गुण होता है, जिससे मिलकर एक बड़ा विजन तैयार होता है?
दरअसल दृष्टि, विचार और सोच, ये सारी बातें आपस में गुंथी हुई हैं। आमतौर पर लोग कहेंगे कि बड़ी और दूर तक सोच पाने की क्षमता से ही बड़ा विजन बनता है, लेकिन यह बात अधूरी है। बुनियादी रूप से बड़ा विजन आता है सबकी बेहतरी और तरक्की की बात सोचने से। अपने हर कदम के बारे में यह सोचने से कि इससे किसको लाभ होगा। अगर कोई कदम अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, तो उसके पीछे बड़ा विजन नहीं हो सकता। बड़े विजन का फलक बड़ा होता है और वह सामूहिक हितों और उन्नति की बात सोचता है।
क्या दृष्टि की संकीर्णता की वजह से ही हम कोई बड़ा स्वप्न देख और साकार नहीं कर पाते?
ऐसा नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बड़े सपने नहीं देखे और उन सपनों को पूरा नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। पूरी दुनिया में जहां भी शून्य से कोई बड़ी चीज खड़ी हुई, जिसके बारे में बहुतों का यह विश्वास था कि यह नामुमकिन है, तो निश्चित ही उस चीज की सफलता के पीछे बड़ा और सामूहिक हितों का विजन ही था।
सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की जो बात आप कर रहे हैं, वह किस तरह मुमकिन है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आप कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। लेकिन आपने निजी उद्यम का रास्ता चुना। क्यों?
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि जिनके बाद से कम्युनिज्म पर से मेरा विश्वास उठ गया और मुझे महसूस हुआ कि बहुत बड़े पैमाने पर उद्यम खड़े करके और ढेरों नौकरियां पैदा करके ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। देखिए, पूंजीवाद कोई बुरी या अनैतिक चीज नहीं है। हमारी दिक्कत यह है कि हमारे यहां मूल्यविहीन पूंजीवाद है। हम सारी नैतिकता और सबकी बेहतरी के मूल्यों से परे निजी हितों के बारे में सोचते हैं। अगर हम नैतिक ढंग से और ईमानदारी से काम करें, तो पूंजीवाद के रास्ते ही बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
लेकिन उसमें तो कुछ लोग हमेशा दोयम दर्जे के श्रमिक की ही भूमिका में होंगे?
पूंजीवाद में नहीं, अनैतिक, गैर-ईमानदार पूंजीवाद में होंगे। बड़े उद्यमी और स्वप्नदर्शी का यही तो दायित्व है कि वह सबको यह भरोसा दिला सके कि यह सामूहिक श्रम है, सबके हितों के लिए किया जा रहा श्रम है। उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे सके, यह विश्वास पैदा करके अपने कार्यस्थल पर एक निर्भय वातावरण बना सकें। कोई भी उद्यम जन के लिए, जन के द्वारा और जन का उद्यम हो।
एक बड़े लीडर में क्या गुण होने चाहिए?
बड़ा लीडर वह होता है, जो बड़ा सोचता है और सबको साथ लेकर चलता है। बड़ा लीडर वह है, जिसके कदम और फैसलों पर लोग भरोसा करें। लोगों को यह विश्वास हो कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, न कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए। जो उन लोगों जैसा ही सीधा, सरल और साधारण जीवन जिए, जिनके लिए वह काम कर रहा है। जिसके साथ लोग स्वयं को एकाकार महसूस कर सकें। बड़े काम में अनगिनत लोगों का श्रम और मेधा शामिल होते हैं। और लीडर ऐसा होना चाहिए, जिसकी एक आवाज पर वे अनगिनत लोग उसके पीछे चल पड़ें। वे उसका हाथ बन जाएं। उसके श्रम में शामिल हो जाएं।
क्या आपको ऐसा लीडर नजर आता है?
मौजूदा समय में निश्चित ही ऐसा कोई शख्स हमारे आसपास मौजूद नहीं है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा शख्स हुआ है, जिसकी एक पुकार ही असंख्य लोगों को साथ बुलाने के लिए काफी थी। महात्मा गांधी ऐसे ही लीडर थे।
एक और महत्वपूर्ण सवाल, धन-संपत्ति के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
आज जिस तरह से पूरी दुनिया सफलता के पीछे भाग रही है, और वह सफलता भी सिर्फ भौतिक सफलता के अर्थो में है, यह सचमुच बहुत चिंतनीय है। दरअसल धन अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। असल मुद्दा है उसके प्रति आपके नजरिए का। वह जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन क्या जीवन की हर गति सिर्फ धन के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है! क्या हमें प्रेम, रिश्तों, भावनाओं, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सपनों की कोई जरूरत नहीं! इन चीजों का धन से मोल कैसे आंकेंगे? लेकिन विडंबना देखिए कि आंका जा रहा है। सबकुछ जांचने-परखने का एक ही पैमाना बन गया है - धन। विज्ञान, तकनीक जैसी चीजें, जो मानवता के लिए बड़ा सृजन कर सकती हैं, का इस्तेमाल भी सिर्फ भौतिक विकास के लिए किया जा रहा है। ऐसे युवा नहीं मिलते, जो विज्ञान इसलिए पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैशन है। वे इसके और भीतर घुसना चाहते हैं, कुछ बड़ा रचना चाहते हैं। वे विज्ञान इसलिए पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें ऊंची तनख्वाहों वाली नौकरी मिलेगी। धन से संचालित ये लोग विज्ञान के नियम रट लेने वाली मशीन हैं, वे असल वैज्ञानिक नहीं हो सकते। वे दूसरों के खोजे नियमों और उनके आविष्कारों को अप्लाय तो कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बड़े आविष्कार नहीं कर सकते।
एन.आर.नारायणमूर्ति
जन्म- 20 अगस्त 1946 कानपुर आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएट। इन्फोसिस के संस्थापक।
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इस विधायक ने मेरा रेप किया है इसे फांसी पर लटका
बांदा से बसपा विधायक द्वारा दुष्कर्म पीड़िता जेल से रिहा होते ही विधायक को फांसी पर लटकाने की मांग की। पीड़िता जेल के दौरान बीते अपने दर्द को बताते हुए काफी गुस्से में थी। पुलिस पर आरोप लगाते हुए बताया कि पुलिस वाले उसको जेल में पिटते थे। यहां तक कि बिधायक के भाई के सामने पुलिस ने उसे मारा और धमकी दी।
सूबे की मुखिया मायावती के निर्देश के बाद पीड़िता को छोड़ दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता को जेल से रिहा करने और पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक दलित लड़की के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर दुष्कर्म किए जाने से सम्बद्ध मामले में राज्य सरकार ने शनिवार को बांदा जेल में बंद लड़की की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।
रेप मामले में फंसे बांदा के विधायक मामले पर सूबे की मुखिया ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा था लड़की पर चोरी के आरोप में जो भी पुलिस अधिकारी पर लिप्त होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की को आरोपित विधायक के घर कथित चोरी के आरोप में 15 दिसम्बर को अतर्रा पुलिस ने जेल भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि नरैनी क्षेत्र के शहबाजपुर गांव की एक लड़की ने पिछले दिनों अदालत में लिखित बयान देकर विधायक पुरूषोत्तम द्विवेदी और उनके तीन सहयोगियों पर कथित तौर पर बंधक बनाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
सूबे की मुखिया मायावती के निर्देश के बाद पीड़िता को छोड़ दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता को जेल से रिहा करने और पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक दलित लड़की के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर दुष्कर्म किए जाने से सम्बद्ध मामले में राज्य सरकार ने शनिवार को बांदा जेल में बंद लड़की की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।
रेप मामले में फंसे बांदा के विधायक मामले पर सूबे की मुखिया ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा था लड़की पर चोरी के आरोप में जो भी पुलिस अधिकारी पर लिप्त होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की को आरोपित विधायक के घर कथित चोरी के आरोप में 15 दिसम्बर को अतर्रा पुलिस ने जेल भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि नरैनी क्षेत्र के शहबाजपुर गांव की एक लड़की ने पिछले दिनों अदालत में लिखित बयान देकर विधायक पुरूषोत्तम द्विवेदी और उनके तीन सहयोगियों पर कथित तौर पर बंधक बनाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
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